निर्वाचन आयोग ने सोमवार शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा कर दी है। इस बार चुनाव दो चरणों में होंगे- पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को।
नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। खास बात यह है कि इस बार बिहार में पहली बार विधानसभा चुनाव सिर्फ दो चरणों में संपन्न होंगे।

40 साल बाद होंगे 2 फेज में चुनाव:
बिहार में इस बार 40 साल बाद फिर से दो चरणों में चुनाव होंगे। इससे पहले साल 1985 में दो फेज में मतदान हुआ था। BJP और RJD ने दो चरणों में चुनाव कराने की मांग की थी, जबकि JDU चाहती थी कि चुनाव एक ही फेज में हो।
पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में तीन चरणों में हुए थे 20 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच वोटिंग हुई और नतीजे 10 नवंबर को आए थे। उससे पहले 2015 में पांच चरणों में 12 अक्टूबर से 5 नवंबर तक मतदान हुआ था और परिणाम 8 नवंबर को घोषित किए गए थे।
40 दिन में संपन्न होगी पूरी प्रक्रिया:
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव की पूरी प्रक्रिया सिर्फ 40 दिन में पूरी होगी। यानी चुनाव के ऐलान से लेकर नतीजे आने तक का सफर अब तक का सबसे छोटा होगा। 2010 में चुनाव प्रक्रिया 61 दिन चली थी, 2015 में 60 दिन और 2020 में 47 दिन लगे थे। इस तरह पिछले तीन चुनावों की तुलना में इस बार का चुनाव सबसे कम अवधि में संपन्न होगा।
क्या है चुनाव आयोग की तैयारियाँ?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने नई दिल्ली में बताया कि बिहार में करीब 7 करोड़ 43 लाख मतदाताओं के लिए 90 हजार 712 से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि पहली बार हर विधानसभा क्षेत्र में एक सामान्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा, जो आयोग की “आंख और कान” की तरह काम करेगा। सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था होगी ताकि मतदान प्रक्रिया पर पूरी निगरानी रखी जा सके। साथ ही जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही, राज्य में पर्याप्त केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात रहेंगे और विभिन्न चेकपोइंट्स पर निगरानी रखी जाएगी ताकि नकदी, शराब और नशीले पदार्थों की अवैध आवाजाही पर रोक लगाई जा सके।

दोनों चरण के चुनाव के लिए ये हैं महत्वपूर्ण तारीखें:
चुनाव आयोग की ओर से जारी कार्यक्रम के मुताबिक पहले चरण कुल 121 सीटों पर मतदान कराया जाएगा तो दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान कराया जाएगा. चुनाव आयोग के मुताबिक पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना 10 अक्तूबर को की जाएगी। पहले चरण में 17 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे।
नामांकन पत्रों की जांच 18 अक्टूबर को की जाएगी तो 20 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. इस चरण का मतदान छह नवंबर को कराया जाएगा.
दो चरणों में चुनाव कराने की क्या है वजह?
दो चरणों में चुनाव कराने का कारण सुरक्षा और प्रशासनिक सुविधा सुनिश्चित करना है। इससे केंद्रीय बलों की तैनाती और आवाजाही आसान हो जाती है, खासकर नेपाल, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती जिलों तथा झारखंड के नक्सल प्रभावित और सीमांचल क्षेत्रों में।
मतदान केंद्रों की संख्या:
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, बिहार में कुल 90,712 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिन पर औसतन 818 मतदाता रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 76,801 केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में और 13,911 केंद्र शहरी इलाकों में स्थित हैं। सभी मतदान केंद्रों पर 100% वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई है ताकि पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखी जा सके। इसके अलावा, 1,350 मॉडल मतदान केंद्र भी बनाए गए हैं, जहां मतदाताओं के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
बिहार में SIR के बाद मतदाता सूची अपडेट:
चुनाव आयोग ने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत फाइनल वोटर लिस्ट मंगलवार को जारी कर दी है। इस प्रक्रिया में 69.29 लाख पुराने नाम हटाए गए और 21.53 लाख नए नाम जोड़े गए, जिससे कुल मतदाता संख्या 7.42 करोड़ हो गई है।
जानकारी के अनुसार, SIR से पहले जून 2025 में बिहार में कुल 7.89 करोड़ वोटर्स थे। पहली ड्राफ्ट लिस्ट के बाद यह आंकड़ा 7.24 करोड़ रह गया था, जिसमें 65.63 लाख लोगों के नाम कटे थे। अब इनमें से 17 लाख नाम फिर से जोड़े गए हैं।
नई लिस्ट में 22.34 लाख लोग मृत पाए गए हैं, 6.85 लाख लोगों के नाम दो जगह दर्ज हैं, और 36.44 लाख लोग दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं।
नामांकन से 10 दिन पहले तक जोड़ा जा सकता है:
ज्ञानेश कुमार ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के संदर्भ में बताया कि बिहार के वोटर्स और निर्वाचन आयोग एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि निधन, नागरिकता ना होना, प्रवासन और नामों के दोहराव के कारण 69 लाख नाम हटाए गए।
यदि किसी का नाम छूट गया है, तो वे नामांकन की तिथि से 10 दिन पहले तक अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकते हैं। कुमार ने यह भी कहा कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव वोटर्स के लिए सुगम और सरल होंगे, कानून व्यवस्था की पूरी निगरानी की जाएगी और चुनाव पारदर्शी ढंग से होंगे।
अंतिम मतदाता सूची सभी राजनीतिक दलों को दे दी गई
SIR के बाद अंतिम मतदाता सूची सभी राजनीतिक दलों को दे दी गई है। नामांकन दाखिल करने की तिथि के बाद जारी होने वाली मतदाता सूची अंतिम होगी।
निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाताओं के लिए चुनावी सेवाएं उपलब्ध कराईं:
निर्वाचन आयोग ने बिहार के मतदाताओं की सुविधा के लिए चुनावी सेवाओं को आसान बनाया है। बिहार में कुल 90,712 बीएलओ (BLOs), 243 ईआरओ (EROs) और 38 डीईओ (DEOs) नियुक्त किए गए हैं, जिनसे मतदाता सीधे संपर्क कर सकते हैं।
मतदाता 1950 नंबर पर कॉल करके अपनी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए संबंधित जिले का STD कोड लगाकर +91-STD Code-1950 डायल करना होगा। जैसे-पटना के लिए +91-612-1950।
इसके अलावा, ECINet ऐप के जरिए मतदाता अपने BLO से कॉल बुक भी कर सकते हैं।

ECI Net एप होगा लॉन्च:
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही निर्वाचन आयोग एक नया ऐप ‘ECI Net’ लॉन्च करेगा। यह सिंगल विंडो ऐप पूरी तरह से बिहार चुनाव के दौरान काम करेगा। इसके जरिए चुनाव से जुड़ी सभी अहम प्रक्रियाओं की रियल-टाइम निगरानी की जा सकेगी।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: प्रमुख बदलाव
- बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ट्रेनिंग: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार चुनाव में पहली बार BLOs को नई दिल्ली में विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इस बार 90,712 BLOs, 243 EROs और 38 DEOs तैनात रहेंगे।
- निश्चित संख्या में मतदाता: हर पोलिंग बूथ पर 1200 मतदाता तय किए गए ताकि मतदान व्यवस्थित हो।
- मोबाइल ले जाने की सुविधा: मतदाता पोलिंग स्टेशन में मोबाइल लेकर जा सकते हैं, मतदान के दौरान बाहर जमा होगा और बाद में लौटाया जाएगा।
- उम्मीदवारों के बूथ की निकटता: उम्मीदवार अब पोलिंग स्टेशन के 100 मीटर के भीतर अपने बूथ लगा सकते हैं। इससे मतदाता और एजेंट्स की सुविधा बढ़ी है।
- ईवीएम में रंगीन फोटो: उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें और बड़ा सीरियल नंबर ईवीएम में पहली बार होंगे। इससे पहचान आसान होगी और मतदाता भ्रमित नहीं होंगे।
- डिजिटल इंडेक्स रिपोर्ट: इस चुनाव में डिजिटल इंडेक्स कार्ड तैयार होंगे। हर बूथ की वेबकास्टिंग की जाएगी, लेकिन इसे केवल हाई कोर्ट को उपलब्ध कराया जाएगा।।
- हर सीट पर ऑब्जर्वर: सभी 243 सीटों पर जनरल ऑब्जर्वर तैनात; उनके फोन नंबर और असेंबली जानकारी मतदाता को मिलेगी।
- पोस्टल बैलेट की स्ट्रीमलाइनिंग काउंटिंग: ईवीएम के अंतिम दो राउंड से पहले पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी की जाएगी और F17C/VVPAT मिसमैच की स्थिति में पूरी गिनती होगी।
- वोटर इन्फॉर्मेशन स्लिप में बदलाव: मतदान केंद्र और बूथ संख्या स्लिप के ऊपर दिखाई देगी, जिससे मतदाताओं को आसानी होगी।
बिहार के सीमावर्ती जिलों में बढ़ी चौकसी:
बिहार के सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है। अब हर जगह पर कड़ी नजर रखी जा रही है। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की सभी गतिविधियों- जैसे पोस्टर, बैनर, प्रचार और फंडिंग पर सख्त निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। इन कामों के लिए अब प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
कैमूर जिले में भी सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई है। यहां 5 चेकपोस्ट बनाए गए हैं और पैरामिलिट्री की 6 कंपनियां तैनात हो चुकी हैं। कैमूर के SP हरि मोहन शुक्ला ने बताया कि जिले में सुरक्षा बनाए रखने के लिए 72 कंपनियों की मांग की गई थी, जिनमें से कुछ पहुंच चुकी हैं।
NDA की क्या है तैयारी?
NDA में JDU और भाजपा के बीच 100-100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का समझौता हो चुका है, हालांकि JDU लोकसभा फॉर्मूले का हवाला देते हुए विधानसभा में भाजपा से एक सीट अधिक चाहती है। छोटे सहयोगियों के साथ अभी सीटों का अंतिम फैसला नहीं हुआ है। चिराग पासवान 35 सीटें मांग रहे हैं, लेकिन बड़े दल उन्हें 22 से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं।
सूत्रों के मुताबिक जदयू 108 और भाजपा 107 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं। छोटे सहयोगियों के लिए संभावित सीट वितरण में LJP(R)22, RLSP 3 और HAM 3 सीटें पा सकते हैं। अगर छोटे दल इस पर सहमत नहीं होते हैं, तो जदयू और भाजपा अपने कोटे की कुछ सीटें उन्हें दे सकते हैं।
महागठबंधन में नए दलों से पेंच:
महागठबंधन में नए दलों एलजेपी, वीआईपी की एंट्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा की मांगों के कारण सीटों के बंटवारे का अंतिम फैसला अभी नहीं हो सका है। सूत्रों के मुताबिक फार्मूला लगभग तय हो गया है, लेकिन नए सहयोगियों के आने से राजद और कांग्रेस पिछली बार की तुलना में कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। इस हिसाब से राजद 144 की बजाय 130 सीटें और कांग्रेस 70 की बजाय 58 सीटें लड़ सकती है, जबकि बाकी की सीटें नए सहयोगी दलों को दी जा सकती हैं।
जनसुराज की पहली लिस्ट 9 अक्टूबर को:
जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने बताया कि उनकी पार्टी 9 अक्टूबर को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहली उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करेगी। उन्होंने कहा कि यह लिस्ट सबको चौंका देगी। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उनका नाम भी लिस्ट में शामिल होगा, लेकिन यह नहीं बताया कि वह किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा, “ये आपको 9 अक्टूबर को पता चलेगा।”
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: प्रमुख राजनीतिक दल और गठबंधन
- राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA):
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): NDA का प्रमुख घटक।
- जनता दल (यूनाइटेड) [JDU]: NDA में मुख्य दल, नेता नीतीश कुमार।
- लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [LJP]: चिराग पासवान का नेतृत्व।
- हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) [HAM(S)]: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का नेतृत्व।
- महागठबंधन (INDIA ब्लॉक):
- राष्ट्रीय जनता दल (राजद): महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक, नेता तेजस्वी यादव।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC): महागठबंधन का अहम हिस्सा।
- वाम दल: इसमें शामिल हैं
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (माकपा)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन (भाकपा-माले)
- अन्य प्रमुख दल:
- जन सुराज पार्टी: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी, सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में।
- अन्य क्षेत्रीय दल: कुछ छोटे क्षेत्रीय दल भी चुनाव में हिस्सा लेते हैं, जो चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने उपचुनाव की भी घोषणा की:
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सात राज्यों की आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की भी घोषणा की। ये विधानसभा सीटें हैं- जम्मू-कश्मीर में बडगाम और नगरोटा, राजस्थान में अंता, झारखंड में घाटशिला, तेलंगाना में जुबली हिल्स, पंजाब में तरनतारन, मिज़ोरम में डम्पा और ओडिशा में नुआपाड़ा। उपचुनाव 11 नवंबर को होंगे और मतगणना 14 नवंबर को होगी।
निष्कर्ष:
इस तरह, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का शेड्यूल स्पष्ट हो गया है और राज्य की राजनीति में नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। दो चरणों में होने वाला यह चुनाव न केवल इतिहास में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि इसकी समयबद्ध और संगठित प्रक्रिया से लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती भी प्रदर्शित होती है।