मणिपुर के बिश्नुपुर जिले में 19 सितंबर को असम राइफल्स के वाहन पर हमला हुआ, जिसमें 2 जवान शहीद और 5 घायल हो गए। यह हमला पूर्वी क्षेत्र में सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़े और लक्षित हमलों का हिस्सा माना जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियो के सूत्रों के हवाले से पता चलता है कि भारत के पूर्वी राज्यों के लिए खतरा अनुमान से कहीं ज़्यादा गंभीर है, जिस वजह से सुरक्षा एजेंसियाँ पूरे क्षेत्र में हाई अलर्ट पर हैं।

19 सितंबर को बिश्नुपुर में क्या हुआ था?
शाम 5:50 बजे इम्फाल से बिश्नुपुर जा रहे असम राइफल्स के मिनी ट्रक पर नंबोल सबल लीकाई में अज्ञात हथियारबंद लोगों ने अचानक हमला किया। इसमें नायब सुभेदार श्याम गुरुंग (58) और राइफलमैन रंजीत सिंह कश्यप (29) शहीद हो गए। 5 जवान घायल हुए, जिन्हें RIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी स्थिति स्थिर है।
इस हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली, लेकिन संदेह मणिपुर के बैन ड्रग्स ग्रुपों पर है। यह हमला AFSPA(The Armed Forces (Special Powers) Act) से मुक्त क्षेत्र में हुआ, जिसे मार्च 2025 में डिनोटिफाई किया गया था।
राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री ने की थी हमले की निंदा:
मणिपुर के राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री ने बिश्नुपुर हमले की निंदा की और शहीद जवानों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने घायल जवानों के जल्दी ठीक होने की कामना की और कहा कि हिंसा के ऐसे जघन्य कृत्यों को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पूर्वी क्षेत्रों में बढ़े खतरे का कनेक्शन बांग्लादेश-पाकिस्तान से कैसे?
शेख हसीना सरकार के हटने के बाद बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामिक समूह जैसे जमात-ए-इस्लामी, HUJI और Ansar Bangla मजबूत हुए हैं। ये समूह पाकिस्तान की ISI से जुड़े हैं। इन समूहों के जरिए बांग्लादेश से अवैध हथियार और गोला-बारूद पूर्वोत्तर राज्यों में आ रहे हैं। इसके चलते सुरक्षा बलों को कई बार हथियार बरामद और संदिग्धों को गिरफ्तार करना पड़ा है। यही वजह है कि पूर्वी क्षेत्र में खतरा बढ़ गया है।
ऑपरेशन सिंदूर में हार से बौखलाया पाकिस्तान:
ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद पाकिस्तान पूर्वी सीमा पर दबाव बढ़ा रहा है। पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के हालिया बयान से पता चलता है कि वे बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के साथ मिलकर पूर्वोत्तर में अशांति फैलाना चाहते हैं। जमात के नेताओं के बयान और ISI की इंफॉर्मेशन वॉरफेयर से खतरा स्पष्ट है। पूर्वोत्तर में यह खतरा केवल कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है। 2025-26 के राज्य चुनावों के बीच अशांति फैलाने की साजिश चल रही है, क्योकि ऑपरेशन सिंदूर में हार के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ है।
क्या कदम उठा रही सुरक्षा एजेंसियां?
- मणिपुर में हाई अलर्ट जारी है और सर्च ऑपरेशन चल रहे हैं।
- पूर्वी क्षेत्र में, खासकर बांग्लादेश सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
- सेना और CRPF ने मिलकर संयुक्त अभियान शुरू किया है।
मिज़ोरम पुलिस ने सबसे पहले की थी कार्यवाही:
मिज़ोरम पुलिस ने 15 जनवरी 2025 को ममित ज़िले के सैथा गाँव से बांग्लादेशी उग्रवादी समूह के लिए रखे गए प्रतिबंधित हथियार और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा जब्त किया। इसमें छह AK-47 राइफलें, 13 मैगज़ीन और 10,050 राउंड गोला-बारूद शामिल थे। जाँच में पता चला कि यह UPDF(United People’s Democratic Front) के कार्यकर्ताओं को आपूर्ति करने के लिए की गई आपराधिक साजिश थी। बाद में NIA ने मामला अपने हाथ में ले लिया था।
जुलाई में NIA ने भी की थी कार्यवाही:
जुलाई में NIA ने मिजोरम में पांच आरोपियों पर कार्रवाई की। इन पर UPDF के सशस्त्र कैडरों को हथियार और गोला-बारूद पहुंचाने का आरोप था। आरोपियों की पहचान लालबियाकचुंगा (डेविड), लालथौमचेउवा (थावमा), मालसावमा लोन्चेउ, रुआलियनसंगा (सांगा) और आलोक बिकाश चकमा के रूप में की गई। इनके खिलाफ BNS 2023, UA(P) अधिनियम 1967, शस्त्र अधिनियम 1959 और विदेशी अधिनियम 1946 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
निष्कर्ष:
19 सितंबर को बिश्नुपुर में असम राइफल्स पर हुए हमले ने पूर्वी क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों की गंभीरता को उजागर कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, भारत के पूर्वी राज्यों के लिए खतरा अनुमान से कहीं अधिक गंभीर है, इसलिए पूरे क्षेत्र में हाई अलर्ट जारी किया गया है और सुरक्षा बल सतर्क हैं।