चीन ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करा दी है। बीजिंग ने नई दिल्ली की सौर ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए दिए जा रहे समर्थन उपायों पर आपत्ति जताई है। चीन का आरोप है कि भारत द्वारा कुछ प्रौद्योगिकी उत्पादों पर लगाया जा रहा टैरिफ या आयात शुल्क, और घरेलू वस्तुओं के उपयोग को प्राथमिकता देने वाले उपाय चीनी उत्पादों के साथ भेदभाव करते हैं।
बीजिंग इन क्षेत्रों में वस्तुओं का एक प्रमुख निर्यातक है और भारतीय बाजार में इसकी मजबूत उपस्थिति है।
WTO विवाद निपटान के तहत परामर्श की मांग
WTO के एक संचार के अनुसार, चीन ने WTO के विवाद निपटान नियमों के तहत भारत के साथ परामर्श की मांग की है। यह विवाद निपटान प्रक्रिया का पहला चरण है।
चीन ने दावा किया है कि ये समर्थन उपाय और प्रोत्साहन WTO के टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौता 1994, सब्सिडी और प्रतिकारी उपायों पर समझौता, और व्यापार-संबंधित निवेश उपायों पर समझौता से संबंधित नियमों का उल्लंघन करते हैं।
चीनी अधिकारियों ने कहा, “मेरे अधिकारियों ने मुझे भारत सरकार के साथ परामर्श का अनुरोध करने का निर्देश दिया है… कुछ प्रौद्योगिकी उत्पादों के संबंध में भारत द्वारा दिए जाने वाले टैरिफ उपचार, और भारत द्वारा अपनाए गए कुछ उपायों के संबंध में जो आयातित वस्तुओं की तुलना में घरेलू वस्तुओं के उपयोग पर आधारित हैं या जो अन्यथा चीनी मूल की वस्तुओं के साथ भेदभाव करते हैं।”
किन क्षेत्रों पर उठाया गया है सवाल
चीन ने आरोप लगाया है कि भारत के उपाय सोलर सेल, सोलर मॉड्यूल और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्रों में वस्तुओं के व्यापार को प्रभावित करते हैं।
चीन ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम: नेशनल प्रोग्राम ऑन हाई एफिशिएंसी सोलर पीवी मॉड्यूल्स के तहत प्रोत्साहन की पात्रता और वितरण को नियंत्रित करने वाली शर्तों पर मुद्दे उठाए हैं।
चीनी अधिकारियों ने कहा कि सोलर मॉड्यूल कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले प्रोत्साहन कई मानदंडों पर आधारित हैं, जिसमें एक निर्धारित न्यूनतम स्थानीय मूल्य संवर्धन आवश्यकता शामिल है।
भारत ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयातित वस्तुओं पर निर्भरता कम करने के लिए ये उपाय किए हैं।
चीन के आरोपों का विस्तार
चीनी मंत्रालय ने कहा कि भारत के टैरिफ और सब्सिडी घरेलू कंपनियों को लाभ पहुंचाते हैं, जो चीनी उत्पादों के लिए अनुचित प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करता है। चीन का मानना है कि यह राष्ट्रीय उपचार सिद्धांत और आयात प्रतिस्थापन सब्सिडी का उल्लंघन है जो WTO में प्रतिबंधित है।
चीनी मंत्रालय ने भारत से अपील की है कि वह WTO प्रतिबद्धताओं का पालन करे और गलत प्रथाओं को तुरंत सुधारे।
इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी पर भी नाराजगी
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए दी जा रही सब्सिडी पर भी चीन ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। चीन का दावा है कि भारत की यह भारी सब्सिडी उसकी घरेलू कंपनियों को अनुचित लाभ दे रही है। इससे भारत में बिकने वाले चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों और EV उत्पादों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
चीन का कहना है कि इससे उसके हितों को नुकसान पहुंच रहा है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने उद्योगों के अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा।
भारत देता है सबसे अधिक EV सब्सिडी
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के बड़े देशों में इलेक्ट्रिक कारों पर सबसे अधिक सब्सिडी भारत में ही मिल रही है। उदाहरण के लिए, भारत में सबसे अधिक बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार टाटा नेक्सॉन पर खरीदारों और निर्माता कंपनी को मिलाकर लगभग 46 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिल रही है।
प्रमुख देशों में EV सब्सिडी की तुलना:
- भारत: 46%
- अमेरिका: 26%
- जापान: 26%
- जर्मनी: 20%
- कोरिया: 16%
- चीन: 10%
भारत में EV को मिल रहे लाभों में कम जीएसटी, पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में कम रोड टैक्स और कंपनियों को मिलने वाली PLI (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना का समर्थन भी शामिल है।
व्यापार घाटा और द्विपक्षीय संबंध
चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। हालांकि, पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का चीन को निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर $14.25 बिलियन रह गया, जो 2023-24 में $16.66 बिलियन था। हालांकि, आयात 11.52 प्रतिशत बढ़कर $101.73 बिलियन से $113.45 बिलियन हो गया।
2024-25 के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर $99.2 बिलियन हो गया है।
विवाद निपटान की प्रक्रिया
WTO नियमों के अनुसार परामर्श मांगना विवाद निपटान प्रक्रिया का पहला कदम है। यदि भारत के साथ अनुरोध किए गए परामर्श संतोषजनक समाधान में परिणत नहीं होते हैं, तो चीन यह अनुरोध कर सकता है कि WTO उठाए गए मुद्दे पर फैसला देने के लिए मामले में एक पैनल स्थापित करे।
WTO: एक परिचय
विश्व व्यापार संगठन (WTO) राष्ट्रों के बीच वैश्विक व्यापार के नियमों को विनियमित करने के लिए गठित एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।
प्रमुख तथ्य:
- गठन: 15 अप्रैल 1994 को मराकेश समझौते के तहत 123 देशों द्वारा हस्ताक्षरित
- स्थापना वर्ष: 1995
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड
- सदस्य: 166 देश, जो वैश्विक व्यापार का 98% प्रतिनिधित्व करते हैं
प्रमुख निकाय:
- मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC): सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण
- विवाद निपटान निकाय (DSB): व्यापार विवादों का समाधान करता है
मुख्य WTO समझौते:
- TRIMS (व्यापार-संबंधित निवेश उपाय): विदेशी उत्पादों के साथ भेदभाव करने वाले उपायों को प्रतिबंधित करता है, जैसे स्थानीय सामग्री आवश्यकताएं
- TRIPS (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलू): बौद्धिक संपदा अधिकारों पर विवादों का समाधान करता है
- AoA (कृषि पर समझौता): बाजार पहुंच और घरेलू समर्थन पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि व्यापार उदारीकरण को बढ़ावा देता है
WTO ने GATT (टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौता) का स्थान लिया, जो 1948 से विश्व व्यापार को विनियमित कर रहा था। GATT वस्तुओं के व्यापार पर केंद्रित था, जबकि WTO वस्तुओं, सेवाओं और बौद्धिक संपदा में व्यापार को कवर करता है।
भारत की स्थिति और रणनीति
भारत सरकार ने अभी तक चीन की इस शिकायत पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, भारत की आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया पहल के तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता रही है।
भारत का तर्क यह हो सकता है कि ये उपाय घरेलू उद्योग को मजबूत करने और रणनीतिक क्षेत्रों में आयात निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक हैं। विशेष रूप से सौर ऊर्जा क्षेत्र में, जहां चीन का वर्चस्व रहा है, भारत अपनी क्षमता विकसित करना चाहता है।
यह विवाद भारत-चीन के बीच जटिल व्यापारिक संबंधों और बढ़ते व्यापार असंतुलन को उजागर करता है। आने वाले महीनों में इस मामले पर WTO में क्या कार्रवाई होती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
