12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाली एअर इंडिया की फ्लाइट AI 171 टेकऑफ के तुरंत बाद भीषण हादसे का शिकार हो गई, जिसमें 260 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। अब इस हादसे को लेकर विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि दोनों इंजनों में फ्यूल सप्लाई बंद हो जाना इस त्रासदी का मुख्य कारण था। हालांकि अंतिम रिपोर्ट अभी आनी बाकी है, लेकिन 15 पन्नों की इस रिपोर्ट में कई गंभीर तकनीकी चूक की ओर इशारा किया गया है।

12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट हुई थी दुर्घटनाग्रस्त:
12 जून 2025 को, एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 जो अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन जा रही थी, उड़ान भरने के तुरंत बाद मेघाणीनगर इलाके में स्थित एक हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी।
इस भयावह हादसे में विमान में सवार 241 यात्रियों की मृत्यु हो गई थी, जबकि ज़मीन पर मौजूद कई लोग भी इसकी चपेट में आ गए। केवल एक यात्री जीवित बचा, जिसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
AAIB ने घटना के बाद मौके से ब्लैक बॉक्स का क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) बरामद किया था। 25 जून को इस मॉड्यूल से डेटा को सफलतापूर्वक डाउनलोड कर लिया गया, जो अब तकनीकी विश्लेषण का आधार बना।
आइए जानते है विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में क्या क्या सामने आया है-
उड़ान से पहले सब कुछ सामान्य था: इस फ्लाइट के लिए को-पायलट क्लाइव कुंदर विमान उड़ा रहे थे, जबकि कैप्टन सुमीत सबरवाल मॉनिटरिंग पायलट की भूमिका में थे। दोनों पायलटों को उड़ान से पहले पर्याप्त विश्राम मिला था और उन्होंने एयरपोर्ट पर ब्रेथ एनालाइज़र टेस्ट भी पास किया था। रिपोर्ट के अनुसार विमान का रखरखाव समय पर और सभी आवश्यक दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया था। टेकऑफ की प्रक्रिया भी सामान्य रही जब तक कि विमान लगभग 400 फीट की ऊंचाई तक नहीं पहुंच गया।
टेकऑफ के तुरंत बाद बंद हुई फ्यूल सप्लाई
रिपोर्ट के अनुसार सबसे अहम और चौंकाने वाला हिस्सा यह है कि टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच RUN से CUTOFF स्थिति में चले गए। यानी दोनों इंजनों की फ्यूल सप्लाई अचानक बंद हो गई, जिससे विमान पूरी तरह पावरलेस हो गया और क्रैश हो गया। ये फ्यूल कंट्रोल स्विच दोनों इंजनों के लिए अलग-अलग होते हैं, और दोनों का एक सेकंड के भीतर बंद हो जाना एक गंभीर संकेत है।
कोकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक पायलट को दूसरे से यह कहते हुए सुना गया, “तुमने फ्यूल क्यों कट किया?” जिस पर जवाब आया, “मैंने नहीं किया।” हालांकि रिकॉर्डिंग का पूरा ट्रांसक्रिप्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हुआ है और यह नहीं बताया गया है कि यह संवाद किस पायलट ने किससे कहा।
क्या होते हैं फ्यूल कटऑफ स्विच?
फ्यूल कटऑफ स्विच (Fuel Cutoff Switches) किसी विमान के इंजन तक ईंधन की आपूर्ति को नियंत्रित करने वाले महत्वपूर्ण सेफ्टी कंट्रोल होते हैं। पायलट इनका उपयोग आमतौर पर दो स्थितियों में करते हैं:
- इंजन स्टार्ट या बंद करने के लिए (आमतौर पर जमीन पर)
- आपातकालीन स्थिति में इंजन को तुरंत बंद करने के लिए
जब यह स्विच ‘CUTOFF’ पोजिशन में होता है, तो इंजन तक ईंधन की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो जाती है और इंजन रुक जाता है। जब यह ‘RUN’ पोजिशन में होता है, तो इंजन को ईंधन मिलना शुरू हो जाता है और वह चालू रहता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ये स्विच खुद-ब-खुद नहीं बदलते, इन्हें बदलने के लिए पायलट को जानबूझकर और सावधानी से इन्हें ऊपर उठाकर पोजिशन बदलनी होती है।
ये स्विच कहां होते हैं?
Air India की जिस Boeing 787-8 विमान में हादसा हुआ, उसमें GE के दो इंजन लगे थे। इन इंजनों के लिए फ्यूल कंट्रोल स्विच कॉकपिट में थ्रस्ट लीवर (गति नियंत्रण यंत्र) के ठीक नीचे स्थित होते हैं।
इन स्विचों में सुरक्षा के विशेष इंतजाम होते हैं:
- स्प्रिंग-लोडेड डिज़ाइन, जिससे ये अपने स्थान पर मजबूती से टिके रहते हैं।
- दोनों ओर ब्रैकेट (सुरक्षा घेरे) होते हैं, जो उन्हें दुर्घटनावश हिलने से रोकते हैं।
- इन्हें ऊपर उठाकर ही किसी भी पोजिशन में बदला जा सकता है (यानी ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ या इसके विपरीत)।
दुर्घटना के बाद मलबे से स्विच RUN पोजीशन में पाए गए
दुर्घटना के बाद मलबे से स्विच RUN पोजीशन में पाए गए, जिससे संकेत मिलता है कि पायलटों ने आखिरी कोशिश में इन्हें वापस रन मोड में डाला –(शायद विमान को फिर से पावर देने के लिए)। लेकिन विमान बहुत कम ऊंचाई पर था, इसलिए इंजन फिर से चालू हो पाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया।
2018 में फ्यूल स्विच पर FAA की चेतावनी
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि अमेरिकी एविएशन रेगुलेटर FAA ने 2018 में Boeing 737 के फ्यूल स्विच लॉकिंग फीचर की संभावित विफलता पर एक चेतावनी जारी की थी, जो 787 पर लगे स्विच मॉड्यूल के समान है। हालांकि यह चेतावनी केवल सलाह के तौर पर थी, इसलिए एयर इंडिया ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
रखरखाव रिकॉर्ड से यह भी सामने आया कि 2019 और 2023 में कॉकपिट के थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल को बदला गया था, लेकिन इसका कारण फ्यूल स्विच नहीं था। 2023 से अब तक कोई भी शिकायत फ्यूल कंट्रोल स्विच को लेकर दर्ज नहीं की गई थी।
इमरजेंसी सिस्टम हुए एक्टिव, पर देर हो चुकी थी
जैसे ही इंजनों का फ्यूल कट हुआ, Ram Air Turbine (RAT) और Auxiliary Power Unit (APU) तुरंत सक्रिय हो गए। ये दोनों सिस्टम विमान की आपातकालीन पावर जरूरतों को पूरा करने के लिए होते हैं। RAT एक विंड टरबाइन होती है जो हवा से बिजली उत्पन्न करती है, जबकि APU टेल सेक्शन में एक छोटा टरबाइन इंजन होता है जो पावर और एयर सर्कुलेशन में मदद करता है। इन दोनों की सक्रियता यह दर्शाती है कि विमान को पूरी तरह पावर लॉस हो चुका था।
आइए समझते है Ram Air Turbine (RAT) क्या है?
Ram Air Turbine (RAT) एक छोटा, फोल्डेबल टरबाइन होता है जो आमतौर पर किसी विमान के धड़ (fuselage) या विंग के नीचे छिपाकर लगाया जाता है। यह सामान्य उड़ान के दौरान दिखाई नहीं देता और उपयोग में नहीं आता।
मगर, जब विमान में कोई गंभीर तकनीकी खराबी हो जाती है—जैसे कि:
- पूरा बिजली तंत्र (electrical system) फेल हो जाए
- हाइड्रोलिक सिस्टम पूरी तरह से काम करना बंद कर दे
- दोनों इंजन फेल हो जाएं (कुछ मामलों में)
तो RAT स्वतः (या पायलट द्वारा मैन्युअली) विमान के बाहर निकल आता है और हवा के प्रवाह से घूमने लगता है।
RAT कैसे काम करता है?
जब RAT घूमता है, तो वह उस ऊर्जा को उपयोगी रूप में बदलता है जैसे कि: बिजली बनाना (Electrical Power Generation), हाइड्रोलिक दबाव (Hydraulic Pressure) तैयार करना, या दोनों, विमान के मॉडल पर निर्भर करता है।
इस ऊर्जा से वह विमान के बेसिक और ज़रूरी सिस्टम्स को चालू रखता है:
- फ्लाइट कंट्रोल्स (जैसे रडर, एलेरॉन्स)
- ज़रूरी फ्लाइट इंस्ट्रूमेंट्स (जैसे altimeter, speed indicator)
- संचार और नेविगेशन सिस्टम
- Airbus जैसे विमानों में हाइड्रोलिक एक्ट्यूएटर्स
RAT कब डिप्लॉय होता है?
- स्वतः डिप्लॉयमेंट: अधिकांश विमानों में जब कोई बड़ा सिस्टम फेल होता है, तब RAT अपने-आप बाहर आ जाता है।
- मैनुअल डिप्लॉयमेंट: कॉकपिट में एक स्विच भी होता है जिससे पायलट इसे पूर्व चेतावनी के तहत या टेस्टिंग के लिए भी डिप्लॉय कर सकते हैं।
सीमाएँ और संचालन की शर्तें:
RAT का प्रभावी रूप से काम करना विमान की गति और ऊँचाई पर निर्भर करता है। यह तभी काम करता है जब विमान कम-से-कम 100 नॉट्स (185 किमी/घं.) की गति से उड़ रहा हो। यदि विमान बहुत कम ऊँचाई (650 फीट से कम) पर है, जैसे टेकऑफ या लैंडिंग के समय, तो RAT को पर्याप्त समय या हवा नहीं मिलती जिससे यह ठीक से कार्य नहीं कर
किस विमान में होता है RAT?
RAT अब लगभग सभी आधुनिक विमानों में एक मानक सुरक्षा सुविधा बन चुका है। जैसे कि Airbus A320, A330, A350, Boeing 787 Dreamliner, Embraer E-Jets और कुछ सैन्य विमान जैसे F-16। हर विमान में यह अपने सिस्टम्स के अनुसार बिजली या हाइड्रोलिक दबाव सप्लाई करने के लिए डिजाइन किया गया होता है।
महत्वपूर्ण बात: RAT का उद्देश्य विमान को पूरी तरह ठीक करना नहीं होता, बल्कि यह आपात स्थिति में आवश्यक सिस्टम्स को चलाते रहने के लिए अल्पकालिक बैकअप देता है ताकि पायलट सुरक्षित लैंडिंग करा सकें।
दुर्घटना से ठीक पहले मेडे कॉल किया गया: क्रैश से कुछ ही सेकंड पहले, 08:09:05 UTC पर विमान से एक “मेडे कॉल” भेजा गया था। यह संकेत देता है कि पायलटों को अचानक आई आपात स्थिति का एहसास हुआ और उन्होंने मदद के लिए अंतिम प्रयास किया।
इंजन बंद थे, इसलिए विमान ऊंचाई नहीं पकड़ सका: जांच में सामने आया कि दुर्घटना के समय दोनों इंजन बंद थे। उस वक्त विमान का अगला हिस्सा करीब 8 डिग्री ऊपर की ओर झुका हुआ था और पंख संतुलित स्थिति में थे, लेकिन thrust न होने के कारण विमान ऊपर उठने में असमर्थ था।
कॉकपिट कंट्रोल टेकऑफ के अनुसार थे: विमान के फ्लैप्स और लैंडिंग गियर लीवर टेकऑफ की सामान्य स्थिति में पाए गए, और थ्रस्ट लीवर भी उड़ान के दौरान टेकऑफ थ्रस्ट पर थे। हालांकि, क्रैश के समय ये निष्क्रिय अवस्था में पाए गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इंजन फ्यूल कटऑफ उड़ान के दौरान ही हुआ था, न कि टेकऑफ से पहले।
आगे की जांच की दिशा
AAIB की रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वर्तमान में Boeing 787-8 विमान या GE GEnx-1B इंजन में कोई खामी नहीं पाई गई है। इसका मतलब है कि जांच अब पायलट एक्शन पर केंद्रित हो गई है। फाइनल रिपोर्ट एक साल के भीतर आने की उम्मीद है, हालांकि प्रारंभिक रिपोर्ट की गहराई को देखते हुए यह और जल्दी भी आ सकती है।
