गृह मंत्रालय ने ऑनलाइन घोटालों के खिलाफ जारी की एडवाइजरी: फर्जी सोशल मीडिया विज्ञापनों को बताया जिम्मेदार, जानिए पूरी खबर..

सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ रहे फर्जी विज्ञापनों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। आकर्षक ऑफ़र, नकली निवेश योजनाएँ, फर्जी नौकरियों के वादे और डीपफेक वीडियो के सहारे चल रहे ये ऑनलाइन घोटाले देशभर में नागरिकों को भारी आर्थिक नुकसान पहुँचा रहे हैं। इसी खतरे को देखते हुए गृह मंत्रालय (MHA) ने एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है, जिसमें लोगों से ऐसे धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों से सतर्क रहने और किसी भी लालच में न आने की अपील की गई है।

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साइबर धोखाधड़ी क्या हैं?

साइबर धोखाधड़ी ऐसे अपराध हैं जिनमें इंटरनेट या डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करके लोगों या संस्थाओं को पैसों के लिए धोखा दिया जाता है। इसमें अपराधी ऑनलाइन सिस्टम, ऐप, वेबसाइट या लोगों की सीधी लापरवाही का फायदा उठाकर उनका पैसा, निजी जानकारी या पहचान चुरा लेते हैं।

 

I4C संभावित खतरों पर रखे हुए है नजर:

गृह मंत्रालय ने बताया है कि ज्यादातर साइबर ठगी मामलों में एक जैसा पैटर्न देखा जा रहा है; फर्जी विज्ञापन, सोशल मीडिया पर लोगों को बहकाना और पैसे को कई खातों में जल्दी-जल्दी भेजना, जिससे उसे वापस पाना मुश्किल हो जाता है। मंत्रालय का कहना है कि भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) पुलिस और डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ मिलकर इन खतरों की लगातार निगरानी कर रहा है और कार्रवाई भी कर रहा है।

 

गृह मंत्रालय के अंतर्गत I4C ने क्या कहा?

गृह मंत्रालय ने कहा है कि अगर आपको कोई संदिग्ध संदेश, फर्जी विज्ञापन, नकली नौकरी का ऑफ़र या निवेश योजना दिखे, तो उसकी तुरंत शिकायत करें। इसके लिए आप राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर जा सकते हैं या 1930 हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं। मंत्रालय के अनुसार, इन शिकायतों की मदद से देशभर में कई पीड़ितों के पैसे वापस मिलने में मदद हुई है।

साथ ही, गृह मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि वे हमेशा सतर्क रहें और सोशल मीडिया पर चल रहे लालच भरे ऑफ़र, कैशबैक योजनाओं या अंशकालिक नौकरी के संदेशों पर भरोसा न करें। लोगों को जागरूक रहने के लिए मंत्रालय ने सलाह दी है कि वे सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गृह मंत्रालय के आधिकारिक साइबर सुरक्षा हैंडल CYBERDOST को फ़ॉलो करें।

 

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) क्या है ?

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) गृह मंत्रालय द्वारा 2020 में बनाया गया एक प्रमुख केंद्र है, जिसका उद्देश्य देश में बढ़ते साइबर अपराधों से संगठित और प्रभावी तरीके से निपटना है। यह केंद्र कानून प्रवर्तन एजेंसियों को एक मजबूत ढांचा और सहयोग प्रदान करता है, ताकि वे साइबर अपराधों की रोकथाम, पहचान, जांच और कार्रवाई बेहतर ढंग से कर सकें। I4C शिक्षाविदों, उद्योगों, आम नागरिकों और सरकार को एक साथ जोड़कर साइबर सुरक्षा के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करता है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

 

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) का उद्देश्य और कार्य:

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) का मुख्य उद्देश्य देश में साइबर अपराध पर नियंत्रण करना और इसके खिलाफ एक मजबूत व्यवस्था बनाना है। यह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान देता है। I4C नागरिकों को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने में मदद करता है और साइबर अपराध के नए तरीकों व रुझानों की पहचान करता है। यह पुलिस और अन्य एजेंसियों को पहले से चेतावनी देने वाली प्रणाली की तरह काम करता है ताकि अपराध रोका जा सके।

I4C जनता में जागरूकता बढ़ाने, पुलिस अधिकारियों और न्यायिक कर्मियों को साइबर फोरेंसिक, जांच और साइबर सुरक्षा से जुड़ी ट्रेनिंग देने में राज्यों की सहायता करता है। साथ ही, यह नई तकनीक और फोरेंसिक उपकरणों पर शोध को बढ़ावा देता है और जरूरत पड़ने पर साइबर कानूनों में बदलाव की सलाह भी देता है। अन्य देशों के साथ साइबर अपराध से जुड़े मामलों में कानूनी सहयोग का समन्वय करना भी इसके महत्वपूर्ण कामों में शामिल है।

 

भारत में वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की स्थिति:

I4C के मुताबिक, भारत में साइबर धोखाधड़ी बहुत तेजी से बढ़ रही है और 2025 की शुरुआती छमाही में हर महीने लगभग 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। सालभर में यह नुकसान 1.2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो सकता है।

भारत को निशाना बनाने वाली आधी से ज्यादा साइबर धोखाधड़ी दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों; कंबोडिया, म्यांमार, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड से संचालित होती है। भारतीय एजेंसियों ने इन देशों में कई बड़े घोटाला केंद्रों की पहचान भी की है। ये गिरोह फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग, डिजिटल गिरफ्तारी और वर्क-फ्रॉम-होम घोटालों के जरिए लोगों को ठगते हैं। डिजिटल बैंकिंग की कमजोरियाँ, फर्जी सिम कार्ड और कमजोर जाँच प्रक्रियाएँ इन साइबर अपराधों को और आसान बना देती हैं।

 

हाल ही में आए साइबर धोखाधड़ी के मामले:

  • अहमदाबाद (25 वर्षीय युवक से ₹44 लाख की ठगी): 25 वर्षीय युवक इंस्टाग्राम के फर्जी ट्रेडिंग विज्ञापन के झांसे में आकर टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ा। शुरू में नकली मुनाफा दिखाया गया, फिर उसका पूरा निवेश गायब कर दिया गया।
  • अशोक विहार, दिल्ली (40 वर्षीय महिला से ₹21 लाख की ठगी): 40 वर्षीय महिला ने शेयर ट्रेडिंग के फर्जी विज्ञापन पर भरोसा कर एक नकली ऐप डाउनलोड किया। थोड़े मुनाफे के बाद उसे व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़कर निवेश करवाया गया। जब उसने और पैसा देने से मना किया, तो उसे ब्लॉक कर दिया गया।
  • पूर्वी दिल्ली (78 वर्षीय शिक्षक से ₹13 लाख की ठगी): एक व्यक्ति ने पुलिस और CBI अधिकारी बनकर शिक्षक को धमकाया कि उनका नंबर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है। डर के कारण उन्होंने ‘जाँच’ के नाम पर ₹13 लाख ट्रांसफर कर दिए।

 

फर्जी कैशबैक स्कीम में फँसी छात्रा:

रोहिणी की एक राजनीति विज्ञान की छात्रा सोशल मीडिया पर दिखी एक नकली कैशबैक योजना में फँस गई और ₹1.4 लाख से ज़्यादा गँवा बैठी। क्यूआर कोड के जरिए कमीशन मिलने का लालच देकर उसे लगातार पैसे भेजने के लिए कहा गया। एक दोस्त ने सचेत किया तो उसने साइबर शिकायत दर्ज कराई और अपना बैंक खाता फ्रीज कर दिया। इससे उसे ₹40,000 वापस मिल गए, लेकिन बाकी ₹1 लाख अलग-अलग खातों में ट्रांसफर हो चुके थे।

 

वर्क फ्रॉम होम में भी घोटाला:

बिहार के कमला नगर में रहने वाले एक UPSC अभ्यर्थी को व्हाट्सएप पर होटल और रेस्टोरेंट की रेटिंग करने वाला पार्ट-टाइम काम ऑफ़र किया गया। शुरू में छोटी रकम देकर भरोसा जीत लिया गया। बाद में ज्यादा कमीशन का लालच देकर उससे काम के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाए गए। परिवार से बात करने तक वह अलग-अलग खातों में ₹93,000 भेज चुका था। इसके बाद उसने तुरंत शिकायत दर्ज कराई।

 

साइबर सुरक्षा से जुड़ी प्रमुख पहलें:

वैश्विक पहलें:

  • बुडापेस्ट कन्वेंशन: साइबर अपराध से निपटने की पहली अंतरराष्ट्रीय संधि। भारत इसका हिस्सा नहीं है।
  • इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (IGF): संयुक्त राष्ट्र का मंच, जहाँ इंटरनेट और साइबर सुरक्षा पर चर्चा होती है।
  • UN के प्रयास:
  • OEWG (रूस): सभी देशों के बीच साइबर सुरक्षा पर बातचीत।
  • GGE (अमेरिका): साइबरस्पेस में देशों के जिम्मेदार व्यवहार के नियम बनाना।

 

भारतीय पहलें:

  • कानून: IT अधिनियम 2000, डेटा संरक्षण अधिनियम 2023।
  • संस्थान: CERT-In, NCIIPC, I4C, साइबर स्वच्छता केंद्र।
  • व्यवस्थाएँ: साइबर धोखाधड़ी की रियल-टाइम रिपोर्टिंग और ट्रैकिंग व्यवस्था।
  • रणनीति: राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास 2024, साइबर सुरक्षा नीति 2013।
  • DoT पहल: दूरसंचार विभाग की चक्षु पहल धोखाधड़ी कॉल और मैसेज की शिकायत के लिए है, जबकि डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म एजेंसियों को मिलकर साइबर धोखाधड़ी पर तेजी से कार्रवाई करने में मदद करता है।

 

निष्कर्ष:

सोशल मीडिया पर बढ़ते फर्जी विज्ञापन लोगों के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं। आकर्षक ऑफ़रों और नकली दावों के जरिए होने वाले ये ऑनलाइन घोटाले बड़ी आर्थिक हानि पहुँचा रहे हैं। ऐसे में गृह मंत्रालय की एडवाइजरी लोगों को जागरूक और सतर्क रहने की अहम सलाह देती है। डिजिटल दुनिया में सुरक्षा का सबसे सरल तरीका है; हर संदिग्ध विज्ञापन से सावधान रहना और किसी भी लालच में न आना।