अमन गुप्ता की BoAt के IPO को SEBI की मंजूरी, वैल्यूएशन ₹13,000 करोड़ तक हो सकती है

ईयरफोन और वायरलेस स्पीकर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स बनाने वाली देश की प्रमुख ब्रांड boAt जल्द ही शेयर बाजार में कदम रखने जा रही है। कंपनी की पैरेंट कंपनी इमैजिन मार्केटिंग को शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) से अपना इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लॉन्च करने की मंजूरी मिल गई है। सेबी ने यह जानकारी मंगलवार, 2 सितंबर को जारी दस्तावेज़ में दी।

 

13,000 करोड़ रुपये के वैल्यूएशन पर लॉन्च की तैयारी:

 

रिपोर्टों के मुताबिक, boAt अपने IPO को लगभग 13,000 करोड़ रुपये के वैल्यूएशन पर लॉन्च करने की योजना बना रही है। विश्लेषकों का मानना है कि यह IPO भारतीय उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में सबसे बड़ी लिस्टिंग में से एक हो सकती है और निवेशकों से इसे जबरदस्त रिस्पॉन्स मिलने की उम्मीद है।

अप्रैल 2025 में किया था आवेदन: boAt ने अप्रैल 2025 में गोपनीय रूप से सेबी के पास अपने IPO का आवेदन जमा कराया था। अब मंजूरी मिलने के बाद कंपनी के बाजार में लिस्टिंग की तैयारी तेज हो गई है।

Aman Gupta's BoAt IPO gets SEBI approval

जनवरी 2022 में दाखिल किए थे पेपर्स:

 

बोट का यह शेयर बाजार में उतरने का दूसरा प्रयास है। इससे पहले जनवरी 2022 में कंपनी ने 2,000 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया था। उस समय की योजना के अनुसार, 900 करोड़ रुपये के नए शेयर (Fresh Issue) और 1,100 करोड़ रुपये की ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल थे। लेकिन प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते कंपनी को उस योजना को स्थगित करना पड़ा।

 

बोट का बड़े पैमाने पर आईपीओ की तैयारी:

 

बोट का यह आईपीओ करीब 2,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। कंपनी की वैल्यूएशन लगभग 13,000 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। हालांकि, इस बार के आईपीओ में कितने नए शेयर जारी होंगे और कितनी ऑफर फॉर सेल (OFS) होगी, इसका ब्योरा अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

 

बीएसई और एनएसई पर होगी लिस्टिंग: कंपनी के शेयर देश के दोनों प्रमुख शेयर बाजारों बीएसई और एनएसई पर सूचीबद्ध होंगे। वहीं, आईपीओ की लॉन्च डेट, प्राइस बैंड और अन्य जरूरी जानकारियां आगे आने वाले समय में घोषित की जाएंगी।

 

कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग का फायदा:

 

बोट (boAt) ने कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग का रास्ता अपनाया है। इस व्यवस्था में कंपनियों को ज्यादा लचीलापन मिलता है। जहां सामान्य प्रक्रिया में सेबी की मंजूरी के बाद 12 महीने में आईपीओ लाना जरूरी होता है, वहीं इस विकल्प से कंपनियों को 18 महीने का समय मिलता है। साथ ही, वे अपने नए शेयरों की संख्या को 50% तक घटा-बढ़ा सकती हैं, जब तक कि अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (UDRHP) दाखिल न हो।

 

बोट (boAt) कंपनी के बारे में-

 

boAt एक भारत-आधारित इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड है जिसकी शुरुआत नवंबर 2013 में हुई थी। कंपनी का कानूनी नाम Imagine Marketing Services Private Limited है, लेकिन बाजार में यह “boAt” ब्रांड नाम से पहचानी जाती है।

 

प्रोडक्ट रेंज और मार्केटिंग:

boAt मुख्य रूप से ऑडियो-फोकस्ड स्मार्ट वेयरेबल्स और एक्सेसरीज़ बनाती है। इसके प्रोडक्ट्स में शामिल हैं:

  • स्मार्टवॉच
  • इयरफोन्स और स्टीरियो हेडफोन्स
  • ट्रैवल चार्जर्स और प्रीमियम केबल्स
  • वायरलेस स्पीकर्स और होम ऑडियो इक्विपमेंट
  • मोबाइल एक्सेसरीज़ की विस्तृत रेंज

कंपनी अपने उत्पादों को पब्लिक इवेंट्स, इन्फ्लुएंसर कोलैबोरेशन्स और स्पोर्ट्स टीम पार्टनरशिप्स के ज़रिए भी प्रमोट करती है।

 

प्रमोटर्स की भूमिका:

कंपनी के प्रमोटर्स अमन गुप्ता और समीर मेहता हैं।

  • Aman Gupta: Co-founder, Whole-time Director और Chief Marketing Officer हैं। वे बोट की मार्केटिंग और ब्रांड बिल्डिंग के प्रमुख जिम्मेदार हैं।
  • Sameer Mehta: Co-founder, Whole-time Director और Chief Product Officer हैं। वे कंपनी के प्रोडक्ट्स और इनोवेशन की रणनीति के जिम्मेदार हैं।

 

IPO के मुख्य उद्देश्य:

इस आईपीओ से जुटाए गए फंड का उपयोग कंपनी निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए करेगी:

  • लाइफस्टाइल कैटेगरी में अपनी मौजूदगी का विस्तार करना।
  • लगातार निवेश कर ब्रांड को नई ऊंचाइयों तक ले जाना।
  • मार्केटिंग क्षमताओं को बढ़ाकर अधिक कंज्यूमर बेस बनाना।
  • मजबूत डिजाइन, रिसर्च, डेवलपमेंट और तकनीकी क्षमताओं का निर्माण करना।

 

आइए जानते है, IPO के बारे में-

IPO (Initial Public Offering) वह प्रक्रिया है, जब कोई प्राइवेट कंपनी पहली बार अपनी हिस्सेदारी (शेयर) आम जनता को बेचती है और एक पब्लिकली ट्रेडेड कंपनी बन जाती है। IPO से कंपनी को बड़ा पूंजी निवेश (कैपिटल) मिलता है, जिसका इस्तेमाल वह बिज़नेस विस्तार, कर्ज चुकाने या नए प्रोजेक्ट्स पर कर सकती है।

  • IPO के बाद कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाते हैं, जहाँ आम लोग उन्हें खरीद और बेच सकते हैं।

 

कंपनी आईपीओ क्यों जारी करती है?

 

  1. पूंजी जुटाना (Fund Raising):आईपीओ जारी करने से कंपनी को विस्तार, व्यवसाय सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड या कर्ज चुकाने के लिए धन मिलता है।
  2. तरलता और कर्मचारी लाभ (Liquidity & Employee Incentives):ओपन मार्केट में शेयर ट्रेड होने से तरलता बढ़ती है। यह कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन और अन्य लाभकारी योजनाओं के माध्यम से टैलेंट को आकर्षित करता है।
  3. ब्रांड की विश्वसनीयता (Brand Credibility):सार्वजनिक होने का मतलब है कि कंपनी का ब्रांड इतना सफल हो गया है कि उसका नाम स्टॉक एक्सचेंज में चमकता है, जो विश्वसनीयता और सम्मान का संकेत है।
  4. भविष्य के अवसर (Future Opportunities):सार्वजनिक कंपनी मांग वाले बाजार में अधिक शेयर जारी कर सकती है, जिससे विलय और अधिग्रहण के अवसर बढ़ते हैं क्योंकि शेयरों को डील का हिस्सा बनाया जा सकता है।

 

आईपीओ प्रक्रिया:

  • आईपीओ (Initial Public Offering) की प्रक्रिया में सबसे पहले कंपनीतैयारी करती है, जिसमें वह निवेश बैंकों को नियुक्त करती है ताकि वित्तीय विवरण तैयार किए जा सकें और प्रारंभिक शेयर मूल्य तय किया जा सके।
  • इसके बाद कंपनी कोनियामक मंजूरी लेनी होती है, ताकि उसके शेयर को सूचीबद्ध (list) किया जा सके।
  • इसके बादऑफर और लिस्टिंग की जाती है, जिसमें शेयर संस्थागत निवेशकों, उच्च नेट-वर्थ व्यक्तियों और आम जनता को पेश किए जाते हैं।
  • आईपीओ के बाद ये शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर स्वतंत्र रूप से कारोबार किए जाते हैं।

 

SEBI के बारे में-

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को प्रारंभ में गैर-कानूनी (non-statutory) निकाय के रूप में 12 अप्रैल 1988 को भारत सरकार के संकल्प द्वारा स्थापित किया गया था। बाद में इसे कानूनी (statutory) निकाय के रूप में 1992 में स्थापित किया गया। Securities and Exchange Board of India Act, 1992 (15 of 1992) के प्रावधान 30 जनवरी 1992 से लागू हुए।

SEBI के उद्देश्य:

SEBI के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. निवेशक संरक्षण:SEBI निवेशकों के हितों की रक्षा करता है, उन्हें मार्गदर्शन देता है और यह सुनिश्चित करता है कि उनका निवेश सुरक्षित हो।
  2. धोखाधड़ी और अनियमितताओं को रोकना:SEBI ट्रेडिंग से जुड़ी धोखाधड़ी और अनियमित गतिविधियों को रोकने और स्टॉक एक्सचेंज के संचालन को नियंत्रित करने का कार्य करता है।
  3. आर्थिक मध्यस्थों के लिए आचार संहिता:SEBI ब्रोकर, अंडरराइटर और अन्य वित्तीय मध्यस्थों के लिए आचार संहिता विकसित करता है।
  4. नियामक संतुलन बनाए रखना:SEBI स्टॉक मार्केट में कानूनी नियमों और आत्म-नियमन (self-regulation) के बीच संतुलन बनाए रखता है।