TRF को अमेरिका ने किया बैन, भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जंग में एक बड़ी पहल करते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिका ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) की सूची में शामिल कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने आधिकारिक बयान जारी कर यह घोषणा की। यह वही संगठन है जिसे लश्कर-ए-तैयबा का एक नया मुखौटा माना जाता है और जिसका संचालन पाकिस्तान से होता है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी, उसके लिए अमेरिका ने TRF को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यह स्पष्ट किया कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

TRF पर अमेरिका की सख्ती: आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई का संकेत

अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आधिकारिक रूप से विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। यह संगठन आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा का ही नया रूप माना जाता है, जो भारतीय क्षेत्र में आतंकी घटनाओं को अंजाम देता रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी इसी संगठन ने ली थी, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे। अमेरिका ने इस हमले को 2008 के मुंबई हमले के बाद सबसे घातक आतंकी हमला माना है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि TRF पर यह कार्रवाई न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि भारत के साथ मज़बूत रणनीतिक साझेदारी की दिशा में एक ठोस कदम भी है।

TRF पर प्रतिबंध के संभावित प्रभाव:

  • TRF से जुड़े आतंकी और उनके सहयोगी अंतरराष्ट्रीय निगरानी में आ जाएंगे।
  • संगठन की वित्तीय मदद पर रोक लगेगी, जिससे इसकी गतिविधियां प्रभावित होंगी।
  • TRF से जुड़े लोगों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
  • वैश्विक स्तर पर इस संगठन के खिलाफ आतंक विरोधी अभियान और तेज़ होंगे।

 

भारत की प्रतिक्रिया: आतंकवाद के ख़िलाफ़ अमेरिकी क़दम का स्वागत

अमेरिका द्वारा TRF को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने पर भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस फैसले को भारत-अमेरिका आतंकवाद-रोधी सहयोग की मज़बूती का प्रतीक बताया। उन्होंने अमेरिकी विदेश विभाग और विदेश मंत्री मार्को रुबियो की सराहना करते हुए कहा कि TRF, लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी संगठन है, जिसने हाल ही में हुए 22 अप्रैल के पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी। जयशंकर ने ट्वीट में स्पष्ट रूप से लिखा – “आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस (Zero Tolerance)।”

यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि भारत, अमेरिका के इस क़दम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा संदेश मानता है और यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और सुरक्षा सहयोग को और मज़बूत करेगा।

 

FTO और SDGT लिस्ट में शामिल किए जाने के बड़े मायने

अमेरिका द्वारा TRF को FTO (Foreign Terrorist Organization) और SDGT (Specially Designated Global Terrorist) लिस्ट में डालना पाकिस्तान और आतंक फैलाने वाले नेटवर्क के लिए बड़ा झटका है। इसका असर सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी दबाव बनाता है।

FTO लिस्ट के मायने: इस लिस्ट में TRF को डालने का मतलब है कि यह संगठन अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और नागरिकों के लिए खतरा है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था TRF को पैसे, हथियार या मदद देता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

SDGT लिस्ट के मायने: इस लिस्ट में नाम आने से TRF की अमेरिका में मौजूद संपत्तियां जब्त हो जाएंगी और अमेरिकी संस्थान TRF से कोई लेनदेन नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा TRF की वैश्विक बैंकिंग और फंडिंग तक पहुंच भी लगभग खत्म हो जाएगी, जिससे दूसरे देश भी सतर्क होकर कार्रवाई करने लगते हैं।

 

पहलगाम हमले के बाद भारत ने भेजे थे प्रतिनिधिमंडल, पाकिस्तान का आतंकी चेहरा उजागर करने की कूटनीति बनी बड़ी जीत

अमेरिका द्वारा पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन TRF को FTO और SDGT लिस्ट में डालना भारत की मजबूत कूटनीति का परिणाम माना जा रहा है। दरअसल, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कई देशों में अपने उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजे, ताकि पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और उनके मंसूबों को दुनिया के सामने बेनकाब किया जा सके। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को TRF जैसे संगठनों की भूमिका और पाकिस्तान की शह पर हो रही आतंकी गतिविधियों की सच्चाई से अवगत कराया।

इसका असर अब साफ दिखाई दे रहा है। अमेरिका की यह कार्रवाई न सिर्फ TRF पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाती है, बल्कि यह भारत की सुनियोजित कूटनीतिक रणनीति और वैश्विक मंचों पर उसकी विश्वसनीयता का प्रमाण भी है। कहीं न कहीं यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत है, जिससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की दिशा में मजबूती मिली है।

 

क्या है, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF):

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने आतंकवाद के मोर्चे पर एक नई चाल चली- द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)। अगस्त 2019 में अस्तित्व में आया यह संगठन दरअसल लश्कर-ए-तैयबा का ही एक नया रूप है, जिसे अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने और आतंक को “लोकल” और “धर्मनिरपेक्ष” रंग देने के लिए खड़ा किया गया था। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे संगठनों की नजरों से पाकिस्तानबचने के लिए इसका नाम अंग्रेजी में रखा गया ताकि दुनियाको बात सके इसका कोई संबंध पाकिस्तान से नहीं है।

TRF की कमान शेख सज्जाद गुल के हाथों में है, जिसे इसका सुप्रीम कमांडर कहा जाता है। गुल श्रीनगर का रहने वाला है और भारत सरकार ने 2022 में उसे UAPA कानून के तहत आधिकारिक तौर पर आतंकवादी घोषित कर दिया। वहीं, इसका ऑपरेशनल चीफ बासित अहमद डार है। TRF के अधिकांश आतंकी लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे पुराने आतंकी संगठनों से आए हुए हैं, जो इसे एक कट्टरपंथी नेटवर्क बनाते हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 में कश्मीर में मारे गए 172 आतंकवादियों में से 108 TRF से जुड़े थे। इससे संगठन की सक्रियता और हिंसात्मक क्षमता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

पहलगाम हमला की जिम्मेदारी

22 अप्रैल, 2025 को दक्षिण कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बैसरन घाटी में TRF द्वारा किया गया आतंकी हमला देश और दुनिया को झकझोर देने वाला था। आतंकियों ने हिंदू पहचान वाले पर्यटकों को निशाना बनाकर बर्बरता से गोलीबारी की, जिसमें 26 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इनमें एक स्थानीय व्यक्ति, एक नेपाली नागरिक और कई दूसरे राज्य के पर्यटक शामिल थे। हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए।

इस हमले की गंभीरता इस बात से और बढ़ गई कि यह घटना तब हुई जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब में। TRF ने पहले इसे ‘जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ के खिलाफ कार्रवाई बताया और डोमिसाइल सर्टिफिकेट के मुद्दे को उठाया, लेकिन बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते अपने बयान से पीछे हट गया।

यह हमला सिर्फ एक आतंकी हरकत नहीं थी, बल्कि इसके जरिए पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठनों ने भारत को एक भू-राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की – कि आतंक का चेहरा बदला जरूर है, लेकिन नीयत और उद्देश्य अब भी वही हैं।

TRF की भारत में आतंकी गतिविधि-

पहलगाम हमले के अलावा भी TRF (The Resistance Front) का इतिहास खून से सना हुआ है। अपनी स्थापना के बाद से इस आतंकी संगठन ने लगातार नागरिकों और भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हुए कई हमलों की जिम्मेदारी ली है। अक्टूबर 2024 में, TRF ने जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में एक निर्माणाधीन टनल पर हमला किया था, जिसमें एक डॉक्टर और छह प्रवासी मजदूर मारे गए। माना जाता है कि इस हमले का मास्टरमाइंड शेख सज्जाद गुल था। यह घटना कश्मीर में काम कर रहे गैर-स्थानीय मजदूरों के खिलाफ TRF के डर फैलाने वाले अभियान का प्रतीक बनी।

इसके पहले अप्रैल 2020 में, कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास TRF से जुड़ी आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई, जो चार दिनों तक चली। इस भीषण संघर्ष में पांच भारतीय पैरा कमांडो वीरगति को प्राप्त हुए, जबकि कई घुसपैठिए भी ढेर किए गए। इस घटना से TRF की आतंकी क्षमता और पाकिस्तान स्थित प्रशिक्षण शिविरों से उसके सीधे संबंध उजागर हुए।

साल 2020 से 2023 के बीच TRF ने लक्षित हत्याओं की एक भयावह श्रृंखला चलाई, जिसमें कश्मीरी पंडितों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया। खासकर पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग जैसे दक्षिण कश्मीर के जिलों में इन हत्याओं का उद्देश्य शांति को बाधित करना, अल्पसंख्यकों को डराना और कानून-व्यवस्था को कमजोर करना था। TRF की यह रणनीति आतंक और अलगाव की भावना को गहराने की साज़िश का हिस्सा रही है।

 

पाकिस्तान को झटका: अमेरिका ने TRF को ठहराया आतंकी संगठन:

अमेरिका द्वारा TRF को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करने के फैसले से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। लंबे समय से पाकिस्तान पर आरोप लगते रहे हैं कि वह भारत विरोधी आतंकियों को पनाह देता है और उन्हें कश्मीर में अस्थिरता फैलाने के लिए इस्तेमाल करता है। TRF भी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों में से एक है, जिसने कई बार भारतीय सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया है। अब TRF पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने से उसके फंडिंग नेटवर्क और ऑपरेशनल गतिविधियों पर सीधा असर पड़ेगा।

यह अमेरिकी निर्णय पाकिस्तान के उस दोहरे रवैये को भी बेनकाब करता है, जहां एक ओर वह वैश्विक मंचों पर आतंक के खिलाफ लड़ाई की बात करता है, तो दूसरी ओर गुप्त रूप से आतंकी संगठनों को समर्थन देता है। TRF पर वैश्विक प्रतिबंध पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक और रणनीतिक पराजय साबित हो सकता है।

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