चीन की निजी अंतरिक्ष कंपनी लैंडस्पेस ने बुधवार को अपने पुन: प्रयोज्य रॉकेट ‘ZQ-3’ को सफलतापूर्वक कक्षा में भेजकर एक नया अध्याय लिख दिया। हालांकि कंपनी का रॉकेट बूस्टर को दुबारा लैंड कराने का ऐतिहासिक प्रयास सफल नहीं हो पाया, लेकिन यह पहली बार है जब किसी चीनी निजी फर्म ने ऐसा कदम उठाया है। स्पेसएक्स जैसी वैश्विक कंपनियों की टक्कर में उतरते हुए चीन का वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
Zhuque-3 (ZQ-3) क्या है ?
Zhuque-3 (ZQ-3) चीन की निजी कंपनी लैंडस्पेस द्वारा बनाया गया एक बड़ा, दो-चरणीय और आंशिक रूप से पुन: उपयोग किए जाने वाला रॉकेट है, जो स्टेनलेस स्टील से बना है और तरल मीथेन ईंधन पर चलता है। यह लैंडस्पेस की कक्षीय-श्रेणी वाले रॉकेटों की श्रृंखला का तीसरा मॉडल है। इसका पहला संस्करण ZQ-3 Y1 एक मीडियम-लिफ्ट रीयूजेबल रॉकेट है, जिसकी ऊंचाई 66.1 मीटर, डायमीटर 4.5 मीटर और पूरी तरह ईंधन भरने पर वजन लगभग 570 टन होता है, जबकि इसका लॉन्ग-ऑफ थ्रस्ट 750 टन से अधिक है। यह लो-अर्थ ऑर्बिट और सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में सैटेलाइट भेज सकता है।
कैसे विफल हुआ रिकवरी परीक्षण ?
बीजिंग की कंपनी लैंडस्पेस ने उत्तर-पश्चिमी चीन के एक दूरस्थ रेगिस्तानी इलाके से ZQ-3 रॉकेट लॉन्च किया। रॉकेट तो सही कक्षा में पहुँच गया, लेकिन उसका पहला चरण “जो शुरुआती ताकत देता है” सही तरीके से वापस ज़मीन पर नहीं उतर पाया और गिर गया।
कंपनी ने बताया कि लैंडिंग के दौरान पहले चरण के इंजन में आग लग गई, जिससे एक तकनीकी समस्या पैदा हुई। इसी वजह से रॉकेट का पहला हिस्सा तय किए गए रिकवरी पैड पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका और मलबा रिकवरी ज़ोन के किनारे पर गिर गया। इसलिए रिकवरी परीक्षण असफल माना गया। कंपनी का कहना है कि वह पूरे मामले की विस्तृत जांच करेगी और आगे आने वाले मिशनों में पुन: प्रयोज्य रॉकेट तकनीक को और बेहतर बनाएगी।
लैंडस्पेस ने एक्स पर लिखा:
टेलीमेट्री डेटा के मुताबिक पहले चरण की लैंडिंग बर्न शुरू होते ही एक समस्या आ गई, जिस वजह से रॉकेट तय किए गए रिकवरी पैड पर हल्के से उतर नहीं सका। कंपनी ने बताया कि रॉकेट का मलबा रिकवरी पैड के किनारे के पास गिरा, और इसी कारण रिकवरी परीक्षण विफल हो गया। उन्होंने कहा कि इस घटना के सटीक कारण की जांच जारी है।
इस परीक्षण के मायने:
भले ही यह रिकवरी परीक्षण सफल नहीं हुआ, लेकिन इसने लैंडस्पेस को चीन की उन निजी कंपनियों की अग्रिम पंक्ति में ला दिया है जो पुन: प्रयोज्य रॉकेट तकनीक विकसित करने में लगी हैं। बीजिंग को उम्मीद है कि इससे चीन अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धियों, खासकर स्पेसएक्स जैसी कंपनियों, के साथ बेहतर तरीके से मुकाबला कर पाएगा।
पुन: प्रयोज्य रॉकेट क्या है ?
पुन: प्रयोज्य रॉकेट वह रॉकेट होता है जिसे एक बार नहीं, बल्कि कई बार लॉन्च किया जा सकता है। इसे इस तरह बनाया जाता है कि यह उड़ान के बाद सुरक्षित रूप से वापस आ सके, फिर उसकी जांच-मरम्मत की जाए और दोबारा इस्तेमाल किया जाए।
सामान्य रॉकेटों में कई चरण होते हैं, जो उड़ान के दौरान अलग होकर गिर जाते हैं और दोबारा उपयोग नहीं किए जाते। लेकिन पुन: प्रयोज्य रॉकेटों में ऐसी उन्नत तकनीकें लगाई जाती हैं, जो उन्हें सुरक्षित तरीके से पृथ्वी पर वापस लाने में मदद करती हैं। ज़मीन पर लौटने के बाद इन रॉकेट हिस्सों का ठीक से निरीक्षण और मरम्मत की जाती है ताकि वे अगले लॉन्च के लिए तैयार हो सकें। इस तरह हर मिशन के लिए नया रॉकेट बनाने की बजाय उसी रॉकेट का कई बार उपयोग किया जाता है, जिससे लागत और समय दोनों बचते हैं।
पुन: प्रयोज्य रॉकेट क्यों महत्वपूर्ण हैं?
क्योंकि इन्हें बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे रॉकेट लॉन्च करने में लगने वाला खर्च और समय दोनों कम हो जाते हैं। आज दुनिया भर की कंपनियाँ बड़े उपग्रह नेटवर्क बनाने और भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं की तैयारी में लगी हैं, इसलिए यह तकनीक उनके लिए बड़ा फायदा देती है।
इसके अलावा, यह किसी देश के लिए रणनीतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। अंतरिक्ष अब तेजी से सैन्य शक्ति और रक्षा से जुड़ा क्षेत्र बन रहा है, इसलिए ऐसी उन्नत तकनीक देशों को सुरक्षा के मामले में भी मजबूती देती है।
पुन: प्रयोज्य रॉकेट के विकास में तीव्र प्रगति:
स्पेसएक्स इस तकनीक में सबसे आगे है। उसका फाल्कन 9 रॉकेट कई बार सफलतापूर्वक लैंड हो चुका है और दोबारा इस्तेमाल किया गया है। इसी सफलता के बाद कंपनी अब स्टारशिप जैसी पूरी तरह पुन: प्रयोज्य प्रणाली बना रही है।
13 अक्टूबर 2024 को एक बड़ा कदम हासिल हुआ, जब स्टारशिप और उसका सुपर हेवी बूस्टर दोनों सुरक्षित रूप से वापस लौट आए। दुनिया में पहली बार बूस्टर को लॉन्च टॉवर की “चॉपस्टिक” भुजाओं ने हवा में पकड़ लिया, यह पुन: उपयोग की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।
दुनिया में हो रही अन्य प्रगति:
- ब्लू ओरिजिन; नवंबर में, ब्लू ओरिजिन का न्यू ग्लेन यह उपलब्धि हासिल करने वाला दूसरा रॉकेट बना।
- रॉकेट लैब इलेक्ट्रॉन रॉकेट को आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य बना रहा है और पूरी तरह पुन: प्रयोज्य न्यूट्रॉन रॉकेट विकसित कर रहा है।
- ESA भी कई यूरोपीय कंपनियों के साथ मिलकर पुन: प्रयोज्य रॉकेट तकनीक पर काम कर रहा है।
- वर्जिन गैलेक्टिक का स्पेसशिप टू उप-कक्षीय अंतरिक्ष पर्यटन के लिए उड़ानें दे रहा है।
- इसरो और एरियनस्पेस भी पुन: प्रयोज्य रॉकेट तकनीक पर अनुसंधान कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
ZQ-3 की रिकवरी भले ही सफल न रही हो, लेकिन इस मिशन ने चीन की निजी अंतरिक्ष कंपनियों की बढ़ती क्षमता और महत्वाकांक्षा को मजबूत रूप से दिखाया है। कक्षा में सफल प्रक्षेपण और पुन: प्रयोज्य तकनीक की ओर उठाया गया यह कदम साबित करता है कि चीन अब स्पेसएक्स जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की बराबरी में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह परीक्षण भविष्य में अंतरिक्ष प्रक्षेपण को अधिक किफायती और उन्नत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
