दिल्ली प्रदूषण के बीच केंद्र ने एनसीआर राज्यों को दिया 5 साल का रोडमैप तैयार करने का निर्देश, क्या है यह नई रणनीति?

दिल्ली-NCR की लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता को लेकर, केंद्र सरकार ने उत्तर भारत के चार राज्यों (दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान) को एक वैज्ञानिक और सामुदायिक भागीदारी पर आधारित पांच वर्षीय वृक्षारोपण रणनीति बनाने का निर्देश दिया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने इस पर एक हाई लेवल मीटिंग रखते हुए निर्देश जारी किए ..

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने इन राज्यों को निम्नलिखित बिंदुओं पर रणनीति तैयार करने के लिए कहा:

 

  • भूमि का चिन्हांकन: सभी राज्यों को अपने-अपने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की हरियाली, वनों, संरक्षित क्षेत्रों, चिड़ियाघरों, सामुदायिक जंगलों, नदी जलग्रहण क्षेत्रों, वेटलैंड्स, रामसर साइट्स, सार्वजनिक स्थलों आदि का डिजिटल मैप बनाना होगा।
  • नर्सरियों और प्रजनन क्षमता: मौजूदा पौधशालाओं की क्षमता मापकर उन्हें भविष्य की ज़रूरत के अनुसार विकसित करना, ताकि पर्याप्त पौधे उपलब्ध रह सकें।
  • इको-क्लब और जागरूकता: NCR के तमाम इको-क्लब (स्कूल, कॉलेज और समुदाय स्तर के) चिन्हित किए जाएं और वृक्षारोपण व जागरूकता अभियानों में जुटाया जाए।
  • वार्षिक लक्ष्य: हर साल कितनी ज़मीन पर पौधे लगाए जाएंगे, किस एजेंसी की जिम्मेदारी होगी, वित्तीय स्रोत (ग्रीन इंडिया मिशन, नगर वन योजना, ग्रीन क्रेडिट, एमजीएनरेगा आदि) इनकी स्पष्ट रूपरेखा बने।
  • इको-रिस्टोरेशन और आक्रामक प्रजातियां: प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में जिन हिस्सों पर आक्रामक गैर-देशज प्रजातियों का प्रभुत्व है, वहां इको-रिस्टोरेशन (पारिस्थितिक पुनर्निर्माण) को भी रणनीति का हिस्सा बनाया जाए।
  • डाटा अपलोड: अवनत (डिग्रेडेड) जंगलों एवं बंजर ज़मीन के आंकड़े Green Credit पोर्टल पर अपलोड किए जाएं ताकि निजी और सरकारी स्तर पर वृक्षारोपण को हौसला मिले।
  • अदालतों के निर्देश: सुप्रीम कोर्ट/एनजीटी के वृक्षारोपण, संरक्षण विषयक हर आदेश योजना में शामिल हों।
  • अंतरविभागीय समन्वय: विभिन्न विभागों में तालमेल बढ़ाने और सभी अदालती मुकदमों की सूची लेकर परियोजनाओं में आ रही कानूनी बाधाओं का मूल्यांकन।

 

PIB Link : https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2194949

 

किस तरह के प्रदूषण से जूझ रही है दिल्ली? कितना खतरनाक है?

दिल्ली में इस समय AQI लेवल बहुत ही खराब स्तर पर चल रहा है

दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के नियमों को और कठोर बना दिया है। अब कई सख़्त कदम शुरुआत के चरण में ही लागू होंगे ताकि वायु गुणवत्ता खराब होने से पहले ही हालात नियंत्रित किए जा सकें।

 

CAQM के अनुसार, नए नियम वैज्ञानिक डेटा, विशेषज्ञों की सलाह और पिछले वर्षों के अनुभवों के आधार पर लागू किए गए हैं। सभी एजेंसियों को इन्हें तुरंत लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

 

अब GRAP में बड़े बदलाव

  • पहले जिन उपायों को GRAP-2 के तहत लागू किया जाता था, वे अब GRAP-1 में ही लागू होंगे।
  • कई GRAP-3 के नियम अब GRAP-2 में स्थानांतरित किए गए हैं।
  • GRAP-4 के कुछ निर्देश अब GRAP-3 में लागू होंगे।
  • GRAP-4 में 50% कर्मचारियों को Work-From-Home देने का प्रावधान शामिल है।

 

GRAP-3 के कुछ नियम अब GRAP-2 में

पहले जो कदम AQI 301–400 पर लागू होते थे, उन्हें अब AQI 201–300 के स्तर पर ही शुरू कर दिया जाएगा। इसमें दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और नोएडा में सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव शामिल है। केंद्र सरकार भी अपने दफ्तरों के समय में परिवर्तन कर सकती है।

 

अब AQI 400+ पर लागू होंगे सख़्त नियम

जो नियम पहले AQI 450+ पर लागू होते थे, वे अब AQI 401–450 के बीच में ही लागू होंगे। इनमें सरकारी, निजी और नगर निगम दफ्तरों में सिर्फ 50% कर्मचारियों को ऑफिस बुलाना और बाकी स्टाफ के लिए Work-From-Home की व्यवस्था शामिल है। केंद्र सरकार भी अपने विभागों में इस मॉडल को अपना सकती है।

 

मुख्य प्रकार:

  • PM2.5, PM10: सबसे खतरनाक सूक्ष्म कण जिन्हें सांस के साथ फेफड़ों तक ले जाना आसान, नुकसान ज्यादा (दिल, फेफड़े, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा जैसे रोग)। रोज़ाना एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350-500+ तक पहुँचना, “गंभीर” श्रेणी में।
  • NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड्स) और SO2 (सल्फर डाइऑक्साइड): मुख्यतः वाहनों, थर्मल पावर प्लांट्स, औद्योगिक इकाइयों से उत्सर्जन।
  • Ozone (ओज़ोन): भूमि सतह पर अत्यधिक धूप और प्रदूषकों की अभिक्रिया से बनती है, सांस संबंधी तकलीफों का कारण।

 

कितना खतरनाक?

  • डब्ल्यूएचओ गाइडलाइंस के अनुसार, PM2.5 का सुरक्षित स्तर 15 μg/m³ है, जबकि दिल्ली में कई दिनों तक यह 180-300 μg/m³ तक चला जाता है।
  • बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, दिल या श्वास रोगियों के लिए यह “जानलेवा” स्तर है।

 

निष्कर्ष:

दिल्ली-NCR के लिए “वृक्षारोपण आधारित पांच वर्षीय रणनीति” केंद्र सरकार की उस सोच का हिस्सा है जिसमें वनों का विस्तार, बंजर ज़मीन का पुनर्स्थापन, समाज की भागीदारी और वैज्ञानिक लक्ष्य सबको एकीकृत कर एक बड़ा समाधान बनाना है। मगर, जब तक सभी पड़ोसी राज्यों, अदालतों, स्थानीय निकायों, उद्योग और नागरिकों की सामूहिक मानसिकता नहीं बदलेगी, आज का यह प्रदूषण कल और भी खतरनाक हो सकता है। वृक्षों की वास्तविक रक्षा, प्रदूषण की रोकथाम, और कड़े प्रशासनिक प्रतिबद्धता के बिना दिल्ली की हवा सचमुच में “गैस चैंबर” ही बनी रहेगी।