तीसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी ‘अरिदमन’ जल्द होगी नौसेना में शामिल: एडमिरल त्रिपाठी

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने मंगलवार को बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि देश अपनी परमाणु त्रिकोणीय शक्ति के समुद्री हिस्से को और सशक्त बना रहा है। उन्होंने बताया कि तीसरी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बी ‘अरिदमन’ शीघ्र ही भारतीय नौसेना का हिस्सा बनेगी।

नौसेना दिवस से एक दिन पूर्व आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एडमिरल त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि उनकी सेना समग्र युद्धक क्षमता में वृद्धि को प्राथमिकता दे रही है।

Admiral Tripathi

अरिदमन परीक्षण के अंतिम दौर में

जब परमाणु संचालित पनडुब्बियों के बारे में पूछा गया, तो नौसेना प्रमुख ने बताया कि भारत अपनी तीसरी स्वनिर्मित परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बी को सेना में शामिल करने की तैयारी में है।

 

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि आईएनएस अरिदमन अपने परीक्षण चरण के अंतिम पड़ाव पर है और शीघ्र ही इसे भारतीय नौसेना में सम्मिलित किया जाएगा।

 

भारत का परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) कार्यक्रम एक अत्यंत गोपनीय परियोजना है। इस परियोजना के अंतर्गत आईएनएस अरिहंत प्रथम पोत था, जिसके पश्चात आईएनएस अरिघात आया।

 

परमाणु प्रतिरोधक क्षमता का महत्वपूर्ण अंग

एसएसबीएन कार्यक्रम भारत की परमाणु प्रतिरोध शक्ति का एक अहम घटक है। यद्यपि भारत की वायु और स्थलीय परमाणु शक्ति सिद्ध हो चुकी है, परंतु अब देश अपनी जलीय परमाणु क्षमता के विस्तार पर केंद्रित है।

 

आईएनएस अरिहंत भारत की प्रथम स्व-निर्मित परमाणु पनडुब्बी है। इसे जुलाई 2009 में जलावतरण किया गया और 2016 में इसे सेवा में लाया गया।

 

भारत उन विशिष्ट राष्ट्रों में गिना जाता है जिनके पास परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बियां उपलब्ध हैं। इस श्रेणी में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन शामिल हैं।

 

प्रोजेक्ट 75 इंडिया और राफेल-एम विमान

नौसेना प्रमुख ने यह भी घोषित किया कि प्रोजेक्ट 75 इंडिया (पी75-आई) के अंतर्गत छह स्टील्थ पनडुब्बियों की प्रस्तावित खरीद की प्रक्रिया पूर्णता की ओर अग्रसर है।

 

उन्होंने बताया कि नौसेना को कुल 26 राफेल-एम युद्धक विमानों में से प्रारंभिक चार विमान 2028 में प्राप्त होंगे। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने इन विमानों के अधिग्रहण हेतु अप्रैल माह में फ्रांस के साथ 64,000 करोड़ रुपये का अनुबंध संपन्न किया था।

 

ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तानी नौसेना पर दबाव

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने खुलासा किया कि मई में संचालित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय नौसेना के आक्रामक रवैये के कारण पाकिस्तानी नौसेना को अपने बंदरगाहों की सीमा में रहने के लिए विवश होना पड़ा।

 

एडमिरल त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के साथ तनाव के उपरांत विगत सात-आठ माह में पश्चिमी अरब सागर सहित विभिन्न क्षेत्रों में उच्चतम परिचालन सतर्कता बनाए रखी है।

 

नौसेना प्रमुख ने विस्तार में जाए बिना कहा कि ऑपरेशन सिंदूर “अभी भी सक्रिय है।”

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आक्रामक मुद्रा और तीव्र प्रतिक्रिया, जिसमें वाहक युद्ध दल की तैनाती भी सम्मिलित थी, ने पाकिस्तानी नौसेना को अपने बंदरगाहों अथवा मकरान तटरेखा के निकट रहने के लिए बाध्य कर दिया।”

 

पाकिस्तान पर आर्थिक प्रभाव

नौसेना प्रमुख ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव उत्पन्न हुआ है, क्योंकि संघर्ष के पश्चात बड़ी संख्या में व्यापारिक पोतों ने पाकिस्तान की यात्रा से परहेज किया है।

उन्होंने जोड़ा कि पाकिस्तान की ओर जाने वाले जहाजों की बीमा लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

 

भारत का परमाणु सिद्धांत और नीति

भारत परमाणु हथियारों के संपूर्ण उन्मूलन के लक्ष्य के साथ सार्वभौमिक परमाणु निरस्त्रीकरण की वकालत में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है।

 

वर्ष 1998 में भारत ने पोखरण-दो परमाणु परीक्षण संपन्न किए, जिस पर अनेक राष्ट्रों ने तीव्र आपत्ति प्रकट की। परीक्षणों के उपरांत भारत ने स्पष्ट किया कि उसने ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक शक्ति’ के लिए ये परीक्षण किए थे और वह ‘प्रथम प्रयोग नहीं’ की नीति का अनुपालन करेगा।

 

वर्ष 2003 में भारत आधिकारिक रूप से अपने परमाणु सिद्धांत के साथ सामने आया, जिसमें ‘प्रथम प्रयोग नहीं’ की नीति का स्पष्ट उल्लेख किया गया था।

 

रणनीतिक महत्व

परमाणु त्रिकोण क्षमता, जिसमें स्थल, वायु और समुद्र से परमाणु हथियार प्रक्षेपित करने की शक्ति शामिल है, किसी भी देश की रक्षा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।

 

समुद्री परमाणु क्षमता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि परमाणु संचालित पनडुब्बियां महीनों तक पानी के नीचे रह सकती हैं और शत्रु के लिए उन्हें ढूंढना अत्यंत कठिन होता है। यह द्वितीय प्रहार क्षमता प्रदान करती है, जो किसी भी प्रतिरोधक रणनीति का आधार है।

 

अरिदमन के शामिल होने से भारत की समुद्री परमाणु शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और देश की रक्षा क्षमता और मजबूत होगी।

 

निष्कर्ष:

तीसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी अरिदमन का शीघ्र शामिल होना भारत की आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण क्षमता और बढ़ती सामरिक शक्ति का प्रतीक है। यह देश की परमाणु त्रिकोण क्षमता को पूर्णता प्रदान करेगा और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में भारत की स्थिति को और सुदृढ़ करेगा।

 

नौसेना के आधुनिकीकरण और विस्तार के प्रयास, जिसमें नई पनडुब्बियां, राफेल-एम विमान और उन्नत युद्धक क्षमताएं शामिल हैं, यह दर्शाते हैं कि भारत अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के प्रति कितना गंभीर है।