हाल ही में अक्टूबर 2025 में आयोजित आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने चार देशों के साथ नए व्यापारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन समझौतों का उद्देश्य एशियाई क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को मजबूत करना और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना है। अमेरिका का यह प्रयास क्षेत्रीय देशों के साथ व्यापार, प्रौद्योगिकी और निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने और संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।
आसियान शिखर सम्मेलन 2025
- हाल ही में 47वे आसियान शिखर सम्मेलन का आयोजन 26 से 28 अक्टूबर 2025 तक कुआला लंपुर, मलेशिया में किया गया।
- इस वर्ष का थीम “समावेशिता और सततता” (Inclusivity and Sustainability) रखा गया, जिसका उद्देश्य था कि विकास की प्रक्रिया में कोई भी देश या समुदाय पीछे न छूटे।
- सम्मेलन में आसियान के दस मौजूदा सदस्य देशों—ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम—ने भाग लिया। इसके अलावा संवाद साझेदार देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड ने भी इसमें भाग लिया।
- इस शिखर सम्मेलन की एक ऐतिहासिक उपलब्धि यह रही कि टिमोर-लेस्ते (East Timor) को 26 अक्टूबर 2025 को औपचारिक रूप से आसियान का 11वां सदस्य घोषित किया गया। यह 1990 के दशक के बाद संगठन का पहला विस्तार था।
- बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। प्रमुख विषयों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता, विशेषकर समुद्री विवादों और क्षेत्रीय तनावों से निपटने के लिए संयुक्त दृष्टिकोण तैयार करना शामिल था। इसके साथ ही आर्थिक एकीकरण, डिजिटल अर्थव्यवस्था, सप्लाई चेन की मजबूती और व्यापारिक ढांचे के विस्तार पर भी ज़ोर दिया गया।
- पर्यावरणीय चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई। सभी सदस्य देशों ने सामूहिक रूप से ग्रीन एनर्जी निवेश, स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपनाने और सतत बुनियादी ढांचे के निर्माण की दिशा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इसी के साथ क्षेत्रीय संपर्क (Connectivity) को बढ़ाने के लिए परिवहन, डिजिटल नेटवर्क और व्यापार गलियारों के विकास की योजनाओं पर भी चर्चा की गई।
- भारत के लिए यह सम्मेलन “एक्ट ईस्ट नीति” (Act East Policy) और हिंद-प्रशांत दृष्टि (Indo-Pacific Vision) के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। भारत ने आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) की प्रगति पर जोर दिया। भारत ने डिजिटल नवाचार, नवीकरणीय ऊर्जा, शिक्षा, समुद्री सुरक्षा और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में आसियान देशों के साथ सहयोग गहराने का आह्वान किया।
अमेरिका का रणनीतिक आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते
- अक्टूबर 2025 में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने दक्षिण-पूर्व एशिया के चार देशों—मलेशिया, कंबोडिया, थाईलैंड और वियतनाम—के साथ नए व्यापार और निवेश समझौते किए। ये समझौते 26 अक्टूबर 2025 को कुआला लंपुर, मलेशिया में हस्ताक्षरित हुए, जिससे अमेरिका की एशिया में आर्थिक और रणनीतिक उपस्थिति और मजबूत हो गई।
- अमेरिका और मलेशिया के बीच एक परस्पर व्यापार समझौता (Reciprocal Trade Agreement) हुआ, जिसके तहत दोनों देशों ने खुले बाजार, व्यापारिक अवरोधों में कमी और निवेश को प्रोत्साहित करने पर सहमति जताई।
- कंबोडिया के साथ अमेरिका ने एक विशेष व्यापार समझौता किया, जिसमें निर्यात नियंत्रण, ड्यूटी चोरी की जांच और निवेश निगरानी तंत्र जैसी धाराओं को शामिल किया गया। यह कदम दोनों देशों के बीच पारदर्शिता बढ़ाने और अवैध व्यापारिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- इसके अलावा, अमेरिका ने थाईलैंड और वियतनाम के साथ भी व्यापार सहयोग और आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती को लेकर समझौते किए। हालांकि ये समझौते पूर्ण पारस्परिक व्यापार समझौते नहीं हैं, लेकिन इनसे भविष्य में अमेरिकी उत्पादों और सेवाओं के लिए बाजार पहुंच (Market Access) का मार्ग खुलने की संभावना है। विशेष रूप से थाईलैंड ने एक रूपरेखा के तहत 99 प्रतिशत वस्तुओं पर शुल्क समाप्त करने की दिशा में बातचीत आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।
- मलेशिया और थाईलैंड के साथ अमेरिका ने महत्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) की आपूर्ति श्रृंखला को लेकर भी साझेदारी की। इस समझौते में मलेशिया ने कहा कि वह अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध या निर्यात शुल्क नहीं लगाएगा।
- अमेरिका ने इन चारों देशों के लिए लगभग 19 प्रतिशत (वियतनाम के लिए 20 प्रतिशत) का औसत शुल्क दर बरकरार रखा है। हालांकि, यह प्रावधान किया गया है कि जैसे-जैसे बाजार की पहुंच और व्यापारिक संतुलन बेहतर होगा, कुछ टैरिफ लाइनों को धीरे-धीरे शून्य प्रतिशत (Zero Tariff) तक लाया जा सकता है।
- इन सभी व्यापारिक समझौतों में एक समान विशेष प्रावधान यह था कि निर्यात नियंत्रण और निवेश जांच की धाराएं “तीसरे देशों” पर भी लागू होंगी, जिसे आम तौर पर चीन के प्रति रणनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
- इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका ने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुए “कुआला लंपुर शांति समझौते (Kuala Lumpur Peace Accord)” को संपन्न कराने में मध्यस्थता की। इस शांति समझौते पर हस्ताक्षर समारोह में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप और मलेशिया के प्रधानमंत्री साक्षी के रूप में उपस्थित रहे।
आसियान शिखर सम्मेलन में अमेरिका की भागीदारी का रणनीतिक और आर्थिक महत्व
- वर्ष 2024 में अमेरिका और आसियान देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार लगभग 571.7 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो 2023 की तुलना में 13.4 प्रतिशत अधिक था। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि एशियाई बाजारों में अमेरिकी उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। शिखर सम्मेलन में हुए नए व्यापारिक समझौते अमेरिकी निर्यातकों को दक्षिण-पूर्व एशिया के तेजी से विकसित हो रहे बाजारों में अधिक पहुंच प्रदान करते है।
- अमेरिका ने अपने नए ढांचों में महत्वपूर्ण खनिजों, निर्यात नियंत्रण और निवेश निगरानी पर विशेष जोर दिया है। दक्षिण-पूर्व एशिया अब वैश्विक उत्पादन और संसाधन श्रृंखला का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। इस क्षेत्र के साथ साझेदारी से अमेरिका को अपने अत्यधिक निर्भर साझेदारों, विशेष रूप से चीन, से आपूर्ति स्रोतों को विविधीकृत (Diversify) करने का अवसर मिलेगा।
- भूराजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो आसियान के साथ अमेरिका की भागीदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करती है। इन समझौतों का दायरा आसियान देशों के साथ अमेरिका के कुल द्विपक्षीय व्यापार का लगभग 68 प्रतिशत शामिल करता है, जो यह दर्शाता है कि अमेरिका अब अपनी विदेश नीति में आर्थिक साधनों को केंद्रीय भूमिका में रख रहा है।
- अमेरिका की बढ़ती भागीदारी से क्षेत्रीय आर्थिक विकास (Regional Economic Growth) को भी गति मिल रही है। आसियान देश दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में गिने जाते हैं, जिनकी कुल जनसंख्या लगभग 70 करोड़ है। अमेरिका द्वारा इन देशों में निवेश, तकनीकी सहयोग और व्यापार विस्तार से न केवल स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि रोज़गार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं।
आइए जानते हैं: आसियान शिखर सम्मेलन क्या हैं?
- आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit) दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का कूटनीतिक निर्णय लेने वाला मंच है, जिसमें सदस्य राष्ट्रों के प्रधानों और राष्ट्राध्यक्षों को एक साथ लाया जाता है।
- यह सम्मेलन आसियान चार्टर के तहत कार्य करता है और संगठन की राजनीतिक-सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- आसियान की अध्यक्षता हर वर्ष वर्णानुक्रम के आधार पर अलग-अलग सदस्य देशों के बीच रोटेशन प्रणाली से बदलती है, जिससे सभी देशों को समान भागीदारी सुनिश्चित होती है।
- आसियान की स्थापना 8 अगस्त 1967 को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में की गई थी।
- इसके संस्थापक सदस्य इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड थे। इन देशों ने मिलकर बैंकॉक घोषणा (Bangkok Declaration) पर हस्ताक्षर किए, जिसने संगठन की आधारशिला रखी और सहयोग, शांति तथा विकास के साझा लक्ष्य निर्धारित किए।
- कई वर्षों के दौरान आसियान ने अपना विस्तार किया और 2025 तक यह 11 सदस्यीय संगठन बन गया है। वर्तमान सदस्य देश हैं — इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई दारुस्सलाम, वियतनाम, लाओस, म्यांमार, कंबोडिया और तिमोर-लेस्ते।
- आसियान के मुख्य उद्देश्य इसके चार्टर में परिभाषित हैं, जो 15 दिसंबर 2008 से प्रभावी हुआ। इसका प्रमुख लक्ष्य आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति, सांस्कृतिक विकास और क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देना है। संगठन संवाद और सहयोग के माध्यम से राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में कार्य करता है।
- आसियान का एक बड़ा लक्ष्य आसियान आर्थिक समुदाय (ASEAN Economic Community – AEC) की स्थापना करना है, जो 2015 में लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य एकीकृत बाजार और उत्पादन केंद्र बनाना है, ताकि सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश के प्रवाह को मजबूत किया जा सके।
- इसके अलावा, आसियान विकास असमानताओं को कम करने, पर्यावरण संरक्षण और मानव संसाधन विकास पर भी बल देता है। संगठन का आदर्श वाक्य “One Vision, One Identity, One Community (एक दृष्टि, एक पहचान, एक समुदाय)” इसकी एकता और साझा उद्देश्य की भावना को व्यक्त करता है।
- आर्थिक दृष्टि से, आसियान आज विश्व की सबसे सफल क्षेत्रीय संगठनों में से एक बन चुका है। 2024 में इसका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग 3.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जिससे यह विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। आसियान के अंदर आपसी व्यापार (Intra-ASEAN Trade) कुल व्यापार का लगभग 22 प्रतिशत है।
- इसके अलावा, 2023 में 210 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) इस क्षेत्र में आया है, जिससे सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को सशक्त आधार मिला।
- राजनैतिक रूप से, आसियान क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह East Asia Summit (EAS) और ASEAN Regional Forum (ARF) जैसे महत्वपूर्ण बहुपक्षीय तंत्रों का संचालन करता है, जहां प्रमुख विश्व शक्तियाँ — अमेरिका, चीन, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया — नीति और सुरक्षा मुद्दों पर विचार-विमर्श करती हैं।
- इसके साथ ही, आसियान शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी विशेष ध्यान देता है। ASEAN University Network (AUN) के माध्यम से छात्रवृत्तियाँ और अध्ययन कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिससे सदस्य देशों के युवाओं को क्षेत्रीय अवसरों और सांस्कृतिक समझ का विस्तार मिलता है।
