हाल ही में, भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में पिनाका लंबी दूरी की निर्देशित रॉकेट (एलआरजीआर-120) का पहला सफल परीक्षण किया। पूरे परीक्षण के दौरान, एलआरजीआर-120 ने निर्धारित सभी परिचालनों को सुचारू रूप से पूरा किया। अपनी पूरी दूरी तय करने के बाद, रॉकेट ने निर्धारित लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा, जो उच्च स्तर की सटीकता को दर्शाता है।
पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR-120):
- परिचय: पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR-120) स्वदेशी पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) सिस्टम का एक एडवांस्ड, सटीक-निर्देशित वेरिएंट है। इसे दुश्मन के इलाके में गहराई में मौजूद महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर सटीक निशाना लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे भारत की स्टैंडऑफ स्ट्राइक क्षमताओं में काफी सुधार होता है।
- विकसित किया गया: LRGR-120 रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा समन्वित व्यापक स्वदेशी R&D का एक उत्पाद है:
- मुख्य डिज़ाइनर: आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE)।
- मुख्य प्रयोगशालाएँ: हाई एनर्जी मटीरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL) और रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (DRDL)
- उत्पादन भागीदार: इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) ने प्री-प्रोडक्शन यूनिट विकसित कीं।
- परीक्षण सुविधाएँ: इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR), चांदीपुर, और प्रूफ एंड एक्सपेरिमेंटल एस्टैब्लिशमेंट (P&EE)।
- विशेषताएँ:
- स्ट्राइक रेंज: 120 किमी की अधिकतम ऑपरेशनल रेंज।
- गाइडेंस और नेविगेशन: एक एडवांस्ड गाइडेंस पैकेज से लैस, जो मिड-कोर्स और टर्मिनल सुधारों के लिए इनर्टियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और सैटेलाइट अपडेट (IRNSS/GPS) का उपयोग किया गया है।
- लॉन्चर कम्पैटिबिलिटी: इसे मौजूदा इन-सर्विस पिनाका लॉन्चर से फायर किया जा सकता है, जिससे एक ही प्लेटफॉर्म से अलग-अलग रेंज (40 किमी, 75 किमी और 120 किमी) के रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं।
पिनाका रॉकेट सिस्टम क्या हैं?
- परिचय: पिनाका रॉकेट सिस्टम भारत में बनाया गया एक स्वदेशी मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) है, जिसे भारतीय सेना के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है। इसे दुश्मन के ठिकानों और एरिया टारगेट पर तेज़ी से बड़ी मात्रा में firepower पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- पृष्ठभूमि: इसका विकास 1986 के आसपास रूसी Grad (BM-21) MBRL के स्वदेशी विकल्प के रूप में शुरू हुआ। कुछ सफल परीक्षणों के बाद इसे 2000 में भारतीय सेना में शामिल किया गया। इसे 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान प्रसिद्धि मिली, जहाँ इसने ऊँची पहाड़ी चोटियों पर दुश्मन के ठिकानों को सफलतापूर्वक खत्म कर दिया था।
- वेरिएंट:
- पिनाका Mk-I: 38–40 किमी (अनगाइडेड)।
- पिनाका Mk-II / गाइडेड पिनाका: 60–90 किमी (गाइडेड)।
- LRGR-120 (वर्तमान): 120 किमी (प्रेसिजन-गाइडेड)।
- भविष्य का विकास: 300 किमी की रेंज वाले वेरिएंट पर रिसर्च चल रही है।
पिनाका रॉकेट सिस्टम की विशेषताएं
- पूर्णतः स्वदेशी डिजाइन: पिनाका प्रणाली का डिजाइन और विकास भारतीय वैज्ञानिकों और रक्षा संस्थानों द्वारा किया गया है। इसे विशेष रूप से भारतीय सेना की परिचालन आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया गया है। स्वदेशी निर्माण से यह प्रणाली आत्मनिर्भर भारत के रक्षा दृष्टिकोण को मजबूत करती है और विदेशी निर्भरता को कम करती है।
- मल्टी-बैरल लॉन्चर क्षमता: पिनाका में मल्टी-बैरल लॉन्चर का उपयोग किया गया है, जो एक ही प्लेटफॉर्म से 12 रॉकेट दाग सकता है। पूरी सैल्वो फायरिंग प्रक्रिया लगभग 44 सेकंड में पूरी हो जाती है। इतनी कम समयावधि में भारी अग्नि-वर्षा करने की क्षमता इसे युद्धक्षेत्र में अत्यंत प्रभावी बनाती है।
- लंबी दूरी की मारक क्षमता: पिनाका प्रणाली विभिन्न प्रकार के रॉकेट्स को समर्थन देती है, जिनकी मारक दूरी 38 किलोमीटर से लेकर 120 किलोमीटर तक है। यह लंबी दूरी की क्षमता सेना को दुश्मन के ठिकानों पर गहराई तक हमला करने की सुविधा देती है।
- गाइडेड और अनगाइडेड रॉकेट: इस प्रणाली की एक बड़ी विशेषता यह है कि यह गाइडेड और अनगाइडेड दोनों प्रकार के रॉकेट्स दाग सकती है। गाइडेड रॉकेट्स में आधुनिक नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम लगे होते हैं, जिससे लक्ष्य पर अधिक सटीक हमला संभव होता है। इससे युद्ध में प्रेसिजन स्ट्राइक की क्षमता बढ़ती है।
- उच्च सटीकता: गाइडेड पिनाका रॉकेट्स में कम सर्कुलर एरर प्रोबेबिलिटी (CEP) होती है। इसका अर्थ है कि रॉकेट लक्ष्य के बेहद करीब गिरता है। अधिक सटीकता से अनावश्यक क्षति कम होती है और रणनीतिक लक्ष्यों पर प्रभावी हमला किया जा सकता है।
- विभिन्न प्रकार के वॉरहेड: पिनाका रॉकेट्स में हाई एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन, इंसेंडियरी, प्री-फ्रैगमेंटेड, और एरिया डिनायल वॉरहेड लगाए जा सकते हैं। यह प्रणाली सॉफ्ट टार्गेट्स और सेमी-हार्डनड संरचनाओं दोनों के विरुद्ध प्रभावी है।
- उच्च गतिशीलता वाला प्लेटफॉर्म: पिनाका लॉन्चर 8×8 हाई-मोबिलिटी ट्रकों पर आधारित हैं। ये वाहन रेगिस्तान, मैदान, पहाड़ी और कठिन इलाकों में समान रूप से प्रभावी प्रदर्शन करते हैं। यह प्रणाली एलएसी और पश्चिमी सीमाओं पर संचालन के लिए उपयुक्त है।
- स्वचालित फायर कंट्रोल सिस्टम: पिनाका में कंप्यूटरीकृत फायर कंट्रोल सिस्टम लगा है। कमांड पोस्ट लक्ष्य और मौसम संबंधी आंकड़ों के आधार पर फायरिंग डेटा की गणना करता है। इससे प्रतिक्रिया समय घटता है और फायरिंग अधिक सटीक होती है।
- एकीकृत सहायक वाहन व्यवस्था: प्रत्येक पिनाका बैटरी में लोडर-कम-रीप्लेनिशमेंट वाहन, गोला-बारूद वाहक, और कमांड वाहन शामिल होते हैं। यह संरचना तेज रीलोडिंग और निरंतर फायर मिशन को संभव बनाती है।
- लागत प्रभावी आर्टिलरी समाधान: मिसाइल प्रणालियों की तुलना में पिनाका कम लागत में अधिक मारक क्षमता प्रदान करती है। रॉकेट्स अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं, लेकिन युद्धक्षेत्र में उनका प्रभाव अत्यंत शक्तिशाली होता है। यही संतुलन इसे दीर्घकालिक सैन्य अभियानों के लिए उपयुक्त बनाता है।
भारत के लिए महत्व
- बल गुणक के रूप में भूमिका: पिनाका प्रणाली भारतीय सेना के लिए एक प्रभावी फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में कार्य करती है। इसकी मदद से सेना कुछ ही सेकंड में भारी मात्रा में अग्नि शक्ति को लक्ष्य क्षेत्र तक पहुंचा सकती है। इतनी तीव्र और संगठित फायरिंग क्षमता से आक्रामक और रक्षात्मक दोनों अभियानों में निर्णायक बढ़त मिलती है। वर्ष 2019 के बाद लागू किए गए इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स की अवधारणा में पिनाका की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तेज प्रतिक्रिया और संयुक्त संचालन को सक्षम बनाती है।
- विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता: पिनाका भारत की परंपरागत सैन्य प्रतिरोधक शक्ति को ठोस आधार प्रदान करती है। वर्ष 2025 में परीक्षण की गई 120 किलोमीटर तक मारक दूरी वाली रॉकेट क्षमताएं सेना को सीमा पार किए बिना दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों पर गहराई तक प्रहार करने की सुविधा देती हैं। इससे विरोधी पक्ष के लिए आक्रामक कार्रवाई की लागत और जोखिम दोनों बढ़ जाते हैं। यह प्रणाली नियंत्रण रेखा (LoC) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तेज प्रतिक्रिया में सहायक है और दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने में योगदान देती है।
- आत्मनिर्भर भारत की सशक्त मिसाल: पिनाका प्रणाली आत्मनिर्भर भारत अभियान की रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी सफलता का उदाहरण है। इसके डिजाइन और विकास का नेतृत्व डीआरडीओ ने किया, जबकि बड़े पैमाने पर उत्पादन की जिम्मेदारी भारतीय उद्योगों के पास है। स्वदेशी उत्पादन से संकट के समय आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित होती है और विदेशी निर्भरता कम होती है। इसके साथ ही तकनीकी ज्ञान का स्वदेश में प्रसार होता है, जिससे भारत का रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होता है और दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है।
- निर्यात और रक्षा कूटनीति: पिनाका ने भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को भी नई पहचान दी है। वर्ष 2024 में भारत ने आर्मेनिया को पहली बार पिनाका प्रणाली की आपूर्ति पूरी की। इसके बाद एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देशों ने इस प्रणाली में रुचि दिखाई है। प्रतिस्पर्धी लागत, परीक्षित प्रदर्शन और विश्वसनीयता ने भारत को एक भरोसेमंद रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित किया है। यह भूमिका भारत की रक्षा कूटनीति को मजबूती देती है और वैश्विक रणनीतिक प्रभाव को विस्तार देती है।
