क्या है ब्रेन ईटिंग अमीबा: जिससे केरल में एक महीने में पाँचवीं मौत दर्ज की गई, जाने सब कुछ विस्तार से-

केरल में नाएग्लेरिया फॉवलेरी (Naegleria fowleri) यानी ब्रेन-ईटिंग अमीबा का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। इस महीने अब तक पाँच लोगों की जान जा चुकी है, जबकि दर्जनों मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं।

ताज़ा मामला मलप्पुरम ज़िले की 56 वर्षीय महिला का है, जिनकी मौत कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में हुई। इसी अस्पताल में फिलहाल 11 अन्य मरीजों का इलाज जारी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल राज्य में अब तक 42 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िले मलप्पुरम, कोझिकोड और वायनाड हैं।

brain eating amoeba

केरल सरकार ने “वॉटर इज़ लाइफअभियान शुरू किया

 

केरल सरकार ने “वॉटर इज़ लाइफ” अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत जलस्रोतों में क्लोरीनीकरण की सख्ती की जा रही है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि बरसात के मौसम में खास सावधानी बरतें, क्योंकि इस समय पानी का जमाव और प्रदूषण अधिक हो जाता है।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे असुरक्षित पानी में तैराकी से बचें और खासकर नाक की परंपरागत सफाई (जल नेति/नासिका शुद्धि) जैसे धार्मिक अभ्यासों में उबला या सुरक्षित पानी ही इस्तेमाल करें। असुरक्षित पानी का इस्तेमाल संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है।

 

स्वास्थ्य विभाग ने जारी की गाइडलाइन:

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों के लिए विशेष उपचार गाइडलाइन जारी की है और जलस्रोतों की सुरक्षा के लिए निगरानी बढ़ा दी है। आम लोगों को भी सतर्क किया गया है कि वे असुरक्षित या संदिग्ध ताज़े पानी के तालाबों, झीलों और नहरों में तैराकी या नहाने से बचें। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अमीबा नाक के ज़रिए शरीर में प्रवेश कर सीधे दिमाग पर हमला करता है, जिससे मौत का ख़तरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

  • स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे रुके हुए या बिना उपचारित पानी में तैराकी न करें और नाक की सफाई के लिए हमेशा उबला हुआ या कीटाणुरहित पानी ही इस्तेमाल करें।

सरकार और स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि लगातार जागरूकता, साफ-सफाई और सावधानियों का पालन ही संक्रमण के खतरे को कम कर सकता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।

 

केरल में बढ़ते मामले:

केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा (Naegleria fowleri) का संक्रमण लगातार गंभीर रूप ले रहा है। पिछले एक महीने में ही पाँच मौतें दर्ज की जा चुकी हैं। यह खतरनाक जीव गर्म और रुके हुए ताजे पानी जैसे तालाब, कुएं, नदियाँ और ठीक से क्लोरीन न किए गए स्विमिंग पूल में तेजी से पनपता है, संक्रमण तब होता है जब दूषित पानी तैराकी या नहाने के दौरान नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद यह अमीबा सीधे दिमाग तक पहुँचकर प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) नामक बीमारी पैदा करता है। यह रोग बेहद घातक है और विश्व स्तर पर इसकी मृत्यु दर 97% से अधिक बताई जाती है।

 

आइए समझ लेते है अमीबा के बारे में, फिर जानेंगे नाएग्लेरिया फॉवलेरी यानी ब्रेन-ईटिंग अमीबा के बारे में-

 

अमीबा एक सूक्ष्म, एककोशिकीय (unicellular) जीव है, जिसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह अपना आकार बदल सकता है। ये प्रायः तालाब, झील, गंदे या रुके हुए पानी तथा धीमी गति से बहने वाली नदियों में पाए जाते हैं। सामान्य रूप से यह हानिरहित होता है, लेकिन कुछ स्थितियों में मानव शरीर में प्रवेश कर बीमारियाँ पैदा कर सकता है।

 

अमीबा की संरचना

अमीबा की कोशिका संरचना सरल लेकिन कार्यात्मक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसमें मुख्य रूप से तीन प्रमुख भाग पाए जाते हैं:

  1. प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane)
  • यह कोशिका का बाहरी आवरण है।
  • प्रोटीन और लिपिड से बनी यह पतली परत कोशिका को सुरक्षा प्रदान करती है और बाहरी वातावरण से पदार्थों का आदान-प्रदान नियंत्रित करती है।
  1. कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)
  • कोशिका झिल्ली के भीतर भरा हुआ जेली जैसा पदार्थ।
  • इसे दो भागों में विभाजित किया जाता है: एक्टोप्लाज्म बाहरी, गाढ़ा और पारदर्शी भाग और एंडोप्लाज्म आंतरिक, दानेदार और अर्ध-तरल भाग।
  1. केन्द्रक (Nucleus): कोशिका का नियंत्रण केंद्र है, अमीबा के जीवन कार्यों, वृद्धि और प्रजनन का संचालन करता है।

अमीबा के कोशिकांग:

  • स्यूडोपोडिया (Pseudopodia): “कृत्रिम पैर”, जो गति और भोजन पकड़ने में सहायक होते हैं।
  • माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria): ऊर्जा उत्पादन के लिए।
  • संकुचनशील रिक्तिका (Contractile Vacuole): जल संतुलन बनाए रखने के लिए।
  • खाद्य रिक्तिकाएँ (Food Vacuoles): भोजन को पचाने के लिए।

 

आइए अब जान लेते है इस नेगलेरिया फाउलेरी (Brain-Eating Amoeba) के बारे में-

नेगलेरिया फाउलेरी एक सूक्ष्म अमीबा है, जो झीलों, नदियों और गर्म झरनों जैसे उथले और गर्म मीठे पानी के स्रोतों में पाया जाता है। यह खासतौर पर 30°C से अधिक तापमान वाले पानी में पनपता है, जबकि ठंडे या समुद्री पानी में नहीं पाया जाता। यह मिट्टी में भी मौजूद हो सकता है और इसे “स्वतंत्र जीव” माना जाता है क्योंकि इसे जीवित रहने के लिए किसी मेज़बान की आवश्यकता नहीं होती।

 

संक्रमण कैसे होता है?

यह अमीबा तब संक्रमण करता है जब संक्रमित पानी नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। वहां से यह सीधे मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। ऐसा अधिकतर तैराकी, गोताखोरी या वाटर स्पोर्ट्स जैसी गतिविधियों के दौरान होता है। कुछ दुर्लभ मामलों में, संक्रमित पानी नल या क्लोरीन की कमी वाले स्विमिंग पूल से भी हो सकता है।

 

शरीर पर असर

नेगलेरिया फाउलेरी का आकार बहुत छोटा होता है (लगभग 10–25 माइक्रोमीटर), जिसे नंगी आंख से नहीं देखा जा सकता। यह मस्तिष्क में पहुंचते ही तेजी से संख्या बढ़ाने लगता है। वहां इसे पोषण के लिए न्यूरॉन्स मिलते हैं और गर्म वातावरण भी अनुकूल होता है। अमीबा एंजाइम और विषैले पदार्थ छोड़ता है, जिससे मस्तिष्क में सूजन और रक्तस्राव होता है। यही वजह है कि यह “ब्रेन-ईटिंग अमीबा” कहलाता है।

 

होने वाली बीमारी

इस संक्रमण से प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) नामक गंभीर बीमारी होती है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) का संक्रमण है, जो लगभग हमेशा घातक साबित होता है।

 

लक्षण: संक्रमण के लक्षण 1 से 9 दिनों के भीतर प्रकट होने लगते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • तेज बुखार और उल्टी
  • भयंकर सिरदर्द
  • गर्दन में अकड़न
  • रोशनी के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया)
  • मानसिक भ्रम
  • दौरे (seizures) और बेहोशी

 

खतरा और मृत्यु दर: मस्तिष्क तक पहुंचने के बाद यह अमीबा बहुत तेजी से न्यूरॉन्स को नष्ट करता है। सूजन (एन्सेफलाइटिस) के कारण मस्तिष्क की कार्यक्षमता तेजी से बिगड़ती है और बिना इलाज के ज्यादातर मरीज 1–2 सप्ताह के भीतर मृत्यु का शिकार हो जाते हैं।

 

नेग्लेरिया फाउलेरी से बचाव:

  • गर्म और शांत मीठे पानी में बिना नाक बंद किए तैराकी या जलक्रीड़ा न करें।
  • नेति पॉट या नाक धोने के लिए नल का पानी न लें, केवल उबला हुआ या जीवाणुरहित पानी ही उपयोग करें।
  • ऊँचाई वाले स्थानों पर पानी को कम से कम 3 मिनट तक उबालें और फिर ठंडा करके इस्तेमाल करें।
  • सुरक्षित पानी के लिए “NSF 53”, “NSF 58” या “1 माइक्रोन फ़िल्टर” का प्रयोग करें।
  • पानी को कीटाणुरहित करने के लिए क्लोरीन ब्लीच का प्रयोग किया जा सकता है।
  • गर्म पानी के संपर्क के बाद यदि बुखार या सिरदर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ और अपनी यात्रा का ज़िक्र करें।

निष्कर्ष:

केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा (Naegleria fowleri) से होने वाली बीमारी गंभीर और जानलेवा है। इससे बचाव के लिए जनता को सुरक्षित या जीवाणुरहित पानी का ही उपयोग करना चाहिए और नाक की सफाई में सावधानी बरतनी चाहिए। सरकार को इस पर विशेष ध्यान देना होगा, पानी के स्रोतों की निगरानी और जागरूकता अभियान तेज़ करने होंगे ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।