रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार, 4 दिसंबर को चार साल बाद भारत की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव हो रहे हैं और भारत-रूस संबंधों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम चर्चाएं हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद हवाई अड्डे पर पुतिन का स्वागत किया, जो दोनों नेताओं के बीच मजबूत व्यक्तिगत रिश्तों और भारत-रूस की गहरी साझेदारी को दर्शाता है।
एयरपोर्ट पर गर्मजोशी भरा स्वागत
पुतिन जैसे ही विमान से उतरे, पीएम मोदी ने उनसे हाथ मिलाया और दोनों नेता गले मिले। इसके बाद दोनों एक ही कार में बैठकर पीएम आवास के लिए रवाना हुए। यह दृश्य पिछली बार चीन में हुई ‘लिमो डिप्लोमेसी’ की याद दिलाता है, जब पुतिन ने मोदी को अपनी लिमोजीन में घुमाया था। मोदी का खुद एयरपोर्ट जाकर पुतिन को रिसीव करना एक असाधारण कदम माना जा रहा है, जो आमतौर पर बहुत कम देखने को मिलता है।
प्राइवेट डिनर से शुरुआत
गुरुवार रात को पीएम मोदी ने अपने आवास पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान में एक प्राइवेट डिनर की मेजबानी की। यह दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात थी, जहां उन्होंने अनौपचारिक माहौल में द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। इस डिनर में दोनों नेताओं ने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया।
राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत समारोह
शुक्रवार, 5 दिसंबर की सुबह पुतिन राष्ट्रपति भवन पहुंचे, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया। रूसी राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यह औपचारिक स्वागत समारोह भारत-रूस के बीच विशेष और सुविधाजनक रणनीतिक साझेदारी के महत्व को रेखांकित करता है।
राजघाट में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति भवन से पुतिन राजघाट पहुंचे, जहां उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। गेस्ट बुक में लिखते हुए पुतिन ने कहा कि महात्मा गांधी ने बहुत पहले ही एक ‘न्यायपूर्ण और बहुध्रुवीय दुनिया’ की कल्पना कर ली थी। उन्होंने कहा कि समानता और आपसी सम्मान जैसे गांधी के सिद्धांत ही आज भारत और रूस साथ मिलकर दुनिया में आगे बढ़ा रहे हैं।
हैदराबाद हाउस में 23वां भारत-रूस शिखर सम्मेलन
राजघाट से पुतिन हैदराबाद हाउस पहुंचे, जहां पीएम मोदी के साथ 23वें वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक हुई। इस बैठक में रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, कनेक्टिविटी, कृषि, शिक्षा और तकनीकी सहयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।
मोदी का संबोधन
पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब दोनों देशों के बीच संबंध कई ऐतिहासिक माइलस्टोन से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारत-रूस की दोस्ती ध्रुव तारे की तरह स्थिर बनी हुई है। पिछले 25 सालों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी दूरदर्शिता और नेतृत्व से इस रिश्ते को मजबूत किया है।”
मोदी ने आगे कहा, “दुनिया को एक बार फिर शांति की जरूरत है। भारत शांति के हर प्रयास का समर्थन करता है। भारत न्यूट्रल नहीं है, बल्कि शांति के पक्ष में है।”
पुतिन का जवाब
पुतिन ने भारत आने का न्योता देने के लिए पीएम मोदी का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “भारत-रूस के रिश्ते बहुत पुराने और गहरे हैं। ये सिर्फ बातें नहीं हैं, इनके पीछे बहुत मजबूत और सच्चा आधार है। भारत-रूस की दोस्ती सिर्फ नाम की नहीं, बल्कि एक-दूसरे के लिए भरोसेमंद है।”
पुतिन ने पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत पूरी तरह स्वतंत्र और स्वायत्त नीति अपना रहा है और इसके अच्छे नतीजे भी मिल रहे हैं। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल को भारत की आर्थिक सफलता की बड़ी वजह बताया।
19 समझौतों पर मुहर
भारत-रूस के बीच 19 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें प्रमुख समझौते निम्नलिखित हैं:
- शिप बिल्डिंग और समुद्री सहयोग: जहाज निर्माण में सहयोग के लिए समझौता हुआ। भारतीय नाविकों को बर्फीले (पोलर) समुद्री इलाकों में जहाज चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा नई शिपिंग लेन पर निवेश और समुद्री सुरक्षा व निगरानी पर भी सहयोग बढ़ाया जाएगा।
- सिविल न्यूक्लियर ऊर्जा: परमाणु ऊर्जा सहयोग पर समझौता हुआ। रूस की मदद से तमिलनाडु के कुडनकुलम में एशिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाया जा रहा है, जिसमें कुल 6 रिएक्टर होंगे। हर रिएक्टर 1000 मेगावॉट बिजली पैदा करेगा।
- महत्वपूर्ण खनिज (क्रिटिकल मिनरल्स): क्रिटिकल मिनरल्स में सहयोग के लिए समझौता किया गया। मोदी ने कहा कि यह स्वच्छ ऊर्जा, हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग और नई पीढ़ी के उद्योगों में साझेदारी को मजबूत करेगा।
- हेल्थकेयर और मेडिकल एजुकेशन: मेडिकल रिसर्च और हेल्थ सर्विस में सहयोग बढ़ाने के लिए कई MoU साइन किए गए। मोदी ने कहा कि दोनों देश मिलकर वैक्सीन डेवलपमेंट, कैंसर थेरेपी, रेडियो फार्मास्युटिकल्स और API सप्लाई चेन में सहयोग कर सकते हैं।
- फूड सेफ्टी और कृषि: भारत की FSSAI और रूस की उपभोक्ता सुरक्षा एजेंसी के बीच खाद्य सुरक्षा नियमों को मजबूत करने के लिए औपचारिक समझौते हुए। फर्टिलाइजर सेक्टर में भी सहयोग बढ़ाया जाएगा।
- मैनपावर मोबिलिटी व्यवस्था: दोनों देशों ने लोगों की आवाजाही को आसान बनाने और माइग्रेशन प्रक्रियाओं को सरल करने के लिए समझौते किए। रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का फ्री ई-टूरिस्ट वीजा और 30 दिन का ग्रुप टूरिस्ट वीजा शुरू किया जाएगा।
- समुद्री लॉजिस्टिक्स: बंदरगाह और शिपिंग ऑपरेशन में भारत-रूस के सहयोग को बढ़ाने के लिए एक MoU पर हस्ताक्षर हुए।
व्यापार और आर्थिक सहयोग
मौजूदा व्यापार स्थिति
पुतिन ने बताया कि पिछले तीन साल में द्विपक्षीय व्यापार में रिकॉर्ड 80% की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल भारत-रूस व्यापार 64-69 अरब डॉलर पर पहुंच गया। उन्होंने कहा कि इस साल भी व्यापार का स्तर इतना ही मजबूत रहेगा।
मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 100 अरब डॉलर से ऊपर ले जाने का लक्ष्य तय किया है। लेकिन बातचीत और मौजूदा संभावनाओं को देखते हुए उन्हें लगता है कि यह लक्ष्य 2030 से पहले ही पूरा हो जाएगा।
व्यापार का स्वरूप
रूस से भारत आयात: रूस से भारत आयात का लगभग 76% हिस्सा कच्चा तेल है। अगर दूसरे तेल और कोयला को जोड़ लिया जाए तो यह 85% तक चला जाता है।
भारत से रूस निर्यात: दवाइयां, फाइन केमिकल्स, कपड़े, चाय-कॉफी-चावल-मसाले आदि।
पुतिन ने कहा कि भारत और रूस धीरे-धीरे अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार की ओर बढ़ रहे हैं, और अभी 96% लेनदेन इसी तरह हो रहा है।
कनेक्टिविटी और ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर
पुतिन ने कहा, “हम भारत के साथ मिलकर नए अंतरराष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट रूट बना रहे हैं। इसमें एक बड़ा प्रोजेक्ट नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर भी शामिल है। इसका मतलब है कि रूस या बेलारूस से सामान सीधे हिंद महासागर के रास्ते तक पहुंच सकेगा।”
मोदी ने कहा कि INSTC (इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर), नॉर्दर्न सी रूट और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर पर तेजी से काम आगे बढ़ेगा। इन रूट्स के विकसित होने से ट्रांजिट टाइम कम होगा, लागत घटेगी और कारोबार के लिए नए बाजार खुलेंगे।
रक्षा सहयोग
पुतिन ने कहा कि पिछले करीब पचास साल से रूस भारतीय सेना को हथियार देने और उसे आधुनिक बनाने में मदद करता आ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत को हथियार देते रहेंगे। हम सिर्फ भारत को अपने हथियार बेच नहीं रहे हैं। हमारे बीच ये संबंध इन सबसे ऊपर की बात है। हम टेक्नोलॉजी भी शेयर कर रहे हैं।”
हालांकि, इस दौरे में किसी बड़ी डिफेंस डील की घोषणा नहीं की गई, जबकि इसकी उम्मीद की जा रही थी।
ऊर्जा सुरक्षा साझेदारी
पीएम मोदी ने कहा कि एनर्जी सिक्योरिटी पार्टनरशिप भारत-रूस साझेदारी का एक मजबूत और अहम स्तंभ रही है। पुतिन ने भरोसा दिलाया कि वह भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए लगातार और बिना रुकावट ईंधन की सप्लाई करता रहेगा।
पुतिन ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में हमारी साझेदारी बहुत सफल है। तेल, गैस, कोयला और भारत की ऊर्जा जरूरतों से जुड़ी हर चीज की सप्लाई स्थिर है।
नए सहयोग के क्षेत्र
इलेक्ट्रिक वाहन
मोदी ने कहा कि आज भारत किफायती और कुशल EV (इलेक्ट्रिक वाहन), दोपहिया वाहन और CNG मोबिलिटी सॉल्यूशंस में वैश्विक नेता बन चुका है। रूस उन्नत सामग्री का बड़ा उत्पादक है। दोनों देश मिलकर ईवी निर्माण, ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स और वायरलेस मोबिलिटी टेक्नोलॉजी में साझेदारी कर सकते हैं।
टेक्सटाइल सेक्टर
मोदी ने कहा कि भारत में प्राकृतिक फाइबर से लेकर तकनीकी टेक्सटाइल तक बड़े अवसर हैं। रूस उन्नत पॉलीमर और सिंथेटिक कच्चे माल का प्रमुख उत्पादक है। दोनों देश मिलकर मजबूत टेक्सटाइल वैल्यू चेन विकसित कर सकते हैं।
कुशल मानव संसाधन
मोदी ने कहा कि भारत अब दुनिया की स्किल्ड कैपिटल के रूप में उभर रहा है। हमारे युवा वैश्विक मांग को पूरा करने की क्षमता रखते हैं। जब भारतीय प्रतिभा को रूसी भाषा और सॉफ्ट स्किल्स में प्रशिक्षित किया जाएगा, तो हम मिलकर रसिया-रेडी-वर्कफोर्स तैयार कर सकते हैं।
रूसी सेना में फंसे भारतीयों का मुद्दा
इस दौरे का एक संवेदनशील मुद्दा रूसी सेना में फंसे भारतीय नागरिकों का था। पीएम मोदी ने पुतिन के साथ मुलाकात के दौरान यह मुद्दा मजबूती से उठाया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया, “PM मोदी ने रूसी सशस्त्र बलों में भारतीय नागरिकों की भर्ती का मुद्दा उठाया है। हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द वहां से रिहा कराया जाए।”
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, कम से कम 44 भारतीय नागरिक इस समय रूसी सेना में हैं। कई भारतीयों को काम का लालच देकर रूस बुलाया गया, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उन्हें धोखे से सेना में शामिल कर लिया गया। कुछ लोग स्टूडेंट या टूरिस्ट वीजा पर रूस गए थे, लेकिन पहुंचने के बाद उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए।
मिस्री ने भारतीयों को चेतावनी भी दी कि वे किसी भी तरह का प्रस्ताव लेकर रूस की सेना में शामिल होने की भूल न करें।
इंडिया-रूस बिजनेस फोरम
दोपहर में दोनों नेताओं ने इंडिया-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित किया। पुतिन ने कहा कि उनकी टीम सिर्फ तेल और गैस पर बात करने या सौदे करने के लिए भारत नहीं आई है। उन्होंने कहा कि रूस भारत के साथ हर क्षेत्र में रिश्ते और व्यापार बढ़ाना चाहता है।
मोदी ने फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वास भारत-रूस रिश्तों की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि आज भारत और रूस इनोवेशन, को-प्रोडक्शन और को-क्रिएशन की नई यात्रा शुरू कर रहे हैं।
मोदी ने ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म’ के सिद्धांत का जिक्र करते हुए कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
RT इंडिया का लॉन्च
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आधिकारिक रूप से RT इंडिया का लॉन्च किया। इस चैनल के लॉन्च का मकसद भारत और दुनिया भर में रूस की दृष्टिकोण और समाचार को सीधे पहुंचाना है। पुतिन ने कहा कि यह एक बेहद खास मौका है क्योंकि इससे लाखों भारतीय नागरिक रूस की जानकारी और समाचारों को और करीब से जान सकेंगे।
शिक्षा में सहयोग
दिल्ली में रसियन एजुकेशन एजेंसी का पहला ऑफिस खोला गया। इसका मकसद भारतीय छात्रों को हायर एजुकेशन के लिए रूस में ज्यादा से ज्यादा मौके देना है। इन्नोप्राक्टिका की फर्स्ट डिप्टी CEO नतालिया पोपोवा ने कहा कि अब ज्यादा भारतीय छात्र रूसी शिक्षा की ओर आकर्षित होंगे।
राष्ट्रपति भवन में स्टेट डिनर
शाम को राष्ट्रपति भवन में स्टेट डिनर का आयोजन किया गया, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन एक साथ बैठे। राष्ट्रपति मुर्मू ने भाषण दिया और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों की सराहना की।
विशेष उपहार
पीएम मोदी ने पुतिन को कई खास भारतीय उपहार दिए:
- मुर्शिदाबाद सिल्वर टी सेट: मुश्किल नक्काशियों वाला यह सिल्वर सेट पश्चिम बंगाल की कला को दर्शाता है।
- असम ब्लैक टी: ब्रह्मपुत्र की उपजाऊ घाटियों में उगाई गई यह चाय अपने मजबूत माल्टी फ्लेवर के लिए जानी जाती है।
- कश्मीरी केसर: कश्मीर में उगाया जाने वाला यह केसर अपने गहरे रंग, खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर है।
- महाराष्ट्र का सिल्वर हॉर्स: हस्तशिल्प से तैयार यह चांदी का घोड़ा सम्मान और साहस का प्रतीक है।
- मार्बल चेस सेट: आगरा में तैयार यह हस्तशिल्प चेस सेट क्षेत्र की पत्थर नक्काशी कला को उजागर करता है।
- श्रीमद् भगवद् गीता: रूसी भाषा में ट्रांसलेट की गई गीता भी उपहार में दी गई।
वैश्विक प्रतिक्रिया
पुतिन के भारत दौरे पर दुनिया भर की प्रमुख मीडिया संस्थाओं और देशों ने गहरी नजर रखी। यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव हो रहे हैं और भारत-रूस संबंधों को लेकर पश्चिमी देशों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। विभिन्न देशों की मीडिया ने इस यात्रा को अलग-अलग नजरिए से देखा और विश्लेषित किया।
ब्रिटेन की प्रतिक्रिया
BBC ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि पुतिन का भारत दौरा यह संदेश देता है कि रूस दुनिया में अलग-थलग नहीं है। BBC के अनुसार, भारत और रूस की दोस्ती बहुत पुरानी है और दोनों देश एक-दूसरे के लिए कई मायनों में जरूरी हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और लगभग डेढ़ अरब की आबादी वाला मार्केट है। यही वजह है कि रूस भारत को अपने लिए महत्वपूर्ण साझेदार मानता है, खासकर तेल के कारोबार में।
BBC ने यह भी उल्लेख किया कि ऑयल के अलावा डिफेंस सेक्टर में भी भारत-रूस साझेदारी काफी मजबूत है। रूस में स्किल वर्कर्स की कमी है और वह भारत को इस कमी को पूरा करने वाले एक बड़े स्रोत के तौर पर देखता है। इस यात्रा का एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी है – रूस दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि पश्चिमी देशों के विरोध और यूक्रेन युद्ध के बावजूद वह अकेला नहीं है।
द गार्डियन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि रूस-भारत अमेरिका से घबराने वाले नहीं हैं। अखबार ने इस बात पर जोर दिया कि करीब चार साल बाद राष्ट्रपति पुतिन फिर से भारत पहुंचे हैं। इस बीच दुनिया की राजनीति भी काफी बदल चुकी है। डोनाल्ड ट्रम्प की दोबारा जीत ने अमेरिका और भारत के बीच तनाव पैदा कर दिया है। ट्रम्प ने भारत के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे दिल्ली की चिंताएं बढ़ गई हैं।
द गार्डियन ने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूसी रिसर्चर पेत्र टोपीचकानोव के हवाले से लिखा कि इस यात्रा का सबसे बड़ा मैसेज यही है कि यह हो रही है। इससे रूस दुनिया के साथ अपने संबंध सामान्य होते दिखाना चाहता है। हडसन इंस्टीट्यूट की एक्सपर्ट अपर्णा पांडे के मुताबिक, भारत इस समय कठिन जियो पॉलिटिक्स से गुजर रहा है। अमेरिका थोड़ा अलग रुख अपना रहा है, रूस पहले जितना मजबूत नहीं है और चीन लगातार ताकत बढ़ा रहा है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला कि मोदी का खुद एयरपोर्ट जाकर पुतिन को रिसीव करना दोनों नेताओं के बीच करीबी रिश्तों को दर्शाता है। अखबार ने लिखा कि पुतिन जैसे ही विमान से उतरे, मोदी ने उनसे हाथ मिलाया और दोनों नेता गले मिले। इसके बाद वे साथ में कार से रवाना हुए, जो पिछली बार चीन में उनकी ‘लिमो डिप्लोमेसी’ की याद दिलाती है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस बात पर जोर दिया कि इन बैठकों पर अमेरिका का दबाव भी असर डाल रहा है, क्योंकि अमेरिकी सरकार को भारत की रूस से तेल खरीद पर आपत्ति रही है। अखबार के अनुसार, भारत-रूस समिट दिखाती है कि दोनों देशों का रिश्ता दशकों पुराना और मजबूत है। पुतिन के लिए यह यात्रा दुनिया को यह बताने का मौका भी है कि रूस के पास अभी भी महत्वपूर्ण ग्लोबल पार्टनर मौजूद हैं। वहीं, मोदी के लिए संतुलन बनाना मुश्किल है – एक तरफ रूस, भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है और दूसरी तरफ अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया
कीव इंडिपेंडेंट ने लिखा कि इस हफ्ते भारत की कूटनीति की बड़ी परीक्षा है, क्योंकि वह रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी कर रहा है। भारत पर दुनिया की नजर इसलिए भी है क्योंकि उसे रूस के साथ एनर्जी और रक्षा संबंध मजबूत रखने हैं, जबकि यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपीय देश चाहते हैं कि भारत, रूस पर दबाव बनाए ताकि युद्ध कमजोर पड़े।
यूक्रेनी मीडिया ने इस बात पर चिंता जताई कि यूक्रेन में कई एक्सपर्ट चिंतित हैं कि मोदी अपने अगस्त 2024 में किए गए उस वादे पर कितना टिके रहेंगे, जिसमें उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा था कि भारत युद्ध खत्म कराने में मदद करेगा। यूरोपीय देशों को भी उम्मीद है कि मोदी, पुतिन से बात करते हुए यूरोप की सुरक्षा चिंताओं का ध्यान रखेंगे।
कीव इंडिपेंडेंट ने यह भी लिखा कि भारत और रूस की दोस्ती कई दशकों पुरानी है। कोल्ड वॉर के समय से दोनों के बीच नजदीकी संबंध रहे हैं और 1971 के भारत-पाक युद्ध में सोवियत संघ ने भारत का समर्थन भी किया था। यही वजह है कि भारतीय नेता रूस को अक्सर सबसे भरोसेमंद दोस्त बताते हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद मोदी ने पुतिन और जेलेंस्की दोनों से बातचीत की है और हिंसा रोकने की अपील की है। लेकिन ग्लोबल मंच पर भारत ने हमेशा न्यूट्रल रुख अपनाया है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
द डॉन अखबार ने लिखा कि पुतिन के इस दौरे का मकसद भारत और रूस के रक्षा संबंधों को और मजबूत करना है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह रूस से तेल खरीदना कम करे। इस यात्रा में व्यापार पर सबसे ज्यादा जोर रहेगा, क्योंकि भारत को रूस से सस्ता तेल भी चाहिए और साथ ही वह अमेरिका को भी नाराज नहीं करना चाहता।
पाकिस्तानी अखबार ने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि ट्रम्प प्रशासन ने अगस्त में भारत के कई प्रोडक्ट पर 50% टैरिफ लगा दिया था, यह कहते हुए कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसकी वॉर मशीन को पैसा पहुंचा रहा है। रूस चाहता है कि वह भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई बढ़ाए।
द डॉन ने यह भी लिखा कि तेल के मामले में भारत रूस का बड़ा खरीदार बन गया था, जिससे उसे अरबों डॉलर की बचत हुई। लेकिन हाल के महीनों में अमेरिका की सख्त पाबंदियों के बाद भारत ने रूसी तेल की खरीद घटाई है। भारत को डर है कि रूस के साथ कोई नई बड़ी एनर्जी या डिफेंस डील करने से अमेरिका नाराज हो सकता है।
कतर की प्रतिक्रिया
अल जजीरा ने लिखा कि मोदी ने पुतिन को गले लगाकर यह मैसेज दिया कि दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत रिश्ता काफी मजबूत है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत पर अमेरिका का दबाव बढ़ रहा है। पुतिन ने कहा कि अगर अमेरिका को रूस से परमाणु ईंधन खरीदने का हक है, तो भारत को भी रूसी तेल लेने का पूरा अधिकार होना चाहिए।
अल जजीरा ने इस बात पर जोर दिया कि मोदी ने पुतिन का जिस तरह स्वागत किया, उससे दुनिया को यह संदेश गया है कि भारत पश्चिमी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह स्वागत यह भी दिखाता है कि पुतिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर पूरी तरह अलग-थलग नहीं हैं।
अल जजीरा ने आंकड़ों के साथ बताया कि भारत के लिए रूस से आने वाला तेल अब पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गया है। 2022 से पहले भारत केवल 2.5% तेल रूस से खरीदता था, जो अब बढ़कर लगभग 36% हो गया है। इससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रूसी तेल खरीदने वाला देश बन गया है।
चीन की प्रतिक्रिया
चीनी मीडिया ने पुतिन के भारत दौरे को अपने खास नजरिए से कवर किया। चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, बाहरी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के कारण रूस के साथ यह सहयोग तोड़ना मुश्किल है। चीनी मीडिया ने लिखा कि यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच तनाव बढ़ा हुआ है। ट्रम्प बार-बार भारत पर दबाव डाल रहे हैं कि वह रूस से तेल खरीदना बंद करे।
ग्लोबल टाइम्स अखबार ने चीन की फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के ली हैडोंग के हवाले से लिखा कि रूस और भारत दोनों पर अमेरिका और पश्चिमी देशों की पाबंदियां और दबाव के कामयाब होने की संभावना बहुत कम है। फुदान यूनिवर्सिटी के दक्षिण एशिया विशेषज्ञ लिन मिनवांग ने कहा कि रूस लंबे समय से भारत की विदेश नीति में एक तरह का ‘स्ट्रैटेजिक सेफ्टी नेट’ रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय हालात जिस तेजी से बदल रहे हैं, उसमें यह साफ नहीं है कि भारत भविष्य में भारत-रूस रिश्ते को कितनी दूर तक आगे बढ़ाना चाहेगा।
निष्कर्ष:
पुतिन का यह दो दिवसीय दौरा भारत-रूस संबंधों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। करीब 24 घंटे में तीन बार मुलाकात, 19 समझौते और व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य – यह सब दोनों देशों के बीच ‘विशेष और सुविधाजनक रणनीतिक साझेदारी’ की गहराई को दर्शाता है।
दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि भारत-रूस का रिश्ता सिर्फ व्यापार या रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपसी विश्वास, सम्मान और दशकों पुरानी दोस्ती पर आधारित है। वैश्विक चुनौतियों के बीच दोनों देश मिलकर शांति, समृद्धि और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
