आंध्र प्रदेश ने भारत की पहली ड्रोन टैक्सी लॉन्च करने की घोषणा की

हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने कर्नाटक स्थित सरला एविएशन के साथ एक महत्वपूर्ण सहयोग समझौता किया है, जिसके तहत भारत में पहली बार ड्रोन टैक्सी इकोसिस्टम विकसित किया जाएगा। यह पहल देश में इलेक्ट्रिक एयर मोबिलिटी को बढ़ावा देने और शहरी परिवहन को भविष्य की दिशा में ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। इस परियोजना के माध्यम से राज्य में ऐसी उन्नत उड़ान सेवाएँ विकसित की जाएंगी, जो भीड़भाड़ वाले मार्गों पर त्वरित आवागमन सुनिश्चित कर सकें।

Andhra Pradesh announces launch of India first drone taxi

आंध्र प्रदेश ड्रोन टैक्सी प्रोजेक्ट के मुख्य बिंदु:

  • आंध्र प्रदेश सरकार ने 17 नवंबर 2025 को कर्नाटक की सरला एविएशन के साथ साझेदारी की घोषणा की, जिसके तहत राज्य में इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी के लिए एक बड़े पैमाने का निर्माण और परीक्षण इकोसिस्टम तैयार किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में कुल ₹1,300 करोड़ का प्रारंभिक निवेश किया जाएगा, और इसके तहत अनंतपुर जिले में 500 एकड़ में स्थित “स्काई फैक्ट्री” का निर्माण होगा।
  • सरकार ने इस सुविधा को एक गाइगा-स्केल निर्माण क्लस्टर के रूप में वर्णित किया है। प्रोजेक्ट के पहले चरण में लगभग 150 एकड़ भूमि का उपयोग किया जाएगा और इसके लिए ₹330 करोड़ का निवेश किया जाएगा, जिसमें जमीन, बुनियादी ढांचा और DGCA परीक्षण रनवे शामिल हैं। दूसरे चरण में अतिरिक्त 350 एकड़ भूमि विकसित की जाएगी, जिससे कुल निवेश ₹1,300 करोड़ तक पहुँच जाएगा।
  • इस विशाल गाइगा-कैम्पस में कई विशेषीकृत इकाइयाँ होंगी। इनमें कंपोजिट और एयरफ्रेम लाइन्स, पॉवरट्रेन और बैटरी असेंबली, एवियोनिक्स और एम्बेडेड सिस्टम्स वर्कशॉप, तथा वायर हार्नेस और लैंडिंग गियर प्रोडक्शन यूनिट शामिल हैं। इसके अलावा, परिसर में R&D लैब्स, सिमुलेशन सेंटर, पायलट प्रशिक्षण सुविधाएँ, और मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (MRO) यूनिट्स भी बनाई जाएंगी। 
  • सरला एविएशन ने योजना बनाई है कि निर्माण क्षमता को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा और इसके लिए वाणिज्यिक एयर-टैक्सी संचालन 2029 तक शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। जब कैम्पस पूर्ण क्षमता पर पहुंचेगा, तो सालाना लगभग 1,000 विमान का उत्पादन संभव होगा।
  • प्रोजेक्ट की इस योजना से आंध्र प्रदेश इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेकऑफ़ और लैंडिंग (eVTOL) विमान निर्माण के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनने की दिशा में बढ़ रहा है।

 

ड्रोन टैक्सी क्या हैं: परिचय और प्रमुख विशेषताएँ

  • परिचय: ड्रोन टैक्सी, जिसे इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी भी कहा जाता है, एक छोटा विमान है जो वर्टिकल टेकऑफ़ और लैंडिंग (VTOL) की क्षमता रखता है और इलेक्ट्रिक ऊर्जा के माध्यम से उड़ान भरता है। इसे eVTOL (electric Vertical Take-Off and Landing) श्रेणी में रखा गया है। इस प्रकार के विमान को लंबी रनवे की आवश्यकता नहीं होती और यह मुख्य रूप से यात्री परिवहन के लिए डिजाइन किया गया है।

 

मुख्य विशेषताएँ:

    • वर्टिकल टेकऑफ़ और लैंडिंग (VTOL): ड्रोन टैक्सी में कई रोटर या प्रोपेलर लगे होते हैं, जो हेलीकॉप्टर की तरह उसे उठाते हैं। हवा में पहुंचने के बाद, कुछ डिज़ाइन में अधिक कुशल फ्लाइट मोड में परिवर्तित होकर आगे की यात्रा की जाती है।
    • इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन: ये वाहन बैटरी से संचालित इलेक्ट्रिक मोटर्स का उपयोग करते हैं। इसका परिणाम यह है कि यह शोर और प्रदूषण में कमी लाने में सक्षम है और पारंपरिक फॉसिल-ईंधन हेलीकॉप्टरों की तुलना में अधिक पर्यावरण-मित्रवत है।
    • शॉर्ट-रेंज शहरी मोबिलिटी: ड्रोन टैक्सी को छोटी दूरी की शहरी और क्षेत्रीय यात्राओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। अधिकांश मॉडल 20 से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं।
    • हल्का एयरफ्रेम: इसमें कार्बन कंपोजिट और हल्के पदार्थों का उपयोग किया जाता हैं। इसमें हल्का फ्रेम दक्षता बढ़ाता है और अधिक यात्री या सामान ले जाने की क्षमता प्रदान करता है।
    • लैंडिंग पॉइंट्स (वर्टीपोर्ट्स): ड्रोन टैक्सी के लिए विशेष लैंडिंग और टेकऑफ़ हब्स बनाए जाते हैं, जिन्हें वर्टीपोर्ट कहा जाता है। ये वर्टीपोर्ट छतों, पार्किंग क्षेत्रों या समर्पित संरचनाओं पर हो सकते हैं, रनवे की आवश्यकता नहीं होती।
    • कम शोर स्तर: इलेक्ट्रिक रोटर्स हेलीकॉप्टर की तुलना में कम शोर उत्पन्न करते हैं। इससे यह घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी संचालन योग्य है और शहरों में व्यापक रूप से अपनाया जा सकता है।
    • स्मार्ट नेविगेशन सिस्टम: ड्रोन टैक्सी में सेंसर, कैमरा और राडार सिस्टम लगे होते हैं। ये उपकरण बाधाओं का पता लगाने और सुरक्षित हवाई मार्ग का पालन करने में मदद करते हैं। 
    • डिजिटल कनेक्टिविटी: ड्रोन टैक्सी केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली से जुड़ी रहती है। ऑपरेटर उड़ान मार्ग, मौसम और यातायात को ट्रैक करते हैं। यह डिजिटल लिंक व्यस्त हवाई क्षेत्रों में सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करता है।

 

शून्य फ्लाइंग टैक्सी की विशेषताएँ:

शून्य एक भारतीय eVTOL है, जिसे सरला एविएशन ने शहरी और क्षेत्रीय छोटे उड़ानों के लिए डिजाइन किया है। यह विमान पायलटेड एयर टैक्सी के रूप में कार्य करने और भीड़भाड़ वाले शहरों में सड़क यात्रा के समय को कम करने में सक्षम है। इसका प्रोटोटाइप पहली बार जनवरी 2025 में सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया गया।

  • सीटिंग और केबिन: शून्य में कुल सात सीटें हैं, जिसमें एक पायलट और छह यात्री शामिल हैं। केबिन डिजाइनर ने सुविधा और वजन का संतुलन बनाए रखा है, ताकि यह शहरी मिशन प्रोफाइल के अनुकूल हो। केबिन को हल्का और आरामदायक बनाया गया है, जिससे यात्रियों के लिए यात्रा सुखद और सुरक्षित बनी रहे।
  • प्रोपल्शन आर्किटेक्चर: शून्य में सात इलेक्ट्रिक मोटर्स के साथ वितरित इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है। विमान कई रोटरों पर निर्भर करता है ताकि वर्टिकल लिफ्ट उत्पन्न हो सके और उड़ान में redundancy बनी रहे। 
  • पावर सिस्टम और बैटरी: विमान में चार डबल-आइसोलेटेड बैटरी पैक लगाए गए हैं। ये बैटरी पैक मोटर्स और ऑनबोर्ड इलेक्ट्रिकल सिस्टम को ऊर्जा प्रदान करते हैं। बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम लगातार बैटरी की स्थिति की निगरानी करता है और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • स्पीड और क्रूज़ प्रदर्शन: शून्य अधिकतम क्रूज़ स्पीड 250 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकता है। इस उच्च गति के कारण यह शहरी यात्राओं और हवाई अड्डे के स्थानांतरण के लिए सड़क यात्रा की तुलना में तेज़ विकल्प बन सकता है।
  • रेंज और मिशन प्रोफाइल: वर्तमान बैटरी तकनीक के तहत शून्य की अधिकतम उड़ान रेंज लगभग 160 किलोमीटर है। इसे मुख्य रूप से 20–30 किलोमीटर की शहरी यात्राओं और शहर के नज़दीकी हवाई अड्डों के लिए ऑप्टिमाइज़ किया गया है।
  • पेलोड और उपयोगी भार: शून्य लगभग 680 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकता है। इसमें यात्रियों का सामान और मिशन उपकरण शामिल हैं। यह क्षमता छह यात्रियों और पायलट के लिए शहरी उड़ानों के लिए पर्याप्त है।
  • सुरक्षा और redundancy: इसके डिज़ाइन में प्रोपल्शन कंट्रोल, फ्लाइट कंट्रोल और पावर वितरण के लिए कई redundant सिस्टम शामिल हैं। इसमें वितरित रोटर लेआउट एकल बिंदु की विफलता के जोखिम को कम करता है। इसके अलावा इसमें रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की व्यवस्था भी की गई है।
  • संचालन समर्थन और चार्जिंग: शून्य को कंपैक्ट वर्टीपोर्ट्स और फास्ट टर्नअराउंड प्रक्रियाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें तेज़ चार्जिंग और मॉड्यूलर बैटरी स्वैप्स शामिल हैं, जिससे लैंडिंग हब पर बार-बार उड़ानों का संचालन संभव हो सके।

 

आंध्र प्रदेश की ड्रोन टैक्सी परियोजना का महत्व

  • आंध्र प्रदेश में ड्रोन टैक्सी परियोजना भारत उन्नत हवाई गतिशीलता (Advanced Air Mobility) के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल हो सकता है। अमेरिका, जर्मनी और चीन जैसे देशों ने 2020 के बाद बड़े पैमाने पर eVTOL (इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेकऑफ एंड लैंडिंग) विमान विकसित करना शुरू किया। भारत का यह कदम यह दर्शाता है कि देश केवल उपभोक्ता बाजार तक सीमित नहीं रहकर उच्च तकनीक विमानन क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है।
  • एयरोस्पेस विनिर्माण केंद्र के रूप में, अनंतपुर में 500 एकड़ क्षेत्र में विकसित होने वाला गीगा-स्केल क्लस्टर इलेक्ट्रिक विमान निर्माण के लिए एक केंद्रित औद्योगिक क्षेत्र प्रदान करेगा। यह बैटरी, मोटर, कंपोजिट और एवियोनिक्स जैसे घटकों के लिए घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा। इससे आयात पर निर्भरता घटेगी और स्थानीय एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र का विकास होगा। साथ ही, MSME और स्टार्टअप्स को Tier-1 और Tier-2 सप्लायर के रूप में अवसर प्राप्त होंगे।
  • परियोजना क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में भी योगदान करेगी। ₹1,300 करोड़ के नियोजित निवेश से सीधे निर्माण, इंजीनियरिंग और तकनीकी प्रशिक्षण से जुड़े रोजगार उत्पन्न होंगे। लॉजिस्टिक्स, घटक आपूर्ति, परीक्षण सेवाओं और रखरखाव में अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। अनंतपुर में उच्च तकनीक उद्योगों से जुड़े नए आर्थिक गतिविधियों का विस्तार होगा।
  • शहरी गतिशीलता का परिवर्तन भी इस परियोजना का उद्देश्य है। ड्रोन टैक्सी छोटे और तेज़ मार्गों पर यात्रा प्रदान कर, शहरों में यातायात जाम को कम कर सकती हैं। बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई जैसे शहरों में लंबी यात्राओं के समय को कम करना संभव होगा। यह पहल भारत को बहु-स्तरीय गतिशीलता प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती है, जिसमें सड़क, मेट्रो और हवाई मार्ग एक साथ काम करेंगे।
  • स्वच्छ और सतत परिवहन के लिहाज से यह परियोजना महत्वपूर्ण है। इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन के कारण यह विमान 2030 और उसके बाद के भारत के जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप हैं। इनसे टेलपाइप उत्सर्जन शून्य होता है और हेलीकोप्टर की तुलना में शोर कम होता है। यह पहल भारत के नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र को भी समर्थन देती है।
  • राष्ट्रीय परिवहन नीति के संदर्भ में, यह परियोजना ड्रोन यातायात प्रबंधन, वर्टीपोर्ट डिज़ाइन, सुरक्षा प्रणालियों और प्रमाणन ढांचे के लिए प्रारंभिक मानक स्थापित करने में सहायक होगी। DGCA के एयर टैक्सी नियमों के निर्माण में आंध्र प्रदेश की यह परियोजना राष्ट्रीय परीक्षण मंच के रूप में काम करेगी। इससे भविष्य में परिवहन नेटवर्क योजना में दीर्घकालिक रणनीतिक क्षमता का निर्माण आसान होगा।

 

सरला एविएशन कंपनी का परिचय:

  • सरला एविएशन बेंगलुरु स्थित एक एयरोस्पेस स्टार्टअप कंपनी है, जिसकी स्थापना 2024 की शुरुआत में एड्रियन श्मिट, राकेश गावंकर और शिवम चौहान ने की। कंपनी का नाम भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकुराल की श्रद्धांजलि के रूप में रखा गया है। इसका उद्देश्य भारतीय शहरों के लिए सुलभ, कुशल और टिकाऊ हवाई गतिशीलता विकसित करना है।
  • जनवरी 2025 में, सरला एविएशन ने सीरीज A1 निवेश राउंड में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए। इस राउंड का नेतृत्व Accel ने किया।
  • कंपनी की योजना 2028 तक वाणिज्यिक संचालन शुरू करने की है, शुरुआत बेंगलुरु से होगी और बाद में मुंबई, दिल्ली और पुणे जैसे प्रमुख शहरों में विस्तार किया जाएगा। सरला एविएशन का लक्ष्य है कि अधिकतर आपूर्ति श्रृंखला देशी स्तर पर विकसित की जाए, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो और स्थानीय उद्योग को भी बढ़ावा मिले।
  • कंपनी की कार्यनीति के अनुसार छोटे और मध्यम व्यवसायों को अपने आपूर्ति तंत्र में शामिल किया जाना चाहिए, जिससे स्थानीय रोजगार सृजन और तकनीकी विकास को बल मिल सकता है। 
  • सरला एविएशन न केवल तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास कर रही है, बल्कि देश के स्थानीय एयरोस्पेस उद्योग और हवाई गतिशीलता इकोसिस्टम को मजबूत करने में भी योगदान दे रही है।