गृह मंत्रालय ने राजभवनों का नाम बदलकर लोकभवन करने के दिए सुझाव: सरकार ने कहा- पुराने नामों में उपनिवेशवाद की छाप, जानिए पूरी खबर..

25 नवंबर को गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर सुझाव दिया कि अब से “राजभवन” को “लोकभवन” और उपराज्यपालों के आवास “राज निवास” को “लोक निवास” कहा जाए। सरकार का मानना है कि पुराने नामों में उपनिवेशवाद की छाप है, इसलिए उन्हें अधिक भारतीय और जनसामान्य से जुड़े नामों से बदलना बेहतर होगा।

Home Ministry has suggested renaming Raj Bhavans as Lok Bhavans

संवैधानिक स्थानों को अधिक सुलभ बनाना लक्ष्य:

केंद्र सरकार का कहना है कि यह कदम “विकसित भारत” के विचार को मजबूत करने का हिस्सा है। इसके तहत प्रशासनिक संस्थाओं को जनता के और करीब लाना है। गृह मंत्रालय के अनुसार, राजभवन और राज निवास का नाम बदलने का उद्देश्य लोकतंत्र की भागीदारी वाली प्रकृति को दिखाना है और यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे संवैधानिक स्थान प्रतीकात्मक रूप से ही नहीं, बल्कि व्यवहार में भी जनता के लिए अधिक सुलभ हों।

 

असम में नाम परिवर्तन:

गृह मंत्रालय द्वारा पूरे देश में राज्यपालों के कार्यालयों के नाम एक समान करने के निर्देश के बाद, असम सरकार ने “राजभवन, असम” का नाम बदलकर “लोकभवन, असम” कर दिया है। यह फैसला 2024 के गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में की गई सिफारिश और 25 नवंबर को जारी मंत्रालय की अधिसूचना के बाद लिया गया। असम सरकार ने बताया कि राज्यपाल कार्यालय का नया नाम तुरंत लागू हो गया है।

 

बंगाल के राज्यपाल ने राजभवन का नाम बदला:

बंगाल के राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने केंद्र सरकार के निर्देश के बाद शनिवार को जारी अधिसूचना में बताया गया कि कोलकाता का राजभवन, बैरकपुर का फ्लैगस्टाफ हाउस और दार्जिलिंग का राजभवन, तीनों का नाम बदलकर अब “लोक भवन” कर दिया गया है।

यह कोलकाता के राजभवन का तीसरा नामकरण है। आज़ादी से पहले इसे गवर्नमेंट हाउस कहा जाता था। 1947 के बाद इसे राजभवन नाम दिया गया, और मार्च 2023 में इसे प्रतीकात्मक रूप से “जन राजभवन” भी कहा गया था।

 

केरल में भी राजभवन का नाम बदलने की तैयारी:

केरल में राज्यपाल के आधिकारिक निवास ‘राजभवन’ का नाम 1 दिसंबर से बदलकर ‘लोकभवन’ किया जाएगा। राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, जो फिलहाल गोवा में हैं, सोमवार को इसकी औपचारिक अधिसूचना जारी करेंगे। अधिसूचना के बाद आधिकारिक पता “लोक भवन, केरल” हो जाएगा।

इस बदलाव के साथ राज्यपाल कार्यालय से जुड़े सभी साइनेज, आधिकारिक पत्र–व्यवहार, सरकारी संचार और डिजिटल प्लेटफॉर्म में भी नए नाम को अपनाया जाएगा। जैसे ही अधिसूचना जारी होगी, नए नाम का सार्वजनिक उपयोग तुरंत शुरू होने की उम्मीद है।

 

तमिलनाडु में तैयारी:

तमिलनाडु में सरकारी स्टेशनरी, लेटरहेड और आधिकारिक पदनामों पर अब ‘लोकभवन’ या ‘लोक निवास’ लिखा जा रहा है। राज्यपाल कार्यालय के व्हाट्सऐप ग्रुप का नाम भी बदलकर ‘लोकभवन तमिलनाडु न्यूज़’ कर दिया गया है। सोमवार को एक आधिकारिक कार्यक्रम के लिए भेजे गए निमंत्रण पत्रों में भी नया नाम इस्तेमाल हुआ।

राज्यपाल आर. एन. रवि पहले भी कई बार राजभवन को “मक्कल मालिगाई” (लोक भवन) कह चुके हैं। 3 अक्टूबर 2023 को स्वतंत्रता सेनानियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु राजभवन को मक्कल मालिगाई बनाया जा रहा है।

 

स्टालिन की प्रतिक्रिया:

इस बदलाव पर प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने एक्स पर लिखा, “सिर्फ नाम बदलना, सोच बदलने जितना महत्वपूर्ण नहीं है! विधानसभा पहले से ही जनता का मंच है। जो लोग विधानसभा का सम्मान नहीं करते, क्या उनके लिए उसका नाम ‘जनता का महल’ रख देना सिर्फ दिखावा नहीं? क्या यह लोकतंत्र के सिद्धांतों को कमजोर करने जैसा नहीं है? जनता द्वारा चुनी गई सरकार और विधानसभा का सम्मान करना ज़रूरी है। अगर विचार और कार्रवाई में बदलाव नहीं हुआ, तो ऐसे नाम बदलने का कोई फायदा नहीं है।”

 

आइए जानते है राजभवन क्या है ?

राजभवन (लोक भवन) किसी भारतीय राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक निवास और कार्यालय , जो उस राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है और भारत के संविधान में परिभाषित शक्तियों का प्रयोग करता है ।

प्रत्येक राजभवन का अपना इतिहास है, जो अक्सर ब्रिटिश शासन काल से जुड़ा होता है। कई राजभवन 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में बनाए गए थे और समय के साथ इन्हें राज्यपाल के रहने और काम करने के लिए बढ़ाया या संशोधित किया गया। इनमें ग्रीष्मकालीन रिसॉर्ट और कार्यालय भी शामिल होते हैं।

 

राज्यपाल के बारे में:

राज्यपाल से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, अनुच्छेद 153 हर राज्य में एक राज्यपाल का प्रावधान करता है, जो राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करता है। अनुच्छेद 155 के तहत राष्ट्रपति राज्यपाल की नियुक्ति करते हैं, हालांकि उन्हें केंद्र सरकार का कर्मचारी नहीं माना जाता और वे अपने कार्यकाल में किसी लाभ के पद पर नहीं रह सकते। अनुच्छेद 159 के अनुसार, वह पद संभालने से पहले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ लेते हैं। राज्यपाल का सामान्य कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष का होता है ।

 

राज्यपाल पद की योग्यता:

  • वह भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • उसकी न्यूनतम उम्र 35 वर्ष होनी चाहिए।
  • वह संसद या किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए।

 

हाल ही में बदले गए कुछ जगह और शहर के नाम:

  • राजपथ: राजपथ का नाम अब कर्तव्य पथ रखा गया है। यह नई दिल्ली का एक प्रमुख बुलेवार्ड है जो राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट और राष्ट्रीय स्टेडियम तक जाता है। इस बदलाव का उद्देश्य देश को उसके औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति दिलाना है।
  • गया: गया शहर का नाम अब आधिकारिक तौर पर गया जी रखा गया है। यह बदलाव शहर के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व, विशेषकर हिंदू तीर्थ और पैतृक अनुष्ठानों को दर्शाने के लिए किया गया है।
  • गुड़गांव: गुड़गांव का नाम 2016 में बदलकर गुरुग्राम किया गया। यह नाम शहर के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व, यानी गुरु द्रोणाचार्य से जुड़े होने, को याद दिलाता है। इत्यादि।

 

निष्कर्ष:

सरकार द्वारा “राजभवन” और “राज निवास” का नाम बदलकर “लोकभवन” और “लोक निवास” करना उपनिवेशकालीन छाप को दूर कर जनता के साथ संवैधानिक संस्थाओं के जुड़ाव को मजबूत करने का प्रतीक है। यह कदम संस्थाओं को अधिक जन-केंद्रित और सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।