बेल्जियम की अदालत ने भगोड़े मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को दी मंजूरी, क्या भारत आएगा भगोड़ा मेहुल चोकसी?

बेल्जियम की अदालत ने भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। चोकसी 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले में वांछित हैं। उस पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप हैं। अदालत ने पुष्टि की कि चोकसी की बेल्जियम पुलिस द्वारा गिरफ्तारी भारत के अनुरोध पर वैध थी।

 

चोकसी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद 11 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में हैं। उनकी कई ज़मानत याचिकाएँ भागने की आशंका के कारण खारिज कर दी गई थीं। सुनवाई के दौरान बेल्जियम के वकीलों ने भारत के मामले का समर्थन किया, जबकि चोकसी की कानूनी टीम ने प्रत्यर्पण का विरोध किया। अदालत ने कहा कि धोखाधड़ी, आपराधिक षडयंत्र और भ्रष्टाचार के सभी आरोप बेल्जियम के कानून के तहत भी मान्य हैं।

Belgian court approves extradition of fugitive Mehul Choksi to India

मेहुल चोकसी के पास बेल्जियम सुप्रीम कोर्ट में 15 दिन की अपील की समय:

 

चोकसी के पास अब बेल्जियम की सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 15 दिन का समय है। यदि अपील खारिज हो जाती है या नहीं दायर की जाती है, तो उनकी भारत वापसी की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। यह फैसला चोकसी को भारत वापस लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

 

एंटवर्प कोर्ट ने मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को दी मंजूरी, जमानत याचिकाएं नाकाम:

एंटवर्प की अदालत ने शुक्रवार को भारतीय पक्ष, बेल्जियम अभियोजकों और चोकसी की कानूनी टीम की दलीलें सुनीं। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भारत का प्रत्यर्पण अनुरोध और चोकसी की गिरफ्तारी वैध हैं।

65 वर्षीय मेहुल चोकसी को 11 अप्रैल 2025 को एंटवर्प पुलिस ने CBI के प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर गिरफ्तार किया था। वह पिछले चार महीने से बेल्जियम की जेल में बंद हैं। चोकसी ने कई अदालतों में जमानत के लिए याचिकाएं दायर कीं, लेकिन सभी नाकाम रहीं और हर बार याचिका खारिज कर दी गई।

 

भारत ने बेल्जियम को मेहुल चोकसी की जेल सुविधाओं का आश्वासन दिया:

हाल ही में भारत सरकार ने बेल्जियम को भरोसा दिया था कि यदि मेहुल चोकसी को भारत प्रत्यर्पित किया जाता है, तो उसे मुंबई के आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा, जो यूरोपीय CPT (यातना और अमानवीय या अपमानजनक दंड की रोकथाम समिति) के मानकों के अनुरूप है। चोकसी को स्वच्छ पेयजल, पर्याप्त भोजन, मेडिकल सुविधाएँ, न्यूजपेपर और टीवी उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा, उसे प्राइवेट डॉक्टर से इलाज का विकल्प भी मिलेगा और उसे एकांत कारावास का सामना नहीं करना पड़ेगा।

 

मुंबई की आर्थर रोड जेल का बैरक नंबर 12: हाई-प्रोफाइल कैदियों के लिए विशेष सुरक्षा

बैरक नंबर 12 आर्थर रोड जेल का एक उच्च-सुरक्षा और हाई-प्रोफाइल बैरक है, जो अपने विशेष प्रबंधन और सुविधाओं के लिए जाना जाता है।

 

मुख्य विशेषताएं:

  • सुरक्षा और निगरानी: बैरक मुख्य जेल परिसर से अलग है और 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी में रहता है। जेल कर्मचारी इसे विशेष रूप से प्रबंधित करते हैं।
  • मानवाधिकार और सुविधाएं: प्रत्यर्पण मामलों में अंतरराष्ट्रीय अदालतों को यह दिखाने के लिए कि भारतीय जेलें मानवाधिकार मानकों के अनुरूप हैं, बैरक की सुविधाएं उजागर की जाती हैं। इसमें स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं, प्राकृतिक रोशनी और निजी बाथरूम शामिल हैं।

 

क्या है, प्रत्यर्पण संधि:

प्रत्यर्पण संधि एक कानूनी व्यवस्था है जो दो देशों के बीच भगोड़े अपराधियों को पकड़कर मुकदमे के लिए एक देश से दूसरे देश भेजने के लिए बनाई जाती है। इस संधि के तहत कुछ शर्तें पूरी होना अनिवार्य है, जैसे अपराध की गंभीरता, दोनों देशों में अपराध को कानून के तहत मान्यता देना, और प्रत्यर्पित व्यक्ति पर पर्याप्त साक्ष्य होना। यह आतंकवाद और अन्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

 

प्रत्यर्पण संधि के मुख्य पहलू:

  1. आपसी सहयोग:संधि देशों को मिलकर अपराधों से निपटने और जांच को प्रभावी बनाने में मदद करती है।
  2. न्याय सुनिश्चित करना:जब कोई अपराधी विदेश भाग जाता है, तो प्रत्यर्पण संधि उसे न्याय के कटघरे में लाने में सहायता करती है।
  3. भारतीय प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962:भारत में प्रत्यर्पण प्रक्रिया भारतीय प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 के तहत होती है, जो भारत और विदेश दोनों के प्रत्यर्पण के लिए लागू है।
  4. दोहरी आपराधिकता:संधि में यह सुनिश्चित किया जाता है कि जिस अपराध के लिए प्रत्यर्पण किया जा रहा है, वह दोनों देशों में अपराध माना जाता हो।

 

प्रत्यर्पण में चुनौतियाँ:

  1. विदेशी अदालतों में कानूनी अड़चनें प्रक्रिया में देरी का कारण बनती हैं।
  2. निर्णयों को प्रभावित करने वाले राजनीतिक और कूटनीतिक विचार।
  3. मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ, जैसे यातना या अनुचित मुकदमों का जोखिम।

 

प्रत्यर्पण के कुछ उदाहरण:

  • अबू सलेम: भारत ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया, लेकिन मृत्युदंड न देने की शर्त के साथ।
  • तहव्वुर राणा: मुंबई हमलों की योजना में शामिल होने के आरोप में भारत ने उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित किया।

 

आइए जान लेते है, मेहुल चोकसी के बारे में:

मेहुल चोकसी, जन्म 5 मई 1959, मुंबई में हुआ, एक भारतीय व्यवसायी और ज्वेलरी समूह गितांजली ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष हैं। 1985 में मात्र 26 वर्ष की आयु में उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय संभाला और इसे विस्तार दिया। उनके नेतृत्व में गितांजली ग्रुप भारत में 4,000 से अधिक स्टोरों वाला एक बड़ा ज्वेलरी रिटेलर बन गया।

 

मेहुल चोकसी पर कई गंभीर आरोप लगे है-

  • PNB घोटाला: मेहुल चोकसी पर पीएनबी के साथ मिलकर 13,850 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
  • मनी लॉन्डरिंग: मेहुल चोकसी पर मनी लॉन्डरिंग और फर्जी लेनदेन के आरोप हैं।
  • फर्जी गारंटी: उन्होंने पीएनबी के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी गारंटी जारी की।
  • शेयर बाजार में धोखाधड़ी: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उन्हें 10 वर्षों के लिए पूंजी बाजार से बैन कर दिया है।
  • नकली हीरों की बिक्री: मेहुल चौकसी पर नकली हीरों को असली बताकर बेचने का आरोप है।
  • विदेशी बैंकों से बिना सिक्योरिटी के लोन: चोकसी ने विदेशी बैंकों से बिना सिक्योरिटी के लोन लिया। शेल कंपनियों में ट्रांसफर कर मनी लॉन्डरिंग की।

 

PNB घोटाले में मुख्य आरोपी:

मेहुल चोकसी और उनके भतीजे नीरव मोदी ने मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले को अंजाम दिया। यह भारत के इतिहास के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक माना जाता है। दोनों ने मिलकर लगभग ₹13,578 करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया। यह स्कैम 2011 से चल रहा था, लेकिन इसका खुलासा 2018 में हुआ। नीरव मोदी भी हीरा कारोबारी रहे और घोटाले के खुलासे से पहले देश छोड़कर भाग गए थे।

 

फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के माध्यम से लोन:

मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी गारंटियां (LoUs) जारी कीं। इन गारंटियों के आधार पर विदेश में बैंकों से बिना किसी सिक्योरिटी के लोन लिया गया। इस लोन से प्राप्त रकम विभिन्न शेल कंपनियों (bogus कंपनियों) में ट्रांसफर की गई और इसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और नकली व्यापारिक लेन-देन में किया गया।

 

घोटाले के खुलासे से पहले भारत छोड़ भागा:

घोटाले का खुलासा होने से पहले ही मेहुल चोकसी 2017 में भारत छोड़कर भाग गए। इसके बाद उन्होंने 2018 में एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता प्राप्त की।

 

CBI और ED ने चोकसी के खिलाफ आपराधिक साजिशमनी लॉन्ड्रिंग और गबन के तीन आरोपपत्र दायर किए।

चोकसी ने बेल्जियम में निवास कार्ड प्राप्त किया और अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ एंटवर्प में रह रहे थे। इससे पहले उन्होंने एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता विशेष निवेश कार्यक्रम के तहत प्राप्त की थी। चिकित्सा उपचार के लिए वह स्विट्जरलैंड जाने की योजना बना रहा था। 2021 में उसे एंटीगुआ से लापता होने के बाद डोमिनिका में पाया गया। अप्रैल 2025 में उसे बेल्जियम पुलिस ने गिरफ्तार किया और वर्तमान में जेल में हैं।

घोटाले से बैंक को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मेहुल चोकसी की संपत्तियां ₹2,500 करोड़ से अधिक मूल्य की जब्त की जा चुकी हैं।

 

आगे क्या हो सकता है?

मेहुल चोकसी की नागरिकता विवाद का केंद्र बिंदु रही है। चोकसी का दावा है कि उसने नवंबर 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता प्राप्त करने के बाद 14 दिसंबर 2018 को भारतीय नागरिकता त्याग दी थी। भारत सरकार इसका विरोध करती है और जोर देती है कि वह अभी भी भारतीय नागरिक है, इसलिए उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

मामले से परिचित अधिकारियों के अनुसार, चोकसी के पास अब भी हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प मौजूद है। इसका मतलब है कि वह तुरंत भारत नहीं लाया जा सकता, लेकिन प्रत्यर्पण की दिशा में पहला और महत्वपूर्ण चरण पूरी तरह से सफल हो चुका है।

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