उत्तराखंड में करीब ढाई साल पहले घटित अंकिता भंडारी हत्या प्रकरण एक बार पुनः चर्चा के केंद्र में आ गया है। हाल ही में उर्मिला सनावर द्वारा जारी किए गए एक वीडियो ने इस संवेदनशील मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है, जिसमें किसी प्रभावशाली व्यक्ति का उल्लेख किया गया है। इस वीडियो के सार्वजनिक होने के पश्चात राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है और विपक्षी दल सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
पीड़ित परिवार की मांग
अंकिता की माता सोनी देवी ने मीडिया के समक्ष अपनी बात रखते हुए स्पष्ट किया है कि यदि किसी व्यक्ति के पास इस घटना से संबंधित कोई प्रमाणिक जानकारी या साक्ष्य हैं, तो उन्हें तुरंत न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वे किसी राजनीतिक पार्टी के समर्थन या विरोध में नहीं खड़ी हैं। उनकी एकमात्र इच्छा अपनी पुत्री के लिए न्याय प्राप्त करना है। सोनी देवी का मानना है कि सत्य कितना भी कठोर क्यों न हो, परंतु उसे उजागर होना आवश्यक है जिससे अपराधियों को उचित दंड मिल सके।
मां की पीड़ा और आक्रोश
पीड़ित की माता ने भावुक होकर उस त्रासदी को याद किया जिसने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। उनके अनुसार, उनकी बेटी पर किसी शक्तिशाली व्यक्ति के दबाव में अनुचित कार्य करने के लिए जबरदस्ती की गई थी। जब अंकिता ने किसी भी प्रकार की अनैतिकता में शामिल होने से स्पष्ट इनकार कर दिया, तो उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। सोनी देवी का कहना है कि यह मात्र एक हत्या का प्रकरण नहीं है, अपितु यह बेटियों के सम्मान और संरक्षा से जुड़ा गंभीर प्रश्न है।
उन्होंने व्यथित होकर कहा कि यदि आज भी सच्चाई को छुपाने का प्रयास किया गया, तो यह आगामी पीढ़ियों के साथ घोर अन्याय होगा। न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने आशा जताई कि अदालत निष्पक्ष रूप से सभी पहलुओं की जांच करेगी और जो भी अपराधी है, उसकी हैसियत चाहे कुछ भी हो, उसे अवश्य सजा मिलेगी।
वीडियो विवाद और राजनीतिक तूफान
उर्मिला सनावर के वीडियो के सामने आने के उपरांत उत्तराखंड में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। इस वीडियो में कथित रूप से कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के नामों का जिक्र किया गया है, जिसके चलते विपक्ष ने सत्तारूढ़ दल पर हमला तेज कर दिया है। कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि प्रारंभ से ही इस प्रकरण में ताकतवर लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास किया गया और अब जब कुछ तथ्य सामने आ रहे हैं, तो उन्हें दबाने की कोशिश हो रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने फेसबुक लाइव के माध्यम से इस विषय को जोरदार तरीके से उठाया है। उनका कहना है कि अंकिता भंडारी प्रकरण ने देवभूमि उत्तराखंड की प्रतिष्ठा को गहरी क्षति पहुंचाई है। उनके मुताबिक, यदि इस प्रदेश की गरिमा और बेटियों की रक्षा करनी है, तो सत्य के पक्ष में खड़ा होना अनिवार्य है। रावत ने धामी प्रशासन से आग्रह किया कि मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित कर इस प्रकरण की पुनर्जांच का निर्णय लिया जाए और जांच को सीबीआई को सौंपा जाए।
प्रमाण कहां हैं – कांग्रेस का सवाल
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा प्रशासन बारंबार उनसे प्रमाण की मांग करती है, जबकि वास्तविकता यह है कि जिनके हाथों में सत्ता और व्यवस्था है, वही साक्ष्यों को नष्ट करने का काम कर रहे हैं। हरीश रावत ने कहा कि जब पुलिस और प्रशासनिक तंत्र पर आरोप लगते हैं, तो सरकार विपक्ष को ही कटघरे में खड़ा कर देती है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस के कई योग्य अधिकारियों को अन्य कार्यों में लगा दिया गया है, जिससे निष्पक्ष जांच पर संदेह उत्पन्न होता है।
भाजपा का जवाबी हमला
इस समूचे मामले पर भाजपा ने कांग्रेस पर करारा प्रहार किया है। भाजपा प्रदेश प्रमुख महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक फायदे के लिए इस संवेदनशील विषय को बार-बार उछाल रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक ऐसी महिला को अपना हथियार बना रही है, जिसका न तो भाजपा से और न ही कांग्रेस से कोई प्रत्यक्ष संबंध है। भट्ट ने कहा कि न्यायालय में सुनवाई के दौरान कांग्रेस कोई ठोस सबूत देने में विफल रही है और अब सोशल मीडिया तथा वीडियो के जरिए भ्रम पैदा करने की चेष्टा कर रही है।
घटना का विवरण
ऋषिकेश के समीप स्थित वंतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत 19 वर्षीय अंकिता 18 सितंबर 2022 को अचानक लापता हो गई थी। पांच दिवस पश्चात 24 सितंबर को ऋषिकेश के निकट चिल्ला नहर से अंकिता का शव बरामद किया गया। प्रकरण सामने आने के बाद रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने ही उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी।
जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि रिजॉर्ट में कार्य करते समय वहां आने वाले किसी प्रभावशाली अतिथि को ‘अतिरिक्त सेवाएं’ देने के लिए रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य ने अंकिता पर दबाव बनाया था। अंकिता ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया था। इसके बाद ही विवाद प्रारंभ हुआ और कथित रूप से इसी झगड़े में पुलकित आर्य ने अपने दो सहयोगियों के साथ मिलकर अंकिता को चिल्ला नहर में धकेलकर हत्या कर दी। मुख्य अभियुक्त पुलकित और उसके दो साथी अंकित गुप्ता तथा सौरभ भास्कर वर्तमान में जेल में बंद हैं।
यह प्रकरण न केवल न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि महिला सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीर चिंताएं भी उत्पन्न करता है।
