नीति आयोग की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को तेजी से अपनाने से 2035 तक भारत की GDP $8.3 ट्रिलियन तक पहुँच सकती है, जबकि वर्तमान 5.7% वार्षिक वृद्धि दर के तहत यह $6.6 ट्रिलियन होगी।
रिपोर्ट “AI for Viksit Bharat: The Opportunity for Accelerated Economic Growth” में कहा गया है कि अगर भारत Viksit Bharat के लिए आवश्यक 8% वार्षिक वृद्धि दर हासिल करना चाहता है, तो अर्थव्यवस्था में उत्पादकता बढ़ाना और नवाचार के माध्यम से नए विकास के अवसर खोलना अनिवार्य है।
AI और भारत की आर्थिक संभावना:
नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को तेजी से अपनाने से भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा। 2035 तक AI के कारण देश के GDP में 500-600 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान होने का अनुमान है। वैश्विक स्तर पर AI विभिन्न उद्योगों में 17-26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक प्रभाव डाल सकता है।
AI आधारित अनुसंधान और विकास से भारत के GDP में अतिरिक्त 280-475 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान होने की संभावना है। यदि सरकार के “विकसित भारत” विज़न को सही दिशा में लागू किया गया, तो भारत का GDP 8.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है, जो वर्तमान विकास पथ से लगभग 1.7 ट्रिलियन डॉलर अधिक है।

डेटा, कौशल और क्षेत्र-विशिष्ट लाभ:
AI कोष के विस्तार और जीनोमिक्स, विनिर्माण टेलीमेट्री, वित्त और मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में प्रमाणित और अंतर-संचालनीय डेटा तैयार करके भारत विश्व की डेटा राजधानी बन सकता है।
साथ ही, शीर्ष विश्वविद्यालयों और राष्ट्रीय प्रमाणन कार्यक्रमों के माध्यम से AI विशेषज्ञों और भविष्य के कार्यबल का निर्माण संभव है। यह निरंतर पुनः कौशल विकास, वहनीय शिक्षा और आजीवन रोजगार के अवसर सुनिश्चित कर सकता है।
कुछ प्रमुख उद्योगों में AI का प्रभाव विशेष रूप से दिखाई देगा। बैंकिंग, विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव सेक्टर AI-आधारित नवाचार और सुधार के लिए प्राथमिक क्षेत्र के रूप में उभर रहे हैं।
उद्योगों में AI अपनाने के अवसर:
भारत में AI अपनाने के अवसर मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में स्पष्ट हैं। विभिन्न उद्योगों में AI के तेजी से उपयोग से अनुमानित वृद्धि दर का 30-35% तक पूरा होना संभव है।
- वित्तीय सेवाएँ: अनुपालन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाना, धोखाधड़ी का पता लगाना और पर्सनल बैंकिंग सेवाओं को स्मार्ट बनाना।
- विनिर्माण: स्मार्ट-फैक्टरी कॉरिडोर, पूर्वानुमानित प्रबंधन और AI आधारित औद्योगिक पार्क से उत्पादन और दक्षता में वृद्धि।
- ऑटोमोटिव क्षेत्र: सॉफ्टवेयर-सहायता प्राप्त वाहन (SAV) और AI द्वारा डिज़ाइन किए गए घटक भारत को उन्नत ऑटोमोटिव नवाचार का वैश्विक केंद्र बना सकते हैं।
अनुसंधान, विकास और प्रौद्योगिकी सेवाओं में AI का प्रभाव:
- जनरेटिव AI में अनुसंधान एवं विकास: AI के उपयोग से आवश्यक उत्पादन क्षमता में 20-30% तक योगदान होने की उम्मीद है। दवा खोज की लागत 20-30% तक घट सकती है और समय-सीमा 60-80% तक कम हो सकती है।
- प्रौद्योगिकी सेवाओं में मजबूती: नीति आयोग के अनुसार, प्रौद्योगिकी सेवाओं को सुदृढ़ करने से 15-20% अतिरिक्त वृद्धि संभव है। इसके साथ ही, AI-सक्षम उच्च-मूल्य समाधानों के माध्यम से भारत की भूमिका एक प्रमुख प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता के रूप में और मजबूत होगी।
- वित्त और विनिर्माण में बदलाव: वित्तीय सेवाओं में अनुपालन, धोखाधड़ी पहचान और जोखिम प्रबंधन जैसे कार्य स्वचालित होंगे, जिससे दक्षता और सुरक्षा बढ़ेगी। विनिर्माण क्षेत्र में एआई आधारित ऑटोमेशन से 85-100 अरब डॉलर तक अतिरिक्त उत्पादकता की उम्मीद है।
भारत के लिए आर्थिक और डेटा संबंधी अवसर:
भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभ का उपयोग करके AI अपनाने में अग्रणी बन सकता है। देश के पास विश्व के सबसे बड़े STEM कार्यबल और युवा आबादी हैं, जो उत्पादक रोजगार और नवाचार को बढ़ावा देने में सहायक होंगे।
- इसके अलावा, भारत के विशाल, विविध और बहुभाषी डेटासेट इसे वैश्विक डेटा राजधानी बनाने की क्षमता रखते हैं।
- जीनोमिक्स, विनिर्माण टेलीमेट्री और वित्तीय समावेशन जैसे क्षेत्रों में ये डेटा नवाचार के अवसर उत्पन्न करेंगे।
AI-संचालित समाधान कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और शासन जैसे क्षेत्रों में असमानताओं को पाटने और अंतिम लक्षित सेवाएँ प्रभावी ढंग से प्रदान करने में मदद कर सकते हैं।
भारत की AI प्रगति में प्रमुख चुनौतियाँ क्या – क्या है ?
- कम-कुशल और असमान कार्यबल: AI जैसी तकनीकें डाटा एंट्री और ग्राहक सहायता जैसी कम-मूल्य वाली नौकरियों को प्रभावित कर रही हैं, जिनमें अधिकांश अनौपचारिक श्रमिक, महिलाएँ और ग्रामीण आबादी शामिल हैं। लक्षित कौशल उन्नयन के बिना असमानता और रोजगार से वंचित होने का जोखिम बढ़ जाता है।
- डिजिटल बुनियादी ढाँचे की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और उपकरणों की सीमित उपलब्धता AI की समावेशी क्षमता को प्रभावित कर रही है। भारत की लगभग 65% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहाँ डिजिटल तत्परता कम है।
- कंप्यूटिंग और डेटा संसाधनों की सीमाएँ: भारत वैश्विक डेटा का 20% उत्पन्न करता है, लेकिन उसके पास केवल 2% डेटा केंद्र और कंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर है। उच्च हार्डवेयर लागत और चिप निर्भरता AI अनुसंधान और नवाचार को सीमित करती है।
- कमज़ोर संस्थागत ढांचा: भारत में अमेरिका, चीन और यूरोप की तरह एक अंतर-क्षेत्रीय राष्ट्रीय AI रणनीति और समन्वय प्राधिकरण का अभाव है, जिससे नीति और कार्यान्वयन में गाइडेंस कम है।
- लैंगिक असमानता और अनौपचारिक रोजगार: कार्यबल में 35% महिलाएँ हैं और अधिकांश सुभेद्य भूमिकाओं में हैं। लक्षित पुनर्कौशल के बिना AI महिलाओं के लिए श्रम बाजार में और अपवर्जन पैदा कर सकता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) में उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिससे हरित परिवर्तन लक्ष्यों पर दबाव पड़ता है। गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, AI स्थायी ऊर्जा लक्ष्यों के लिए चुनौती बन सकता है।
- अनुसंधान और शैक्षणिक पिछड़ापन: भारत के विश्वविद्यालयों का वैश्विक AI रैंकिंग में कम प्रतिनिधित्व है और PhD उत्पादन कम है। शैक्षणिक-उद्योग सहयोग भी कमजोर है, जिससे स्वदेशी नवाचार और आधारभूत AI अनुसंधान सीमित रहता है।
IndiaAI Mission: भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में प्रमुख पहल:
भारत की प्रमुख AI पहल, IndiaAI Mission, एक रणनीतिक कार्यक्रम है जिसमें ₹10,300 करोड़ से अधिक का वित्तीय समर्थन शामिल है। यह मिशन, जो मार्च 2024 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृत हुआ, भारत को वैश्विक AI नेतृत्व में स्थापित करने और समावेशी विकास के लिए तकनीक को लोकतांत्रित करने का लक्ष्य रखता है।
IndiaAI Mission के सात स्तंभ:
- IndiaAI Compute Capacity: 10,000 से अधिक GPU के साथ एक मजबूत AI कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। IndiaAI Compute Portal के माध्यम से स्टार्टअप, शोधकर्ता और शैक्षणिक संस्थान इस हाई-एंड कंप्यूटिंग पावर तक डिस्काउंटेड पहुंच प्राप्त करेंगे।
- IndiaAI Innovation Centre: इस केंद्र का उद्देश्य भारत की विविध भाषाई और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लिए देशीय Large Multimodal Models (LMMs) और मौलिक AI मॉडल विकसित करना है।
- IndiaAI Datasets Platform: AI नवाचार के लिए उच्च-गुणवत्ता, एनॉनिमाइज्ड और गैर-व्यक्तिगत सार्वजनिक डेटा तक सुगम पहुँच प्रदान करता है। AIKosha प्लेटफ़ॉर्म इस पहल का हिस्सा है।
- IndiaAI Application Development Initiative: स्वास्थ्य, कृषि और शासन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभावशाली AI समाधान विकसित करने और उन्हें स्केल करने को प्रोत्साहित करता है, जिससे सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संभव हो।
- IndiaAI FutureSkills: AI शिक्षा को सभी शैक्षणिक स्तरों पर बढ़ावा देता है और टियर 2 और टियर 3 शहरों में Data और AI Labs स्थापित करता है, जिससे भविष्य के AI टैलेंट की पाइपलाइन मजबूत होगी।
- IndiaAI Startup Financing: इस पहल के तहत डीप-टेक AI स्टार्टअप्स को फंडिंग तक पहुँच मिलती है, जिससे उनके नवाचारों का विकास और वाणिज्यिकरण तेज़ होगा।
- Safe & Trusted AI: जिम्मेदार AI विकास सुनिश्चित करने के लिए नैतिक दिशा-निर्देश, इनोवेटर्स के लिए टूल और मजबूत गवर्नेंस ढाँचे स्थापित किए जाएंगे।
निष्कर्ष:
AI को राष्ट्रीय विकास की अनिवार्यता मानते हुए, विकसित भारत का रोडमैप इसका उपयोग विकास अंतराल कम करने और लचीले, प्रतिस्पर्धी उद्योग बनाने के लिए करता है। इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि नवाचार को समावेशिता के साथ और गति को स्थिरता के साथ संतुलित किया जाए।