आर्मेनिया, एक प्राचीन सभ्यता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला देश, दक्षिणी काकेशस क्षेत्र में स्थित एक स्थलरुद्ध राष्ट्र है। अपनी ऐतिहासिक पहचान, विविध भौगोलिक स्वरूप और रणनीतिक स्थिति के कारण यह देश न केवल पश्चिम और पूर्व के बीच एक सांस्कृतिक पुल बनता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के साथ इसके संबंध ऐतिहासिक संपर्क, व्यापारिक आदान-प्रदान और रक्षा सहयोग के आधार पर आज और भी प्रगाढ़ हो रहे हैं।
यह देश अज़रबैजान के साथ नागोर्नो-काराबाख़ को लेकर लंबे संघर्ष और हालिया युद्धविराम के संदर्भ में एक नई भू-राजनीतिक स्थिति का सामना कर रहा है।
आइए, इस आर्टिकल में आर्मेनिया की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भारत-आर्मेनिया संबंध से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ के बारे में विस्तार से जान लेते है-
आर्मेनिया
भूगोल और स्थान: आर्मेनिया, आधिकारिक रूप से आर्मेनिया गणराज्य, पश्चिम एशिया के आर्मेनियाई उच्चभूमि में स्थित एक स्थलरुद्ध देश है।
आर्मेनिया लगभग 40° उत्तरी अक्षांश (Latitude) और 45° पूर्वी देशांतर (Longitude) पर स्थित है। इसकी सीमाएं पश्चिम में तुर्की, उत्तर में जॉर्जिया, पूर्व में अज़रबैजान और दक्षिण में ईरान तथा अज़रबैजान के नखिचेवन क्षेत्र से लगती हैं।
- राजधानी: येरेवान
- क्षेत्रफल: 29,743 वर्ग किलोमीटर
- जनसंख्या (2024):3 लाख
- आधिकारिक भाषा: आर्मेनियाई
- औसत आयु (2023):47 वर्ष
- मुद्रा: आर्मेनियाई ड्राम

इतिहास:
- ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में आर्मेनिया की स्थापना ओरोंतिड राजवंश के तहत हुई और बाद में यह संप्रभु राज्य बन गया।
- टिग्रानेस महान के शासन (95-66 ई.पू.) में यह एक शक्तिशाली राज्य बना।
- 301 ईस्वी में यह पहला देश बना जिसने ईसाई धर्म को राजधर्म बनाया। इसके बाद यह सासानी, उमय्यद, बीजान्टिन, सेल्जुक, मंगोल और अंततः ओटोमन और फारसी साम्राज्यों के अधीन आता गया।
- 19वीं सदी में रूस ने पूर्वी आर्मेनिया पर कब्जा किया। 1915-17 में ओटोमन साम्राज्य द्वारा लाखों आर्मेनियाइयों का नरसंहार किया गया।
- 1918 में आर्मेनिया स्वतंत्र हुआ लेकिन 1920 में सोवियत संघ में शामिल हो गया।
- 1991 में सोवियत संघ के टूटने पर आर्मेनिया ने स्वतंत्रता घोषित की।
- नागोर्नो-काराबाख़ को लेकर अज़रबैजान से टकराव हुआ और 1994 में संघर्षविराम हुआ।
- 2015 में यह रूस-नेतृत्व वाले यूरेशियन संघ में शामिल हुआ।
- 2018 में जनआंदोलन के बाद सरकार में बदलाव हुआ।
- 2020 में नागोर्नो-काराबाख़ को लेकर हुए युद्ध में आर्मेनिया को भारी नुकसान हुआ और उसे क्षेत्र छोड़ने पड़े।
- 2021 में अस्थिरता के बीच हुए चुनावों में पशिन्यान की जीत हुई।
- 2023 में अज़रबैजान ने कराबाख़ पर पूरा नियंत्रण स्थापित कर लिया, जिससे आर्मेनियाई आबादी को पलायन करना पड़ा।
- 9 अगस्त 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 35 साल पुरानी जंग को खत्म कराने के लिए समझौता करा दिया है।
जलवायु: आर्मेनिया की जलवायु विविध है। यह उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है, लेकिन केवल दक्षिणी भाग (मेगरी क्षेत्र) में ही उपोष्ण जलवायु पाई जाती है, जहाँ संतरा, नींबू, जैतून जैसे फल उगते हैं। बाकी देश में महाद्वीपीय जलवायु होती है।
- गर्मियाँ शुष्क और धूप वाली होती हैं (जून से सितंबर तक), जबकि सर्दियाँ छोटी लेकिन ठंडी और बर्फबारी वाली होती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में गर्मियों का तापमान +10 से +22°C और सर्दियों में +2 से -14°C के बीच रहता है।
- वर्षा की मात्रा ऊँचाई पर निर्भर करती है—औसतन 200 से 800 मिमी तक।
लोग और संस्कृति: आर्मेनिया की संस्कृति पूर्व और पश्चिम की सभ्यताओं के मेल से बनी है, जो पौराणिक कथाओं, स्थापत्य कला, कालीन बुनाई और धार्मिक परंपराओं में झलकती है।
- आर्मेनिया में लगभग 95.2% लोग आर्मेनियाई अपोस्टोलिक चर्च के अनुयायी हैं, जबकि बाकी छोटी धार्मिक समुदाय हैं।
- आर्मेनिया में फ़ुटबॉल, कुश्ती, भारोत्तोलन, जूडो और चेस (शतरंज) सबसे लोकप्रिय खेलों में शामिल हैं।
प्रकृति और जैव विविधता: आर्मेनिया एक छोटा स्थलरुद्ध देश है जिसकी विविध भौगोलिक संरचना समृद्ध जैव विविधता को जन्म देती है।
- यहाँ 200 से अधिक खाद्य पौधे, 350 शहद उत्पादक पौधे और 123 स्थानिक वनस्पति प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- 2010 में अद्यतन रेड बुक में 452 पौधों और 308 जानवरों को संरक्षित सूची में डाला गया। कई संकटग्रस्त प्रजातियाँ जैसे तेंदुआ, आर्मेनियाई मफलॉन और यूरेशियन ऊदबिलाव अब खतरे में हैं।
भारत-आर्मेनिया संबंध: भारत और आर्मेनिया के संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव पर आधारित हैं।
- भारतीयों और आर्मेनियाइयों के बीच प्राचीन संपर्क रहा है; कुछ भारतीय राजकुमारों ने 149 ई.पू. में आर्मेनिया में बसावट की थी।
- मुगल काल में भी आर्मेनियाई व्यापारी भारत आए और अकबर ने उन्हें विशेष अधिकार दिए।
- 16वीं शताब्दी में कोलकाता, चेन्नई और आगरा जैसे शहरों में आर्मेनियाई समुदाय बसा। मद्रास में पहली आर्मेनियाई संविधान और पत्रिका प्रकाशित हुई।
- भारत ने सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा के तीन महीने बाद 26 दिसंबर 1991 को आर्मेनिया को मान्यता दी। भारत और आर्मेनिया के बीच राजनयिक संबंध 31 अगस्त 1992 को स्थापित हुए।
भारत आर्मेनिया व्यापारिक संबंध: भारत और आर्मेनिया के बीच व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं
- भारत मुख्यतः हीरे, दवाइयाँ, मांस और तंबाकू निर्यात करता है, जबकि सोना, सीसा और चिकित्सा उपकरण आयात करता है।
- व्यापार सहयोग बढ़ाने हेतु कई एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिनमें फार्मा, निवेश, नवाचार और चिकित्सा उत्पाद नियमन शामिल हैं।
भारत-आर्मेनिया रक्षा सहयोग: भारत अब आर्मेनिया का प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता बन गया है, जिसमें स्वाथी रडार, पिनाका, एटीएजीएस, आकाश मिसाइल जैसे कई उन्नत हथियार शामिल हैं।
- 2022 से अब तक $1-2 अरब के सौदे हो चुके हैं। दोनों देशों ने सैन्य अधिकारियों की नियुक्ति भी की है। भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति के तहत यह सहयोग रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनता जा रहा है।
निष्कर्ष:
आर्मेनिया एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भू-राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देश है, जिसकी भौगोलिक विविधता, समृद्ध जैव विविधता, प्राचीन संस्कृति और धार्मिक परंपराएँ इसे विशिष्ट बनाती हैं।
भारत और आर्मेनिया के संबंध ऐतिहासिक गहराई से जुड़े हुए हैं, जो आज व्यापार, निवेश और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में लगातार मजबूत हो रहे हैं। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे पहल भारत को एक भरोसेमंद रक्षा साझेदार बनाते हैं, जबकि सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करते हैं।