महज दो दिन की अपेक्षाकृत साफ हवा के बाद राजधानी दिल्ली एक बार फिर ‘गंभीर’ प्रदूषण की चपेट में आ गई है। जिस ‘दिल्ली की सर्दी’ को कभी गर्म चाय, कुल्हड़ की चाय और ठंड के मौसम की रूमानियत से जोड़ा जाता था, वह अब धुंध, जहरीली स्मॉग, सांस लेने में तकलीफ और स्वास्थ्य समस्याओं का पर्याय बन चुकी है।
जो सात दशकों से राजधानी में रह रहे हैं और 40 वर्षों से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनका कहना है कि सबसे चिंताजनक बात सिर्फ प्रदूषण का बढ़ता स्तर नहीं है, बल्कि यह है कि देश के लोग हर साल इसे सामान्य मानने लगे हैं और इसके खतरनाक परिणामों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
N95 मास्क अनिवार्य
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का स्पष्ट और सख्त निर्देश है, “जब भी घर से बाहर निकलें, चाहे थोड़े समय के लिए ही क्यों न हो, N95 मास्क जरूर पहनें।” उनके अनुसार, कपड़े के मास्क, फैंसी मास्क या सर्जिकल मास्क सूक्ष्म कणों से बचाव में लगभग बेअसर और अप्रभावी हैं।
PM2.5 का स्तर सुरक्षित सीमा से कहीं ज्यादा होने पर केवल N95 मास्क ही हानिकारक कणों को प्रभावी तरीके से फिल्टर कर सकता है और आपके फेफड़ों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
PM2.5 यानी 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी छोटे प्रदूषण के कण होते हैं, जो मानव बाल की मोटाई से लगभग 30 गुना छोटे होते हैं। ये इतने सूक्ष्म होते हैं कि आसानी से नाक के जरिए श्वसन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं, फेफड़ों की गहराई तक पहुंच जाते हैं, और फिर रक्तप्रवाह में मिलकर पूरे शरीर को प्रभावित करते हैं।
चिकित्सकों की दृढ़ सलाह है कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों को जब तक अत्यंत आवश्यक न हो, घर से बाहर बिल्कुल नहीं निकलना चाहिए। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण वे प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं। एयर प्यूरीफायर का घर में लगातार और नियमित इस्तेमाल जरूरी है। उच्च प्रदूषण के दिनों में खुले में व्यायाम, जॉगिंग या मॉर्निंग वॉक करना पूरी तरह वर्जित है, क्योंकि व्यायाम के दौरान हम अधिक गहरी सांस लेते हैं जिससे जहरीली हवा फेफड़ों में ज्यादा मात्रा में पहुंचती है।
सप्लीमेंट्स की महत्वपूर्ण भूमिका
स्वास्थ्य विशेषज्ञ शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने के लिए कुछ खास सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं। ये दोनों ही प्रदूषित हवा के लगातार संपर्क में रहने के प्रमुख और गंभीर दुष्प्रभाव हैं जो धीरे-धीरे शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
गंभीर प्रदूषण के दिनों में विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए प्रमुख सप्लीमेंट्स:
मुख्य एंटीऑक्सीडेंट और सूजन रोधी सहायता:
विटामिन सी और विटामिन ई का शक्तिशाली संयोजन – ये दोनों मिलकर एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट जोड़ी बनाते हैं जो शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाती है।
- करक्यूमिन – हल्दी में पाया जाने वाला यह तत्व शरीर में सूजन को कम करने में अत्यंत प्रभावी है और प्रदूषण से होने वाली आंतरिक सूजन से लड़ने में मदद करता है।
- क्वेरसेटिन – यह प्राकृतिक फ्लेवोनॉइड ऑक्सीडेटिव तनाव को घटाता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
- बीटा-कैरोटीन – यह शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को प्रदूषण से होने वाली क्षति से बचाता है और त्वचा एवं श्वसन तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखता है।
- सल्फोराफेन (ब्रोकली स्प्राउट्स से प्राप्त) – यह शरीर की प्राकृतिक विषहरण प्रक्रिया को बढ़ावा देता है और हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है।
अन्य आवश्यक और महत्वपूर्ण सप्लीमेंट्स:
- बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन – ये ऊर्जा उत्पादन और तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।
- विटामिन डी – विशेषज्ञ उच्च प्रदूषण के समय इसकी खुराक बढ़ाने की सलाह देते हैं क्योंकि धूप की कमी और प्रदूषण दोनों ही विटामिन डी के स्तर को प्रभावित करते हैं।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड या फिश ऑयल – यह सूजन को कम करता है और हृदय एवं मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
- NAC यानी एन-एसिटाइल सिस्टीन – यह फेफड़ों के कार्य में सुधार करता है और श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- CoQ10 – यह कोएंजाइम शरीर में ऑक्सीजन के बेहतर उपयोग में सहायता करता है और सेलुलर ऊर्जा बढ़ाता है।
आहार से मिलती है प्राकृतिक सुरक्षा
विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ विशेष खाद्य पदार्थ शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और प्रदूषण के खिलाफ लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं। इन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल करना अत्यंत लाभदायक साबित हो सकता है।
- नींबू – विटामिन सी से भरपूर, यह इम्युनिटी बढ़ाता है और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है।
- हल्दी – इसमें करक्यूमिन होता है जो प्राकृतिक सूजन रोधी है।
- पालक – आयरन, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर यह हरी सब्जी फेफड़ों को मजबूत बनाती है।
- अंगूर – इसमें मौजूद रेस्वेराट्रोल शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है।
- एवोकाडो – स्वस्थ वसा और विटामिन ई का उत्कृष्ट स्रोत है।
- मेवे – बादाम, अखरोट जैसे मेवे ओमेगा-3 और विटामिन ई प्रदान करते हैं।
- अनार – यह रक्त को शुद्ध करता है और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है।
- कीवी – विटामिन सी की उच्च मात्रा के कारण यह इम्युनिटी बूस्टर है।
इसके अलावा, चुकंदर का जूस और गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों के माध्यम से डाइटरी नाइट्रेट्स बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाता है। ये शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड में परिवर्तित होकर रक्त वाहिकाओं को फैलाते हैं, रक्त प्रवाह में सुधार करते हैं और ऑक्सीजन की बेहतर आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
घर के अंदर की हवा भी खतरे से खाली नहीं
अधिकतर लोग यह गलतफहमी पाले रहते हैं कि घर के अंदर वे पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ गंभीरता से चेतावनी देते हैं कि घर के अंदर की हवा भी उतनी ही प्रदूषित हो सकती है जितनी बाहर की। घर की खिड़कियों और दरवाजों की छोटी-छोटी दरारों से भी प्रदूषित हवा अंदर आ जाती है।
इसलिए घर के अंदर की हवा की गुणवत्ता में सुधार करना अत्यंत जरूरी हो गया है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं, “स्नेक प्लांट, स्पाइडर प्लांट, मनी प्लांट, एलोवेरा और रबर प्लांट जैसे वायु शुद्ध करने वाले पौधे घर में अवश्य रखें।” ये पौधे प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर की तरह काम करते हैं और हवा से विषाक्त पदार्थों को सोखते हैं।
ह्यूमिडिफायर और एयर प्यूरीफायर अब दिल्ली-NCR के घरों में आवश्यक उपकरण बन गए हैं। इनके बिना स्वच्छ हवा में सांस लेना लगभग असंभव हो गया है। घर में हवा आने-जाने यानी वेंटिलेशन की व्यवस्था बुद्धिमानी और रणनीतिक तरीके से करने की सलाह दी जाती है – सिर्फ तभी खिड़कियां खोलें जब बाहर का AQI अस्थायी रूप से गिर जाए, जैसे कि तेज बारिश के बाद या तेज हवा चलने पर।
इन चीजों से रहें दूर
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कुछ ऐसी सामान्य गतिविधियों से बचने की सख्त चेतावनी देते हैं जो घर के अंदर की हवा को और अधिक प्रदूषित करती हैं:
- मोमबत्ती और अगरबत्ती जलाना – हालांकि ये सुगंधित और मनभावन लग सकते हैं, लेकिन इनसे हानिकारक धुआं निकलता है जो बंद कमरे में 5 का स्तर बढ़ा देता है।
- धूम्रपान या वेपिंग – यह न केवल धूम्रपान करने वाले के लिए, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों के लिए खतरनाक है। बंद कमरे में धूम्रपान से इंडोर एयर क्वालिटी गंभीर रूप से प्रभावित होती है।
- एयरोसोल स्प्रे का उपयोग – रूम फ्रेशनर, डिओडोरेंट, हेयर स्प्रे आदि से निकलने वाले सूक्ष्म कण हवा में मिलकर श्वसन समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
दिल्ली और NCR क्षेत्र एक बार फिर सर्दियों में खतरनाक और जहरीली हवा से जूझ रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि व्यक्तिगत सावधानियां और सुरक्षा उपाय अब कोई वैकल्पिक या ऐच्छिक विषय नहीं रह गए हैं। ये रोजमर्रा की जिंदगी, परिवार की सेहत और जीवन की गुणवत्ता का सीधा सवाल बन चुके हैं।
जब तक सरकारी स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाए जाते और दीर्घकालिक समाधान नहीं निकाले जाते, तब तक नागरिकों को अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए ये सभी उपाय अपनाने ही होंगे। प्रदूषण से बचाव अब एक दैनिक आदत बन जानी चाहिए, न कि कोई अस्थायी उपाय।
