एयर इंडिया ने दुर्घटना और हवाई क्षेत्र प्रतिबंध के बाद मालिकों से 1.1 अरब डॉलर की मांग की:

अहमदाबाद में हुई उस घातक विमान दुर्घटना, जिसमें 240 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, के महीनों बाद अब एयर इंडिया अपने मालिकों टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस से ₹10,000 करोड़ (लगभग $1.1 बिलियन) की वित्तीय सहायता मांग रही है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया दुर्घटना के प्रभावों से निपटने के साथ-साथ अन्य व्यावसायिक और परिचालन चुनौतियों का भी सामना कर रही है।

Air India seeks $1.1 billion from owners after crash and airspace ban

परिचालन सुधार और सेवा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एयर इंडिया ने मांगी ₹10,000 करोड़ की सहायता:

एयर इंडिया ने यह ₹10,000 करोड़ की धनराशि अपने परिचालन ढांचे को पुनर्गठित करने, ग्राहक शिकायतों को कम करने, और तकनीकी रखरखाव प्रणाली को मजबूत बनाने के उद्देश्य से मांगी है। योजना के तहत एयरलाइन अपनी स्वयं की इंजीनियरिंग और मेंटेनेंस टीम स्थापित करना चाहती है, ताकि बाहरी सेवा प्रदाताओं पर निर्भरता घटाई जा सके।

वर्तमान में एयरलाइन का मेंटेनेंस कार्य एक सरकारी स्वामित्व वाली इकाई द्वारा किया जाता है। नई पूंजी मिलने के बाद एयर इंडिया प्रमुख हवाई अड्डों पर अपने खुद के हैंगर बनाने की योजना पर काम करेगी, जिससे उसे गुणवत्ता, लागत और समय प्रबंधन पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा। यह कदम लंबी अवधि में लागत में कमी और सेवा गुणवत्ता में सुधार दोनों में सहायक सिद्ध होगा।

 

टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस की हिस्सेदारी:

एयर इंडिया में टाटा समूह की 74.9% और सिंगापुर एयरलाइंस की 25.1% हिस्सेदारी है। कंपनी को मिलने वाली वित्तीय सहायता दोनों साझेदारों द्वारा उनकी ओनरशिप हिस्सेदारी के अनुसार दी जाएगी।

हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह फंडिंग ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में दी जाएगी या इक्विटी निवेश के रूप में। इस पर अंतिम निर्णय दोनों कंपनियों के बीच चर्चा के बाद लिया जाएगा।

 

वित्तीय संरचना पर टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस लेंगे निर्णय:

रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया के मालिक टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस (SIA) यह तय करेंगे कि यह फंडिंग ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में दी जाएगी या नई इक्विटी निवेश के रूप में।

टाटा संस और एयर इंडिया के प्रवक्ताओं ने इस पर टिप्पणी करने से इंकार किया है। वहीं, सिंगापुर एयरलाइंस (SIA) ने ब्लूमबर्ग को बताया कि वह टाटा संस के साथ एयर इंडिया के ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम पर मिलकर काम कर रही है, और जहां आवश्यक हो वहां तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान कर रही है, लेकिन वित्तीय मामलों से जुड़े प्रश्नों को एयर इंडिया की ओर निर्देशित किया गया।

वर्तमान में, इंडिगो एकमात्र लाभदायक घरेलू एयरलाइन है, जो भारतीय बाजार के 64% से अधिक हिस्से पर नियंत्रण रखती है।

 

अहमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद एयर इंडिया पर बढ़ा वित्तीय दबाव, ₹4,000 करोड़ के नुकसान की आशंका:

2 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही बोइंग 787 ड्रीमलाइनर फ्लाइट टेकऑफ के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें सभी यात्रियों में से केवल एक व्यक्ति जीवित बचा। इस भीषण हादसे के बाद नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एयर इंडिया की सुरक्षा प्रणाली (safety system) की व्यापक ऑडिट जांच का आदेश दिया।

दुर्घटना के बाद जून से अगस्त के बीच एयर इंडिया ने अपने वाइड-बॉडी अंतरराष्ट्रीय रूट्स में 15% की कटौती की, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी की आय में और गिरावट आई।

एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन (Campbell Wilson) ने इस हफ्ते बताया कि भले ही कई अनिश्चितताएं हैं, लेकिन कंपनी अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एयरस्पेस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण एयर इंडिया को लगभग ₹4,000 करोड़ का नुकसान होने की संभावना है। यह सब मिलकर एयर इंडिया के वित्तीय पुनर्गठन की आवश्यकता को और अधिक तात्कालिक बना देता है।

 

दुर्घटना के बाद एयर इंडिया का राहत और सहायता अभियान:

दुर्घटना के बाद एयर इंडिया ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 600 से अधिक कर्मचारियों को अहमदाबाद भेजा, ताकि वे स्थानीय प्रशासन की मदद कर सकें और प्रभावित परिवारों को आवश्यक सहायता प्रदान कर सकें। एयरलाइन ने अपने मूल संगठन टाटा संस के साथ मिलकर एक ट्रस्ट फंड स्थापित किया है, जिसके माध्यम से वित्तीय सहायता और मुआवजा का प्रबंधन किया जा रहा है।

एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने पुष्टि की कि सभी प्रभावित परिवारों को अंतरिम राहत दी जा चुकी है और अंतिम मुआवजा की प्रक्रिया जारी है।

 

एयर इंडिया का बेड़े का नवीनीकरण अभियान तेज़ी पर:

एयर इंडिया (AI) वर्ष 2026 से हर छह हफ्ते में एक नया वाइड-बॉडी विमान शामिल करेगी। यह कदम कंपनी के बेड़े के आधुनिकीकरण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त पाने की रणनीति का हिस्सा है। CEO कैम्पबेल विल्सन के अनुसार, एयरलाइन का लक्ष्य 2028 तक खुद को एक आधुनिक और विश्व-स्तरीय कैरियर के रूप में स्थापित करना है।

  • विस्तार योजना:
    • नए Boeing 787-9 और Airbus A350-1000 विमानों की डिलीवरी शामिल होगी।
    • मौजूदा Boeing 787 और Boeing 777 विमानों का पूर्ण नवीनीकरण भी किया जाएगा।
  • पहली डिलीवरी: पहला Boeing 787-9 दिसंबर 2025 में एयर इंडिया के बेड़े में शामिल होगा।
  • 2026 में डिलीवरी पैटर्न:
    • हर छह हफ्ते में एक नया वाइड-बॉडी विमान।
    • इनमें कई 787-9 और दो A350-1000 शामिल होंगे।
  • कुल ऑर्डर: एयर इंडिया ने Boeing और Airbus से 570 विमान ऑर्डर किए हैं, जिनमें से 68 वाइड-बॉडी हैं। अब तक छह A350 विमान पहले ही शामिल हो चुके हैं।

 

कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच एयर इंडिया के पुनर्गठन को नई दिशा देने की तैयारी:

भारत का विमानन क्षेत्र इस समय अपने सबसे प्रतिस्पर्धी दौर से गुजर रहा है। इंडिगो और आकाश एयर जैसी नई और उभरती एयरलाइंस लगातार अपना बाजार हिस्सा बढ़ा रही हैं, जबकि एयर इंडिया अपने ब्रांड इमेज को पुनर्जीवित करने के प्रयास में जुटी है।

हालिया संकट के बाद एयर इंडिया की मुख्य प्राथमिकताएं अब सुरक्षा, ग्राहक भरोसा और संचालन कुशलता को फिर से स्थापित करने की हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यदि एयर इंडिया सफलतापूर्वक ₹10,000 करोड़ की वित्तीय सहायता जुटाने में कामयाब होती है, तो यह उसके “ट्रांसफॉर्मेशन प्लानको नई गति और मजबूती प्रदान करेगा, जिससे कंपनी का दीर्घकालिक पुनरुत्थान संभव हो सकेगा।

 

अहमदाबाद एयर इंडिया फ्लाइट 171 दुर्घटना:

12 जून 2025 को एयर इंडिया फ्लाइट 171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही क्षणों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान लंदन के लिए रवाना हुआ था, लेकिन बी. जे. मेडिकल कॉलेज के मेडिकल हॉस्टल कॉम्प्लेक्स से टकरा गया, जिसमें कुल 260 लोगों की मौत हो गई।

 

दुर्घटना के बारे में:

  • हताहत: दुर्घटना में 241 यात्रियों समेत कुल 260 लोगों की मौत हो गई थी। कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
  • दुर्घटना स्थल: विमान ने बी. जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल ब्लॉक से टक्कर मारी, जो रनवे से लगभग 1.7 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • अंतिम क्षण: फ्लाइट डेटा से पता चला कि टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद दोनों इंजनों ने thrust खो दिया, क्योंकि उनके फ्यूल कंट्रोल स्विच गलती से RUN से CUTOFF स्थिति में चले गए थे। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से यह भी पता चला कि उस समय दोनों पायलटों के बीच इंजन शटडाउन को लेकर भ्रम की स्थिति थी।

 

जांच और उसके परिणाम:

भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने इस दुर्घटना की जांच शुरू की।
जुलाई 2025 में जारी प्रारंभिक रिपोर्ट (preliminary report) में कारण बताया गया कि फ्यूल कंट्रोल स्विचों की स्थिति में बदलाव से इंजन बंद हो गए, लेकिन यह क्यों हुआ, यह अभी स्पष्ट नहीं है। जांच फिलहाल जारी है।

कुछ पीड़ित परिवारों ने बोइंग और हनीवेल के खिलाफ मुकदमे दायर किए, यह आरोप लगाते हुए कि फ्यूल स्विच का डिज़ाइन दोषपूर्ण था, जिससे यह हादसा हुआ।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका: सितंबर 2025 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रारंभिक रिपोर्ट के चयनात्मक जारी होने और मीडिया द्वारा पायलटों को दोषी ठहराने वाली रिपोर्टिंग की आलोचना की थी।

इस दुर्घटना के बाद विमान सुरक्षा प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल उठे। DGCA ने एयर इंडिया के सभी बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों की अतिरिक्त जांच का आदेश दिया।

Most Viewed Posts