वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को इंडो -कैनेडियन बिज़नेस चैंबर द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में ऐलान किया कि दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर बातचीत दोबारा शुरू करने पर सहमति बना ली है। दोनों देशों का लक्ष्य है की 2030 तक आपसी व्यापार को दोगुना करते हुए 50 अरब डॉलर के स्तर तक ले जाना। यह कदम न केवल व्यापारिक संबंधों को गहराई देगा, बल्कि निवेश, तकनीक और रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा।
पीयूष गोयल के बयान की अन्य मुख्य बातें:
पीयूष गोयल ने कहा कि CEPA और FTA जैसे समझौते दो देशों के बीच भरोसे और सम्मान का प्रतीक होते हैं, जो निवेशकों और व्यवसायों को स्थिर माहौल का विश्वास दिलाते हैं। उन्होंने बताया कि भारत और कनाडा लंबे समय से विश्वसनीय साझेदार रहे हैं और दोनों देश एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं; चाहे वह महत्वपूर्ण खनिजों की तकनीक हो, यूरेनियम आपूर्ति हो या सप्लाई चेन में विविधता लाना।
व्यापार समझौता क्या होता है ?
व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच किया जाने वाला ऐसा समझौता होता है, जिसमें वे आपस में व्यापार को आसान बनाने के लिए कुछ नियमों और शर्तों पर सहमत होते हैं। इसमें कर, शुल्क, कोटा और अन्य व्यापारिक बाधाएँ कम या खत्म की जा सकती हैं। कई बार इसमें निवेश से जुड़े प्रावधान भी शामिल होते हैं। सबसे आम प्रकार के व्यापार समझौते अधिमान्य व्यापार समझौते और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) होते हैं, जिनका उद्देश्य देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बढ़ाना होता है।
व्यापार समझौतों के प्रकार:
- मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
- अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA)
- व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA/CECA)
- रूपरेखा समझौता (Framework Agreement)
FTA क्या है ?
FTA यानी मुक्त व्यापार समझौता। यह दो या दो से अधिक देशों के बीच होने वाला ऐसा समझौता है, जिसमें देश एक-दूसरे को शुल्क (टैक्स) में छूट, कम टैरिफ और खास व्यापारिक सुविधाएँ देते हैं ताकि आपसी व्यापार बढ़ सके। इसकी मदद से देशों के बीच सामान का आयात-निर्यात आसान होता है। भारत भी कई देशों और समूहों के साथ ऐसे FTA पर बातचीत कर चुका है।
FTA की प्रमुख विशेषताएँ:
- FTA में सामान का व्यापार शामिल होता है, जिसमें कृषि उत्पाद और औद्योगिक वस्तुएँ दोनों आते हैं।
- इसमें सेवाओं का व्यापार भी शामिल होता है, जैसे बैंकिंग, आईटी, निर्माण सेवाएँ आदि।
- उन्नत या व्यापक FTA में निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), सरकारी खरीद और प्रतिस्पर्धा नीति जैसे अतिरिक्त अध्याय भी शामिल हो सकते हैं।
CEPA क्या है ?
CEPA एक तरह का व्यापक मुक्त व्यापार समझौता है, जिसमें सिर्फ सामानों का आदान-प्रदान ही नहीं, बल्कि सेवाओं, निवेश और आर्थिक सहयोग से जुड़े कई क्षेत्रों पर बातचीत होती है। इसमें व्यापार को आसान बनाना, सीमा शुल्क सहयोग, प्रतिस्पर्धा के नियम और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे विषय भी शामिल हो सकते हैं। सामान्य FTA की तुलना में CEPA ज़्यादा व्यापक होता है, क्योंकि यह व्यापार से जुड़े नियामक पहलुओं पर भी ध्यान देता है और उन्हें एक ढांचे के रूप में शामिल करता है।
जी-20 में मोदी–कार्नी की मुलाकात:
जोहान्सबर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने मुलाकात की। दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, तकनीक, ऊर्जा, शिक्षा, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। बैठक में दोनों देशों ने अपने लंबे समय से चले आ रहे असैन्य परमाणु सहयोग की पुष्टि की और यह भी कहा कि यूरेनियम की दीर्घकालिक आपूर्ति पर बातचीत जारी है। साथ ही, मार्क कार्नी के 2026 में भारत आने की भी घोषणा की गई।
राजनयिक संबंधों को भी आगे बढ़ा रहे दोनों देश:
कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने कहा कि ओटावा और नई दिल्ली अपने राजनयिक संबंधों को धीरे-धीरे और सोच-समझकर आगे बढ़ा रहे हैं। CBC न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “हम शुरुआत से ही संबंधों को कदम-दर-कदम आगे बढ़ा रहे हैं। पहला कदम था दोनों देशों के बीच सुरक्षा संवाद बनाए रखना। दूसरा महत्वपूर्ण कदम था दोनों देशों में एक-दूसरे के उच्चायुक्तों की नियुक्ति।”
भारत–कनाडा के बीच 2023 से खराब हुए रिश्ते:
भारत और कनाडा ने मार्च 2022 में व्यापार वार्ता शुरू की थी, लेकिन 2023 में रिश्ते तब बिगड़ गए जब कनाडा ने भारत पर एक सिख अलगाववादी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसे भारत ने कड़े शब्दों में खारिज कर दिया। इसके बाद FTA वार्ता रोक दी गई और दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर तनाव और बयानबाज़ी बढ़ती गई। नतीजतन, 2023 में व्यापार बातचीत पूरी तरह ठप हो गई।
फिर जून 2025 में G7 समिट में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कार्नी की मुलाकात के बाद रिश्तों में सुधार की शुरुआत हुई। अब G20 बैठक में दोनों देशों ने औपचारिक रूप से व्यापार वार्ता दोबारा शुरू कर दी है।
भारत से संबंध क्यों सुधारना चाहता है कनाडा ?
कनाडा के प्रधानमंत्री कार्नी चाहते हैं कि अगले दस साल में कनाडा का गैर-अमेरिकी निर्यात दोगुना हो। इसके लिए उन्हें नए और बड़े बाजारों की जरूरत है। भारत दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसलिए कनाडा इसे एक बड़े अवसर के रूप में देखता है। 2024 में भारत–कनाडा व्यापार 31 बिलियन कनाडाई डॉलर तक पहुँचा, लेकिन भारत की विशाल अर्थव्यवस्था के मुकाबले यह अभी भी बहुत कम माना जाता है। इसी वजह से कनाडा भारत के साथ संबंध सुधारकर व्यापार बढ़ाना चाहता है।
भारत–कनाडा हालिया संबंध:
2024-25 में कनाडा को भारत का निर्यात 9.8% बढ़कर 4.22 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि आयात थोड़ा घटकर 4.44 अरब डॉलर रहा। 2023 में दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार 18.38 अरब अमेरिकी डॉलर था। कनाडा में लगभग 29 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं और 4.27 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिससे दोनों देशों के बीच लोगों का जुड़ाव भी बहुत मजबूत है।
निष्कर्ष:
भारत और कनाडा द्वारा FTA और CEPA वार्ता दोबारा शुरू करना द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह न केवल आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा बल्कि निवेश, तकनीक और रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा। 2030 तक व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य दोनों देशों की प्रतिबद्धता और भविष्य की साझेदारी की मजबूत दिशा को दर्शाता है।
