क्‍लाउडफ्लेयर की वजह से डाउन हुए बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म: लेकिन कुछ समय बाद फिर बहाल हुई सेवाएँ, जानिए पूरी खबर..

मंगलवार, 18 नवंबर 2025 को दुनिया भर में एक बड़े इंटरनेट आउटेज ने हड़कंप मचा दिया। कुछ ही मिनटों में एक्स, चैटजीपीटी, कैनवा, पर्प्लेक्सिटी AI और गूगल क्लाउड जैसे बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म अचानक काम करना बंद कर गए। लाखों उपयोगकर्ता लॉग इन, साइन अप या किसी भी फीचर का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे।

 

डाउनटाइम की शुरुआत भारतीय समयानुसार शाम करीब 4:36 बजे हुई और शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ती गई। माना जा रहा है कि यह रुकावट क्लाउडफ्लेयर में आए बड़े तकनीकी गड़बड़ के कारण हुई, जिसने दुनिया भर की कई वेबसाइटों को प्रभावित किया।

cloudflare caused major digital platforms to go down

क्यों डाउन हो गए बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म?

मंगलवार को कई बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म इसलिए ठप हो गए क्योंकि क्लाउडफ्लेयर की सेवाओं में अचानक तकनीकी दिक्कत आ गई। यह रुकावट इतनी बड़ी थी कि खुद डाउनडिटेक्टर; जो वेबसाइटों की स्थिति बताता है, भी कुछ समय के लिए काम करना बंद कर गया। क्लाउडफ्लेयर ने अपने स्टेटस पेज पर बताया कि उनकी आंतरिक सेवाओं में गिरावट आई है, और इसकी वजह से कई वेबसाइटें बीच-बीच में काम करना बंद कर रही हैं। कंपनी ने कहा कि वे समस्या को ठीक करने में जुटे हैं और जल्द अपडेट देंगे।

 

कुछ समय बाद सेवाएँ सामान्य हो गई:

कुछ समय बाद क्लाउडफ्लेयर ने घोषणा की कि समस्या का समाधान लागू कर दिया गया है और अब सेवाएँ सामान्य होनी चाहिए। लेकिन एहतियात के तौर पर वे अभी भी सिस्टम पर नजर रख रहे हैं ताकि कोई नई दिक्कत न आए। इस घटना से, कंपनी के शेयरों में बाजार खुलने से पहले होने वाले ट्रेडिंग (प्री-मार्केट) में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

 

डाउन होने वाले कुछ वेबसाइट्स:

Azure, Microsoft Teams, Square, Claude, Canva, Uber, League of Legends, Spotify, X, ChatGPT, Perplexity etc.

 

मई में भी डाउन हुआ था एक्स:

मई की शुरुआत में एक्स (X) को एक और बड़ी तकनीकी रुकावट का सामना करना पड़ा था। उस समय हज़ारों उपयोगकर्ता कई घंटों तक प्लेटफ़ॉर्म को खोल ही नहीं पा रहे थे। एलन मस्क ने तब दावा किया था कि एक्स पर एक “शक्तिशाली साइबर हमला” हुआ है। उन्होंने कहा था कि इस हमले में “काफी संसाधन” इस्तेमाल किए गए, जिससे यह अंदाज़ा लगाया गया कि इसके पीछे कोई बड़ा समूह या संभवतः कोई सरकारी एजेंसी भी हो सकती है।

 

क्लाउडफ्लेयर के बारे में:

क्लाउडफ्लेयर दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट नेटवर्कों में से एक है। यह इंटरनेट पर आने-जाने वाले ट्रैफ़िक का लगभग पाँचवाँ हिस्सा संभालता है। आप इसे ऐसे समझिए, जब भी आप कोई वेबसाइट खोलते हैं, तो क्लाउडफ्लेयर आपके और उस वेबसाइट के बीच एक पुल (bridge) की तरह काम करता है। यह वेबसाइटों को तेज़ी से लोड होने में मदद करता है, और उन्हें भारी ट्रैफ़िक या साइबर हमलों से बचाकर ऑनलाइन बनाए रखता है।

इसी वजह से अगर क्लाउडफ्लेयर में कोई भी तकनीकी गड़बड़ी आती है, तो उसका असर एक साथ दुनिया भर की लाखों वेबसाइटों और उपयोगकर्ताओं पर पड़ सकता है। एक छोटी गड़बड़ी भी बड़े इंटरनेट आउटेज का कारण बन सकती है।

 

क्लाउडफ्लेयर का इतिहास:

क्लाउडफ्लेयर की स्थापना 26 जुलाई 2009 को मैथ्यू प्रिंस, ली होलोवे और मिशेल ज़टलिन ने की। प्रोजेक्ट हनी पॉट पर किए गए उनके पिछले काम से ही इस कंपनी का विचार पैदा हुआ। 2009 में वेंचर कैपिटल से फंडिंग मिली और कंपनी तेजी से आगे बढ़ी। 2019 में क्लाउडफ्लेयर न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में $15 प्रति शेयर की कीमत पर सूचीबद्ध हुआ। 2020 में सह-संस्थापक मिशेल ज़टलिन को कंपनी का अध्यक्ष बनाया गया।

समय के साथ क्लाउडफ्लेयर ने अपनी तकनीक और सुरक्षा सेवाओं को मज़बूत करने के लिए कई कंपनियाँ खरीदीं, जिनमें स्टॉपदहैकर, क्रिप्टोसील, न्यूमोब, ज़राज़, वेक्टरिक्स, नेफेली नेटवर्क्स, बैस्टियनज़ीरो और किवेरा जैसी महत्वपूर्ण वेब और साइबर सुरक्षा कंपनियाँ शामिल हैं।

 

क्लाउडफ्लेयर कैसे काम करता है ?

क्लाउडफ्लेयर एक कैलिफ़ोर्निया-आधारित सॉफ्टवेयर कंपनी है, जो इंटरनेट पर आने-जाने वाले बहुत बड़े ट्रैफ़िक को संभालती है। जनवरी 2025 तक, इंटरनेट की लगभग 19.3% वेबसाइटें अपनी वेब सुरक्षा और सुरक्षा सेवाओं के लिए क्लाउडफ्लेयर पर निर्भर थीं। यह हर सेकंड में करोड़ों रिक्वेस्ट प्रोसेस करता है।

  • क्लाउडफ्लेयर हर सेकंड लगभग 81 मिलियन HTTP रिक्वेस्ट संभालता है; यानी जब लोग वेब पेज खोलने की कोशिश करते हैं, तो यह उन्हें मैनेज करता है।
  • यह 63 मिलियन से ज़्यादा HTTPS रिक्वेस्ट भी पूरी करता है, जो सुरक्षित कनेक्शन वाली वेबसाइटों के लिए होता है।
  • इसके अलावा, यह हर सेकंड 42 मिलियन से ज़्यादा DNS अनुरोध भी संभालता है: DNS वही प्रक्रिया है जो किसी वेबसाइट का नाम (जैसे com) को उसके सर्वर के असली पते में बदलती है, ताकि वेबसाइट खुल सके।

क्लाउडफ्लेयर का यह पूरा ट्रैफ़िक दुनिया भर में फैले उसके बड़े नेटवर्क से गुजरता है। यह नेटवर्क 120 से अधिक देशों के 330 से ज़्यादा शहरों में मौजूद है। इसी वजह से दुनिया में कहीं भी आप कोई वेबसाइट खोलें, क्लाउडफ्लेयर उसे तेज़ और सुरक्षित बनाने में मदद करता है।

 

मंगलवार की घटना के मायने: 

मंगलवार की रुकावट ने साफ़ दिखा दिया कि दुनिया की कितनी ऑनलाइन सेवाएँ हर दिन क्लाउडफ्लेयर पर निर्भर रहती हैं। सोशल मीडिया हो, AI प्लेटफ़ॉर्म हों या कामकाज के डिजिटल टूल, क्लाउडफ्लेयर का नेटवर्क इंटरनेट के बड़े हिस्से को चलाने में मदद करता है। इसलिए जैसे ही इसके नेटवर्क में दिक्कत आई, उससे जुड़ी कई वेबसाइटें और ऐप्स अचानक बंद हो गए।

हालाँकि आम लोग क्लाउडफ्लेयर के बारे में शायद ही कभी सोचते हों, लेकिन इसका काम बहुत महत्वपूर्ण है। यह वेबसाइटों को सुरक्षित रखता है, उन्हें तेज़ी से लोड होने में मदद करता है और साइबर हमलों को तुरंत रोकता है। छोटे ब्लॉग से लेकर बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों तक हर तरह की वेबसाइटें क्लाउडफ्लेयर पर भरोसा करती हैं।

 

निष्कर्ष:

18 नवंबर की इस बड़ी इंटरनेट रुकावट ने साबित कर दिया कि वैश्विक डिजिटल दुनिया कितनी अधिक जुड़ी हुई और परस्पर निर्भर है। कुछ ही क्षणों की तकनीकी गड़बड़ी ने लाखों उपयोगकर्ताओं को प्रभावित कर दिया और कई प्रमुख प्लेटफॉर्म एक साथ ठप हो गए। यह घटना स्पष्ट करती है कि मजबूत, सुरक्षित और लचीले इंटरनेट ढाँचे की आवश्यकता अब पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, ताकि ऐसी बाधाओं का प्रभाव न्यूनतम रहे और सेवाएँ निर्बाध रूप से जारी रह सकें।

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