प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी की 132 एकड़ से ज्यादा जमीन जब्त की है। इसकी कीमत 4,462.81 करोड़ रुपये है। इस जब्ती के साथ ही मामले में अब तक कुल 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़े मामलों में लगभग 3,083 करोड़ रुपये मूल्य की 42 संपत्तियों को जब्त किया था। यह कार्रवाई उस समय की गई जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम), अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
सीबीआई की एफआईआर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 406 (आपराधिक न्यासभंग) और 420 (धोखाधड़ी) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 13(2) और 13(1)(d) के तहत दर्ज की गई थी।
ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग (धनशोधन) के पहलुओं की जांच शुरू की थी। जांच में यह पाया गया कि संबंधित कंपनियों ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में कथित रूप से अनियमितताएं कीं और बाद में उस धनराशि का दुरुपयोग या डायवर्जन किया गया।
ईडी ने जांच में क्या पाया?
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में यह सामने आया है कि रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) में बड़े पैमाने पर फंड्स का दुरुपयोग किया गया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RHFL में 2,965 करोड़ रुपये और RCFL में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन दिसंबर 2019 तक ये दोनों निवेश नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स में बदल गए। RHFL पर 1,353 करोड़ रुपये और RCFL पर 1,984 करोड़ रुपये अब तक बकाया हैं, जिससे यस बैंक को करीब 2,700 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
ईडी की जांच में पता चला है कि इन फंड्स को रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों में ट्रांसफर किया गया था, जिससे लोन की मूल शर्तों का उल्लंघन हुआ। जांच के दौरान लोन अप्रूवल प्रक्रिया में भी कई गंभीर गड़बड़ियां मिलीं कई मामलों में लोन को एक ही दिन अप्लाई, अप्रूव और डिस्बर्स किया गया। फील्ड वेरिफिकेशन, पर्सनल मीटिंग्स और डॉक्यूमेंट चेकिंग जैसी जरूरी प्रक्रियाओं को नज़रअंदाज़ किया गया। कुछ दस्तावेज ब्लैंक या बिना तारीख के पाए गए।
ईडी ने इन सबको “जानबूझकर की गई निगरानी विफलता” बताया है। यह जांच धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 5(1) के तहत की जा रही है। इसी के तहत ईडी ने 31 अक्टूबर 2025 को अटैचमेंट ऑर्डर जारी करते हुए संबंधित संपत्तियों को जब्त किया।
ED की जांच में और क्या-क्या सामने आया?
ED के अनुसार ये एक “सोचा-समझा और सुनियोजित” प्लान था, जिसके तहत बैंकों, शेयरहोल्डर्स, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को गलत जानकारी देकर पैसे हड़पे गए। जांच में कई गड़बड़ियां पकड़ी गईं, जैसे:
- कई कंपनियों में एक ही डायरेक्टर और एड्रेस का इस्तेमाल।
- लोन से जुड़े जरूरी दस्तावेजों का न होना।
- कमजोर या बिना वेरिफिकेशन वाली कंपनियों को लोन।
- फर्जी कंपनियों में पैसे ट्रांसफर करना।
- पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन देने की प्रक्रिया (लोन एवरग्रीनिंग)।
रिलायंस ग्रुप मामलों में जब्त संपत्तियों का आंकड़ा 7,545 करोड़ रुपये तक पहुंचा:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ताजा कार्रवाई के बाद रिलायंस ग्रुप से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामलों में जब्त की गई संपत्तियों का कुल मूल्य अब 7,545 करोड़ रुपये हो गया है। सोमवार को जारी अटैचमेंट ऑर्डर के साथ ईडी ने स्पष्ट किया कि वह वित्तीय अपराधों से जुड़ी संपत्तियों का पता लगाने, उन्हें जब्त करने और वसूली सुनिश्चित करने पर लगातार काम कर रही है।
नोएडा, गाजियाबाद समेत इन शहरों की संपत्तियां जब्त:
ये संपत्तियां राष्ट्रीय राजधानी, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में स्थित हैं। मुंबई के चर्चगेट स्थित ‘नागिन महल’ भवन में कार्यालय, नोएडा में बीएचए मिलेनियम अपार्टमेंट और हैदराबाद में कैमस कैप्री अपार्टमेंट में फ्लैट भी ईडी द्वारा अस्थायी रूप से जब्त संपत्तियों में शामिल हैं।
ईडी का बयान: ऋणदाताओं के नुकसान की भरपाई होगी-
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्पष्ट किया है कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई जब्ती का उद्देश्य ऋणदाताओं के नुकसान की भरपाई करना और अंततः आम जनता को लाभ पहुंचाना है। एजेंसी ने संकेत दिया है कि अनिल अंबानी की कंपनियों को कर्ज देने वाले बैंकों को यह संपत्ति वापस सौंपी जा सकती है, ताकि उनकी वित्तीय भरपाई हो सके। यह प्रक्रिया धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत की जाती है।
ईडी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि वह वित्तीय अपराधों के दोषियों की संपत्तियों को ट्रैक करने, उन्हें जब्त करने और अपराध से अर्जित धन को उसके वास्तविक दावेदारों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। एजेंसी का मानना है कि यह अभियान कॉरपोरेट धोखाधड़ी और बैंक घोटालों पर सख्त कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आर्थिक अपराधियों को स्पष्ट संदेश देता है कि ऐसे मामलों में कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।
रिलायंस इंफ्रा का बयान: “व्यवसाय पर कोई प्रभाव नहीं”
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Reliance Infrastructure Limited) ने शेयर बाजारों को सूचित किया है कि ईडी की हालिया कार्रवाई का कंपनी के व्यवसाय संचालन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या अन्य हितधारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कंपनी ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिस्क्लोज़र रिक्वायरमेंट्स (LODR) रेगुलेशंस, 2015 के रेगुलेशन 30 के तहत दायर एक नियामक फाइलिंग में यह जानकारी दी।
फाइलिंग में स्पष्ट किया गया कि अनिल अंबानी पिछले साढ़े तीन वर्षों से कंपनी के बोर्ड में नहीं हैं, इसलिए यह मामला रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के वर्तमान संचालन या प्रबंधन से संबंधित नहीं है।
शेयरों में आई गिरावट:
सोमवार को रिलायंस पावर का शेयर 3.39 रुपये (7.72%) की गिरावट के साथ 40.50 रुपये पर बंद हुआ। वहीं, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर 10.26 रुपये (5%) टूटकर 210.85 रुपये पर पहुंच गया।
