भारत को मिली 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी, क्या होंगे मायने ?

26 नवंबर 2025 का दिन भारतीय खेलों के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। स्कॉटलैंड के ग्लासगो में बैठी कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की आम सभा में 74 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से भारत को 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेज़बानी का अधिकार दे दिया। 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स अहमदाबाद (गुजरात) में आयोजित होंगे  जहाँ इनके सौवें साल का शानदार जश्न मनाया जाएगा।

india hosting commonwealth games 2030

यह एक सांकेतिक जीत है न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के लिए एक अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन को सफलतापूर्वक संभालने का विश्वास का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने इस पर अपनी खुशी जाहीर करते हुए ट्वीट किए ..

आइए जानते हैं कॉमनवेल्थ गेम्स का इतिहास और इनका महत्व :

 

पहला खेल – 1930 का हैमिल्टन (कनाडा)

कॉमनवेल्थ गेम्स का जन्म 16 अगस्त 1930 को हैमिल्टन, ओंटेरियो (कनाडा) में हुआ था। तब इसे ब्रिटिश एम्पायर गेम्स” कहा जाता था। बॉबी रॉबिनसन नामक एक पत्रकार ने 1928 की अमस्टर्डम ओलंपिक्स में जाकर यह विचार लिया कि ब्रिटिश साम्राज्य के सभी राष्ट्रों के बीच एक अलग खेल का आयोजन क्यों न हो और फिर इसका पहला आयोजन किया गया ..

 

हला आयोजन:

  • 11 देश – ऑस्ट्रेलिया, बरमूडा, ब्रिटिश गायना, कनाडा, इंग्लैंड, आयरलैंड, न्यूफाउंडलैंड, न्यूज़ीलैंड, स्कॉटलैंड, दक्षिण अफ्रीका, वेल्स
  • लगभग 400 खिलाड़ी (महिलाएं सिर्फ तैराकी में)
  • 6 खेल – एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, लॉन बॉल्स, रोइंग, तैराकी, पहलवानी
  • कुल खर्च – मात्र $97,973
  • यहीं से पोडियम परंपरा (पहले, दूसरे, तीसरे स्थान के लिए) की शुरुआत हुई, जिसे बाद में 1932 की ओलंपिक्स ने अपनाया!

 

सफर:

  • 1930 से 2030 तक – सौ साल में खेलों की संख्या 6 से बढ़कर 15-17 हुई।
  • 11 से शुरुआत करके अब 74 राष्ट्र भाग लेते हैं।
  • महिलाओं की भागीदारी सिर्फ तैराकी से बढ़कर सभी खेलों में हुई।
  • पहली बार 1998 में पैरा-स्पोर्ट्स (विकलांग खिलाड़ियों के लिए) जोड़े गए।

 

भारत को 2030 का मेज़बान बनाने का महत्व – क्यों खास है?

  1. सौ साल का जश्न:
    2030 वह साल है जब कॉमनवेल्थ गेम्स कीपहली सदी पूरीहोगी (1930-2030)। ऐसी ऐतिहासिक तारीख पर यह आयोजन न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे कॉमनवेल्थ आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण है।​
  2. भारत की जनसंख्या और युवा शक्ति:
  • कॉमनवेल्थ की कुल आबादी का आधे से ज्यादा (1.4 अरब लोग) भारत में है।  
  • 900 मिलियन लोग 35 साल से कम उम्र के हैं
  • भारत के ये युवा, खेलों से लेकर तकनीक तक, कॉमनवेल्थ का भविष्य हैं।
  • ऐसी विशाल युवा जनसंख्या को खेल-भावना से जोड़ना एक ऐतिहासिक अवसर है।
  1. भारत की खेल महत्वाकांक्षा:
  • अब से15 साल पहले 2010 में दिल्ली ने गेम्स आयोजित किए गए थे । अब अहमदाबाद न केवल 2030 के गेम्स होंगे, बल्कि 2036 ओलंपिक्स के लिए भी अपनी तैयारी कर रहा है यह इस योजना के लिए बहुत प्रभावी और महत्वपूर्ण होगा ।
  1. नाइजीरिया को हराना:
    अहमदाबाद की जीत बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसनेनाइजीरिया के अबुजाको हराया। इससे पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की क्षमता और योजना पर विश्वास है।

 

2030 के गेम्स में कौन-कौन से खेल होंगे?

कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स ने 15-17 खेलों की घोषणा की है:

पहले से पक्के खेल (8 + उनके पैरा संस्करण):

  • एथलेटिक्स और पैरा-एथलेटिक्स
  • तैराकी और पैरा-तैराकी
  • टेबल टेनिस और पैरा-टेबल टेनिस
  • बॉल्स (लॉन बॉल्स) और पैरा-बॉल्स
  • वेटलिफ़्टिंग और पैरा-पावरलिफ़्टिंग
  • आर्टिस्टिक जिमनास्टिक्स
  • नेटबॉल
  • बॉक्सिंग

 

विचाराधीन खेल (जहाँ भारत मजबूत है):

  • हॉकी (भारत की पहचान!)
  • बैडमिंटन
  • क्रिकेट T20
  • रेसलिंग (पहलवानी)
  • शूटिंग (भारत का सबसे बड़ा खेल)
  • 3×3 बास्केटबॉल
  • आर्चरी
  • साइकिलिंग
  • राग्बी सेवन्स
  • ट्राइएथलॉन
  • जूडो, डाइविंग, स्क्वैश

 

भारत का विशेष प्रस्ताव है जिसमे यह परंपरागत खेल (2 नए खेल जोड़ सकता है):

  • कबड्डी – भारत का प्राचीन और राष्ट्रीय खेल
  • योगासन – जो 2026 ग्लासगो गेम्स में प्रदर्शनी खेल के रूप में होंगे
  • खो-खो– ये खेल भारतीय संस्कृति को विश्व मंच पर दिखाएंगे।

इनसे भारत को बढ़त मिलने में आसानी होगी ।

 

अहमदाबाद – मेज़बान शहर

 

शहर का चयन – क्यों अहमदाबाद?
तीन शहर भारत में उम्मीदवार थे:

  1. अहमदाबाद (गुजरात)– जीता (मुख्य वेन्यू)
  2. दिल्ली (NCR)
  3. भुवनेश्वर (ओडिशा)

 

अहमदाबाद को चुना गया क्योंकि:

  • गुजरात ने पहले से ही विश्वमानक स्टेडियम और सुविधाएं बनाई हुई हैं
  • नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम – विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम (1 लाख से अधिक क्षमता)
  • गुजरात की क्रीड़ा संस्कृति (खेल-कूद का सांस्कृतिक परंपरा)
  • अन्य अंतरराष्ट्रीय आयोजनों का अनुभव

 

मुख्य स्थल – सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव:

  • नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम – 1 लाख+ क्षमता
  • नया अक्वाटिक्स सेंटर (तैराकी, डाइविंग)
  • फुटबॉल स्टेडियम
  • दो इनडोर स्पोर्ट्स एरीना
  • एथलेट्स विलेज – 3,000 खिलाड़ियों को ठहरा सकता है
  • सभी स्थल 8 किलोमीटर के दायरे में ।

 

बजट और तैयारी –

 

संभावित बजट:

  • 114 मिलियन डॉलर (लगभग 950 करोड़ रुपये)
  • यह दिल्ली 2010 के 1,700+ करोड़ रुपये से कहीं कम है हालांकि यह आंकड़ा अलग अलग जगहों पर कम और ज्यादा है।

 

तैयारी की समयसारणी:

  • 2026 अप्रैल से निर्माण शुरू होगा।
  • 2028 के अंत या 2029 की शुरुआत तक सभी प्रमुख काम पूरे हो जाएंगे
  • अक्टूबर 2029 में अहमदाबाद वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स (9,500 से ज्यादा सदस्य) होंगे यह एक “ड्राई रन” होगा
  • अक्टूबर 2030 में कॉमनवेल्थ गेम्स (सही समय पर शुरुआत के लिए मौसम अनुकूल होगा)

 

भारत का पिछला अनुभव – 2010 दिल्ली गेम्स

 

शानदार पहलू:

  • 101 पदक (38 स्वर्ण!)
  • शूटिंग में अकेले 30 पदक
  • भारत 3.5 अरब डॉलर खर्च करके गेम्स कराया
  • विशाल आयोजन, लाखों भारतीयों का स्वर्णिम अनुभव

 

समस्याएं (जिन्हें दोबारा नहीं करना है):

  • बजट की भारी ओवरराइड (योजनित से बहुत ज्यादा खर्च)
  • निर्माण में देरी (गेम्स शुरू होने तक कुछ काम पूरे नहीं हुए)
  • भ्रष्टाचार के आरोप
  • सुविधाओं का अधूरा उपयोग (कई स्टेडियम खाली पड़ गए)
  • भारी कर्ज राज्य सरकार पर छोड़ गया।

 

क्यों यह महत्वपूर्ण है?

अहमदाबाद 2030 केवल खेल के लिए नहीं, बल्कि भारत की एक बड़ी महत्वाकांक्षा का हिस्सा है:

  • 2036 ओलंपिक्स के लिए अहमदाबाद अपनी दावेदारी कर रहा है
  • इस सफलता से IOC को भारत की तैयारी का विश्वास मिलेगा
  • खेल का बुनियादी ढाँचा जो बनेगा, वह आने वाले दशकों के लिए रहेगा
  • भारतीय खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा – अपने देश में खेलना मनोबल बढ़ाता है।

 

निष्कर्ष : भारत का सुनहरा मौका

26 नवंबर 2025 को अहमदाबाद को कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की जिम्मेदारी मिलना भारत के खेल इतिहास में एक स्वर्ण पत्र है। यह न केवल एक खेल का आयोजन नहीं, बल्कि:

  1. भारत की क्षमता का प्रदर्शन– विश्व के सामने दिखाना कि हम बड़े आयोजन कर सकते हैं।
  2. युवा भारत को जागृत करना– 900 मिलियन युवाओं को खेल के मंच पर लाना।
  3. संस्कृति का उदजापन– कबड्डी, योगासन जैसे परंपरागत खेलों को विश्व मंच पर दिखाना।
  4. भविष्य की तैयारी– 2036 ओलंपिक्स के लिए धरातल तैयार करना।
  5. क्षेत्रीय विकास– गुजरात को विश्व के सामने एक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करना।