व्हाइट हाउस के मेमो में दावा: अलीबाबा ने अमेरिका को निशाना बनाने में चीनी सेना की मदद की, जानिए मामले पर अलीबाबा ने क्या कहा?..

वाशिंगटन ने चीनी टेक कंपनी अलीबाबा पर अमेरिका के खिलाफ सैन्य गतिविधियों को गुपचुप समर्थन देने का गंभीर आरोप लगाया है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह दावा व्हाइट हाउस के एक गोपनीय, शीर्ष-गुप्त खुफिया ज्ञापन पर आधारित है। हालाँकि, अलीबाबा और अमेरिका में स्थित चीनी दूतावास दोनों ने इस आरोप को पूरी तरह निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है। इस खबर के बाद अमेरिका में अलीबाबा के शेयरों में 4.2% की गिरावट आई है।

White House memo claims Alibaba helped the Chinese military target the US

अलीबाबा पर क्या है आरोप?

व्हाइट हाउस के मेमो में कहा गया है कि अलीबाबा ने कथित तौर पर चीनी सेना (PLA) को संवेदनशील डेटा और तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई। इसमें ग्राहक डेटा, AI टूल्स और सॉफ़्टवेयर की पहले से अज्ञात कमजोरियाँ शामिल बताई गई हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, अलीबाबा ने PLA को IP एड्रेस, वाई-फाई डेटा, भुगतान से जुड़े रिकॉर्ड और AI आधारित सेवाओं तक पहुँच दी। कुछ कर्मचारियों पर यह आरोप भी है कि उन्होंने नई सॉफ़्टवेयर कमज़ोरियों की जानकारी सेना को दी, जिसे वाशिंगटन अमेरिकी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मानता है।

 

अधिकारियों ने हर विवरण की पुष्टि से किया इंकार:

अमेरिकी अधिकारियों ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि वे मेमो में दिए हर आरोप की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सकते। लेकिन उनका कहना है कि ये दावे वाशिंगटन में चीनी क्लाउड और AI कंपनियों की बढ़ती पहुँच को लेकर गहरी चिंताओं को दिखाते हैं।

एक अधिकारी के मुताबिक, “हम इन खतरों को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार अविश्वसनीय विदेशी तकनीकी कंपनियों के जरिये होने वाली साइबर घुसपैठ को रोकने के लिए लगातार काम कर रही है।

 

मामले पर अलीबाबा ने क्या कहा?

अलीबाबा ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। कंपनी ने अपने बयान में कहा, “लेख में किए गए दावे और संकेत बिल्कुल झूठे हैं।”

अलीबाबा ने यह भी सवाल उठाया कि इस तरह की गुमनाम लीक का मकसद क्या है, खासकर जब FT खुद कह रहा है कि वह इन दावों की पुष्टि नहीं कर सकता। कंपनी का कहना है कि यह किसी “दुष्ट व्यक्ति” द्वारा चलाया गया एक गलत प्रचार अभियान है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रपति ट्रंप और चीन के बीच हाल ही में हुए व्यापार समझौते को कमजोर करना हो सकता है।

 

चीनी दूतावास ने भी किया कड़ा विरोध:

वाशिंगटन में चीन के दूतावास ने भी इन आरोपों का सख्त विरोध किया और कहा कि इन्हें पूरी तरह से गलत तरीके से पेश किया गया है।

दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने कहा, “बिना किसी ठोस सबूत के अमेरिका ने गलत निष्कर्ष निकालते हुए चीन पर बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। यह बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना है और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। चीन इसका कड़ा विरोध करता है।”

 

अलीबाबा पर पहले भी लगे है आरोप:

अलीबाबा पर अमेरिकी सांसद पहले भी सुरक्षा चिंताएँ जताते रहे हैं। उन्होंने ओलंपिक में कंपनी की भूमिका पर सवाल उठाया था, यह कहते हुए कि इससे 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। कुछ सांसदों ने आरोप लगाया कि अलीबाबा चीनी सरकार की निगरानी और खुफिया अभियानों में मदद करता है, इसलिए उसे ओलंपिक के स्थानीय सिस्टम तक पहुँच नहीं दी जानी चाहिए। सांसद जॉन मूलेनार और एंड्रयू गैबारिनो ने दावा किया कि पिछले ओलंपिक में अलीबाबा को मिले सिस्टम एक्सेस से जोखिम बढ़ गया है।

इस साल की शुरुआत में भी अलीबाबा उन चीनी कंपनियों में थी, जिन्हें अमेरिकी वित्तीय बाजारों से डीलिस्ट करने की माँग की गई थी, यह कहते हुए कि कंपनी के चीनी सैन्य एजेंसियों से संबंध अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

 

अलीबाबा ग्रुप के बारे में:

अलीबाबा ग्रुप एक बड़ी चीनी बहुराष्ट्रीय तकनीकी कंपनी है, जिसकी शुरुआत 28 जून 1999 को हांग्ज़ोऊ में हुई। यह ई-कॉमर्स, रिटेल, इंटरनेट सेवाएँ, क्लाउड कंप्यूटिंग, डिजिटल मीडिया, लॉजिस्टिक्स और AI जैसे कई क्षेत्रों में काम करती है। कंपनी Taobao (C2C), Tmall (B2C) और Alibaba.com (B2B) जैसे दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन मार्केटप्लेस चलाती है।

कंपनी का नाम “अली बाबा” मध्य-पूर्व की प्रसिद्ध कहानियों One Thousand and One Nights के एक पात्र से लिया गया है, क्योंकि यह नाम दुनिया भर में आसानी से पहचाना और समझा जाता है। इसके संस्थापक जैक मा है।

2014 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर हुए इसके IPO ने 25 बिलियन डॉलर जुटाए, जो उस समय दुनिया का सबसे बड़ा IPO था। अलीबाबा कई सालों से दुनिया की सबसे मूल्यवान और सबसे प्रभावशाली तकनीकी कंपनियों में शामिल है। अलीबाबा कृत्रिम बुद्धिमत्ता, फिनटेक (अपने एंट ग्रुप के जरिए), निवेश और मीडिया कारोबार में भी तेजी से बढ़ रही है। चीन का प्रसिद्ध Singles’ Day सेल इवेंट भी अलीबाबा का ही बनाया हुआ है, जो दुनिया का सबसे बड़ा शॉपिंग फेस्टिवल माना जाता है।

 

विवादास्पद बयान के कारण महीनों गायब रहे थे जैक मा:

अक्टूबर 2020 में, जब एंट ग्रुप दुनिया की सबसे बड़ी IPO लॉन्च करने वाला था, जैक मा ने शंघाई में एक बड़ा भाषण दिया जिसमें उन्होंने चीन की वित्तीय व्यवस्था की आलोचना की। यह भाषण सरकार को पसंद नहीं आया और उसके तुरंत बाद से जैक मा सार्वजनिक रूप से दिखाई देना बंद हो गए। कई महीने तक उन्हें कहीं नहीं देखा गया, जिससे तरह-तरह की अफ़वाहें फैल गईं; कुछ ने कहा कि उन्हें नज़रबंद किया गया है, कुछ ने पूछा कि कहीं वे जिंदा भी हैं या नहीं।

बाद में 2021 के अंत में वे यूरोप में दिखे, और 2022 में उन्होंने चीन से बाहर काफी समय बिताया। 2023 की शुरुआत में वे एक बार फिर चीन में नज़र आए, जिससे यह संकेत मिला कि शायद सरकार की टेक कंपनियों पर सख्ती कुछ कम हो रही है।

 

निष्कर्ष:

अलीबाबा पर लगाए गए नए आरोप अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तकनीकी व सुरक्षा तनावों को एक बार फिर उजागर करते हैं। हालाँकि, आरोपों की सत्यता पर भले ही सवाल बने हुए हों, लेकिन बाजार की प्रतिक्रिया साफ है। अमेरिका में अलीबाबा के शेयरों में तेज गिरावट इस बात का संकेत है कि ऐसे विवाद वैश्विक निवेशकों के बीच अनिश्चितता बढ़ा रहे हैं।