रियल मनी गेम्स पर रोक: सरकार ने पेश किया नया गेमिंग बिल

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए बड़ा झटका देते हुए संसद ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पास कर दिया है, जिसके तहत ड्रीम-11, रमी, पोकर जैसे सभी रियल-मनी बेस्ड ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लग सकता है। लोकसभा में 20 अगस्त और राज्यसभा में 21 अगस्त को पारित इस बिल का मकसद ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करना और पैसे से जुड़े खेलों पर पूरी तरह रोक लगाना है।

 

ऑनलाइन गेमिंग को सरकार ने दो श्रेणियों में बांटा

सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को दो स्पष्ट श्रेणियों में विभाजित किया है- ई-स्पोर्ट्स (E-Sports) और रियल मनी गेम्स (Real Money Games)

ई-स्पोर्ट्स:

ई-स्पोर्ट्स उन गेम्स को कहा जाता है, जिनमें खेलने के लिए पैसों या किसी कीमती वस्तु का लेन-देन नहीं होता। सरल शब्दों में, यह वे गेम हैं जिन्हें बिना दांव शर्त, या पैसे के खेला जाता है।

ई-स्पोर्ट्स को मिलेगा बढ़ावा:

सरकार इस श्रेणी को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। ई-स्पोर्ट्स को अब प्रोफेशनल टूर्नामेंट और प्रतियोगिता की तरह भी मान्यता दी जा रही है। GTA, Call of Duty, BGMI और Free Fire जैसे लोकप्रिय गेम इसी श्रेणी में शामिल हैं।

रियल मनी गेम्स:

दूसरी ओर, रियल मनी गेम्स वे हैं जिनमें खेलते समय सीधे पैसों का इस्तेमाल किया जाता है। खिलाड़ी कार्ड, UPI या वॉलेट के जरिए पैसा लगाते हैं और जीत की स्थिति में उन्हें अकाउंट में कैश ट्रांसफर किया जाता है। इसमें वर्चुअल रिवॉर्ड जैसे कॉइन नहीं दिए जाते, बल्कि केवल वास्तविक धन का लेन-देन होता है। भारत में इस तरह के गेम्स की इंडस्ट्री लाखों करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। रम्मी, फैंटेसी क्रिकेट और लूडो जैसे गेम इस श्रेणी में आते हैं।

 

रियल मनी गेम्स पर सख्ती की तैयारी

सरकार अब रियल मनी गेम्स के क्षेत्र पर कड़ा शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि इन खेलों के कारण युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। बड़ी संख्या में युवा इसमें पैसे लगाकर हार जाते हैं, जिससे आर्थिक हानि के साथ-साथ मानसिक संतुलन भी बिगड़ जाता है। कई मामलों में इस तनाव के कारण आत्महत्या जैसी दुखद घटनाएँ भी सामने आई हैं। सरकार का मानना है कि ऐसे गेम्स पर नियंत्रण समाज और विशेषकर युवा वर्ग के हित में आवश्यक है।

 

बिल क्यों है खास?

यह विधेयक ऑनलाइन गेमिंग को एक नई परिभाषा देते हुए ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को प्रोत्साहन प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर हानिकारक ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाओं, विज्ञापनों और उनसे जुड़े वित्तीय लेन-देन पर सख्त रोक लगाता है। इसके दायरे में ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स से लेकर ऑनलाइन जुए की सभी गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनमें पोकर, रम्मी, अन्य कार्ड गेम और ऑनलाइन लॉटरी भी सम्मिलित हैं।

सरकार का उद्देश्य युवाओं को उन खतरनाक रियल मनी गेमिंग ऐप्स से बचाना है, जो भ्रामक ‘पैसे वापसी के वादों’ के जरिए उन्हें बाध्यकारी और व्यसनकारी खेलों में धकेलते हैं। ऐसे खेल न केवल युवाओं की मानसिक और सामाजिक सेहत को प्रभावित करते हैं, बल्कि परिवारों को भी गंभीर आर्थिक संकट में डाल देते हैं।

विधेयक इस तथ्य पर आधारित है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग से जुड़ी लत वित्तीय नुकसान, मानसिक असंतुलन और यहाँ तक कि आत्महत्या जैसी घटनाओं तक को जन्म दे सकती है। इसके अतिरिक्त, इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल वित्तीय धोखाधड़ी, धन शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गतिविधियों के लिए भी किया जाता है। ऐसे में सरकार का मानना है कि इन पर सख्त नियंत्रण समाज और देश दोनों के हित में आवश्यक है।

किस तरह के प्रतिबंध लगाएगी सरकार

सरकार रियल मनी गेम्स पर व्यापक स्तर पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। सबसे पहले इन गेम्स को बैंकिंग प्रणाली के जरिए लेन-देन करने से रोका जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार का सीधा वित्तीय लेन-देन संभव न हो। इसके साथ ही इस तरह के गेम्स के विज्ञापन और प्रचार-प्रसार पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी।

विधेयक के तहत बिना रजिस्ट्रेशन वाले अवैध गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। निगरानी के लिए एक स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण गठित किया जाएगा, जो इन प्लेटफॉर्म्स की गतिविधियों पर नजर रखेगा।

  • अवैध गेमिंग प्लेटफॉर्म चलाने वालों को तीन साल की जेल या एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वहीं, रियल मनी गेम्स के विज्ञापन करने वालों को दो साल की जेल या 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
  • इसके अतिरिक्त, यदि कोई वित्तीय संस्था अवैध लेन-देन में शामिल पाई जाती है तो उसे भी तीन साल की जेल या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
  • बार-बार अपराध करने वालों को लंबी अवधि की सजा और अधिक जुर्माना भुगतना पड़ेगा। कुछ मामलों में सजा गैर-जमानती होगी, जिससे आरोपी को आसानी से राहत नहीं मिल पाएगी।
  • अधिकारियों को संपत्ति जब्त करने और बिना वारंट गिरफ्तारी करने का भी अधिकार दिया गया है।

 

किन गेम्स पर लग सकती है रोक?

नए ऑनलाइन गेमिंग बिल के तहत उन सभी ऐप्स पर खतरे की घंटी बज सकती है, जिनमें खिलाड़ियों को जीतने के लिए वास्तविक पैसे लगाना अनिवार्य है। फैंटेसी स्पोर्ट्स से जुड़े कई लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स इस दायरे में आ सकते हैं, क्योंकि इन्हें अप्रत्यक्ष रूप से ऑनलाइन सट्टेबाजी के समान माना जा रहा है। फिलहाल सरकार ने स्पष्ट रूप से किसी विशेष ऐप का नाम नहीं लिया है, लेकिन अनुमान है कि ऐसे सभी गेम्स जिनमें रियल मनी ट्रांजैक्शन होता है, इसमें Dream11, Winzo, MPL, My11Circle, 99Games और GamesKraft जैसे फैंटसी स्पोर्ट्स गेम्स शामिल हैं, उन पर कार्रवाई हो सकती है।

 

ई-स्पोर्ट्स गेम्स पर असर नहीं

वहीं, बैटल रॉयल और अन्य स्किल-आधारित गेम्स जैसे BGMI, GTA और Free Fire पर इस बिल का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इन्हें ई-स्पोर्ट्स श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि इनमें खिलाड़ी अपनी क्षमता, रणनीति और कौशल के आधार पर प्रतिस्पर्धा करते हैं, न कि पैसे दांव पर लगाकर। इन गेम्स की कमाई विज्ञापन, इन-गेम परचेज और प्रमोशनल ऑफर्स से होती है, इसलिए सरकार ने इन्हें प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है।

 

भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री?

भारत में ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर तेजी से बढ़ा है। साल 2020 में जहां गेमर्स की संख्या 36 करोड़ थी, वहीं 2024 तक यह 50 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। सरकार का अनुमान है कि करीब 45 करोड़ लोग हर साल रियल मनी गेमिंग में शामिल होकर लगभग 20,000 करोड़ रुपये गंवाते हैं। यही वजह है कि प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 को पास किया गया, जिसका उद्देश्य रियल मनी गेम्स पर रोक लगाना और ई-स्पोर्ट्स व सोशल गेमिंग को बढ़ावा देना है।

टैक्स और निवेश से जुड़ा बड़ा सेक्टर

गेमिंग सेक्टर से सरकार को हर साल लगभग 20,000 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में मिलते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में करीब 400 स्टार्टअप शुरू हुए और लगभग 25,000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया। 2023 में सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगाया था और 2025 से जीतने वाली रकम पर 30% टैक्स का प्रावधान किया गया। यह दिखाता है कि गेमिंग अब न केवल मनोरंजन बल्कि निवेश और राजस्व का भी बड़ा स्रोत बन चुका है।

 

बैन से कितना प्रभावित होगा सेक्टर?

भारत का ऑनलाइन गेमिंग मार्केट फिलहाल लगभग 32,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें से 86% कमाई रियल मनी गेम्स से होती है। अनुमान था कि 2029 तक यह मार्केट 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। लेकिन सरकार के बैन से ड्रीम 11, गेम्स 24×7, विंजो और गेम्सक्राफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियां मुश्किल में पड़ सकती हैं। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि इस कदम से करीब 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी और सरकार को भी हर साल करोड़ों रुपये टैक्स के रूप में नुकसान होगा।

 

इंडस्ट्री की आपत्ति

पहले सरकार ने इस सेक्टर को रेगुलेट करने के लिए 28% जीएसटी और जीत की रकम पर 30% टैक्स लगाया था, लेकिन अब उसका रुख टैक्स और रेगुलेशन से हटकर सीधे बैन की ओर बढ़ गया है। इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय गलत दिशा में उठाया गया कदम है। उनके मुताबिक, इससे वैध कंपनियां तो बंद होंगी, लेकिन गैरकानूनी ऑपरेटरों को बड़ा फायदा मिलेगा, जिससे युवाओं पर नकारात्मक असर और बढ़ सकता है।

 

गेमिंग इंडस्ट्री का विरोध

सरकार के प्रस्तावित बैन पर गेमिंग कंपनियों और इंडस्ट्री बॉडीज ने कड़ा एतराज़ जताया है। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) जैसे संगठनों का कहना है कि यह कदम इंडस्ट्री के लिए घातक साबित होगा।

इन संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अपील की है कि बैन लगाने के बजाय “प्रोग्रेसिव रेगुलेशन” लागू किया जाए। उनका तर्क है कि यदि रियल मनी गेमिंग को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया, तो भारतीय यूजर्स गैरकानूनी और विदेशी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स की ओर मुड़ जाएंगे।