हाल ही में, SEBI ने राष्ट्रीय राजमार्ग संपत्तियों के मुद्रीकरण के उद्देश्य से बनाई गई सार्वजनिक निवेश पहल (InvIT) NHAI के राजमार्ग इंफ्रा इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (RIIT) को मंजूरी दी है। इस पहल से खुदरा निवेशकों को कम प्रवेश बाधाओं के साथ भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में भाग लेने का अवसर मिलेगा।
NHAI का राजमार्ग इन्फ्रा इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (RIIT):
- राजमार्ग इन्फ्रा इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (RIIT) राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इंडिया (NHAI) द्वारा विकसित एक नया और आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग परिसंपत्तियों को दीर्घकालिक निवेश के लिए संरचित रूप में प्रस्तुत करना है। दिसंबर 2025 में इसे SEBI से पब्लिक InvIT के रूप में पंजीकरण प्राप्त हुआ, जिससे यह आम निवेशकों के लिए औपचारिक रूप से उपलब्ध हो चुका है।
- RIIT का महत्व यह है कि यह रिटेल और घरेलू निवेशकों के लिए राजमार्ग क्षेत्र के दरवाजे खुल गए है। पहले ऐसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में केवल सरकार या बड़े संस्थागत निवेशक ही भाग ले सकते थे। अब यह ट्रस्ट संचालित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकेगा, जो स्थिर और अनुमानित नकद प्रवाह उत्पन्न करने में सक्षम होगी।
- “राजमार्ग” नाम भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की पहचान को दर्शाता है। RIIT, NHAI की एसेट मोनेटाइजेशन रणनीति का अहम हिस्सा है। इसका उद्देश्य सरकार के बजट या अतिरिक्त ऋण पर निर्भर हुए बिना पूंजी जुटाना है। यह मॉडल पहले से सफल रहे Toll-Operate-Transfer (TOT) और निजी InvIT प्रयोगों से प्रेरित है।
- RIIT के संचालन के लिए NHAI ने Raajmarg Infra Investment Managers Private Limited (RIIMPL) नामक कंपनी बनाई है। यही कंपनी ट्रस्ट की इन्वेस्टमेंट मैनेजर की भूमिका निभाएगी। ट्रस्ट के प्रबंधन में NHAI से जुड़े प्रबंध निदेशक और CEO भी शामिल होंगे, जिससे सरकारी अनुभव और पेशेवर प्रबंधन का संतुलन बनेगा।
- RIIMPL में देश के प्रमुख वित्तीय संस्थानों की इक्विटी भागीदारी है। इनमें SBI, PNB, NaBFID, Axis Bank, HDFC Bank, ICICI Bank, IDBI Bank, IndusInd Bank, Yes Bank और Bajaj Finserv Ventures शामिल हैं। यह व्यापक समर्थन RIIT की वित्तीय विश्वसनीयता को मजबूत करता है।
- आने वाले 3 से 5 वर्षों में NHAI लगभग 1500 किलोमीटर पूर्ण हो चुके राष्ट्रीय राजमार्गों को RIIT में स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है। इससे ट्रस्ट का पोर्टफोलियो विस्तृत होगा और आय के स्रोतों में विविधता आएगी।
राजमार्ग इन्फ्रा इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (RIIT) की कार्यप्रणाली
- RIIT की कार्यप्रणाली की शुरुआत NHAI द्वारा चुनी गई पूर्ण और संचालन में चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं से होती है। ये वे सड़कें होंगी जिन पर टोल वसूली नियमित रूप से हो रही है और जिनसे स्थिर राजस्व प्राप्त होता है। NHAI इन टोल आधारित राजमार्ग परिसंपत्तियों को औपचारिक रूप से ट्रस्ट के अधीन स्थानांतरित करेगा। इससे इन परिसंपत्तियों का स्वामित्व ट्रस्ट के पास आ जाएगा, जबकि संचालन व्यवस्था पहले से स्थापित ढांचे के अनुसार चलती रहेगी।
- परिसंपत्तियों के स्थानांतरण के बाद RIIT बाजार में इन्वेस्टमेंट यूनिट्स जारी करेगा। ये यूनिट्स ट्रस्ट के पास मौजूद राजमार्ग परिसंपत्तियों में आंशिक स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। निवेशक जितनी यूनिट्स खरीदेंगे, उनका उतना ही हिस्सा ट्रस्ट की आय और परिसंपत्तियों से जुड़ा होगा। यह संरचना निवेश को सरल और पारदर्शी बनाती है।
- RIIT में रिटेल निवेशक और संस्थागत निवेशक दोनों भाग ले सकेंगे। आम निवेशकों के लिए यूनिट्स सार्वजनिक निर्गम के माध्यम से उपलब्ध होंगी। लिस्टिंग के बाद ये यूनिट्स भारतीय शेयर बाजारों में खरीदी और बेची जा सकेंगी। इससे निवेशकों को तरलता मिलेगी और वे अपनी जरूरत के अनुसार निवेश कर सकेंगे या बाहर निकल सकेंगे।
- ट्रस्ट के अंतर्गत आने वाले राजमार्गों से मिलने वाला टोल शुल्क और अन्य अनुमन्य आय RIIT के पास जमा होगी। यह आय एक केंद्रीकृत व्यवस्था के तहत एकत्र की जाएगी। इससे राजस्व प्रवाह पर बेहतर निगरानी और नियंत्रण संभव होगा।
- RIIT टोल से प्राप्त राजस्व का एक बड़ा हिस्सा यूनिट धारकों को समय-समय पर वितरित किया जाएगा। यह वितरण निवेशकों के लिए स्थिर नकद प्रवाह सुनिश्चित करता है, जो इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए आकर्षक बनाता है। आय का शेष हिस्सा ट्रस्ट के विकास और विस्तार के लिए उपयोग किया जाएगा। यदि आवश्यकता हुई तो RIIT नई राजमार्ग परिसंपत्तियों में निवेश कर सकता है।
राजमार्ग इन्फ्रा इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (RIIT) का महत्व
- पहले राष्ट्रीय राजमार्ग परिसंपत्तियाँ केवल बड़े संस्थागत निवेशकों तक सीमित थीं। अब रिटेल और घरेलू निवेशक भी इन परिसंपत्तियों में हिस्सेदारी ले सकते हैं। इससे आम नागरिक देश के सड़क विकास में सीधे भागीदार बनते हैं। यह व्यवस्था निवेश को सरल बनाती है और दीर्घकालिक बचत को उत्पादक परिसंपत्तियों से जोड़ती है।
- RIIT के माध्यम से NHAI को अपनी संचालित टोल सड़कों को वित्तीय परिसंपत्तियों में बदलने का प्रभावी साधन मिला है। इससे पहले सड़क निर्माण के लिए मुख्य रूप से सरकारी बजट और ऋण पर निर्भरता रहती थी। RIIT इस निर्भरता को कम करता है। इससे प्राप्त पूंजी को नई सड़क परियोजनाओं और विस्तार कार्यों में लगाया जा सकता है।
- मजबूत सड़क नेटवर्क किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होता है। RIIT के जरिए राजमार्गों में निवेश बढ़ने से परिवहन लागत घटती है और राज्यों के बीच संपर्क बेहतर होता है। तेज और सुरक्षित सड़कों से माल की आवाजाही सरल होती है। इससे उद्योगों को समय पर कच्चा माल और बाजार तक उत्पाद पहुंचाने में मदद मिलती है।
- RIIT को SEBI के सार्वजनिक InvIT नियमों के तहत संचालित किया जाता है। इन नियमों में स्पष्ट सूचना साझा करने, नियमित रिपोर्टिंग और निवेशक संरक्षण के प्रावधान शामिल हैं। साथ ही NHAI की निगरानी से प्रबंधन में जवाबदेही बनी रहती है। यह पारदर्शी ढांचा निवेशकों का भरोसा मजबूत करता है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) की अवधारणा
- इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) ऐसा वित्तीय माध्यम है, जिसके जरिए व्यक्ति और संस्थाएँ देश की बड़ी अवसंरचना परिसंपत्तियों में निवेश कर सकती हैं। ये परिसंपत्तियाँ जैसे सड़कें, बिजली ट्रांसमिशन लाइनें या पाइपलाइनें लंबे समय तक स्थिर आय देती हैं। InvIT का उद्देश्य अवसंरचना को केवल निर्माण तक सीमित न रखकर उसे निवेश योग्य बनाना है।
- InvIT का मुख्य लक्ष्य भौतिक अवसंरचना को व्यापार योग्य वित्तीय इकाइयों में बदलना है। इन इकाइयों को बाजार में खरीदा और बेचा जा सकता है। इससे निवेश में तरलता आती है। साथ ही सरकारी और निजी पूंजी एक साथ आकर राष्ट्रीय परियोजनाओं को गति देती है। यह व्यवस्था नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन जैसे अभियानों को मजबूती देती है।
- भारत में InvIT को स्पष्ट कानूनी पहचान SEBI (Infrastructure Investment Trusts) Regulations, 2014 के तहत मिली। इन नियमों ने InvIT की स्थापना, संचालन और निगरानी के लिए एक मजबूत ढांचा बनाया।
- InvIT की संरचना कई स्तरों पर आधारित होती है। इसमें चार प्रमुख पक्ष शामिल होते हैं। स्पॉन्सर वह इकाई होती है, जो मूल रूप से अवसंरचना परियोजना की मालिक या डेवलपर होती है। स्पॉन्सर के लिए न्यूनतम नेटवर्थ और अनिवार्य होल्डिंग अवधि तय होती है। ट्रस्टी निवेशकों की ओर से परिसंपत्तियों को अपने नियंत्रण में रखता है। इन्वेस्टमेंट मैनेजर निवेश, पूंजी आवंटन और वित्तीय रणनीति से जुड़े फैसले लेता है। प्रोजेक्ट मैनेजर परिसंपत्तियों के संचालन, रखरखाव और सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी करता है।
- SEBI ने निवेशकों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए हैं। InvIT को कम से कम 80% परिसंपत्तियाँ ऐसी परियोजनाओं में रखनी होती हैं जो पूरी हो चुकी हों और आय दे रही हों। इसके अलावा, 90% शुद्ध वितरण योग्य नकदी निवेशकों को देना अनिवार्य है। परिसंपत्तियों का नियमित स्वतंत्र मूल्यांकन और पारदर्शी खुलासा भी जरूरी होता है।
- InvIT दो प्रकार के होते हैं। सार्वजनिक सूचीबद्ध InvIT, जिनकी इकाइयाँ स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होती हैं और रिटेल व संस्थागत दोनों निवेशक भाग ले सकते हैं। निजी InvIT, जो सीमित संस्थागत निवेशकों के लिए होते हैं और आमतौर पर खुले बाजार में स्वतंत्र रूप से कारोबार योग्य नहीं होते।
