बढ़ते टैक्स के कारण स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल छोड़ेंगे ब्रिटेन: दुबई शिफ्ट होने की प्लानिंग, जानिए पूरी खबर..

भारतीय मूल के मशहूर स्टील उद्योगपति और दुनिया के शीर्ष अमीरों में शामिल लक्ष्मी मित्तल अब पूर्ण रूप से ब्रिटेन छोड़ने की तैयारी में हैं। कई दशकों तक ब्रिटेन की अमीरों की सूची में छाए रहने वाले और आठ बार द संडे टाइम्स रिच लिस्ट में नंबर एक रहे मित्तल अब अपना समय स्विट्जरलैंड और दुबई में बिताएँगे। राजस्थान में जन्मे और आर्सेलर मित्तल जैसी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी के मालिक मित्तल का यूके से बाहर जाना ब्रिटेन के उद्योग और अमीर समुदाय दोनों के लिए एक बड़ी खबर माना जा रहा है।

Steel King Lakshmi Mittal to leave UK due to rising taxes

सुपर रिच टैक्स की तैयारी में ब्रिटेन सरकार:

ब्रिटेन सरकार अब बेहद अमीर लोगों पर बड़े टैक्स लगाने की तैयारी में है। ये टैक्स उन लोगों पर लागू होते हैं जिनकी संपत्ति लगभग 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और चांसलर रेचल रीव्स की सरकार ने इन्हें 2024 के बजट में शामिल किया था, और आने वाले बजट में इन्हें और सख्त किया जा सकता है। सरकार का उद्देश्य इन टैक्सों से निवेश बढ़ाना, देश की आर्थिक कमी पूरी करना और पब्लिक फाइनेंस को मजबूत करना है।

 

ब्रिटेन को क्यों छोड़ रहे आमिर?

संडे टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मित्तल और कई अन्य अमीर लोग ब्रिटेन इसलिए छोड़ रहे हैं क्योंकि लेबर सरकार ने उत्तराधिकार कर (Inheritance Tax) और गैर-डोम (Non-Dom) नियमों में भी बड़े बदलाव किए हैं। पहले गैर-डोम स्टेटस वाले लोग सिर्फ ब्रिटेन में कमाई पर ही टैक्स देते थे, लेकिन विदेश में कमाई गई आय पर टैक्स नहीं लगता था। सरकार ने यह सुविधा खत्म कर दी है और भविष्य में टैक्स और बढ़ाने की भी संभावना है।

 

ब्रिटेन सरकार के फैसले से अमीरों में नाराजगी:

मित्तल के एक सलाहकार के अनुसार, ब्रिटेन में रहने वाले कई अमीर लोग यह समझ नहीं पा रहे कि दुनिया में कहीं भी उनकी सारी संपत्ति पर ब्रिटेन सरकार को टैक्स क्यों देना चाहिए। खासकर विरासत कर को लेकर वे चिंतित हैं। इसलिए कई धनी लोग महसूस कर रहे हैं कि उनके पास ब्रिटेन छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, और वे इस फैसले से दुखी या नाराज़ हैं।

 

नए टैक्स नियम:

  • नॉन-डॉम स्टेटस टैक्स: पहले ब्रिटेन में रहने वाले विदेशी अमीर लोगों को विदेश से मिलने वाली आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। अब अप्रैल 2025 से यह छूट खत्म कर दी गई है। जो लोग 4 साल से ज्यादा ब्रिटेन में रह रहे हैं, उन्हें विदेश से होने वाली आय पर 45% तक टैक्स देना होगा।
  • इनहेरिटेंस टैक्स (IHT): मौत के बाद संपत्ति पर पहले से ही 40% टैक्स लगता है। अब इस टैक्स के दायरे में ट्रस्ट और विदेशी संपत्तियाँ भी शामिल होंगी। इससे उनका टैक्स और बढ़ जाएगा।
  • कैपिटल गेन टैक्स: प्रॉपर्टी या शेयर बेचने पर अभी 25% टैक्स लगता है। खबर है कि इसे 20–28% तक बढ़ाया जा सकता है।
  • कैरिड इंटरेस्ट / प्राइवेट इक्विटी टैक्स: बिजनेस से होने वाले मुनाफे को अगर इनकम माना जाएगा, तो उस पर 45% टैक्स देना होगा।
  • एनुअल वेल्थ टैक्स (प्रस्तावित): अगले बजट में 1%–2.5% वार्षिक संपत्ति टैक्स लगाने की चर्चा है।
  • एग्जिट टैक्स (प्रस्तावित): अगर कोई अमीर व्यक्ति ब्रिटेन छोड़कर दुबई या स्विट्जरलैंड जाता है, तो उसे 20% एग्जिट टैक्स देना होगा।

 

ब्रिटेन को होगा नुकसान:

ब्रिटेन के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। लेबर पार्टी की नई नीति से अमीर लोग देश छोड़ने का सोच सकते हैं। इससे सरकार को टैक्स, नौकरियों और निवेश का नुकसान हो सकता है। सरकार कहती है कि वह इस पैसे से कर्ज चुकाना और लोगों के लिए सुविधाएँ बेहतर करना चाहती है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि ऐसा करने से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँच सकता है।

 

उत्तराधिकार कर (Inheritance Tax) क्या है?

उत्तराधिकार कर वह टैक्स है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति या धन विरासत में पाने वाले व्यक्ति को देना पड़ता है। यह टैक्स विरासत में मिली संपत्ति की कुल कीमत पर लगाया जाता है और इसका भुगतान वही व्यक्ति करता है जिसे वह संपत्ति मिल रही है। भारत में अब उत्तराधिकार कर नहीं लगता, यानी अगर किसी को संपत्ति विरासत में मिलती है, तो उस पर कोई अतिरिक्त विरासत टैक्स नहीं देना होता।

 

दुनिया भर में उत्तराधिकार कर:

दुनिया के ज़्यादातर यूरोपीय, अमेरिकी और कई अफ्रीकी देश उत्तराधिकार कर लगाते हैं। यानी किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति विरासत में पाने वालों को टैक्स देना पड़ता है।

  • यूरोप में सबसे अधिक उत्तराधिकार कर लगाने वाले देश: फ्राँस (60%), जर्मनी (50%), यूनाइटेड किंगडम (40%), स्पेन (33%) और हंगरी (18%)
  • दुनिया के अन्य देशों में उच्च उत्तराधिकार कर: जापान (55%), दक्षिण कोरिया (50%), इक्वाडोर (37%), चिली (25%), दक्षिण अफ्रीका (25%) और ताइवान (20%)

 

भारत में उत्तराधिकार कर लागू करने की मांग के मुख्य कारण:

भारत में उत्तराधिकार कर की बहस बढ़ती जा रही है, क्योंकि देश में आय और संपत्ति की असमानता बहुत तेजी से बढ़ रही है। टॉप 10% लोग देश की 57% आय और 77% संपत्ति रखते हैं, जबकि गरीब आधी आबादी के पास बेहद कम संपत्ति है। इसके साथ ही GST का सबसे ज़्यादा बोझ गरीबों पर पड़ रहा है, जिससे असमानता और बढ़ती है।

उत्तराधिकार कर से मिलने वाली राशि अस्पतालों, विश्वविद्यालयों जैसे संस्थानों को मजबूत कर सकती है और सरकार के बढ़ते राजकोषीय घाटे को भी संभालने में मदद कर सकती है। साथ ही, कई विकसित देशों जैसे फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका में यह कर पहले से लागू है, इसलिए भारत में भी इसे एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

 

दुबई और स्विट्जरलैंड में कोई उत्तराधिकार कर नहीं लगता:

रिपोर्ट के अनुसार, लक्ष्मी मित्तल के पास पहले से ही दुबई में एक बड़ी हवेली है। अब उन्होंने इसके पास स्थित नाया द्वीप पर भी एक बड़ी और आकर्षक प्रॉपर्टी परियोजना के कई हिस्से खरीद लिए हैं। दुबई में कोई उत्तराधिकार कर (Inheritance Tax) नहीं लगता, और स्विट्जरलैंड में भी आमतौर पर बच्चों पर विरासत पर टैक्स नहीं लगाया जाता। यही वजह है कि ये दोनों जगहें अमीर लोगों के लिए आकर्षक मानी जाती हैं।

मित्तल ने इस साल की शुरुआत में ही ब्रिटेन छोड़ने के विकल्प तलाशने शुरू कर दिए थे। मार्च में पहली बार ऐसी खबरें आईं कि कई अमीर लोग उम्मीद कर रहे थे कि ब्रिटेन की चांसलर गैर-डोम नियमों में बदलाव को आगे नहीं बढ़ाएँगी—लेकिन जब बदलाव तय हो गए, तो कई लोगों की तरह मित्तल ने भी विदेश जाने का फैसला किया।

 

लक्ष्मी निवास मित्तल के बारे में:

लक्ष्मी निवास मित्तल (जन्म: 1950, राजस्थान) भारतीय मूल के दुनिया के प्रमुख स्टील उद्योगपति हैं, जो लंबे समय से यूके में रहते हैं। वे आर्सेलर मित्तल के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी है, और फुटबॉल क्लब क्वींस पार्क रेंजर्स में भी हिस्सेदारी रखते हैं। 2005 में फोर्ब्स ने उन्हें दुनिया का तीसरा सबसे अमीर व्यक्ति बताया था, और वे शीर्ष 10 में जगह बनाने वाले पहले भारतीय बने।

 

मित्तल का साम्राज्य:

फोर्ब्स के अनुसार लक्ष्मी मित्तल की कुल संपत्ति 21.4 अरब डॉलर है, जिससे वह भारत के 12वें और दुनिया के 104वें सबसे अमीर व्यक्ति बनते हैं। आर्सेलर मित्तल के चेयरमैन के रूप में उन्होंने कंपनी को मजबूत बनाया, जिसने पिछले साल 62.4 अरब डॉलर का राजस्व कमाया और 2024 में 1.3 बिलियन डॉलर की शुद्ध आय दर्ज की, जो 2023 की तुलना में 40% अधिक है।

2019 में मित्तल ने जापान की निप्पॉन स्टील के साथ मिलकर 5.9 बिलियन रुपये में एस्सार स्टील का अधिग्रहण कर बड़ा कदम उठाया। 2021 में उन्होंने CEO की जिम्मेदारी अपने बेटे आदित्य मित्तल को सौंप दी, लेकिन स्वयं कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कंपनी की रणनीति और विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।

 

निष्कर्ष:

लक्ष्मी मित्तल का ब्रिटेन छोड़ना सिर्फ एक उद्योगपति का निर्णय नहीं, बल्कि ब्रिटेन की बदलती नीतियों और बिगड़ते कारोबारी माहौल का संकेत है। उनका स्विट्जरलैंड और दुबई की ओर रुख ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और उसकी वैश्विक छवि के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।