भारत के लक्जरी बाजार की दौड़ में अंबानी बनाम बिड़ला, $12 अरब के मार्केट के लिए सीधी टक्कर

भारत का लग्ज़री मार्केट अभूतपूर्व गति से विस्तार कर रहा है, और इसी बढ़ते क्षेत्र में दो बड़े औद्योगिक समूह—रिलायंस का अंबानी नेतृत्व वाला रिटेल नेटवर्क और आदित्य बिड़ला समूह—अब सीधे प्रतिस्पर्धी के रूप में उभर चुके हैं। वैश्विक परामर्श कंपनी Kearney के अनुसार, भारत का लग्ज़री बाज़ार 2023 के 7.7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2028 तक 12 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है। यह अनुमान दर्शाता है कि आने वाले वर्षों में भारतीय ग्राहकों की प्रीमियम ब्रांडों में रुचि और क्रय-शक्ति दोनों में तेज़ बढ़ोतरी होगी।

Ambani vs Birla in the race for India luxury market

भारत के लग्ज़री बाज़ार का बदलता स्वरूप और उसकी प्रगति:

  • पिछले एक दशक में भारत का लग्ज़री बाज़ार जिस गति से बदला है, उसने पूरे उपभोक्ता परिदृश्य को नई दिशा दी है। 2024 में इस सेक्टर का मूल्य लगभग 10.01 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो दर्शाता है कि उच्च आय वर्ग और बढ़ते मध्यम वर्ग के पास अब अधिक वैकल्पिक खर्च क्षमता है। जैसे-जैसे समृद्ध परिवारों और हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNWIs) की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे प्रीमियम उत्पादों की मांग लगातार मजबूत हो रही है। लोग केवल कार्यात्मक उत्पादों तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि अपनी जीवनशैली को प्रदर्शित करने वाले और गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाले ब्रांडों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।
  • भारत में तेज़ी से हो रहा शहरीकरण भी इस बदलाव का महत्वपूर्ण कारण बन रहा है। शहरों में स्थानांतरित होने वाली आबादी नई आदतें अपनाती है, आधुनिक उत्पादों की ओर आकर्षित होती है और वैश्विक उपभोक्ता संस्कृति से गहराई से जुड़ती है। महानगरों और उभरते शहरी केंद्रों में जहां रिटेल इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से विकसित हुआ है, वहीं प्रीमियम स्टोर्स, हाई-एंड बुटीक और लग्ज़री मॉल ग्राहकों को नए अनुभव प्रदान कर रहे हैं।
  • भारतीय युवा वर्ग की आकांक्षाएँ भी लग्ज़री बाज़ार को नई ऊर्जा दे रही हैं। आर्थिक अवसरों के विस्तार के साथ युवा पीढ़ी अपनी सामाजिक स्थिति को बेहतर दिखाना चाहती है। अनुमान है कि 2023 में जिस आय स्तर से ऊपर कमाने वालों की संख्या लगभग 6 करोड़ थी, वह 2027 तक बढ़कर लगभग 10 करोड़ हो सकती है। यह परिवर्तन उस सामाजिक बदलाव का संकेत है, जिसमें युवा उपभोक्ता वैश्विक ब्रांड, डिजाइनर परिधान, प्रीमियम गैजेट्स और लग्ज़री एक्सेसरीज़ को अपनाना चाहते हैं।
  • दुनिया के कई अंतरराष्ट्रीय लग्ज़री ब्रांड अब भारत को अपने सबसे संभावित बाज़ारों में देख रहे हैं। बड़े वैश्विक लेबल भारत में नए स्टोर खोल रहे हैं, इससे न केवल उपभोक्ताओं की पसंद में विविधता बढ़ रही है, बल्कि लोगों में ब्रांड की समझ और उनकी प्रीमियम पहचान के प्रति रुचि भी गहरी हुई है।

 

भारत के प्रीमियम रिटेल बाज़ार में रिलायंस और आदित्य बिड़ला की प्रतिस्पर्धा:

भारत के प्रीमियम रिटेल बाज़ार में रिलायंस और आदित्य बिड़ला के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जहाँ रिलायंस अपनी विशाल उपस्थिति और ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन रणनीति के साथ एक मजबूत चुनौती पेश कर रहा है, वहीं आदित्य बिड़ला (ABFRL) पारंपरिक फैशन और ब्रांडों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी प्रीमियम स्थिति को मजबूत कर रहा है। दोनों कंपनियाँ डिजिटल और भौतिक दोनों चैनलों का उपयोग कर रही हैं, लेकिन उनकी रणनीतियाँ अलग हैं।  

  •  रिलायंस रिटेल अपने व्यापार मॉडल को व्यापक पैमाने पर फैला रहा है। कंपनी विभिन्न मूल्य श्रेणियों में स्टोर्स बढ़ा रही है और लक्ज़री ब्रांड्स को अपने पोर्टफोलियो में जोड़कर बड़े ग्राहक आधार को जोड़ रही है। इसके विपरीत, आदित्य बिड़ला समूह अपने मॉडल को सेगमेंट-आधारित बना रहा है। वह मार्केट और प्रीमियम लेबल्स को अलग करके ब्रांड की लोकप्रियता को मजबूत कर रहा है।
  • रिलायंस इस क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है और नए स्टोर्स खोलकर तेज़ी से अपने नेटवर्क को बढ़ा रहा है। कंपनी लगातार इक्विटी जुटाकर अपने विस्तार को मजबूत कर रही है। दूसरी ओर, आदित्य बिड़ला समूह चुनिंदा ब्रांड्स का अधिग्रहण कर रहा है और 2024 में कुछ मास-मार्केट संचालन को डिमर्ज करके पूंजी को प्रीमियम ब्रांड्स में लगा रहा है।
  • रिलायंस अंतरराष्ट्रीय लक्ज़री लेबल्स से लेकर मास-प्रीमियम तक लगभग 80 से ज्यादा ग्लोबल पार्टनर ब्रांड्स के साथ काम कर रहा है। वहीं ABFRL भारतीय और ग्लोबल दोनों तरह के लेबल्स के साथ अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। वह राल्फ लॉरेन जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रीमियम ब्रांड्स के साथ ही कई भारतीय डिज़ाइनर लेबल्स को भी चला रहा है।
  • रिलायंस Gucci और Dior के साथ साझेदारी कर चुका है। वहीं बिड़ला समूह विश्व-प्रसिद्ध Galeries Lafayette के साथ मिलकर प्रीमियम डिपार्टमेंट स्टोर मॉडल को भारत में स्थापित कर रहा है।
  • रिलायंस अपने विशाल स्टोर नेटवर्क को डिजिटल प्लेटफॉर्म और लॉयल्टी डेटा से जोड़ रहा है। वह एकीकृत अनुभव बना रहा है, जहाँ ग्राहक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों में आसानी से खरीदारी कर रहे हैं। दूसरी तरफ, ABFRL अपने प्रीमियम ब्रांड्स के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है।

 

रिलायंस बनाम आदित्य बिड़ला: उत्पाद श्रृंखला 

  • रिलायंस रिटेल अपने परिधान व्यवसाय को Reliance Trends और AJIO जैसे बड़े प्लेटफॉर्म के माध्यम से चला रहा है। कंपनी हजारों स्टोर्स संचालित कर रही है और अपने निजी ब्रांड्स के साथ-साथ कई लाइसेंस प्राप्त अंतरराष्ट्रीय ब्रांड भी बेच रही है। इसके विपरीत, आदित्य बिड़ला समूह अपनी परिधान श्रृंखला को ABFRL और Pantaloons के माध्यम से मजबूत कर रहा है। यह समूह Louis Philippe, Van Heusen, Allen Solly और Peter England जैसे कई प्रतिष्ठित ब्रांडों से संबद्ध है। इसके अलावा, वह प्रीमियम ग्राहकों के लिए The Collective नामक हाई–एंड रिटेल फॉर्मेट भी चला रहा है।
  • रिलायंस अपनी सहायक इकाई Reliance Brands के माध्यम से वैश्विक लक्ज़री नामों को भारत में ला रहा है। कंपनी Balenciaga, Burberry और Tiffany & Co. जैसे ब्रांड्स को Ajio Luxe और अपने प्रमुख स्टोर्स में पेश कर रही है। दूसरी ओर, ABFRL, Ralph Lauren, Fred Perry और कुछ अन्य प्रीमियम ब्रांड्स के साथ साझेदारी कर चुका है, जिससे उसकी पेशकश खास ग्राहकों पर केंद्रित रहती है।
  • रिलायंस बड़े पैमाने पर निजी लेबल्स विकसित कर रहा है और कम से लेकर उच्च मूल्य वर्ग तक तेजी से विस्तार कर रहा है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को विस्तृत विकल्प और प्रतिस्पर्धी कीमतें देना है। वहीं ABFRL विशेष श्रेणियों जैसे फॉर्मल वियर और एथनिक वियर में अपने निजी ब्रांड्स को लोकप्रिय बनाने पर फोकस कर रहा है।

 

भारत में लग्ज़री रिटेल के विस्तार हेतु नीतिगत पहले:

  • भारतीय लग्ज़री रिटेल बाज़ार पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बदल रहा है, और इस बदलाव में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई नीतिगत पहले मुख्य कारक हैं। एकल-ब्रांड रिटेल में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति ने अंतरराष्ट्रीय प्रीमियम ब्रांडों के लिए भारत का मार्ग काफी आसान बना दिया है। अब विदेशी कंपनियाँ बिना स्थानीय साझेदार के देश में अपने स्टोर खोल सकती हैं, जिससे प्रवेश लागत में कमी हुई। पहले जहाँ प्रक्रियाएँ जटिल थीं, अब स्वचालित सरल अनुमति प्रक्रिया ने इसे निवेशकों के अनुकूल बनाया है।
  • कस्टम शुल्क प्रणाली भारत में लग्ज़री रिटेल के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बनी हुई है। कई आयातित प्रीमियम श्रेणियों पर 20% से 50% या उससे अधिक तक उच्च सीमा शुल्क लगता है, जिससे इन वस्तुओं की अंतिम कीमतें वैश्विक बाज़ार की तुलना में काफी बढ़ जाती हैं। इस मूल्य अंतर के कारण उपभोक्ता अक्सर विदेश यात्रा के दौरान लग्ज़री सामान खरीदना अधिक किफायती समझते हैं। भारत में ऊँचे सीमा शुल्क न केवल खुदरा मूल्य को प्रभावित करते हैं बल्कि घरेलू बिक्री की प्रतिस्पर्धात्मकता पर भी दबाव डालते हैं।
  • GST सुधार ने भी लग्ज़री श्रेणी के विकास पर स्पष्ट प्रभाव डाला है। हमेशा से ही आवश्यक और प्रीमियम वस्तुओं के बीच कर दरों में बड़ी असमानता देखने को मिली है। 2025 तक अधिकांश लग्ज़री फैशन, आयातित एक्सेसरीज़ और प्रीमियम उत्पादों पर उच्च GST लागू रहा, जो पहले से ही लगने वाले भारी आयात शुल्क के साथ मिलकर कीमतों को काफी बढ़ा देता था। इस दोहरे कर–भार के कारण उपभोक्ता मांग अपेक्षाकृत सीमित रही।

 

ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस सुधार ने लग्ज़री ब्रांडों के लिए संचालन को सहज बनाया है। पिछले वर्षों में व्यापार से जुड़ी अनुमति प्रक्रियाओं में सरलता आई है, लाइसेंसिंग और रजिस्ट्रेशन से संबंधित बाधाएँ कम हुई हैं, और स्टोर शुरू करने की प्रशासनिक समय-सीमा भी घटी है। इन सुधारों ने अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों को भारतीय बाज़ार में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।