बुरेवेस्टनिक मिसाइल के परीक्षण के बाद रूस, अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण परमाणु समझौते से बाहर हुआ, जाने क्या था समझौता और रूस क्यों हुआ बाहर?

अक्टूबर 2025 के अंत में रूस द्वारा परमाणु-संचालित ‘बुरेवेस्तनिक’ मिसाइल के सफल परीक्षण की घोषणा के तुरंत बाद, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने औपचारिक रूप से रूस को साल 2000 में हुए अमेरिका-रूस ‘प्लूटोनियम मैनेजमेंट एंड डिस्पोज़िशन एग्रीमेंट (PMDA)’ से वापस ले लिया।

 

सोमवार को पुतिन द्वारा हस्ताक्षरित यह कानून अब प्रभावी हो गया है, जिससे उस समझौते का औपचारिक अंत हो गया जिसे कई अधिकारी पहले ही अप्रासंगिक मान चुके थे।

 

रूस की संसद के निचले सदन ड्यूमा ने इस प्रस्ताव को महीने की शुरुआत में मंजूरी दी थी, जबकि फेडरेशन काउंसिल ने पिछले बुधवार को इसकी पुष्टि की थी। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह विधेयक अब कानून बन गया है।

 

मूल समझौता सितंबर 2000 में हुआ था, जिसके तहत अमेरिका और रूस दोनों को 34 टन प्लूटोनियम का निपटान करना था, जिसे अब सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाना था। इस समझौते का मकसद इस सामग्री के पुन: परमाणु हथियारों में इस्तेमाल को रोकना और वैश्विक परमाणु अप्रसार प्रयासों को समर्थन देना था।

Burevestnik missile test Russia withdrew from the important nuclear agreement with America

प्लूटोनियम मैनेजमेंट एंड डिस्पोज़िशन एग्रीमेंट (PMDA) के बारे में-

प्लूटोनियम मैनेजमेंट एंड डिस्पोज़िशन एग्रीमेंट (PMDA) वर्ष 2000 में संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच हस्ताक्षरित एक द्विपक्षीय समझौता था, जो 2011 में प्रभावी हुआ। इसका उद्देश्य शीत युद्ध के दौरान बने हजारों परमाणु हथियारों से बचे हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम के विशाल भंडार को कम करना था। युद्ध के बाद दोनों देशों मॉस्को और वाशिंगटन के पास बड़ी मात्रा में हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम बचा रह गया था, जिसका भंडारण न केवल महंगा था बल्कि परमाणु प्रसार के लिए संभावित खतरा भी माना जाता था।

 

हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम:

हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम को मुख्य रूप से Pu-239 के रूप में परिभाषित किया गया है, आम तौर पर लगभग 93% Pu-239। Pu-240 का उत्पादन तब होता है जब Pu-239 एक अतिरिक्त न्यूट्रॉन को अवशोषित करता है और विखंडन में विफल रहता है। Pu-240 और Pu-239 को पुन: प्रसंस्करण द्वारा अलग नहीं किया जाता है।

 

उत्पादन प्रक्रिया:

हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का उत्पादन विशेष सैन्य ‘उत्पादन’ रिएक्टरों में किया जाता है, जहाँ यूरेनियम ईंधन को कम समय के लिए जलाया जाता है। 

  • कम बर्न-अप: इन रिएक्टरों में, यूरेनियम-238 न्यूट्रॉन के संपर्क में आता है और प्लूटोनियम-239 में बदल जाता है।
  • कम समय तक जलाना: ईंधन को कम समय तक रिएक्टर में रखने से प्लूटोनियम-239 को प्लूटोनियम-240 में बदलने का समय नहीं मिलता, जिससे प्लूटोनियम-239 की उच्च शुद्धता बनी रहती है।
  • रासायनिक पृथक्करण: इसके बाद रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से प्लूटोनियम को अन्य सामग्रियों से अलग किया जाता है। 

 

उपयोग:

हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का मुख्य उपयोग परमाणु हथियार बनाने में होता है, जबकि अन्य ग्रेड के प्लूटोनियम (जैसे रिएक्टर-ग्रेड) का उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में ईंधन के रूप में किया जाता है। हालाँकि, उन्नत तकनीक वाले कुछ देश रिएक्टर-ग्रेड प्लूटोनियम से भी हथियार बना सकते हैं। 

 

PMDA समझौते का उद्देश्य क्या था?

यह समझौता शीत युद्ध के बाद परमाणु निरस्त्रीकरण की पहल का हिस्सा था, जिसका लक्ष्य दोनों देशों के पास मौजूद अतिरिक्त हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित करना था। इसके तहत अमेरिका और रूस दोनों ने 34 टन हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम को नष्ट करने की प्रतिबद्धता जताई थी जो हजारों परमाणु हथियारों के बराबर माना जाता है।

 

निस्तारण की प्रक्रिया: समझौते में प्लूटोनियम को मिक्स्ड-ऑक्साइड (MOX) ईंधन में परिवर्तित करने या तेज़-न्यूट्रॉन रिएक्टरों में विकिरणित करके बिजली उत्पादन में उपयोग करने की व्यवस्था की गई थी।

 

समझौते की विफलता और समाप्ति के कारण:

  • अमेरिका द्वारा निस्तारण पद्धति में बदलाव: 2016 में बढ़ती लागत के कारण अमेरिकी सरकार ने मिक्स्ड-ऑक्साइड (MOX) ईंधन योजना को छोड़ दिया और इसकी जगह “डिल्यूट एंड डिस्पोज़” (Dilute and Dispose) रणनीति अपनाई। इस पद्धति में प्लूटोनियम को अन्य पदार्थों के साथ मिलाकर भूमिगत स्थायी भंडारण में रखा जाता है।
  • रूस की आपत्तियाँ और सुरक्षा चिंताएँ: रूस ने इस नई अमेरिकी पद्धति का विरोध करते हुए कहा कि पतला किया गया प्लूटोनियम भविष्य में फिर से अलग किया जा सकता है और हथियार निर्माण के लिए पुनः उपयोग किया जा सकता है। मॉस्को ने इसे समझौते की मूल भावना और शर्तों का उल्लंघन बताया।
  • 2016 में समझौते का निलंबन: अमेरिका की रणनीति में बदलाव, राजनीतिक मतभेदों, प्रतिबंधों, और नाटो विस्तार के चलते राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अक्टूबर 2016 में रूस की भागीदारी निलंबित कर दी थी।
  • 2025 में औपचारिक समाप्ति: लगभग नौ वर्षों तक निलंबित रहने के बाद, 27 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रपति पुतिन ने एक कानून पर हस्ताक्षर कर समझौते को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया, जिससे यह लंबे समय से ठप पड़ा परमाणु निरस्त्रीकरण समझौता पूरी तरह समाप्त हो गया।

 

समझौते की समाप्ति के प्रभाव:

PMDA का अंत अमेरिका और रूस के बीच बचे हुए अंतिम प्रमुख परमाणु नियंत्रण समझौतों में से एक का पतन माना जा रहा है। इसकी समाप्ति ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक परमाणु तनाव चरम पर है और दोनों देशों के बीच अन्य सहयोग समझौते भी समाप्त हो चुके हैं।

यह स्थिति अमेरिका-रूस के कूटनीतिक संबंधों में आई गंभीर गिरावट को दर्शाती है, जहाँ विश्वास और रणनीतिक स्थिरता लगातार कमजोर होती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और नई हथियार प्रतिस्पर्धा की संभावना बढ़ सकती है।

 

रूस ने परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल ‘बुरेवेस्तनिक’ का परीक्षण किया:

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को फर्र्बल असेम्बली के संबोधन में घोषणा की कि रूस ने अपनी परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल बुरेवेस्तनिक’ (9M730) का सफल परीक्षण किया है। पुतिन ने कहा कि रूसी वैज्ञानिकों ने एक कॉम्पैक्ट न्यूक्लियर प्रणोदक विकसित किया है जो क्रूज मिसाइल को अत्यधिक लंबी दूरी तक संचालित करने में सक्षम है। उन्होंने यह भी कहा कि इस हथियार को शीघ्र ही तैनात करने की तैयारियाँ की जाएँगी और दावा किया कि ऐसी क्षमता अन्य देशों के पास फिलहाल नहीं है। रूस के जनरल स्टाफ प्रमुख वैलेरी गेरासिमोव ने बताया कि परीक्षण के दौरान मिसाइल लगभग 15 घंटे हवा में रही और लगभग 14,000 किलोमीटर तक चली।

 

प्रणोदन और तकनीकी विशेषताएँ:

बुरेवेस्तनिक पारंपरिक ईंधन के बजाय एक छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर से संचालित होने वाली क्रूज मिसाइल है, इसलिए इसकी रेंज सैद्धांतिक रूप से असीमित मानी जाती है। इस प्रकार के प्रणोदन से मिसाइल लंबे समय तक हवा में रह सकती है और पारंपरिक ईंधन-आधारित मिसाइलों से अलग परिचालन छमता दिखाती है।

 

रणनीतिक प्रभाव:

अमेरिकी वायुसेना और अन्य रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह मिसाइल सेवा में आ गई तो रूस के पास इंटरकॉन्टिनेंटल रेंज (लगभग 10,000–20,000 किमी) तक हमला करने की क्षमता हो सकती है, जिससे किसी भी दिशा से दूरस्थ लक्ष्य को निशाना बनाया जा सकेगा। सामान्यतः इतनी दूरी के लिए बैलिस्टिक मिसाइलों का उपयोग होता है, जबकि बुरेवेस्तनिक सबसोनिक ऊँचाई (लगभग 50–100 मीटर) पर उड़ते हुए मार्ग बदलता रहता है, जिससे इसे वायु-रक्षा और एंटी-मिसाइल प्रणालियों द्वारा ट्रैक और इंटरसेप्ट करना कठिन हो जाता है।

 

ट्रम्प ने रूस के मिसाइल परीक्षण को बताया ‘अनुचित’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस द्वारा की गई परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल ‘बुरेवेस्तनिक’ के परीक्षण को ‘अनुचित’ (Inappropriate) करार दिया है। उन्होंने कहा कि पुतिन को इस तरह के परीक्षणों पर ध्यान देने के बजाय यूक्रेन युद्ध समाप्त करने पर फोकस करना चाहिए।

 

ट्रम्प का बयान: एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रम्प ने कहा,
“उन्हें (रूस) पता है कि हमारे पास दुनिया की सबसे शक्तिशाली परमाणु पनडुब्बियाँ हैं, जो उनके तटों के पास ही मौजूद हैं। हमें अपनी मिसाइलों को 8,000 मील उड़ाने की जरूरत नहीं है। हम उनके साथ खेल नहीं रहे, और वे भी हमारे साथ नहीं खेल रहे। हम भी लगातार मिसाइलों का परीक्षण करते हैं।”

ट्रम्प ने आगे कहा, “मुझे नहीं लगता कि पुतिन का ऐसा बयान देना उचित है। वैसे भी उन्हें युद्ध खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए- एक ऐसा युद्ध जो एक हफ्ते में खत्म हो सकता था, लेकिन अब अपने चौथे साल में पहुंच चुका है।”

 

मिसाइल टेस्टिंग को लेकर विशेषज्ञों की चेतावनी:

मिसाइल विशेषज्ञ जेफरी लुईस ने रूस की ‘बुरेवेस्तनिक’ परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल की सफल टेस्टिंग को गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने इसे “उड़ता हुआ छोटा चेरनोबिल” कहा।

चेरनोबिल यूक्रेन का एक शहर है, जहाँ 26 अप्रैल 1986 को इतिहास का सबसे भीषण परमाणु हादसा हुआ था। सोवियत काल के इस न्यूक्लियर पावर प्लांट के एक रिएक्टर में हुए विस्फोट ने यूक्रेन, बेलारूस, रूस और यूरोप के कई हिस्सों को विकिरण से प्रभावित किया था।

 

जेफरी लुईस का आकलन:

उन्होंने कहा कि बुरेवेस्तनिक’ मिसाइल बेहद खतरनाक और अस्थिर हथियार है। यह किसी साइंस-फिक्शन फिल्म जैसा हथियार है, जो वैश्विक अस्थिरता को बढ़ाएगा। उनके अनुसार, इस तरह की तकनीक के चलते हथियार नियंत्रण (arms control) को लागू करना और भी कठिन हो जाएगा।

 

निष्कर्ष:

PMDA की समाप्ति ने अमेरिका और रूस के बीच परमाणु सहयोग और भरोसे की आखिरी कड़ी को तोड़ दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दुनिया में परमाणु तनाव बढ़ रहा है और दोनों देशों के रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से वैश्विक सुरक्षा और परमाणु नियंत्रण प्रयासों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और नई हथियार दौड़ शुरू होने की आशंका बढ़ सकती है।