इस वर्ष दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में दोनों नेताओं के बीच पहली प्रत्यक्ष बैठक होगी।
- इस बार APEC शिखर सम्मेलन 2025 की वार्षिक बैठक 31 अक्तूबर से 1 नवम्बर 2025 तक दक्षिण कोरिया में आयोजित की जाएगी।
- यह सम्मेलन ग्योंगजू ह्वाबैक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में आयोजित किया जाएगा। दक्षिण कोरिया दूसरी बार इस शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा, इससे पहले वर्ष 2005 में यहाँ यह आयोजन हुआ था।
एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) क्या है?
- परिचय: एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) एक क्षेत्रीय मंच और अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक सहयोग और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। इसकी स्थापना वर्ष 1989 में औपचारिक रूप से कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया में हुई।
- कार्य क्षेत्र: APEC का मुख्य उद्देश्य सतत और समावेशी विकास पर केंद्रित है।
- यह संगठन व्यापार में बाधा बनने वाले शुल्क और जटिल नियमों को सरल करने का कार्य करता है।
- इस संगठन का लक्ष्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त और खुला व्यापारिक तंत्र स्थापित करना है।
- यह संगठन प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और मानवीय संपर्कों को बढ़ावा देने वाली नीतियों का समर्थन करता है।
- यह संगठन आर्थिक प्रगति और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन पर बल देता है।
- यह संगठन खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल सुरक्षा और आपदा जोखिम प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
- सदस्य: APEC में वर्तमान में 21 सदस्य अर्थतंत्र हैं। इस संगठन में सदस्यता प्रशांत महासागर से जुड़े देशों की आर्थिक एकता के सिद्धांत पर आधारित है। सदस्य देश: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, चीन, हांगकांग, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मेक्सिको, न्यूज़ीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, पेरू, फ़िलिपींस, रूस, सिंगापुर, चीनी ताइपे, थाईलैंड, वियतनाम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
- इतिहास और विकास: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग की अवधारणा 1980 के दशक में सामने आई। इसका विचार ऑस्ट्रेलिया और जापान ने सबसे पहले प्रस्तुत किया।
- वर्ष 1989 में औपचारिक रूप से इसकी स्थापना की गई, जिसके लिए पहला मंत्री स्तरीय सम्मेलन कैनबरा में आयोजित किया गया, जिसमें 12 संस्थापक सदस्य शामिल थे।
- वर्ष 1991 में चीन, हांगकांग और चीनी ताइपे इसके सदस्य देशों की सूची में शामिल हुए।
- वर्ष 1993 में मेक्सिको और पापुआ न्यू गिनी, 1994 में चिली तथा 1998 में पेरू, रूस और वियतनाम को इसकी सदस्यता दी गई।
- विशेष: वर्ष 1994 में इंडोनेशिया के बोगोर शहर में बोगोर लक्ष्य निर्धारित किए गए, जिनका उद्देश्य विकसित देशों के लिए 2010 और विकासशील देशों के लिए 2020 तक मुक्त व्यापार और निवेश सुनिश्चित करना था।
- वर्ष 1995 से 1999 के बीच इस संगठन ने व्यापार से आगे बढ़कर मानव सुरक्षा, लैंगिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता तक साझेदारी-सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया।
- 2000 के दशक में APEC ने डिजिटल अर्थव्यवस्था, कनेक्टिविटी और आतंकवाद-निरोधी उपायों को भी शामिल किया गया।
- वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान APEC नेताओं ने पुत्राजाया विजन 2040 प्रस्तुत किया, जो नवाचार, स्थिरता और सहयोग पर बल देता है।
एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) की संरचना और महत्व
- संरचना:APEC आर्थिक नेताओं की बैठक: यह सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई है, जहाँ सदस्य देशों के शासनाध्यक्ष हर वर्ष मिलते हैं और संगठन की दिशा तय करते हैं।
- APEC मंत्री स्तरीय बैठक: इसमें सदस्य अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के मंत्री प्रतिवर्ष मिलकर प्रगति की समीक्षा करते हैं और नई नीतियों पर निर्णय लेते हैं।
- वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (SOM): इस बैठक में वरिष्ठ अधिकारी अपने से निम्नतम कार्यकारी समूहों का समन्वय करते हैं और मंत्री स्तरीय तथा नेताओं की बैठकों की तैयारी करते हैं।समितियाँ: इसमें अलग-अलग समितियाँ व्यापार, निवेश, आर्थिक सहयोग और सतत विकास जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
- कार्यकारी समूह: यह समूह तकनीकी विशेषज्ञ ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, लघु एवं मध्यम उद्यम और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे विशेष क्षेत्रों में कार्य करते हैं।
- सचिवालय: APEC सचिवालय सिंगापुर में स्थित है। यह प्रशासनिक सहयोग का मुख्य केंद्र है। इसके माध्यम से संगठन के सुचारू समन्वय को सुनिश्चित किया जाता है।
- APEC व्यवसाय परामर्श परिषद (ABAC): इस परिषद की स्थापना 1995 में हुई थीं। यह परिषद निजी क्षेत्र के नेताओं को एक मंच पर लाने का काम करती है, जो व्यापार और निवेश पर सरकारों को सुझाव देते हैं। यह परिषद नीति निर्माताओं और उद्योगों के बीच सेतु का कार्य करती है।
- महत्व:
- मुक्त और खुला व्यापार: APEC मुक्त और सरल व्यापार की दिशा में केंद्रीय भूमिका निभाता है। इस संगठन ने औसत शुल्क दरों को वर्ष 1989 में 17 प्रतिशत से घटाकर वर्ष 2018 तक लगभग 5 प्रतिशत कर दिया था। इस व्यापक कमी से व्यापार प्रवाह बढ़ा है। इससे वस्तुएँ एक देश से दूसरे देश तक अधिक आसानी से उपलब्ध होने लगी हैं।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था: APEC विश्व के सबसे बड़े आर्थिक समूहों में से एक है, जिसके सदस्य देश विश्व की सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 62 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का लगभग आधे हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह संगठन आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क और डिजिटल व्यापार को भी प्रोत्साहित करता है, जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
- तटस्थ मंच: APEC एक तटस्थ मंच है। यह बाध्यकारी संधियों पर आधारित नहीं है, इसमें सदस्य देश संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर चर्चा कर सकते हैं। ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल परिवर्तन जैसे विषयों पर कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ताएँ APEC शिखर सम्मेलनों के दौरान हुई हैं।
- समावेशी विकास: APEC समावेशी विकास और स्थिरता पर विशेष जोर देता है। यह लघु एवं मध्यम उद्यमों, महिला उद्यमियों और डिजिटल स्टार्टअप्स को भी समर्थन प्रदान करता है, ताकि विकास का लाभ समाज के अधिक व्यापक वर्गों तक पहुँचे।
भारत और एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC)
- भारत ने हमेशा एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) का पूर्ण सदस्य बनने में रुचि दिखाई है। लेकिन हर बार किसी न किसी कारण से इसमें रुकावट आ जाती है।
- इस संगठन में भारत वर्तमान में पर्यवेक्षक की स्थिति में है। भारत ने सबसे पहले वर्ष 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण प्रक्रिया के दौरान APEC में शामिल होने के लिए औपचारिक अनुरोध किया था। भारत का मानना था कि उसकी भौगोलिक स्थिति और एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं के साथ उसके व्यापारिक संबंध मजबूत है।
- APEC ने वर्ष 1997 में सदस्य देशों के बीच आंतरिक सहयोग को मजबूत करने के लिए, नए सदस्यों को शामिल करने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया था। यह प्रतिबंध 2012 में समाप्त होने वाला था, लेकिन अभी तक इस पर कोई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया है, जिससे भारत की सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित है।
- APEC विश्व की कुल जनसंख्या का एक-तिहाई से अधिक प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में भारत के लिए $5 ट्रिलियन वाली अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य प्राप्त करने में APEC महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
APEC की सदस्यता भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है। भारत पहले ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे क्षेत्रीय संगठनों में शामिल हो चुका है। ऐसे में APEC में शामिल होना भारत की पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में आर्थिक और रणनीतिक जुड़ाव को मजबूत कर सकता है।