भारत का ट्रेड डेफिसिट रिकॉर्ड स्तर पर; निर्यात 12% गिरा, सोने का आयात उछला

अक्टूबर में भारत का माल व्यापार घाटा (Trade Deficit) बढ़कर 42 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसके पीछे दो बड़ी वजहें रहीं-निर्यात में 12% की तेज गिरावट और सोने के आयात में भारी उछाल।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में निर्यात घटकर 34.38 अरब डॉलर रह गया, जबकि आयात 16.63% बढ़कर 76.06 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

India trade deficit at record level

सोने का आयात 200% और चांदी का 528% बढ़ा

त्योहारी सीज़न से पहले सोने की कीमतों में तेजी और अनुमानित मांग ने आयात को कई गुना बढ़ा दिया।

  • सोना आयात: 200% उछाल, पहुंचा 7 अरब डॉलर
  • चांदी आयात: 528% उछाल, पहुंचा 7 अरब डॉलर

विशेषज्ञों का कहना है कि यह बढ़ोतरी अस्थायी हो सकती है और आने वाले महीनों में सोने का आयात कम हो सकता है।

ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि जहां कच्चे तेल का आयात घटकर 14.8 अरब डॉलर रह गया, वहीं Non-oil, Non-gold आयात में भी 12.4% की तेज वृद्धि दिखी। इसमें उर्वरक, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, नॉन-फेरस धातुएं और चांदी शामिल हैं।

 

ट्रेड डेफिसिट क्या होता है?

जब किसी तय समय अवधि में देश का आयात (Import) – यानी विदेशों से खरीदे गए सामान की कुल कीमत – देश के निर्यात (Export) – यानी विदेशों को बेचे गए सामान की कुल कीमत – से ज्यादा हो जाती है, तो इस स्थिति को ट्रेड डेफिसिट (Trade Deficit) या व्यापार घाटा कहते हैं।

 

ऐसी स्थिति में देश का ज्यादा पैसा विदेशों में चला जाता है, इसलिए इसे निगेटिव बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कहा जाता है।

 

निर्यात पर अमेरिका के टैरिफ और वैश्विक सुस्ती का असर

निर्यात में गिरावट की मुख्य वजहें:

  • वैश्विक आर्थिक मंदी
  • भू-राजनीतिक अस्थिरता
  • अमेरिका द्वारा भारतीय इंजीनियरिंग उत्पादों पर 50% टैरिफ
  • कई बड़े बाजारों में कमज़ोर मांग

 

मुख्य निर्यात क्षेत्रों में गिरावट:

  • इंजीनियरिंग गुड्स: ↓71%
  • रेडीमेड गारमेंट्स: ↓ 8%
  • जेम्स एंड ज्वेलरी: ↓ 26%
  • इलेक्ट्रॉनिक निर्यात: ↑ 25% (एकमात्र बड़ा सकारात्मक क्षेत्र)

 

वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि गिरावट का कुछ हिस्सा बेस इफेक्ट की वजह से है, लेकिन भारतीय निर्यातक कठिन हालात के बावजूद टिके हुए हैं।

 

विशेषज्ञों की राय

SC रल्हन, अध्यक्ष FIEO, ने कहा कि वैश्विक सुस्ती, भू-राजनीतिक तनाव और लागत में उतार-चढ़ाव निर्यातकों पर दबाव डाल रहे हैं। उनके अनुसार, आयात में वृद्धि यह भी दर्शाती है कि भारतीय उद्योग अभी भी कच्चे माल और कंपोनेंट्स के लिए आयात पर निर्भर है।

 

पंकज चड्ढा, चेयरमैन EEPC India, ने कहा कि अक्टूबर में इंजीनियरिंग निर्यात में गिरावट का प्रमुख कारण ट्रम्प प्रशासन का 50% आयात शुल्क है।
उन्होंने कहा कि सरकार और RBI की समय पर मिली सहायता ने आंशिक राहत दी है।

 

कच्चे तेल का आयात कम हुआ, फिर भी घाटा बढ़ा

कच्चे तेल का आयात घटकर 18.9 अरब डॉलर से 14.8 अरब डॉलर हो गया, लेकिन सोने और औद्योगिक कच्चे माल के भारी आयात ने इस राहत को पूरी तरह संतुलित कर दिया। इसी वजह से ट्रेड डेफिसिट सितंबर के 31.15 अरब डॉलर से बढ़कर अक्टूबर में 41.68 अरब डॉलर पहुंच गया।