IRCTC 25 फरवरी 2026 से F&O सेगमेंट से बाहर निकल रहा है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा निर्धारित संशोधित और सख्त पात्रता मानदंडों को पूरा न करने के कारण, राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) 25 फरवरी, 2026 से IRCTC को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) सेगमेंट से हटा देगा।

IRCTC exit F&O segment from February 25 2026

F&O ट्रेडिंग के लिए सेबी के संशोधित मानदंड

 

  • 30 अगस्त 2024 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) खंड से जुड़े पात्रता नियमों में व्यापक बदलाव किए। इसका मुख्य उद्देश्य डेरिवेटिव बाजार की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। सेबी का फोकस तरलता, गहराई और स्थिर भागीदारी पर है। 
  • नए नियमों में किसी शेयर के पिछले छह महीनों के निरंतर कैश मार्केट प्रदर्शन को आधार बनाया गया है। इसका अर्थ है कि अल्पकालिक तेजी या अस्थायी ट्रेडिंग अब पात्रता के लिए पर्याप्त नहीं होगी। 
  • एक प्रमुख शर्त के रूप में Median Quarter Sigma Order Size (MQSOS) को शामिल किया गया है। अब यह न्यूनतम ₹75 लाख होना अनिवार्य है। यह संकेतक यह दर्शाता है कि किसी शेयर में औसतन कितने बड़े ऑर्डर आसानी से निष्पादित हो सकते हैं। 
  • सेबी ने Market Wide Position Limit (MWPL) की सीमा को ₹500 करोड़ से बढ़ाकर ₹1,500 करोड़ कर दिया है। यह तीन गुना वृद्धि दर्शाती है कि अब केवल वही शेयर पात्र होंगे जिनका फ्री फ्लोट बड़ा हो और जिनमें संस्थागत निवेशकों की मजबूत रुचि हो। 
  • नए ढांचे के तहत किसी शेयर का Average Daily Delivery Value (ADDV) कम से कम ₹35 करोड़ होना जरूरी है। यह शर्त यह परखती है कि शेयर में नियमित डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग हो रही है या नहीं। इसका उद्देश्य केवल अस्थायी वॉल्यूम स्पाइक को रोकना है।
  • सेबी ने पहली बार Product Success Framework (PSF) को शामिल किया है। इसके अनुसार, किसी शेयर में हर महीने औसतन कम से कम 15% ट्रेडिंग सदस्य या 200 सदस्य (जो भी कम हो) सक्रिय होने चाहिए। साथ ही, समीक्षा अवधि में 75% ट्रेडिंग सत्रों में गतिविधि होना अनिवार्य है। 
  • नए नियमों में कड़ा एग्जिट मैकेनिज्म भी शामिल है। यदि कोई शेयर तीन लगातार महीनों तक MQSOS, MWPL या ADDV की शर्तों में से किसी को पूरा नहीं करता, तो उसे अनिवार्य रूप से एफ एंड ओ खंड से हटा दिया जाएगा। 

 

IRCTC को F&O से हटाने के कारण

 

  • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निर्णय लिया है कि 25 फरवरी 2026 से IRCTC को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) खंड से बाहर कर दिया जाएगा। इसका मुख्य कारण यह है कि कंपनी का शेयर अब उन जरूरी बाजार पात्रता मानकों को पूरा नहीं कर पा रहा है, जो डेरिवेटिव सेगमेंट में बने रहने के लिए आवश्यक हैं। हालिया समीक्षाओं में यह साफ हुआ कि IRCTC का प्रदर्शन नियामकीय ढांचे के अनुरूप नहीं रहा।
  • व्यावहारिक स्तर पर देखें तो IRCTC से जुड़े डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स में बीते समय में टर्नओवर और ओपन इंटरेस्ट दोनों कमजोर रहे हैं। अन्य सक्रिय F&O शेयरों की तुलना में इसमें ट्रेडिंग गतिविधि कम दिखाई दी। यही घटती भागीदारी एक्सचेंज के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत बनी।
  • 2025 के दौरान IRCTC के शेयर ने तेज उतार-चढ़ाव देखा। यह शेयर अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर ₹831.75 से गिरकर ₹656.00 तक पहुंचा। इस दायरे में कीमतें यह दर्शाती हैं कि निवेशकों में सावधानी बढ़ी और सेक्टर में सुधार की प्रक्रिया चल रही थी। 
  • डेरिवेटिव से दूरी बनाकर निवेशकों का कैश या डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग की ओर जाना एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। बाजार सहभागियों के लिए यह कदम लीवरेज जोखिम से बचते हुए दीर्घकालिक स्थिरता की तलाश का संकेत है। जैसे-जैसे IRCTC का F&O से बाहर होना तय हुआ, ट्रेडर्स ने पहले ही अपनी प्राथमिकताएं बदलनी शुरू कर दीं।

 

IRCTC के F&O से बाहर होने के प्रभाव

 

  • खुदरा निवेशकों पर असर: IRCTC के F&O सेगमेंट से बाहर होने के बाद खुदरा निवेशकों के लिए लीवरेज आधारित ट्रेडिंग का विकल्प समाप्त हो जाएगा। अब इस शेयर में इंट्राडे और ऑप्शन सेलिंग संभव नहीं रहेगी। इससे अल्पकालिक मुनाफे की गुंजाइश कम होगी, लेकिन छोटे निवेशकों को अचानक होने वाले बड़े नुकसान से सुरक्षा भी मिलेगी। केवल कैश सेगमेंट में कारोबार होने से निवेश व्यवहार अधिक संयमित बनेगा। व्यापक बाजार गिरावट के समय घबराहट में होने वाली बिकवाली भी कम हो सकती है, जिससे शेयर की चाल अपेक्षाकृत स्थिर रहने की संभावना बढ़ेगी।
  • संस्थागत निवेशकों की रणनीति में बदलाव: म्यूचुअल फंड और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) अब IRCTC में अपने निवेश के लिए स्टॉक-विशिष्ट हेजिंग नहीं कर पाएंगे। उन्हें जोखिम प्रबंधन के लिए पोर्टफोलियो स्तर की रणनीतियों पर निर्भर होना पड़ेगा। इससे तात्कालिक रणनीतिक लचीलापन कुछ हद तक घटेगा, लेकिन कंपनी का मूल मूल्य आकर्षक बना रहेगा। दीर्घकालिक दृष्टि रखने वाले संस्थागत निवेशक अब भी IRCTC को एक मजबूत विकल्प मानेंगे। 
  • बाजार तरलता में संभावित बदलाव: फरवरी 2026 के बाद डेरिवेटिव ट्रेडर्स और आर्बिट्रेज करने वाले निवेशकों की अनुपस्थिति से रोजाना ट्रेडिंग वॉल्यूम में हल्की कमी आ सकती है। इसके बावजूद IRCTC की मजबूत ब्रांड पहचान और सरकारी स्वामित्व खुदरा भागीदारी को बनाए रखेगा। कुल कारोबार मूल्य में सीमित गिरावट संभव है, लेकिन अधिकांश निवेशकों के लिए तरलता पर्याप्त बनी रहने की संभावना है।

 

IRCTC : भारतीय रेलवे की डिजिटल और सेवा क्रांति का आधार

 

  • संस्थागत परिचय: इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। इसकी स्थापना वर्ष 1999 में इस उद्देश्य से की गई थी कि भारतीय रेलवे की विशाल कैटरिंग व्यवस्था को पेशेवर और संगठित रूप दिया जा सके। 
  • सेवाओं का क्रमिक विस्तार: प्रारंभिक वर्षों में IRCTC ने रेलवे खानपान सेवाओं को सुव्यवस्थित किया। इसके बाद कंपनी ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग, पर्यटन पैकेज, और रेलवे से जुड़ी आतिथ्य सेवाओं में प्रवेश किया। IRCTC ने ई-टिकटिंग को बड़े पैमाने पर लागू कर एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई। यह पहली PSU बनी जिसने रेलवे टिकट बुकिंग को पूर्णतः डिजिटल स्वरूप दिया। 
  • रेल नीर और कैटरिंग नेटवर्क: IRCTC का पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर ब्रांड ‘रेल नीर’ आज रेलवे यात्रियों की पहचान बन चुका है। देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित कई बॉटलिंग प्लांट इसके माध्यम से स्टेशनों और ट्रेनों में स्वच्छ पेयजल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। यह पहल सार्वजनिक स्वास्थ्य और गुणवत्ता मानकों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण रही है।
  • डिजिटल क्षमता और रिकॉर्ड प्रदर्शन: वित्त वर्ष 2024–25 में IRCTC की वेबसाइट और मोबाइल ऐप के माध्यम से 5,065 लाख से अधिक टिकट बुकिंग दर्ज की गईं। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 11.82 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। औसतन प्रतिदिन लगभग 13.88 लाख ई-टिकट बेचे गए, जबकि 2023–24 में यह संख्या 12.38 लाख प्रतिदिन थी। मार्च 2025 में IRCTC ने एक ही दिन में 16 लाख से अधिक टिकट बुकिंग का रिकॉर्ड बनाया, जो इसकी तकनीकी क्षमता और मांग दोनों को दर्शाता है।
  • शेयर बाजार और सरकारी हिस्सेदारी: IRCTC एक सूचीबद्ध कंपनी है और इसके शेयर NSE तथा BSE दोनों पर कारोबार करते हैं। भारत सरकार की इसमें 62 से 67 प्रतिशत के बीच हिस्सेदारी रहती है, जिससे यह एक रणनीतिक सरकारी PSU बनी हुई है। सरकारी समर्थन के साथ-साथ मजबूत राजस्व मॉडल इसे निवेशकों के लिए भरोसेमंद बनाता है।
  • IRCTC आज केवल टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म नहीं है। यह भारतीय रेलवे की डिजिटल पहचान, सेवा गुणवत्ता, और राजस्व सुदृढ़ता का प्रतीक बन चुका है। इसकी भूमिका आने वाले वर्षों में और अधिक महत्वपूर्ण होने की पूरी संभावना है।

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