भारत से चीन को होने वाले माल निर्यात में 32.8% की वृद्धि दर्ज की गई 

वाणिज्य मंत्रालय के हालिया आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच भारत से चीन को होने वाले माल निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस अवधि में निर्यात मूल्य बढ़कर लगभग 12.22 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंच गया। यह सालाना आधार पर करीब 32.83 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है। यह उछाल बेहतर बाजार पहुंच और चीनी मांग में सुधार का संकेत माना जा रहा है।

India merchandise exports to China registered a growth of 32.8%

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के प्रमुख निष्कर्ष

 

  • चीन के साथ निर्यात प्रदर्शन: चालू वित्त वर्ष में भारत और चीन के बीच व्यापारिक गतिविधियों में सुधार देखने को मिला है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2025 में जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से नवंबर 2025 की अवधि में चीन को भारत का वस्तु निर्यात तेजी से बढ़ा। इस दौरान निर्यात का मूल्य लगभग 12.22 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा करीब 9.20 अरब डॉलर था।
  • मासिक निर्यात में निरंतर बढ़त: महीने-दर-महीने आंकड़े भी उत्साहजनक रुझान दिखाते हैं। अप्रैल 2025 में चीन को निर्यात लगभग 1.39 अरब डॉलर रहा, जो मई में बढ़कर 1.62 अरब डॉलर हो गया। बीच के महीनों में निर्यात में हल्का उतार-चढ़ाव रहा, लेकिन सितंबर के बाद गति फिर तेज हुई। सितंबर में निर्यात 1.46 अरब डॉलर था, जो अक्टूबर में 1.63 अरब डॉलर तक पहुंच गया। नवंबर 2025 में यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 2.20 अरब डॉलर हो गया, जो इस अवधि का सबसे ऊंचा स्तर रहा।
  • पिछले वर्ष से तुलना: यदि पिछले वित्त वर्ष की स्थिति देखें तो अंतर साफ दिखाई देता है। वर्ष 2024-25 में अप्रैल में निर्यात 1.25 अरब डॉलर से शुरू होकर अगस्त तक घटकर 0.99 अरब डॉलर रह गया था। बाद में थोड़ी रिकवरी हुई, लेकिन नवंबर 2024 में भी निर्यात केवल 1.16 अरब डॉलर तक ही पहुंच सका था। इसके मुकाबले मौजूदा वर्ष में निर्यात का रुझान कहीं अधिक मजबूत रहा है।
  • व्यापार संतुलन और घाटे में सुधार: नवंबर 2025 में भारत की कुल व्यापार स्थिति में भी उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त निर्यात बढ़कर लगभग 73.99 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात घटकर करीब 80.63 अरब डॉलर पर आ गया। इससे कुल व्यापार घाटा कम होकर 6.64 अरब डॉलर रह गया। यह पिछले वर्ष नवंबर के 17 अरब डॉलर से अधिक के घाटे की तुलना में बड़ा सुधार है।
  • संचयी निर्यात और क्षेत्रीय योगदान: अप्रैल से नवंबर 2025 तक कुल निर्यात में स्थिर वृद्धि बनी रही। वस्तु और सेवा निर्यात मिलाकर आंकड़ा 562 अरब डॉलर से अधिक रहा। इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न-आभूषण, दवाइयों और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे क्षेत्रों ने खास योगदान दिया। कृषि और खनिज आधारित उत्पादों में भी अच्छी बढ़त देखने को मिली।
  • प्रमुख व्यापार साझेदार: इस अवधि में अमेरिका, चीन, यूएई और कुछ यूरोपीय देशों के साथ भारत के निर्यात में मजबूती आई। वहीं आयात के मामले में चीन अब भी सबसे बड़ा स्रोत बना रहा, हालांकि कुछ वस्तुओं के आयात में कमी दर्ज की गई।

 

भारत में निर्यात वृद्धि को मजबूती देने वाली नीतियां

 

  • निर्यात संवर्धन मिशन: भारत सरकार ने निर्यात को संगठित और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से निर्यात संवर्धन मिशन की शुरुआत की है। इसे केंद्रीय बजट 2025–26 में एक व्यापक पहल के रूप में पेश किया गया। इस मिशन को आने वाले वर्षों के लिए पर्याप्त वित्तीय समर्थन दिया गया है ताकि निर्यातकों को एकीकृत मंच पर सुविधाएं मिल सकें। पहले अलग-अलग योजनाओं के कारण निर्यातकों को कई दिक्कतें आती थीं। अब डिजिटल प्रणाली के जरिए सहायता, मार्गदर्शन और मंजूरी की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इस पहल से छोटे और मध्यम उद्यमों को विशेष लाभ मिलने की उम्मीद है।
  • RoDTEP योजना: निर्यातकों की लागत कम करने के लिए सरकार ने RoDTEP योजना को फिर से प्रभावी किया है। इस योजना के तहत ऐसे कर और शुल्क वापस किए जाते हैं, जिनका पहले कोई प्रतिपूर्ति तंत्र नहीं था। इससे निर्यातकों पर आर्थिक बोझ घटता है और उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनते हैं। सरकार ने इसके लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान किया है, ताकि भुगतान में देरी न हो। यह कदम खास तौर पर उन क्षेत्रों के लिए मददगार है जहां मार्जिन पहले से ही सीमित होते हैं।
  • निर्यात प्रोत्साहनों की निरंतरता: सरकार ने निर्यात से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं को आगे भी जारी रखने का निर्णय लिया है। शुल्क में छूट और कर राहत जैसी सुविधाएं निर्यात उन्मुख इकाइयों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों को स्थिरता प्रदान करती हैं। वैश्विक बाजार में नियमों और शुल्कों में लगातार बदलाव होते रहते हैं। ऐसे में नीति की निरंतरता निर्यातकों का भरोसा बढ़ाती है। इससे निवेश योजनाएं भी लंबे समय के लिए बनाई जा सकती हैं।
  • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना: उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं ने घरेलू विनिर्माण को नई ऊर्जा दी है। इन योजनाओं के तहत कई प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इससे उद्योगों को उत्पादन बढ़ाने और तकनीक सुधारने का प्रोत्साहन मिला है। जब देश में गुणवत्ता और मात्रा दोनों में उत्पादन मजबूत होता है, तो निर्यात की संभावनाएं स्वाभाविक रूप से बढ़ती हैं। यह नीति भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मजबूत स्थान दिलाने में सहायक बन रही है।

 

भारत के लिए बढ़ते निर्यात के व्यापक प्रभाव

 

  • व्यापार संतुलन पर सकारात्मक असर: भारत और चीन के बीच व्यापार संबंध लंबे समय से असंतुलित रहे हैं। भारत की ओर से चीन से भारी मात्रा में मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक सामान मंगाया जाता रहा है, जबकि निर्यात अपेक्षाकृत सीमित था। हाल के महीनों में चीन को निर्यात बढ़ने से यह अंतर कुछ हद तक कम हुआ है। जब व्यापार घाटा घटता है, तो अर्थव्यवस्था पर बाहरी दबाव भी कम होता है। इससे सरकार को राजकोषीय और आर्थिक नीतियां तय करने में अधिक स्वतंत्रता मिलती है। विदेशी भुगतान संतुलन को संभालना भी आसान हो जाता है।
  • विदेशी मुद्रा और रुपये की स्थिति: निर्यात में बढ़ोतरी से देश को अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। नवंबर 2025 के दौरान निर्यात आय ने बाहरी आय को स्थिर बनाए रखा। इस कारण विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत स्थिति में रहा। जब भंडार पर्याप्त होता है, तो केंद्रीय बैंक को अधिक हस्तक्षेप करने की जरूरत कम पड़ती है। इससे रुपये में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित किया जा सकता है। संतुलित मुद्रा स्थिति निर्यातकों के लिए भी लाभकारी होती है, क्योंकि प्रतिस्पर्धा की क्षमता बनी रहती है।
  • रणनीतिक और आर्थिक संतुलन: चीन को निर्यात बढ़ने से दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में नई गतिशीलता आती है। कुछ क्षेत्रों में आपसी निर्भरता बढ़ती है, जिससे बाजार तक पहुंच के नए अवसर खुलते हैं। हालांकि, यह स्थिति कुछ रणनीतिक जोखिम भी पैदा करती है। राजनीतिक या भू-रणनीतिक तनाव की स्थिति में आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है। इसलिए नीति निर्माताओं के लिए जरूरी है कि वे आर्थिक लाभ और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखें।