अफगानिस्तान भूकंप: मृतक संख्या 1000 के पार, 3000 से अधिक घायल; भारत ने भेजी सहायता सामग्री

अफगानिस्तान रविवार रात आए 6.0 तीव्रता के भूकंप से दहल उठा, जिसने देश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई। स्थानीय अधिकारियों और विभिन्न इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक लगभग 1100 लोगों की मौत हो चुकी है और 3500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। सबसे अधिक नुकसान पाकिस्तान की सीमा से सटे कुनार प्रांत में दर्ज किया गया है।

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार 6.0 तीव्रता का भूकंप नंगाहार प्रांत के जलालाबाद शहर से 27 किमी पूर्व में केंद्रित था।  भूकंप का केंद्र जमीन से सिर्फ 8 किमी (5 मील) की गहराई पर था. लगभग 20 मिनट बाद उसी प्रांत में दूसरा भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 4.5 थी और गहराई 10 किलोमीटर थी, अफगानिस्तान भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि यह भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के जंक्शन पर स्थित है।

earthquake in afghanistan

खड़ी घाटियों में जारी रहा बचाव अभियान:

कुनार प्रांत में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी रात लगातार चलता रहा। अभी भी कई दूर-दराज के गांवों में घायल लोग मौजूद हैं, जिन्हें अस्पतालों तक पहुंचाने की आवश्यकता है। वहीं, गांव के बचे हुए लोग भी खुद बचाव प्रयासों में शामिल हो गए हैं। वे हाथों से ही खड़ी घाटियों में बने साधारण मिट्टी और पत्थर के घरों के मलबे को हटाकर फंसे हुए लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

 

पीएम मोदी ने जताया गहरा दुख, मदद का भरोसा दिलाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में आए भूकंप पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि इस कठिन समय में भारत की संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोकाकुल परिवारों के साथ हैं। प्रधानमंत्री ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए आश्वस्त किया कि भारत प्रभावित लोगों को हर संभव मानवीय सहायता और राहत उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।

 

भारत ने अफगानिस्तान को भेजी त्वरित राहत सहायता:

भारत ने अफगानिस्तान को भूकंप त्रासदी के बाद त्वरित मदद भेजी है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी से फोन पर बात कर गहरी संवेदना जताई। भारत ने काबुल के लिए 1000 टेंट और 15 टन खाद्य सामग्री भेजी, जिसे आगे कुनार प्रांत तक पहुंचाया गया। इसके अलावा भारत ने और भी राहत सामग्री भेजने की घोषणा की है। 

संयुक्त राष्ट्र की संवेदना और मदद का आश्वासन:

अफगानिस्तान के पूर्वी क्षेत्र में आए विनाशकारी भूकंप से सैकड़ों लोगों की मौत पर संयुक्त राष्ट्र ने गहरा दुख जताया है। एक्स पर जारी संदेश में संगठन ने कहा कि उसकी टीमें ज़मीनी स्तर पर मौजूद हैं और प्रभावित लोगों तक आपातकालीन व जीवन रक्षक सहायता पहुँचा रही हैं।

महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र की पूरी एकजुटता अफगानिस्तान की जनता के साथ है। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और भरोसा दिलाया कि प्रभावित इलाकों में ज़रूरतमंदों की मदद के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

 

अफगानिस्तान में भूकंप का इतिहास

अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंपों का इतिहास गवाह है कि यह इलाका लगातार प्राकृतिक आपदाओं से जूझता रहा है। 7 अक्टूबर 2023 को आए विनाशकारी भूकंप में तालिबान सरकार ने 4 हजार मौतों का दावा किया था, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने 1500 मौतों की पुष्टि की थी। इससे पहले 2022 में पूर्वी अफगानिस्तान में 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें करीब 1 हजार लोग मारे गए और हजारों घायल हुए थे। इससे पहले 2015 में 7.5 तीव्रता का भूकंप, जिसने भारी तबाही मचाई। 2021-2025 में इस अवधि में 30 से अधिक भूकंप आए, जिनमें 2,000 से अधिक लोग मारे गए।

विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान भूकंपों के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है। हिंदूकुश पर्वतमाला को एक्टिव ज़ोन माना जाता है, जहां हर साल भूकंप आते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि अफगानिस्तान भारत और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच स्थित है। यह फॉल्ट लाइन हेरात तक जाती है और जब भी प्लेट्स में हलचल होती है, तो बड़े पैमाने पर भूकंप आ जाते हैं।

 

अफगानिस्तान में लगातार भूकंप आने के कारण:

  1. भौगोलिक स्थिति: अफगानिस्तान उस जगह स्थित है जहांइंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट आपस में टकराती हैं।
  2. प्लेट्स की टकराहट: इन प्लेट्स के आपसी टकराव से ज़मीन के भीतर ऊर्जा का संचय होता है, जो समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलता है।
  3. सक्रिय फॉल्ट लाइन्स: हिंदूकुश क्षेत्र में कई बड़ी सक्रिय फॉल्ट लाइन्स हैं, जैसे-
  • चमन फॉल्ट (Chaman Fault)
  • हरि रूड फॉल्ट (Hari Rud Fault)
  • पामीर थ्रस्ट फॉल्ट (Pamir Thrust Fault)
  1. हिंदूकुश क्षेत्र: यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता है और यहां अक्सर तेज़ झटके महसूस किए जाते हैं, इन सभी कारणों से अफगानिस्तान दुनिया के सबसे भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में शामिल है।

 

अफगानिस्तान में भूकंप से तबाही के कारण

अफगानिस्तान में भूकंप से होने वाली भारी तबाही के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, यहां की ज्यादातर इमारतें कच्ची ईंट और मिट्टी जैसी कमजोर सामग्रियों से बनी हैं, जो भूकंप के झटकों को सहन नहीं कर पातीं। इसके अलावा, दशकों से चल रहे युद्ध और गरीबी ने वहां भूकंपरोधी निर्माण के लिए आवश्यक साधन और जानकारी की कमी पैदा कर दी है।

 

आइए जानते है, भूकंप के बारे में:

भूकंप पृथ्वी की सतह का हिलना या कांपना होता है, जो उस समय उत्पन्न होता है जब पृथ्वी की परत (क्रस्ट) या ऊपरी मेंटल में अचानक ऊर्जा रिलीज़ होती है। इस ऊर्जा के कारण भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। इसे मापने के लिए सिस्मोग्राफ या सिस्मोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।

भूकंप का वह बिंदु जहाँ ऊर्जा रिलीज़ होती है, उसे फोकस या हाइपोसेंटर कहते हैं। इसके ठीक ऊपर की सतह का बिंदु जिसे सबसे पहले भूकंपीय तरंगें महसूस करती हैं, उसे एपिसेंटर कहते हैं। सतह पर उन बिंदुओं को जोड़ने वाली रेखा, जहाँ भूकंप की तीव्रता समान होती है, उसे आइसोसेस्मिक लाइन कहते हैं।

 

भूकंप के कारण:

भूकंप के मुख्य कारणों में शामिल हैं: फॉल्ट ज़ोन, प्लेट टेक्टोनिक्स, ज्वालामुखी गतिविधि, और मानव गतिविधियों से उत्पन्न भूकंप

भूकंप के प्रकार:

  1. टेक्टोनिक भूकंप: सबसे सामान्य, प्लेट्स की गति के कारण आते हैं।
  2. ज्वालामुखीय भूकंप: ज्वालामुखी गतिविधियों और मैग्मा के दबाव परिवर्तन से होते हैं।
  3. कॉलैप्स भूकंप: भूमिगत गुफाओं या खानों में पत्थर गिरने से छोटे भूकंप उत्पन्न होते हैं।
  4. मानवजनित भूकंप: खनन, डैम, गीओथर्मल ऊर्जा या फ्रैकिंग जैसी गतिविधियों से।
  5. विस्फोटक भूकंप: बड़े विस्फोटों जैसे परमाणु परीक्षण या रासायनिक विस्फोट से उत्पन्न।
  6. आफ्टरशॉक्स: मुख्य भूकंप के बाद क्रस्ट में समायोजन के कारण छोटे झटके।

भूकंप की तीव्रता और खतरा:

  • 0 से कम:हल्का, ज्यादातर महसूस नहीं होता।
  • 0 5.9:हल्का से मध्यम, सामान्य नुकसान।
  • 06.9:गंभीर, ऊपरी मंजिलें प्रभावित, मौतें संभव।
  • 0+:बड़े पैमाने पर तबाही की आशंका।

 

भूकंप के प्रभाव:

  • मानव हानि और चोटें: इमारतों के गिरने, मलबे के दबने और अन्य द्वितीयक आपदाओं के कारण भूकंप में अक्सर जनहानि, चोटें और मानसिक आघात देखने को मिलते हैं।
  • बुनियादी ढांचे को नुकसान: तेज़ झटकों से इमारतें, सड़कें, पुल, रेलमार्ग और उपयोगिताएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे परिवहन, संचार और आवश्यक सेवाएँ बाधित हो जाती हैं।
  • आर्थिक नुकसान: पुनर्निर्माण की भारी लागत, आजीविका का नुकसान और व्यवसायों में रुकावट स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर गहरा बोझ डालते हैं।
  • समुदायों का विस्थापन: बड़े पैमाने पर तबाही लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर देती है, जिससे अस्थायी या लंबे समय तक विस्थापन होता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: भूस्खलन, ज़मीन में दरारें, मिट्टी का द्रवीकरण और नदियों का मार्ग बदलना भू-दृश्य और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करते हैं।
  • सुनामी: समुद्र के भीतर आने वाले भूकंप भीषण सुनामी को जन्म दे सकते हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों में व्यापक तबाही होती है।

निष्कर्ष:

अफगानिस्तान में आया यह शक्तिशाली भूकंप एक बार फिर यह साबित करता है कि प्राकृतिक आपदाएँ कितनी विनाशकारी और अप्रत्याशित हो सकती हैं। कम गहराई पर आया यह झटका बड़े पैमाने पर जनहानि और विनाश का कारण बना। सैकड़ों लोगों की मौत और हज़ारों के घायल होने से साफ है कि देश की अवसंरचना और आपदा प्रबंधन प्रणाली अभी भी बेहद कमजोर है।