झारखंड के गोड्डा में स्थित अडानी पावर लिमिटेड (APL) का 1,600 मेगावाट का अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट अब जल्द ही भारत के राष्ट्रीय बिजली ग्रिड से जुड़ने जा रहा है। केंद्र सरकार की मंज़ूरी के बाद कंपनी कहलगांव ए-मैथन बी 400 केवी लाइन के ज़रिए एक नई ट्रांसमिशन लाइन बिछाएगी। अभी यह प्लांट अपनी पूरी बिजली बांग्लादेश को भेजता है, लेकिन दिसंबर 2025 तक इसके भारतीय बिजली बाजार से जुड़ने की उम्मीद है।
विद्युत मंत्रालय ने APL को दी विशेष शक्तियाँ:
विद्युत मंत्रालय ने अडानी पावर लिमिटेड (APL) को खास अधिकार दिए हैं ताकि वह झारखंड के गोड्डा जिले में ट्रांसमिशन लाइन बिछा सके। यह लाइन गोड्डा और पोरियाहाट तहसीलों के 56 गाँवों से होकर गुज़रेगी। इसके लिए सरकार ने APL को वही अधिकार दिए हैं जो टेलीग्राफ विभाग को तार और खंभे लगाने के लिए भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत मिलते हैं। यानी अब कंपनी ज़मीन के ऊपर, नीचे या किनारे खंभे और लाइनें बिछा सकेगी और उनका रखरखाव कर सकेगी। मंत्रालय ने यह मंज़ूरी 29 सितंबर को विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 164 के तहत दी।
इस कदम के मायने क्या है?
इस कदम का मतलब है कि अब गोड्डा पावर प्लांट सिर्फ बांग्लादेश पर निर्भर नहीं रहेगा। अगर बांग्लादेश बिजली न खरीदे या भुगतान में देरी करे, तो अडानी पावर लिमिटेड भारत के बिजली ग्रिड को भी बिजली बेच सकेगी। इससे कंपनी को स्थिर आय का एक और रास्ता मिलेगा और भारत को ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त बिजली का स्रोत मिल जाएगा।
APL ने बिजली मंत्रालय को लिखा था पत्र:
अडानी पावर झारखंड लिमिटेड (APJL) ने 6 अगस्त 2024 को बिजली मंत्रालय को एक पत्र लिखा था, जो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के एक दिन बाद भेजा गया। पत्र में कंपनी ने कहा कि भारत में लगातार बढ़ती बिजली की मांग को देखते हुए, यह बेहतर होगा अगर गोड्डा पावर प्लांट से मिलने वाली बिजली का उपयोग भारत में भी किया जा सके। कंपनी ने यह भी बताया कि कई बार बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) मांग कम होने, भुगतान में देरी या किसी राजनीतिक कारण से बिजली नहीं खरीदता, ऐसे में प्लांट की बिजली भारत को दी जा सकती है।
मामले पर बिजली मंत्रालय ने किया विचार-विमर्श:
इस मामले पर 10 अगस्त 2024 को बिजली मंत्रालय में बिजली सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। बैठक में यह तय किया गया कि अडानी पावर झारखंड लिमिटेड (APJL) को बिजली आयात-निर्यात से जुड़े नियमों के तहत भारतीय ग्रिड से जोड़ने की प्रक्रिया तेज की जाएगी। इसके लिए CTUIL कंपनी को ज़रूरी तकनीकी जानकारी और कनेक्टिविटी विवरण देगा।
बैठक में यह भी कहा गया कि CERC अपने नियमों में ज़रूरी संशोधन करेगा ताकि APJL के पावर उत्पादन को भारतीय ग्रिड में जोड़ा जा सके।
25 वर्षों के लिए मिली मंज़ूरी:
विद्युत मंत्रालय ने अडानी पावर लिमिटेड को 25 साल के लिए नई मंज़ूरी दी है। इसके तहत कंपनी को ट्रांसमिशन लाइन बिछाने से पहले स्थानीय प्रशासन, रेलवे और राष्ट्रीय व राज्य राजमार्ग विभागों से अनुमति लेनी होगी। लाइन शुरू करने से पहले केंद्रीय विद्युत निरीक्षक की स्वीकृति भी ज़रूरी होगी।
इसके अलावा, एपीएल को नागरिक उड्डयन, रक्षा और अन्य विभागों से भी मंज़ूरी लेकर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को रिपोर्ट देनी होगी। अगर ट्रांसमिशन लाइन का कोई हिस्सा “ग्रेट इंडियन बस्टर्ड” (GIB) क्षेत्र से होकर जाता है, तो कंपनी को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और विशेषज्ञ समिति के नियमों का पालन करना होगा।
गोड्डा पावर प्लांट क्या है?
गोड्डा पावर प्लांट झारखंड के गोड्डा जिले में स्थित एक कोयला आधारित अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल ताप विद्युत संयंत्र है, जिसे अडानी पावर लिमिटेड (APL) ने बनाया है। इस संयंत्र की कुल क्षमता 1,600 मेगावाट है और इसे खास तौर पर बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने के लिए स्थापित किया गया था। यह परियोजना भारत और बांग्लादेश सरकारों के बीच हुए समझौते के तहत बनी है। अडानी पावर ने फरवरी 2016 में इस संयंत्र के लिए आवेदन किया था, जिसे जुलाई 2016 में मंज़ूरी मिली और 31 अगस्त 2017 को पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की गई।
बाद में, 11 अगस्त 2016 को अडानी पावर ने बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) के साथ 25 साल के अनुबंध पर 2×800 मेगावाट का यह थर्मल पावर प्लांट “बिल्ड-एंड-ऑपरेट” (Build and Operate) आधार पर स्थापित करने के लिए समझौता किया। अब 2025 तक, यह प्लांट भारतीय बिजली ग्रिड से भी जुड़ने जा रहा है, जिससे यह घरेलू बिजली आपूर्ति में भी योगदान दे सकेगा।
इस परियोजना को भुगतान बकाया का भी सामना करना पड़ा:
गोड्डा पावर प्लांट भारत का पहला निजी ताप विद्युत संयंत्र है जो पूरी तरह सीमा पार बिजली निर्यात के लिए बनाया गया है। इसकी पहली 800 मेगावाट इकाई ने 6 अप्रैल 2023 को काम शुरू किया, और दूसरी इकाई 26 जून 2023 से चालू हुई।
बांग्लादेश के साथ 25 साल के समझौते के तहत, शुरू में इस परियोजना को 500 मिलियन डॉलर से ज़्यादा के भुगतान बकाया की समस्या झेलनी पड़ी। बाद में, अगस्त 2024 में भारतीय नियमों में बदलाव होने के बाद, अडानी पावर को कुछ शर्तों पर भारत के बिजली ग्रिड को भी बिजली बेचने की अनुमति मिल गई। कंपनी के मुताबिक, बांग्लादेश ने अब ज़्यादातर बकाया चुका दिया है और सिर्फ आधे महीने का भुगतान बाकी है।
अडानी पावर लिमिटेड (APL) के बारे में:
अडानी पावर लिमिटेड (APL) भारत की एक प्रमुख बिजली और ऊर्जा कंपनी है, जो अडानी समूह की सहायक कंपनी के रूप में काम करती है। इसका मुख्यालय अहमदाबाद (गुजरात) के खोडियार में स्थित है। यह देश की सबसे बड़ी निजी ताप विद्युत उत्पादक कंपनियों में से एक है, जिसकी कुल उत्पादन क्षमता करीब 15,250 मेगावाट है। अडानी पावर की शुरुआत 1996 में एक पावर ट्रेडिंग कंपनी के रूप में हुई थी। जबकि 2009 में इसने गुजरात के मुंद्रा में 330 मेगावाट की पहली यूनिट के साथ बिजली उत्पादन शुरू किया था।
कंपनी गुजरात के कच्छ जिले के नलिया-बिट्टा क्षेत्र में 40 मेगावाट का सौर संयंत्र भी संचालित करती है। इसके अलावा, झारखंड के गोड्डा में अडानी पावर 1,600 मेगावाट का कोयला आधारित पावर प्लांट चला रही है। कंपनी ने गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक और पंजाब की सरकारों के साथ लगभग 9,153 मेगावाट बिजली आपूर्ति के लिए दीर्घकालिक अनुबंध किए हैं।
निष्कर्ष:
गोड्डा पावर प्लांट का राष्ट्रीय बिजली ग्रिड से जुड़ना अडानी पावर लिमिटेड और भारत दोनों के लिए एक रणनीतिक कदम साबित होगा। इससे कंपनी को अपनी उत्पादन क्षमता का अधिक लचीलेपन के साथ उपयोग करने का अवसर मिलेगा, जबकि देश को अतिरिक्त बिजली आपूर्ति का एक भरोसेमंद स्रोत प्राप्त होगा। यह कदम न केवल ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि क्षेत्रीय बिजली व्यापार में भारत की स्थिति को भी और मजबूत बनाएगा।
