अडानी एंटरप्राइजेज ने AWL एग्री बिजनेस में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचकर कंपनी से पूरी तरह बाहर निकलने का बड़ा कदम उठा लिया है। थोक सौदों के जरिए करीब 25 अरब रुपये के शेयर बेचे गए। इससे विल्मर इंटरनेशनल को कंपनी पर पूरा कंट्रोल मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
एक्सचेंजों के आंकड़े बताते हैं कि अडानी कमोडिटीज ने करोड़ों शेयर की कीमत ₹ 275.50 प्रति शेयर के मूल्य पर बेच दिए, जिससे संस्थागत निवेशकों की जबरदस्त मांग भी साफ दिखाई दी। यह सौदा अडानी समूह के लिए अपने निवेश पोर्टफोलियो को साफ करने और नए प्रोजेक्ट्स पर फोकस बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
प्रमुख खरीदार कौन थे?
सूत्रों के मुताबिक, ICICI प्रूडेंशियल MF, SBI MF, टाटा MF, क्वांट MF, बंधन MF जैसे बड़े भारतीय म्यूचुअल फंड इस खरीद में सबसे आगे थे। इसके अलावा वैनगार्ड, चार्ल्स श्वाब और सिंगापुर, UAE समेत एशिया के कई ग्लोबल निवेशकों ने भी इस ब्लॉक डील में हिस्सा लिया।
अडानी के पूरी तरह बाहर होने के बाद अब सिंगापुर की विल्मर इंटरनेशनल ही अकेली प्रमोटर रह गई है, जिसके पास कंपनी का करीब 57% शेयर है। इससे AWL एग्री अब एक मजबूत बहुराष्ट्रीय फूड और FMCG कंपनी के तौर पर और स्थापित हो गई है।
शुरुआत में 13% हिस्सेदारी बेची:
इस हफ़्ते की शुरुआत में अडानी समूह, जिसके पास पहले AWL एग्री में 20% हिस्सेदारी थी, ने लगभग ₹4,646 करोड़ के ऑफ-मार्केट सौदे में अपनी 13% हिस्सेदारी विल्मर इंटरनेशनल की एक कंपनी को बेच दी। अब आख़िरी ब्लॉक डील पूरी होने के बाद, अडानी एंटरप्राइजेज को कुल मिलाकर लगभग ₹15,707 करोड़ की रकम मिल चुकी है।
AWL एग्री के शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव:
शुक्रवार को शेयरों में ज़बरदस्त ट्रेडिंग हुई क्योंकि कंपनी की लगभग 7% हिस्सेदारी बड़े ब्लॉक डील्स में बिक गई। इसकी वजह से शेयर 3.7% गिरकर ₹266.45 पर आ गया। इसी बिक्री के साथ अडानी समूह का AWL एग्री बिज़नेस से पूरी तरह बाहर निकलना भी पूरा हो गया।
पिछले एक साल में AWL एग्री के शेयर 15% नीचे आए हैं, लेकिन पिछले छह महीनों में 3.5%, तीन महीनों में 3.7% और पिछले एक महीने में 3% की बढ़त भी देखी गई है। शेयर का 52-सप्ताह का हाई दिसंबर 2024 में ₹337 और लो फरवरी 2025 में ₹231.55 रहा।
कंपनी का शुद्ध लाभ:
कंपनी के सितंबर तिमाही नतीजों के अनुसार, उसका कुल शुद्ध लाभ 21% गिरकर ₹244.85 करोड़ रह गया, जबकि पिछले साल यही लाभ ₹311.02 करोड़ था। हालांकि मुनाफा कम हुआ, लेकिन कंपनी की कमाई (राजस्व) बढ़कर ₹14,552.04 करोड़ से ₹17,525.61 करोड़ हो गई, जो दिखाता है कि मार्जिन पर दबाव होने के बावजूद बिक्री में अच्छी वृद्धि हुई है।
अब आगे क्या होगा?
अडाणी ग्रुप के बाहर होने के बाद अब AWL एग्री पर विल्मर इंटरनेशनल का पूरा कंट्रोल होगा। इससे कंपनी अपने FMCG और फूड बिज़नेस को अपने हिसाब से बढ़ा सकेगी। अडाणी को मिला पैसा वह अपने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में लगाएगा। मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक शेयर में कुछ समय तक उतार–चढ़ाव रहेगा, लेकिन लंबी अवधि में कंपनी की ग्रोथ अच्छी बनी रहने की उम्मीद है।
AWL एग्री के बारे में:
AWL एग्री भारत के सबसे बड़े कुकिंग ऑयल ब्रांड “फॉर्च्यून” का संचालन करती है और इसके साथ आटा, चावल, दालें और रेडी-टू-कुक जैसे कई जरूरी खाद्य उत्पाद भी बनाती है। यह भारत की सबसे बड़ी पाम ऑयल प्रोसेसिंग कंपनी है और 10 राज्यों में इसके 22 प्लांट हैं, जिनसे तैयार उत्पाद मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया तक निर्यात किए जाते हैं। अब अडानी के पूरी तरह बाहर होने के बाद AWL एग्री का पूरा कंट्रोल सिंगापुर की विल्मर इंटरनेशनल के पास होगा, जिससे कंपनी का बहुराष्ट्रीय फूड और FMCG कंपनी के रूप में आधार और मजबूत हो गया है।
AWL एग्री का इतिहास:
अडानी विल्मर लिमिटेड की स्थापना 1999 में अडानी एंटरप्राइजेज और सिंगापुर की विल्मर इंटरनेशनल के बीच 50-50 की साझेदारी में हुई थी। कंपनी का मुख्य ब्रांड फॉर्च्यून है, जिसके तहत 2014 से 2017 के बीच चावल, सोया चंक्स और आटा जैसे पैक्ड फूड प्रोडक्ट्स लॉन्च किए गए। 2019–2020 के दौरान कंपनी ने Alife ब्रांड के तहत पर्सनल केयर मार्केट में कदम रखा और साथ ही रेडी-टू-कुक उत्पादों में भी एंट्री की। 2021 तक कंपनी भारत के ब्रांडेड कुकिंग ऑयल मार्केट में 18.3% हिस्सेदारी रखती थी और देश की सबसे बड़ी पाम ऑयल प्रोसेसिंग कंपनी थी।
कंपनी का IPO जनवरी 2022 में खुला और फरवरी 2022 में लिस्ट हुआ। दिसंबर 2024 में अडानी एंटरप्राइजेज ने विल्मर इंटरनेशनल और पब्लिक शेयरहोल्डर्स को अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचकर इस जॉइंट वेंचर से बाहर निकलने का फैसला किया। इसके बाद फरवरी 2025 में कंपनी का नाम बदलकर AWL एग्री बिज़नेस लिमिटेड कर दिया गया।
अडानी समूह के बारे में:
अडानी समूह एक बड़ा भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह है, जिसका मुख्यालय अहमदाबाद में है। इसकी स्थापना 1988 में गौतम अडानी ने एक छोटी कमोडिटी ट्रेडिंग कंपनी के रूप में की थी। आज यह समूह बंदरगाह और हवाई अड्डा प्रबंधन, बिजली उत्पादन, खनन, गैस, खाद्य तेल, बुनियादी ढाँचा, हथियार, नवीकरणीय ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स जैसे कई क्षेत्रों में काम करता है। अडानी समूह भारत के सबसे बड़े निजी बंदरगाह और निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में से एक बन चुका है। वर्षों में इसने देश और विदेश में कई बंदरगाह, खदानें, सौर परियोजनाएँ, हवाई अड्डे और सीमेंट कंपनियाँ खरीदी हैं।
निष्कर्ष:
AWL एग्री में पूरी हिस्सेदारी बेचकर अडानी एंटरप्राइजेज ने रणनीतिक रूप से अपने पोर्टफोलियो को सरल बनाया है, जिससे विल्मर इंटरनेशनल को कंपनी पर पूर्ण नियंत्रण मिल गया है। आकर्षक मूल्य पर हुई इस बड़ी ब्लॉक डील से संस्थागत निवेशकों का भरोसा भी स्पष्ट हुआ। यह कदम अडानी समूह को अपने प्रमुख इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा, जबकि AWL एग्री एक स्वतंत्र और मजबूत FMCG कंपनी के रूप में आगे बढ़ सकेगी।
