पुतिन का भारत दौरा: मोदी ने खुद एयरपोर्ट जाकर किया स्वागत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बुधवार को भारत पहुंच गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद हवाई अड्डे पर जाकर उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से एक-दूसरे को गले लगाया और साथ में एक ही कार में बैठकर एयरपोर्ट से रवाना हुए।

 

यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद यह पुतिन की भारत की पहली यात्रा है। वे लगभग 30 घंटे तक भारत में रहेंगे। आज शाम प्रधानमंत्री मोदी उनके सम्मान में एक निजी डिनर का आयोजन करेंगे।

putin india visit

पुतिन की 10वीं भारत यात्रा

यह पुतिन की भारत की 10वीं यात्रा है। पहली बार वे अक्टूबर 2000 में राष्ट्रपति बनने के बाद भारत आए थे। इसके बाद 2002, 2004, 2007, 2012, 2014, 2016, 2018 और 2021 में भी वे भारत आ चुके हैं। उन्होंने 2007 में गणतंत्र दिवस समारोह में भी हिस्सा लिया था।

 

आखिरी बार पुतिन दिसंबर 2021 में भारत आए थे, लेकिन तब वे सिर्फ 4 घंटे के लिए रुके थे। उस दौरान 28 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे।

 

दो दिन का पूरा कार्यक्रम

 

4 दिसंबर: शाम 8 बजे मोदी और पुतिन एक साथ रात का खाना खाएंगे।

5 दिसंबर: सुबह 9 बजे राष्ट्रपति भवन में पुतिन को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। 10 बजे वे राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे। 11 बजे हैदराबाद हाउस में 23वीं भारत-रूस शिखर वार्ता होगी। शाम 4 बजे वे भारत-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे। शाम 5 बजे भारत मंडपम में व्यापारिक नेताओं से मुलाकात होगी। शाम 7 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनके सम्मान में राजकीय भोज देंगी।

 

पुतिन दिल्ली के आईटीसी मौर्य होटल में ठहरेंगे। उनके साथ 7 मंत्री और रूसी सेंट्रल बैंक के गवर्नर भी आए हैं।

 

मोदी का खास सम्मान

प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक सिर्फ 6 विदेशी नेताओं को एयरपोर्ट पर जाकर स्वागत किया है। इनमें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (2015), बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (2017), जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे (2017), अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (2020), यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान (2024) और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी (2025) शामिल हैं।

 

9 बड़े समझौते संभव

इस दौरान कई अहम समझौते हो सकते हैं:

  • भारत नए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीद सकता है
  • Su-57 लड़ाकू विमान के 2-3 स्क्वॉड्रन की खरीद पर बात होगी
  • पैंटसीर एयर डिफेंस सिस्टम और वोरोजनेज रडार की डील संभव
  • दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री अभ्यास बढ़ाने की योजना
  • भारत का रुपे कार्ड रूस में और रूस का मीर कार्ड भारत में चलेगा
  • UPI और रूस के पेमेंट सिस्टम को जोड़ा जा सकता है
  • भारतीय कामगारों को रूस में नौकरी के लिए नया समझौता
  • विमान और जहाज निर्माण में साझेदारी

 

100 अरब डॉलर का व्यापार लक्ष्य

दोनों देश 2030 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रख सकते हैं। फिलहाल दोनों देशों के बीच करीब 60 अरब डॉलर का व्यापार होता है। इस समिट में ऊर्जा, निवेश, तकनीक और उद्योग जैसे कई क्षेत्रों में नई साझेदारी पर चर्चा होगी।

 

कुल मिलाकर 25 समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं, जिनमें 15 व्यावसायिक समझौते भी शामिल हैं।

 

10 लाख भारतीयों को मिल सकती है नौकरी

एक बड़ा समझौता भारतीय कामगारों के लिए हो सकता है। युद्ध के कारण रूस में कई क्षेत्रों में वर्कर्स की कमी हो गई है। रूस चाहता है कि भारत से तकनीकी विशेषज्ञ, मेडिकल स्टाफ, इंजीनियर और दूसरे प्रशिक्षित कामगार वहां काम करने आएं।

 

भारत से 10 लाख कुशल कामगारों को रूस में रोजगार देने के लिए मोबिलिटी पैक्ट होने की संभावना है। अभी तक भारत के सिर्फ जर्मनी और इजराइल के साथ ही ऐसे समझौते हैं।

 

नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर चर्चा

रूस भारत को सस्ता कच्चा तेल बेच रहा है, लेकिन अमेरिका और यूरोप के दबाव के कारण भुगतान में दिक्कतें आती हैं। दोनों देश एक नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर सहमत हो सकते हैं, जिससे व्यापार बिना रुकावट चलता रहे। इसमें रुपया-रूबल में व्यापार, डिजिटल भुगतान या किसी तीसरे देश के बैंक का इस्तेमाल शामिल हो सकता है।

 

रूस, भारत को आर्कटिक क्षेत्र की ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश का मौका भी दे सकता है।

 

तेल खरीद बढ़ाने की मांग

पहले भारत रूस से सिर्फ 2.5% तेल खरीदता था। लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद यह बढ़कर 35% हो गया। अमेरिका को यह पसंद नहीं आया और उसने भारतीय सामान पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इसके बाद भारत ने रूसी तेल की खरीद कम कर दी। अब पुतिन चाहते हैं कि भारत फिर से ज्यादा तेल खरीदे।

 

रक्षा सौदे भी अहम

भारतीय वायुसेना को फाइटर जेट्स की जरूरत है और उसके पास पहले से ही 200 से ज्यादा रूसी लड़ाकू विमान हैं। नई पीढ़ी के रूसी Su-57 विमान को अपनाना आसान होगा। S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर भी भारत की दिलचस्पी बढ़ी है।

 

रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है, हालांकि इसकी हिस्सेदारी घटी है। पहले रूस भारत को 70-90% हथियार देता था, अब यह घटकर 36% रह गया है।

 

भारत के लिए क्यों अहम है यह दौरा

यह दौरा भारत के लिए बेहद अहम है क्योंकि भारत को अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलन बनाए रखना है। एक तरफ भारत-अमेरिका संबंध टैरिफ के मुद्दे पर खराब हो गए हैं, वहीं रूस से पुराने रिश्तों को भी मजबूत रखना जरूरी है।

 

पुतिन का यह दौरा मोदी की रणनीतिक स्वतंत्रता की असली परीक्षा है। भारत को दिखाना है कि वह पुतिन का भरोसेमंद साझेदार है, लेकिन साथ ही अमेरिका और यूरोप को भी पूरी तरह नाराज नहीं कर रहा।

 

ICC वारंट के बावजूद आए पुतिन

मार्च 2023 में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। यूक्रेन में बच्चों के अपहरण के आरोपों के आधार पर उन्हें युद्ध अपराधी माना गया था। इसके बाद से पुतिन विदेश यात्राओं से बचते रहे हैं। वे पिछले साल भारत में G20 समिट में भी शामिल नहीं हुए थे।

 

इस बार की यात्रा से साफ होता है कि भारत-रूस के बीच रिश्ते कितने मजबूत हैं। दोनों देशों के बीच 2030 तक नए आर्थिक रोडमैप को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।