हनुमानगढ़ में किसान आंदोलन ने लिया उग्र रूप: एथेनॉल प्लांट के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा, दस गाड़ियां जलीं

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में बुधवार की शाम एक शांतिपूर्ण किसान महापंचायत हिंसक घटनाओं में तब्दील हो गई, जब टिब्बी क्षेत्र के राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन एथेनॉल संयंत्र के विरोध में उमड़ी भीड़ ने फैक्ट्री परिसर में घुसकर बड़े पैमाने पर उत्पात मचाया। इस घटना में कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच भयंकर झड़प हुई, जिसमें कांग्रेस के विधायक अभिमन्यु पूनिया समेत कई लोग घायल हो गए।

Farmers protest in Hanumangarh turns violent

विवाद की जड़ और बातचीत की नाकामी

मामला उस वक्त बिगड़ा जब दिन के समय ‘एथेनॉल फैक्ट्री हटाओ संघर्ष समिति’ के प्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन के बीच हुई वार्ता असफल रही। किसानों का मुख्य आग्रह था कि निर्माण कार्य को तत्काल बंद करने का लिखित आदेश जारी किया जाए, लेकिन अधिकारियों ने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया।

 

जिला कलेक्टर खुशाल यादव कार्यालय में ही रहे और स्थानीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दे दिया कि किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं होगी। संघर्ष समिति के नेताओं ने दावा किया कि वे लगातार तीन बजे तक चीख-चीखकर वार्ता का निमंत्रण देते रहे, परंतु प्रशासन ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की।

 

इस उदासीनता से आक्रोशित होकर शाम लगभग चार बजे, सैकड़ों की संख्या में किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ सीधे फैक्ट्री की तरफ कूच कर गए।

 

ट्रैक्टरों से तोड़ी गई चारदीवारी, फैक्ट्री में घुसे प्रदर्शनकारी

फैक्ट्री परिसर पहुंचते ही गुस्साए किसानों ने अपने ट्रैक्टरों का इस्तेमाल करते हुए निर्माणाधीन संयंत्र की बाउंड्री वॉल को ध्वस्त कर दिया। दीवार टूटते ही सैकड़ों प्रदर्शनकारी परिसर के अंदर दाखिल हो गए और उन्होंने वहां भारी पैमाने पर तोड़फोड़ शुरू कर दी।

 

परिसर में खड़े वाहनों को प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया। कम से कम दस गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया, जिनमें एक जेसीबी मशीन, सात निजी कारें, दो मोटरसाइकिलें और एक सरकारी पुलिस की जीप शामिल है। कुछ पुलिसकर्मियों की निजी गाड़ियां भी इस आगजनी की भेंट चढ़ गईं।

 

फैक्ट्री के अंदर भयंकर पत्थरबाजी भी हुई और निर्माण सामग्री को भी नुकसान पहुंचाया गया।

 

पुलिस का लाठीचार्ज, विधायक पूनिया घायल

हिंसा को काबू में करने के लिए मौके पर मौजूद पुलिस बल को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी। शुरुआत में अश्रु गैस के गोले दागे गए और फिर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया गया।

 

इस लाठीचार्ज में संगरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया भी घायल हो गए। वे किसानों के समर्थन में महापंचायत में शामिल होने पहुंचे थे। घायल होने के बाद उन्हें तुरंत हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

 

पुलिस के मुताबिक, झड़प में पांच पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। किसान समूहों का दावा है कि महिलाओं सहित 70 से अधिक लोग इस संघर्ष में घायल हुए हैं। घायल लोगों ने रात गुरुद्वारा सिंह सभा में बिताई।

 

पुलिस ने सात किसानों को हिरासत में लिया है और फैक्ट्री प्रबंधन तथा घायल लोगों की तरफ से 100 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

 

इंटरनेट बंद, स्कूल-दुकानें बंद

हिंसक घटनाओं के बाद जिला प्रशासन ने तुरंत कड़े कदम उठाए। शांति भंग होने की आशंका के मद्देनजर टिब्बी और आसपास के गांवों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं।

इसके अलावा, सभी स्कूलों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बंद रखने का आदेश जारी किया गया। गुरुवार को टिब्बी क्षेत्र में न तो कोई दुकान खुली और न ही शैक्षणिक संस्थान संचालित हुए।

 

सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस, आरएसी और होमगार्ड के अतिरिक्त जवानों को मौके पर तैनात किया गया है ताकि स्थिति फिर से बिगड़ने न पाए।

 

प्रशासन का बयान: असामाजिक तत्वों पर होगी कार्रवाई

देर रात जिला कलेक्टर खुशाल यादव ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए ही महापंचायत के लिए अनुमति प्रदान की गई थी। लेकिन महापंचायत समाप्त होने के उपरांत कुछ असामाजिक तत्वों ने फैक्ट्री परिसर को निशाना बनाया और कानून को अपने हाथों में ले लिया।

 

कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि जिन्होंने भी कानून का उल्लंघन किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जनता से शांति बनाए रखने और कानून हाथ में न लेने की अपील की।

 

हनुमानगढ़ के एसपी हरीशंकर ने पुष्टि करते हुए कहा, “एथेनॉल प्लांट के विरोध में महापंचायत आयोजित हुई थी। इसके बाद कुछ लोगों ने फैक्ट्री की ओर कूच करके भारी तोड़फोड़ की। इस झड़प में हमारे पांच जवान घायल हुए हैं और हमने सात लोगों को हिरासत में लिया है।”

 

एडीजीपी वीके सिंह ने प्रेस वार्ता में कहा कि पुलिसकर्मियों ने काफी संयम बरता है। उन्होंने बाहरी लोगों पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया और किसानों से अपील की कि वे बाहरी तत्वों के प्रभाव में न आएं।

 

राजनीतिक घमासान तेज

इस घटना के बाद राजस्थान की राजनीति में तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।

 

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए पुलिस के बल प्रयोग की कड़ी भर्त्सना की और लिखा, “भाजपा सरकार को किसानों से इतनी नफरत क्यों है? कांग्रेस किसानों की आवाज को हमेशा निडरता से उठाती रहेगी।”

 

पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने विधायक अभिमन्यु पूनिया के घायल होने पर चिंता जताई और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने किसानों के अधिकारों की लड़ाई में साथ खड़े रहने का संकल्प व्यक्त किया।

 

नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर ‘संवेदनहीन’ होने और आंदोलन को लाठी के बल पर कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कॉरपोरेट हितों के दबाव में काम कर रही है।

 

अस्पताल से विधायक अभिमन्यु पूनिया ने संदेश दिया कि वे सुरक्षित हैं और इसे किसानों के अधिकारों के विरुद्ध ‘षड्यंत्रपूर्ण हमला’ बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी धमकी से उनकी शांतिपूर्ण लड़ाई नहीं रुकेगी।

 

विधायक रूपिंदर सिंह कुन्नर को गुरुवार को हनुमानगढ़ जाते समय घमुडवाली में उनके 50 कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में ले लिया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस किसी भी हाल में एथेनॉल फैक्ट्री को शुरू नहीं होने देगी।

 

सरकार का पलटवार

इस बीच, सरकार की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया आई है।

संसदीय कार्य एवं विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और पूरे आंदोलन को ‘प्रायोजित’ और ‘प्रदूषित राजनीतिक उद्देश्य’ से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि जिस फैक्ट्री का विरोध हो रहा है, उसे लगाने की स्वीकृति पिछली कांग्रेस सरकार ने ही 2022 में दी थी। अब वही लोग माहौल खराब कर रहे हैं, जो कांग्रेस की ‘दोहरी नीति’ को उजागर करता है।

 

मंत्री पटेल ने आरोप लगाया कि इस आंदोलन का समय जानबूझकर सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर चुना गया है।

 

मंत्री सुमित गोदारा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि टिब्बी में एथेनॉल फैक्ट्री की घोषणा और जमीन का इंडस्ट्रियल कन्वर्जन तत्कालीन कांग्रेस शासन के दौरान हुआ था। उस समय कांग्रेस नेता इसे किसानों के लिए लाभकारी बता रहे थे।

 

गोदारा ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गोविंद डोटासरा से सीधा सवाल किया कि उनके द्वारा लाए गए प्रोजेक्ट का विरोध अब कांग्रेस क्यों कर रही है?

 

उन्होंने दावा किया कि कुछ कांग्रेस नेता किसानों को पानी के अधिक दोहन के बारे में गुमराह कर रहे हैं, जबकि एमओयू में ईटीपी (एथेनॉल ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित करने का उल्लेख है, जिससे पानी का अतिरिक्त दोहन नहीं होगा।

 

राज्य मंत्री झबर सिंह खारा ने कहा कि समस्या एथेनॉल फैक्ट्री की नहीं है। एक बार यह चालू हो जाए तो गंगानगर और हनुमानगढ़ में कच्चे माल का भरपूर उत्पादन होगा और किसानों को उनकी फसलों का अच्छा मूल्य मिलेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल विकास में बाधा डालने के लिए जनता को गुमराह कर रहे हैं।

 

किसानों की चिंताएं: क्यों हो रहा है विरोध?

यह विवाद ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड (चंडीगढ़ में पंजीकृत, 2020 में स्थापित) द्वारा स्थापित किए जा रहे 40-मेगावाट के अनाज-आधारित एथेनॉल संयंत्र को लेकर है। लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह परियोजना एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फैक्ट्री बताई जा रही है। यह भारत के एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम का हिस्सा है।

 

‘एथेनॉल फैक्ट्री हटाओ संघर्ष समिति’ से जुड़े किसानों की प्रमुख चिंताएं हैं:

 

भूमि अधिग्रहण का मुद्दा: किसानों का कहना है कि उनकी जमीन का अधिग्रहण उचित प्रक्रिया के बिना किया गया है।

 

भूजल स्तर पर खतरा: किसानों को डर है कि फैक्ट्री के संचालन से क्षेत्र के भूजल स्तर पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हनुमानगढ़ जैसे शुष्क क्षेत्र में जल संकट पहले से ही गंभीर मुद्दा है।

 

पर्यावरण प्रदूषण की आशंका: स्थानीय निवासियों को चिंता है कि फैक्ट्री से निकलने वाला प्रदूषण क्षेत्र की कृषि और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाएगा।

 

आजीविका का संकट: किसानों का मानना है कि इस परियोजना से स्थानीय आजीविका पर संभावित खतरा मंडराएगा।

किसान पिछले 15 महीने से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। 18 नवंबर को भी पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को खदेड़ा था और धारा 163 लगाई थी।

 

जमीन के असली मालिक प्रदीप घाडी अमोनकर ने बताया कि क्लब नमक के खेतों पर अवैध रूप से बनाया गया था और यह मामला 20 साल से अदालत में लंबित है।

 

फैक्ट्री प्रबंधन का पक्ष

ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधक जेपी शर्मा ने प्रदूषण की आशंकाओं को निराधार बताते हुए कहा कि फैक्ट्री अत्याधुनिक तकनीकों पर आधारित होगी।

 

उनके अनुसार:

  • फैक्ट्री ZLD (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) प्रणाली पर चलेगी, जिसका अर्थ है कि कोई भी दूषित जल बाहर नहीं छोड़ा जाएगा।
  • पूरे पानी को रीसाइकिल करके पुनः उपयोग किया जाएगा।
  • धुआं ऊपरी वातावरण में नियंत्रित तरीके से छोड़ा जाएगा।
  • राख का उपयोग ईंट भट्टों, भूमि भराई और कृषि उर्वरक में किया जाएगा।
  • यह प्लांट किसानों से लगभग 1000 करोड़ रुपये की मक्का और चावल खरीदेगा।
  • पराली की खरीद से किसानों को अतिरिक्त आय होगी।
  • करीब 5000 लोगों को रोजगार मिलेगा।
  • प्रदूषण की निगरानी का ऑनलाइन डेटा और सीसीटीवी कैमरे सीधे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वर से जुड़े रहेंगे।

 

आगे क्या?

किसान संगठनों ने निर्माण रोकने का लिखित आदेश जारी न होने तक विरोध जारी रखने की घोषणा की है। संघर्ष समिति ने 17 दिसंबर को कलेक्ट्रेट का घेराव करने का ऐलान किया है।

 

किसान समूहों का कहना है कि पर्यावरण मंजूरी और स्थानीय निवासियों की सहमति के बिना कारखाने को चलने नहीं दिया जाएगा। गुरुवार को गुरुद्वारे में किसानों की बैठक हुई, जिसमें आगे की रणनीति तय की गई।

 

प्रशासन का कहना है कि वे संवाद के लिए तैयार हैं, लेकिन हिंसा और कानून हाथ में लेने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

हिंसक झड़प के बाद फैक्ट्री स्थल के पास रहने वाले लगभग 30 परिवार कथित तौर पर डर के मारे अपने घर छोड़कर जा चुके हैं।

 

स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और प्रशासन की ओर से जल्द ही आधिकारिक वक्तव्य जारी किए जाने की संभावना है।

 

यह घटना एक बार फिर विकास परियोजनाओं और स्थानीय समुदायों के बीच के तनाव को उजागर करती है, जहां एक ओर सरकार रोजगार और औद्योगिक विकास की बात करती है, तो दूसरी ओर किसान पर्यावरण और अपनी आजीविका की चिंता में हैं।