मुख्य आर्थिक सलाहकार नागेश्वरन का अनुमान: FY26 में $4 ट्रिलियन को पार कर जाएगी भारतीय अर्थव्यवस्था, जानिए पूरी खबर..

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को IVCA ग्रीन रिटर्नस समिट 2025 में कहा कि देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 4 ट्रिलियन डॉलर का स्तर पार करने के बेहद करीब है। मार्च 2025 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग 3.9 ट्रिलियन डॉलर था, जिसे मौजूदा वित्तीय वर्ष में पार किया जा चुका है। दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के लिए यह उपलब्धि न केवल विकास की गति को दर्शाती है, बल्कि बदलते वैश्विक माहौल में उसकी बढ़ती आर्थिक ताकत का भी संकेत देती है।

Indian economy will cross $4 trillion in FY26

भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति:

जुलाई से सितंबर की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था के 7.9% की तेज़ वृद्धि दर्ज करने की संभावना है। इसका मुख्य कारण है, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग और सरकार का लगातार बढ़ता खर्च। हालांकि, निजी क्षेत्र द्वारा किए जाने वाला पूंजी निवेश अभी भी कमजोर है।

 

भारत की अर्थव्यवस्था का लगभग 60% हिस्सा घरेलू उपभोग से आता है। पिछली तिमाही में यह उपभोग बढ़ा क्योंकि अच्छी खेती और बेहतर उत्पादन ने ग्रामीण इलाकों में खर्च बढ़ाया। इसके उलट, शहरों में मांग कमज़ोर रही और निजी निवेश में भी गिरावट जारी रही। इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की गति सभी क्षेत्रों में बराबर नहीं है। साथ ही, मई 2025 में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 688.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

 

GST दरों में कटौती भी तेजी की मुख्य वजह:

BMI के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में आई यह तेजी मुख्य रूप से 22 सितंबर से लागू किए गए GST सुधारों की वजह से देखी गई। GST दरों में कटौती के बाद कई उत्पादों की कीमतें कम हुईं, जिससे लोगों का खर्च बढ़ा और व्यापार करना भी आसान हुआ। इन सुधारों से नीतिगत अनिश्चितता भी कम हुई, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला। इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए, BMI ने दूसरी तिमाही में 7.9% आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो पहली तिमाही की वृद्धि दर के लगभग बराबर है।

 

एनवायरमेंटल कमिटमेंट्स के साथ बैलेंस जरुरी: नागेश्वरन

नागेश्वरन ने कहा कि भारत को अपनी तेज़ आर्थिक बढ़त के साथ-साथ पर्यावरणीय वादों का संतुलन बनाए रखना होगा। उन्होंने बताया कि देश अभी ऊर्जा बदलाव, जलवायु कार्रवाई और हरित नीतियों पर गंभीरता से काम कर रहा है, और ये प्रयास आने वाले समय में भी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में बने रहने चाहिए।

 

उन्होंने चेतावनी दी कि जलवायु परिवर्तन का असर कृषि, पर्यावरण और तटीय क्षेत्रों पर साफ दिखाई देता है, इसलिए भारत इन जोखिमों को अच्छी तरह समझता है। नागेश्वरन ने यह भी दोहराया कि भारत 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन हासिल करने के लक्ष्य के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

 

आइए जानते है GDP के बारे में:

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) किसी देश में एक साल के भीतर बनने वाली सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को कहा जाता है। यह बताता है कि देश की अर्थव्यवस्था कितनी चीज़ें बना रही है और कितनी सेवाएँ दे रही है।

 

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रकार:

GDP किसी देश की अर्थव्यवस्था को समझने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इसे कई तरीकों से मापा जाता है, ताकि अलग-अलग आर्थिक पहलुओं को बेहतर तरीके से समझा जा सके। नीचे इसके प्रमुख प्रकार हैं:

  • नाममात्र GDP(Nominal GDP): नाममात्र GDP मौजूदा बाजार कीमतों पर आधारित होता है और इसमें मुद्रास्फीति का प्रभाव शामिल रहता है, इसलिए यह वास्तविक GDP से आमतौर पर अधिक होता है।
  • वास्तविक GDP(Real GDP): वास्तविक GDP कीमतों को स्थिर मानकर मुद्रास्फीति हटाकर निकाला जाता है, जिससे वर्षों के बीच सही तुलना की जा सके।
  • प्रति व्यक्ति GDP(GDP per Capita): प्रति व्यक्ति GDP बताता है कि औसतन एक व्यक्ति पर कितना आर्थिक उत्पादन या आय आती है, जो जीवन स्तर का महत्वपूर्ण संकेत है।
  • GDP वृद्धि दर (GDP Growth Rate): GDP वृद्धि दर अर्थव्यवस्था की बढ़ने की गति दिखाती है और इससे यह पता चलता है कि देश तेज़ी से बढ़ रहा है या मंदी की ओर जा रहा है।
  • GDP (PPP): GDP (PPP) स्थानीय कीमतों और जीवन-यापन लागत को ध्यान में रखकर विभिन्न देशों की वास्तविक आर्थिक क्षमता और क्रय शक्ति की तुलना करने में मदद करता है।

 

GDP की गणना कैसे होती है ?

  1. आय विधि (Income Method): इस विधि में देश के अंदर काम करने वाले लोगों और कंपनियों द्वारा कमाई गई कुल आय को जोड़कर GDP निकाला जाता है। इसमें वेतन, मुनाफा, किराया, ब्याज आदि शामिल होते हैं। सूत्र: GDP = कारक लागत पर GDP + कर – सब्सिडी
  2. व्यय विधि (Expenditure Method): इसमें देश के अंदर एक साल में कुल खर्च को जोड़ा जाता है—लोगों द्वारा खरीदारी, कंपनियों द्वारा निवेश, सरकार का खर्च और विदेशी व्यापार (निर्यात–आयात)। सूत्र: GDP = Consumption + Investment + Government spending + (Exports – Imports)
  3. उत्पादन विधि (Production / Output Method): इसमें देश में बनी सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य जोड़कर GDP निकाला जाता है। कीमतों में बदलाव का असर हटाने के लिए इसे वास्तविक GDP या स्थिर कीमतों पर GDP कहा जाता है। सूत्र: GDP = वास्तविक GDP – कर + सब्सिडी

 

सकल घरेलू उत्पाद में योगदान के विभिन्न क्षेत्र:

  • प्राथमिक क्षेत्र (कृषि और संबंधित गतिविधियाँ): यह क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण है और शुरुआत में राष्ट्रीय आय में बड़ा हिस्सा देता है। लेकिन भूमि पर निर्भरता और सीमित उत्पादन क्षमता के कारण इसकी वृद्धि सीमित होती है।
  • द्वितीयक क्षेत्र (उद्योग, विनिर्माण और निर्माण): जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था विकसित होती है, इस क्षेत्र का महत्व बढ़ता है। यह तकनीकी प्रगति और निवेश के अवसर प्रदान करता है।
  • तृतीयक क्षेत्र (सेवाएँ): यह क्षेत्र सबसे तेजी से बढ़ रहा है और भारत में आर्थिक विकास में अग्रणी है। वर्तमान में जीडीपी की बढ़त में इसका योगदान लगभग दो-तिहाई है।

 

निष्कर्ष:

भारत का 4 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के करीब पहुँचना उसकी मजबूत विकास गति और बढ़ती वैश्विक आर्थिक शक्ति का स्पष्ट संकेत है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारत बदलते वैश्विक माहौल में स्थिर और प्रभावी आर्थिक शक्ति के रूप में आगे बढ़ रहा है। आगामी वर्षों में यह गति कायम रही तो भारत न केवल 4 ट्रिलियन डॉलर का आँकड़ा मजबूती से पार करेगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को और सुदृढ़ करेगा।