चीन की राजधानी बीजिंग में बुधवार को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के 80 वर्ष पूरे होने पर एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन समेत 26 देशों के शीर्ष नेता और सेना प्रमुख शामिल हुए।
इस अवसर पर किम जोंग उन और व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई। हालांकि, चर्चा का सबसे अनोखा दृश्य तब सामने आया जब बैठक के बाद उत्तर कोरियाई सुरक्षाकर्मियों को किम द्वारा इस्तेमाल की गई कुर्सी और टेबल को तुरंत साफ करते हुए देखा गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया ।

क्या है पूरा मामला?
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल गया। विशेषज्ञों का कहना है कि किम जोंग उन की सुरक्षा टीम उनके डीएनए को मिटाने के लिए कुर्सी और मेज़ को साफ कर रही थी। इस वजह से सोशल मीडिया पर नई बहस छिड़ गई है और लोग अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं।
हर वस्तु की गहन सफाई
सुरक्षाकर्मियों ने कुर्सी, मेज़, ग्लास और आसपास मौजूद हर उस चीज़ को अच्छी तरह साफ किया जिसे कोरियाई नेता ने छुआ था। उन्होंने कुर्सी के हत्थों से लेकर पीठ और साइड टेबल तक हर कोने को साफ किया। इस पूरी घटना का वीडियो रूसी पत्रकार अलेक्जेंडर युनाशेव ने साझा किया और लिखा कि डीपीआरके प्रमुख की मौजूदगी के सभी निशानों को कर्मचारियों ने बारीकी से मिटा दिया।

किम जोंग-उन के डीएनए को छिपाने की वजह:
जापानी अख़बार निक्केई के अनुसार, चीन दौरे से पहले किम जोंग-उन के लिए एक अलग निजी बाथरूम बनाया गया था, जहाँ किसी और को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। उनके सुरक्षाकर्मियों को यह आदेश भी दिया गया था कि वे किम द्वारा छुई गई हर चीज़ को तुरंत साफ करें। इसका उद्देश्य केवल एक था, किम का डीएनए किसी भी हालत में बाहर न जा सके।
डीएनए लीक होने से सेहत और स्वास्थ्य के बारे मिल सकती है जानकारी-
दरअसल, उनके डीएनए से विदेशी देश उनकी सेहत की अहम जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह जानकारी केवल मल-मूत्र से ही नहीं, बल्कि उनके इस्तेमाल किए गए गिलास, कप या प्लेट पर मौजूद लार से भी ली जा सकती है। उत्तर कोरिया के लिए यह संवेदनशील मुद्दा है, क्योंकि वहां किम परिवार को “भगवान समान” माना जाता है और उनकी सेहत को लेकर किसी भी कमजोरी को स्वीकार नहीं किया जाता।
सुरक्षा और जासूसी का खतरा:
विशेषज्ञों का मानना है कि डीएनए और फिंगरप्रिंट्स सूचनाओं का बड़ा स्रोत होते हैं। अगर दुश्मन देशों को किम का डीएनए मिल जाए, तो वे उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने और जासूसी करने में सक्षम हो जाएंगे और सुरक्षा रणनीति भी निष्प्रभावी हो सकती है।
कुर्सी तक को किया गया था, सैनिटाइज
साल 2023 में जब किम जोंग-उन रूस के स्पेसपोर्ट में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने पहुंचे थे, तब उनकी सुरक्षा टीम ने बेहद असामान्य कदम उठाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, किम जिस कुर्सी पर बैठे थे, उसे तुरंत उनकी सुरक्षा टीम ने सैनिटाइज कर दिया। रूस के कोमर्सांट अखबार के पत्रकार आंद्रेई कोलेसनिकोव ने लिखा कि यह कुर्सी उत्तर कोरियाई सुरक्षा कर्मियों के लिए “सबसे बड़ी चिंता” का विषय बन गई थी।

किम की सिगरेट की राख और बट्स भी सुरक्षित
किम जोंग-उन सिर्फ डीएनए ही नहीं, बल्कि अपनी लार तक को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं। साल 2019 में जब वे वियतनाम में अमेरिका-उत्तर कोरिया शिखर सम्मेलन के लिए जा रहे थे, तो उनकी ट्रेन दक्षिण चीन के नाननिंग स्टेशन पर रुकी। इस दौरान किम बाहर आकर सिगरेट पीने लगे। उनकी बहन किम यो-जोंग उनके साथ खड़ी रहीं और उनके सिगरेट की राख और बट्स इकट्ठा करने के लिए ऐशट्रे पकड़े रहीं। इतना ही नहीं, किम ने इस्तेमाल की हुई माचिस की तीली तक दोबारा उसके डिब्बे में रख दी। यह सब इसलिए किया गया ताकि उनकी लार या अन्य जैविक निशान किसी और के हाथ न लग सकें।

पुतिन भी हैं ‘डीएनए प्रोटेक्टिव’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब भी विदेश यात्राओं पर जाते हैं, तो उनकी टीम उनके यूरीन और मल को इकट्ठा करके सुरक्षित बैग्स में पैक करती है और फिर इसे एक खास सूटकेस में रखकर रूस वापस ले आती है। इस सूटकेस को मीडिया ने ‘पूप सूटकेस’ नाम दिया है। इसका मकसद साफ है किसी भी विदेशी एजेंसी को पुतिन के स्वास्थ्य से जुड़ी अहम जानकारी हाथ न लग पाए। बताया जाता है कि यह विशेष प्रोटोकॉल साल 2017 से ही अपनाया जा रहा है। यहां तक कि जब पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी, तब भी उनकी टीम ने यही प्रक्रिया अपनाई थी। हाल ही में अलास्का यात्रा के दौरान भी पुतिन के बॉडीगार्ड एक खास सूटकेस लेकर पहुंचे थे, जो उनके मल-मूत्र को इकट्ठा करने के लिए ही तैयार किया गया था।

डीएनए लीक होने के संभावित खतरे
- स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का खुलासा:डीएनए से किसी व्यक्ति की संभावित बीमारियों, कमजोरियों और आनुवंशिक स्थितियों का पता लगाया जा सकता है। यदि यह जानकारी किसी विदेशी एजेंसी के हाथ लग जाए, तो इसका इस्तेमाल राजनीतिक या रणनीतिक फायदे के लिए किया जा सकता है।
- राजनीतिक और सुरक्षा खतरा:खासकर नेताओं या उच्च पदस्थ व्यक्तियों के लिए, उनका डीएनए लीक होना उनके शासन या संगठन के लिए खतरा बन सकता है। दुश्मन देश उनकी स्वास्थ्य स्थिति या कमजोरियों का फायदा उठा सकते हैं।
- गोपनीयता का उल्लंघन:डीएनए किसी की निजी जानकारी का सबसे संवेदनशील हिस्सा है। इसका लीक होना निजी और पारिवारिक गोपनीयता को भी खतरे में डाल सकता है।
- जासूसी और ट्रैकिंग:डीएनए से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति कहां रहा, क्या खाया, और किससे संपर्क में था। दुश्मन देश इस जानकारी का इस्तेमाल उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने और जासूसी करने में कर सकते हैं।
डीएनए परीक्षण क्या है?
डीएनए परीक्षण एक वैज्ञानिक तरीका है जिससे शरीर की आनुवंशिक संरचना (Genetic Structure) का अध्ययन किया जाता है। इसके जरिए किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य, रोगों की संभावना, और आनुवंशिक विशेषताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की जा सकती है। यह परीक्षण न केवल बीमारियों का जोखिम जानने में मदद करता है, बल्कि यह पूर्वजों और परिवारिक संबंधों की पहचान में भी सहायक होता है।
डीएनए परीक्षण से पता लगाई जा सकने वाली चीजें:
- आनुवंशिक रोग: डीएनए टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को कोई आनुवंशिक रोग है या भविष्य में किसी विशेष बीमारी का खतरा है।
- वंशानुगत इतिहास: डीएनए की मदद से अपने पूर्वजों और परिवारिक जड़ों का पता लगाया जा सकता है।
- पितृत्व और मातृत्व: इस परीक्षण से पिता-बच्चे या माँ-बच्चे के बीच जैविक संबंधों की पुष्टि की जा सकती है।
- वाहक स्थिति: यह निर्धारित किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति किसी आनुवंशिक रोग के जीन का वाहक है या नहीं।
क्या DNA से आयु का पता लगाया जा सकता है?
डीएनए की मदद से किसी व्यक्ति की जैविक आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। इसे डीएनए मिथाइलेशन (DNA methylation) प्रक्रिया के जरिए किया जाता है, जिसे वैज्ञानिक एपिजेनेटिक घड़ी (epigenetic clock) भी कहते हैं। इसमें DNA पर मिथाइल समूहों के जुड़ने या हटने के पैटर्न का अध्ययन किया जाता है, जो व्यक्ति की जैविक आयु के साथ सीधे जुड़े होते हैं।
यह कैसे काम करता है?
- डीएनए मिथाइलेशन: DNA में समय के साथ मिथाइल समूह जुड़ते या हटते हैं। ये रासायनिक बदलाव पूर्वानुमेय पैटर्न में होते हैं, जिन्हें देखकर किसी व्यक्ति की जैविक उम्र का अनुमान लगाया जा सकता है।
- एपिजेनेटिक घड़ियाँ: वैज्ञानिकों ने DNA में कुछ विशिष्ट स्थानों की पहचान की है जहाँ मिथाइलेशन का पैटर्न उम्र बढ़ने के साथ सबसे अधिक बदलता है। इन पैटर्नों को “एपिजेनेटिक घड़ियों” में मापा जाता है।
- टेलोमेयर की भूमिका: DNA की एक अन्य विशेषता, टेलोमेयर, उम्र बढ़ने के साथ छोटी होती जाती है। हालांकि, इसे केवल एक बायोमार्कर माना जाता है और इसके आधार पर अकेले उम्र का सटीक अनुमान लगाना संभव नहीं है।
निष्कर्ष:
किम जोंग-उन की सुरक्षा केवल भौतिक सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके डीएनए और जैविक निशानों की सुरक्षा भी उनकी रणनीति का एक अहम हिस्सा है। यह दिखाता है कि उत्तर कोरियाई शासन अपने नेता की गोपनीयता और शासन की स्थिरता के लिए अत्यंत सतर्क है।