SBI के बाद Bank of India ने भी रिलायंस कम्युनिकेशंस और अनिल अंबानी को ‘फ़्रॉड’ घोषित किया

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के बाद अब बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने भी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और कंपनी से जुड़े अनिल धीरूभाई अंबानी के लोन खातों को ‘फ्रॉड’ घोषित कर दिया है। बैंक का आरोप है कि लोन की राशि का दुरुपयोग किया गया और निर्धारित शर्तों का पालन नहीं हुआ। BOI के अनुसार, यह मामला 724.78 करोड़ रुपये के बकाया लोन से जुड़ा है। इससे पहले केनरा बैंक और एसबीआई भी आरकॉम के खातों को ‘फ्रॉड’ घोषित कर चुके हैं।

 

RCOM का 700 करोड़ का लोन NPA: बैंक ऑफ इंडिया का बड़ा खुलासा

बैंक ऑफ इंडिया ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) का खाता 30 जून 2017 को 724.78 करोड़ रुपये की बकाया राशि के साथ गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA) घोषित हो गया था। बैंक ने उधारकर्ताओं और गारंटर से बार-बार भुगतान करने का आग्रह किया, लेकिन वे बकाया चुकाने में विफल रहे। इसके चलते BOI ने RCom को भेजे नोटिस में कंपनी के खाते को फ्रॉड’ करार दिया है।

इसके अलावा, कंपनी के डायरेक्टर ग्रेस थॉमस और सतीश सेठ के खातों को भी फ्रॉड घोषित किया गया है, जिन पर 51.77 करोड़ रुपये का लोन बकाया है। इस मामले में गौतम भाईलाल दोशी, दगदुलाल कस्तूरचंद जैन और प्रकाश शेनॉय के नाम भी सामने आए हैं। उल्लेखनीय है कि RCom और उसकी सहायक कंपनियों पर बैंकों का कुल 31,580 करोड़ रुपये का कर्ज है।

 

सीबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशंस पर की थी छापेमारी, एसबीआई को 2,929 करोड़ के नुकसान का आरोप

भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हाल ही में रिलायंस कम्युनिकेशंस और अनिल अंबानी से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की। आरोप है कि कंपनी और अंबानी की ओर से कथित हेराफेरी के चलते एसबीआई को लगभग 2,929.05 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस मामले में सीबीआई की कार्रवाई को बड़े वित्तीय अनियमितताओं पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

अनिल अंबानी पर आरोप और पक्ष का बचाव

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शिकायत के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने मामला दर्ज किया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने सभी आरोपों और अभियोगों को सिरे से खारिज कर दिया है। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि एसबीआई की शिकायत 10 साल से भी पुराने मामलों से जुड़ी है, और उस दौरान अनिल अंबानी केवल नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की भूमिका में थे। कंपनी के दैनिक प्रबंधन में उनकी कोई सीधी भागीदारी नहीं थी। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अंबानी अपने बचाव में पूरा सहयोग करेंगे।

 

बैंकिंग कानूनों में धोखाधड़ी वाले खाते से जुड़े प्रावधान:

धोखाधड़ी खाता घोषित करना: जब किसी उधारकर्ता (Borrower) का खाता धोखाधड़ी (Fraudulent Account) के रूप में चिन्हित किया जाता है, तो यह केवल बैंक के रिकॉर्ड तक सीमित नहीं रहता।

  • ऐसे खाते की पूरी जानकारीप्रवर्तन एजेंसियों (Enforcement Agencies) जैसे CBI, ED आदि को भेजी जाती है ताकि आपराधिक जांच शुरू हो सके।

आपराधिक कार्रवाई: खाता धोखाधड़ी घोषित होते ही मामला आपराधिक कानून (Criminal Law) के तहत आता है। उधारकर्ता या उससे जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ जांच, पूछताछ और कानूनी कार्यवाही हो सकती है।

नए वित्त पर रोक: धोखाधड़ी घोषित किए गए उधारकर्ता को 5 वर्षों तक किसी भी बैंक या विनियमित संस्थान से नया ऋण या वित्त (Credit/Loan) नहीं मिल सकता, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिसने एक बार सिस्टम का दुरुपयोग किया, वह दोबारा बैंकों को नुकसान न पहुँचा सके।

अन्य प्रभाव:

  • ऐसे उधारकर्ताओं कीक्रेडिट हिस्ट्री (Credit History) पर स्थायी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • बैंकों कीरिकवरी प्रक्रिया (Recovery Process) भी तेज़ हो जाती है क्योंकि मामला आपराधिक जांच के साथ जुड़ जाता है।
  • उधारकर्ता को भविष्य में वित्तीय लेन-देन करने में गंभीर कठिनाइयाँ होती हैं।

 

रिलायंस कम्युनिकेशंस के बारे में-

स्थापना एवं मुख्यालय: रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications – RCOM) की स्थापना 15 जुलाई 2004 को रिलायंस इन्फोकॉम लिमिटेड के रूप में हुई। इसका मुख्यालय नवी मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है।

प्रारंभिक सेवाएँ: कंपनी ने भारत में दूरसंचार क्षेत्र में अपनी पहचान वॉयस कॉलिंग सेवाओं के साथ बनाई और धीरे-धीरे 2G, 3G तथा 4G डेटा सेवाओं तक अपना विस्तार किया।

वित्तीय संकट एवं दिवालियापन: फरवरी 2019 में, बढ़ते कर्ज़ और संपत्तियों की बिक्री में विफलता के कारण कंपनी को दिवालियापन (Insolvency) के लिए अर्जी दाखिल करनी पड़ी।

  • उस समय कंपनी पर लगभग ₹500 बिलियन (2023 में लगभग ₹620 बिलियन या US$7.3 बिलियन) का कर्ज था।
  • इसके मुकाबले, कंपनी की संपत्ति का मूल्य मात्र ₹180 बिलियन (2023 में लगभग ₹220 बिलियन या US$2.6 बिलियन) आँका गया।

पुनर्गठन एवं नई रणनीति: मार्च 2020 तक, कंपनी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और “Global Cloud Xchange” नामक इकाई के अंतर्गत सेवाओं का पुनर्गठन किया। इस चरण में उसने मुख्य रूप से निम्न सेवाएँ प्रदान कीं—

  • 4G डेटा सेवाएँ
  • फिक्स्ड लाइन कम्युनिकेशन
  • डेटा सेंटर सेवाएँ
  • एंटरप्राइज़ समाधान
  • अंतरराष्ट्रीय  केबल नेटवर्क

निष्कर्ष:

रिलायंस फ्रॉड प्रकरण यह दर्शाता है कि भारत में बड़े कॉरपोरेट हाउस और बैंकों के बीच वित्तीय लेन-देन को लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव गंभीर चिंता का विषय है। एसबीआई जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी बैंक द्वारा दर्ज शिकायत इस बात की ओर इशारा करती है कि वित्तीय अनियमितताओं को वर्षों तक नज़रअंदाज़ किया गया।