हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के भूमिगत परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान — पर बेहद सटीक और शक्तिशाली हमले किए गए। ये हमले ऐसे बंकर बस्टर हथियारों से किए गए जो ज़मीन के अंदर कई मीटर तक घुसकर विस्फोट करते हैं।
भारत ने भी इस वैश्विक सैन्य बदलाव से सबक लेते हुए अग्नि-V मिसाइल का नया वर्जन तैयार करना शुरू कर दिया है। DRDO इस मिसाइल को 7500 किलो के भारी बंकर-बस्टर वॉरहेड से लैस करेगा, जो 100 मीटर तक ज़मीन में घुसकर दुश्मन के परमाणु ठिकानों और रणनीतिक इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाह कर सकेगा।
भारत का स्वदेशी बंकर बस्टर बम:
भारत द्वारा विकसित किया जा रहा नया बंकर बस्टर बम न सिर्फ 80 से 100 मीटर गहराई तक ज़मीन के नीचे छिपे दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने में सक्षम होगा, बल्कि इसे पारंपरिक हथियारों से नष्ट करना भी लगभग असंभव होगा।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस बम के निर्माण की योजना पहले से प्रस्तावित थी, लेकिन ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर अमेरिका के सफल बंकर बस्टर हमले के बाद भारत ने इस परियोजना पर काम तेज़ कर दिया। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने अपने बी-2 बमवर्षक से यह हमला किया था, जिसने पहाड़ी के नीचे स्थित कंक्रीट संरचना को भी भेद दिया था।
भारत का बंकर बस्टर बम इस मामले में विशेष होगा कि इसे बी-2 बमवर्षक की तरह हवाई जहाज से गिराने की बजाय अग्नि मिसाइल पर वारहेड (warhead) के रूप में लगाया जाएगा, जिससे इसकी पहुंच और मारक क्षमता और भी बढ़ जाएगी।
क्या होता है ‘बंकर बस्टर’ बम?

भारत का बंकर बस्टर बम इस मामले में विशेष होगा कि इसे बी-2 बमवर्षक की तरह हवाई जहाज से गिराने की बजाय अग्नि मिसाइल पर वारहेड (warhead) के रूप में लगाया जाएगा, जिससे इसकी पहुंच और मारक क्षमता और भी बढ़ जाएगी।
क्या होता है ‘बंकर बस्टर’ बम?
‘बंकर बस्टर’ एक विशेष प्रकार का बम होता है जिसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह ज़मीन में गहराई तक घुसकर अत्यंत सुरक्षित और कंक्रीट से बने दुश्मन के बंकर, सुरंगों या भूमिगत सैन्य ठिकानों को नष्ट कर सके।
ये बम सतह पर नहीं बल्कि गहराई में जाकर विस्फोट करते हैं, जिससे अंदर छिपे हुए सैन्य ढांचे, कमांड सेंटर या हथियार भंडार पूरी तरह तबाह हो जाते हैं।किन देशों के पास हैं ‘बंकर बस्टर’ बम?
- अमेरिका– GBU-57
- इज़राइल– GBU-28
- चीन– DF-15
- रूस– KAB और BTB-सीरीज
- दक्षिण कोरिया– Hyunmoo-4 और Hyunmoo-5
- तुर्की– SARB-83
- भारत– (विकासाधीन, अग्नि-5 के ज़रिए कैर्री किया जाने वाला स्वदेशी बंकर बस्टर)
मिसाइल लॉन्च के जरिए बंकर बस्टर हमले की तैयारी में भारत
भारत अब मिसाइल आधारित बंकर बस्टर हमले को प्राथमिकता दे रहा है, क्योंकि यह न केवल पारंपरिक बमवर्षकों की तुलना में कम खर्चीला है, बल्कि इससे संचालन भी अधिक सरल हो जाता है। इसी रणनीतिक सोच के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का एक नया संस्करण विकसित कर रहा है, जो पारंपरिक वारहेड से लैस होगा।
अब तक के अग्नि संस्करणों की रेंज 5,000 किलोमीटर से अधिक रही है, और वे आमतौर पर परमाणु हथियार ढोने के लिए डिज़ाइन किए गए थे। लेकिन, नया संस्करण इससे अलग होगा। यह एक पारंपरिक हथियार प्रणाली होगी, जिसमें लगभग 7,500 किलोग्राम वजनी बंकर बस्टर वारहेड ले जाने की क्षमता होगी। इस नए वर्जन को विशेष रूप से इस प्रकार डिजाइन किया जा रहा है कि यह दुश्मन के ठिकानों को—अगर वे मोटी कंक्रीट की परतों और पहाड़ियों के नीचे छिपे हों—सटीकता से निशाना बना सके।
इस बंकर बस्टर वारहेड का मुख्य उद्देश्य दुश्मन के नियंत्रण कक्ष (Command and Control Centres), मिसाइल भंडारगृह और अन्य रणनीतिक सैन्य ठिकानों को नष्ट करना होगा।
अग्नि-5 के दो नए संस्करणों का विकास:
भारत की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 अब और अधिक उन्नत स्वरूपों में तैयार की जा रही है। DRDO इसके दो नए संस्करणों का विकास कर रहा है, जिन्हें अलग-अलग रणनीतिक लक्ष्यों के लिए डिजाइन किया गया है। पहला संस्करण उन लक्ष्यों के लिए होगा जो सतह पर मौजूद हैं, जैसे कि एयरफील्ड के रनवे या दुश्मन के बख्तरबंद टैंक। इसका उद्देश्य बड़ी सतह को सटीकता से तबाह करना है, जिससे दुश्मन की गतिशीलता और लड़ाई की क्षमता को प्रारंभिक स्तर पर ही कमजोर किया जा सके।
दूसरा संस्करण जमीन के भीतर छिपे ठिकानों को भेदने में सक्षम होगा। यह अमेरिका के प्रसिद्ध बंकर बस्टर बम की तर्ज पर डिजाइन किया गया है, जो पहाड़ियों या मोटी कंक्रीट की परतों के नीचे बने दुश्मन के बंकरों, नियंत्रण केंद्रों और गोला-बारूद भंडार को निशाना बना सकेगा। चूंकि इन मिसाइलों में भारी वारहेड लगे होंगे, इसलिए इनकी रेंज मूल अग्नि-5 की तुलना में कम—लगभग 2,500 किलोमीटर—रखी गई है।
अग्नि-5 की विशेषता:
अग्नि-5 भारत की सबसे लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकती है। यह बम मैक 8 से मैक 20 की हाइपरसोनिक गति से लक्ष्य पर वार कर सकता है, यानी यह आवाज की गति से 8 से 20 गुना तेज हमला करेगा।
इसमें 7500 किलोग्राम तक का बंकर बस्टर वॉरहेड ले जाने की क्षमता होगी, जो इसे अमेरिका के GBU-57 जैसे घातक बमों से भी अधिक प्रभावशाली बनाती है। DRDO की यह तकनीकी उपलब्धि भारत को अमेरिका के 13,600 किलोग्राम वजनी GBU-57 ‘बंकर बस्टर’ बम के समकक्ष खड़ा कर देती है। अग्नि-5 मिसाइल 17.5 मीटर लंबी और 2 मीटर मोटी होती है।
यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु—दोनों प्रकार के वारहेड ले जाने में सक्षम है। इसकी एक बड़ी विशेषता यह है कि इसे सड़क पर कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है, जिससे इसकी तैनाती में लचीलापन आता है।
इसके साथ ही, यह मिसाइल एक उन्नत मार्गदर्शन प्रणाली से लैस है, जो इसे उच्च स्तर की सटीकता प्रदान करती है। यही विशेषताएं इसे भारत के रणनीतिक रक्षा ढांचे में एक अत्यंत महत्वपूर्ण हथियार बनाती हैं, जो न सिर्फ deterrence (निवारण) का माध्यम है, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर निर्णायक जवाब देने की क्षमता भी रखती है।
अमेरिकी बनाम भारतीय बंकर बस्टर बम
- अमेरिकी GBU-57 बंकर बस्टर बम
रेंज (Range): लगभग 11,000 किलोमीटर तक मारक क्षमता।
वॉरहेड (Warhead): यह बम 13,600 किलोग्राम वजनी होता है, जिसमें 2,700 किलोग्राम का विस्फोटक (explosive) हिस्सा शामिल होता है।
हमले की क्षमता: यह 200 फीट गहराई तक बंकर या अंडरग्राउंड टारगेट को भेद सकता है।
तकनीक: यह मास और ग्रेविटी (mass & gravity) आधारित प्रणाली का उपयोग करता है।
- भारतीय बंकर बस्टर बम
रेंज (Range): इसकी मारक क्षमता लगभग 2,500 किलोमीटर है।
वॉरहेड (Warhead): इसे अग्नि-5 मिसाइल से लॉन्च किया जाएगा और यह 7,500 किलोग्राम वजनी वॉरहेड के साथ दुश्मन पर वार कर सकता है।
हमले की क्षमता: यह 300 फीट तक की गहराई में मौजूद लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
तकनीक: यह बम प्रोपल्शन फोर्स (propulsion force) यानी नियंत्रित गति प्रणाली का इस्तेमाल करता है।
आइए जानते है ‘अग्नि’ मिसाइल’ के बारे में
‘अग्नि’ भारत द्वारा विकसित की गई बैलिस्टिक मिसाइलों की एक महत्वपूर्ण श्रृंखला है, जो मध्यम दूरी से लेकर अंतरमहाद्वीपीय दूरी तक मार करने में सक्षम है। इसका नाम भारतीय दर्शन में माने जाने वाले पाँच मूलभूत तत्वों में से एक ‘अग्नि’ के आधार पर रखा गया है।
यह मिसाइल प्रणाली ज़मीन से ज़मीन पर हमला करने के लिए तैयार की गई है और इसमें परमाणु हथियार ले जाने की भी पूरी क्षमता है। अग्नि श्रृंखला केवल भारत की रक्षा ताकत का प्रदर्शन नहीं करती, बल्कि यह देश की रणनीति में ‘निवारक प्रतिरोध’ (deterrence) की एक मजबूत भूमिका निभाती है, जिससे दुश्मनों को पहले हमला करने से रोका जा सके।
इस श्रृंखला की शुरुआत ‘अग्नि-I’ मिसाइल से हुई, जिसे भारत के ‘एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम’ (IGMDP) के तहत तैयार किया गया था। वर्ष 1989 में इसका पहला परीक्षण सफल रहा। इस सफलता को देखते हुए सरकार ने इस परियोजना को IGMDP से अलग कर दिया और इसे स्वतंत्र रक्षा कार्यक्रम के रूप में अधिक बजट और प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया गया।
अग्नि मिसाइल का कार्य: कैसे करता है यह घातक हथियार काम
बैलिस्टिक मिसाइलें दो चरणों में कार्य करती हैं। पहले चरण में यह एक शक्तिशाली रॉकेट इंजन द्वारा आकाश की ओर प्रक्षेपित की जाती है। जब इंजन जलता है, तो उससे गर्म गैसें निकलती हैं, जो नोजल के जरिए जोर उत्पन्न करती हैं और मिसाइल को ऊपर की ओर धकेलती हैं। यह तब तक गति करती है जब तक इसका प्रणोदक (fuel/propellant) समाप्त नहीं हो जाता। इस अवस्था को ‘बर्नआउट समय’ कहा जाता है।
इसके बाद मिसाइल बिना किसी इंजन के एक पूर्व निर्धारित प्रक्षेप पथ (trajectory) का अनुसरण करती है और गुरुत्वाकर्षण तथा वायु प्रतिरोध के प्रभाव से अपने लक्ष्य की ओर गिरती है। इसलिए सही समय और गति पर इंजन का बंद होना बेहद जरूरी होता है, ताकि पेलोड अपने लक्ष्य तक सटीकता से पहुँच सके।
अग्नि मिसाइलों के प्रकार:
अग्नि मिसाइल श्रृंखला भारत की परमाणु हथियारों के वितरण की रीढ़ मानी जाती है। अब तक अग्नि-I से लेकर अग्नि-V तक की मिसाइलें विकसित की जा चुकी हैं। इसके अतिरिक्त अग्नि-प्राइम भी हाल ही में इस श्रृंखला में जुड़ा है, जो हल्की, अधिक गतिशील और बेहतर सटीकता वाली अगली पीढ़ी की मिसाइल है।
- अग्नि-I: 700–1200 किमी की रेंज वाली कम दूरी की मिसाइल
- अग्नि-II: लगभग 2,000–3,500 किमी की रेंज वाली मध्यम दूरी की मिसाइल
- अग्नि-III और IV: लगभग 3,000–4,000 किमी की रेंज
- अग्नि-V: 5,000 किमी से अधिक दूरी तक मार करने वाली अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल
- अग्नि-प्राइम: नई पीढ़ी की अधिक सटीक, मोबाइल और हल्की मिसाइल
भारत के लिए क्यों जरूरी है अग्नि-V जैसी बंकर बस्टर मिसाइल?
भारत के रक्षा रणनीतिकारों के लिए अग्नि-V बंकर बस्टर मिसाइल अब केवल एक सैन्य विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्य आवश्यकता बनती जा रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत अपनी बंकर भेदी क्षमताओं को तेज़ी से उन्नत कर रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण हैं बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य—जैसे पाकिस्तान के साथ लगातार बना रहने वाला तनाव, और ईरान-इजराइल संघर्ष जैसी घटनाएं, जो अप्रत्यक्ष रूप से भारत की रणनीतिक सोच को प्रभावित कर रही हैं।
भारत के दो प्रमुख पड़ोसी—पाकिस्तान और चीन—ने अपनी सीमाओं के पास, विशेष रूप से पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में, मजबूत कंक्रीट वाले भूमिगत बंकर, कमांड पोस्ट और मिसाइल भंडार बनाए हैं। ऐसी स्थिति में पारंपरिक मिसाइलें इन गहराई में बने ठिकानों को भेदने में असमर्थ साबित हो सकती हैं। अग्नि-V का बंकर बस्टर संस्करण इन चुनौतियों का समाधान बनकर उभरता है।
यह मिसाइल न सिर्फ दुश्मन के सीमा के पास स्थित कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर और हथियारों के गोदामों को सटीकता से नष्ट कर सकती है, बल्कि इसका भारी वारहेड इन स्थलों की सुरक्षात्मक परतों को भी चीर सकता है। ऊंचाई वाले दुर्गम क्षेत्रों में, जहां पारंपरिक हमले मुश्किल होते हैं, अग्नि-V जैसी मिसाइलें भारत को निर्णायक सामरिक बढ़त दिला सकती हैं।