डेलावेयर की अमेरिकी दिवालियापन अदालत ने बायजूस के संस्थापक बायजू रवींद्रन को कोर्ट के आदेशों का पालन न करने और लोन फंड के गलत इस्तेमाल के आरोपों के चलते 1 अरब डॉलर से ज्यादा का भुगतान करने का आदेश दिया है। बायजूस अल्फा और लोन देने वाली अमेरिकी कंपनी ग्लास ट्रस्ट की याचिका पर आए इस डिफॉल्ट जजमेंट में अदालत ने कहा कि रवींद्रन बार-बार सुनवाई से गायब रहे और जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए, इसलिए बिना सुनवाई के फैसला दिया गया।
अदालत ने फैसले में क्या कहा ?
अदालत ने 20 नवंबर के अपने फैसले में कहा कि बायजूस अल्फा के फंड को 2022 में गलत तरीके से ट्रांसफर करने पर बायजू रवींद्रन को 533 मिलियन डॉलर का हर्जाना देना होगा, और कैमशाफ्ट कैपिटल फंड से जुड़े एक दूसरे मामले में 540.6 मिलियन डॉलर और चुकाने होंगे। कोर्ट ने रवींद्रन को अल्फा फंड और बाद के सभी लेन-देन का पूरा और सही हिसाब देने का आदेश भी दिया।
न्यायाधीश ने इसे “असाधारण लेकिन जरूरी” कदम बताया और कहा कि रवींद्रन ने बार-बार देरी, अस्पष्टता, समय-सीमा का उल्लंघन, अधूरे दस्तावेज, कोर्ट में गैर-हाजिरी और पहले लगाए गए जुर्मानों (जैसे नागरिक अवमानना पर रोज 10,000 डॉलर का जुर्माना) का भुगतान न करके लगातार नियम तोड़े।
बायजू रवींद्रन पर क्यों लगा जुर्माना ?
2021 में बायजूस ने अमेरिकी बैंकों और लेंडर्स से 1.2 बिलियन डॉलर (लगभग 11,000 करोड़ रुपये) का कर्ज लिया था, लेकिन समय पर लोन न चुका पाने के कारण कंपनी डिफॉल्ट में चली गई। इसके बाद अप्रैल 2024 में बायजूस अल्फा ने बायजू रवींद्रन, उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ, भाई रिजू रवींद्रन और अन्य पर 533 मिलियन डॉलर (करीब 4,500 करोड़ रुपये) की चोरी और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया। इन विवादों के बीच नवंबर 2025 में डेलावेयर कोर्ट ने रवींद्रन के खिलाफ डिफॉल्ट जजमेंट सुनाया और आदेश दिया कि वह 1 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि चुकाएं।
सम्पति के सिंगापुर हस्तांतरण का आरोप:
अदालत में दाखिल एक नए दस्तावेज़ में दावा किया गया है कि विवादित धन पहले यूके की OCI लिमिटेड के जरिए भेजा गया और फिर सिंगापुर की उस कंपनी को पहुंचा, जिसका संबंध बायजू रवींद्रन से बताया गया है। यह अब तक अल्फा फंड्स के कथित ट्रांसफर का सबसे विस्तृत विवरण है। रवींद्रन के पक्ष ने कहा कि यह पैसा किसी निजी लाभ के लिए नहीं, बल्कि बायजूस की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के काम में लगाया गया। साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया कि GLAS ट्रस्ट को इन लेन-देन की जानकारी थी, लेकिन उसके एजेंट ने अदालत को गलत दिशा में ले जाने की कोशिश की।
डेलावेयर के फैसले को लागू करना चुनौतीपूर्ण:
डेलावेयर (अमेरिका) के इस फैसले को भारत में लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका की अदालतों के फैसले भारत में अपने-आप लागू नहीं होते। भारतीय अदालतें ऐसे विदेशी फैसलों को सिर्फ एक सबूत की तरह देखती हैं, और इन्हें मान्यता मिलने की संभावना भी कम होती है—लगभग 20–30% ही। इसलिए, बायजू रवींद्रन की भारत में मौजूद संपत्तियों पर कार्रवाई करने से पहले GLAS को भारत में नया मुकदमा दायर करना होगा और अमेरिकी फैसले को भारतीय अदालत के सामने सबूत के रूप में पेश करना होगा।
बायजूस का अगला कदम क्या होगा ?
बायजूस के वकील जे. माइकल मैकनट ने कहा है कि बायजू रवींद्रन अमेरिकी अदालत के इस फैसले के खिलाफ अपील करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका दावा है कि अदालत ने कुछ अहम तथ्यों को नजरअंदाज किया है, इसलिए वे फैसले को चुनौती देंगे।
साथ ही, रवींद्रन अमेरिकी अदालत में यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि उन पर लगाए गए आरोप गलत हैं और वे GLAS कंपनी से 2.5 बिलियन डॉलर का दावा भी करने की योजना बना रहे हैं। वकील का कहना है कि रवींद्रन को अपना पक्ष सही ढंग से रखने का मौका नहीं दिया गया, इसलिए वे जल्द ही अपील और अन्य कानूनी कदम उठाएंगे।
बायजूस; एक समय पर भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप:
बायजू रवींद्रन ने 2011 में बायजूस की शुरुआत एक छोटी-सी कोचिंग और एजुकेशन सर्विस के रूप में की, लेकिन 2015 में ऐप लॉन्च होते ही यह तेजी से लोकप्रिय होने लगी। बच्चों के लिए आसान भाषा, इंटरैक्टिव पढ़ाई और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इसकी बड़ी ताकत बना। कोविड महामारी के दौरान 2020-21 में ऑनलाइन पढ़ाई की मांग बढ़ी, जिससे बायजूस की ग्रोथ और तेज हुई। शाहरुख खान जैसे बड़े ब्रांड एम्बेसडर, लगातार मार्केटिंग और व्हाइटहैट जूनियर व आकाश जैसी कंपनियों को खरीदने से यह कंपनी 2022 में 22 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन तक पहुंच गई और भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप बन गई।
बायजूस के पतन की कहानी:
2022 के बाद बायजूस की हालत बिगड़ने लगी। तेज विस्तार और अधिग्रहण के लिए लिया गया भारी कर्ज कंपनी पर बुरा असर डाल गया। रिपोर्टें देर से जमा हुईं और 2021-22 में बड़ा घाटा सामने आया, जिससे निवेशकों और ग्राहकों का भरोसा टूटने लगा। 2023 में ED की जांच, ऑडिटर और बोर्ड सदस्यों के इस्तीफे, कर्मचारियों की छंटनी और लेंडर्स की दिवालियापन मांग ने संकट और बढ़ा दिया। नतीजा यह हुआ कि 2024 तक कंपनी की वैल्यूएशन लगभग शून्य हो गई।
बायजू रवींद्रन कौन है ?
बायजू रवींद्रन (जन्म 5 जनवरी 1980) एक भारतीय उद्यमी, निवेशक और शिक्षक हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ के साथ बायजूस की स्थापना की। उनका जन्म केरल के अझिकोड गांव में हुआ था। उनके पिता भौतिकी के शिक्षक और माँ गणित की शिक्षिका दोनों ही स्कूल में पढ़ाते थे।
बायजू ने मलयालम माध्यम स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन वे अक्सर क्लास छोड़कर खेल खेलने जाते थे और बाद में घर पर पढ़ लेते थे। उन्हें फुटबॉल और क्रिकेट सहित छह खेलों में रुचि थी, और वे मेस्सी, रोजर फेडरर और ब्रायन लारा जैसे खिलाड़ियों से प्रेरित रहते थे। माता-पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन बायजू ने इंजीनियरिंग इसलिए चुनी क्योंकि मेडिकल में समय कम बचता है और उन्हें लगा कि इससे वे खेल नहीं खेल पाएंगे।
निष्कर्ष:
यह फैसला स्पष्ट करता है कि अदालत के आदेशों की अनदेखी और वित्तीय पारदर्शिता में कमी किसी भी बड़े उद्यम के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है। बायजू रवींद्रन पर लगाया गया 1 अरब डॉलर से अधिक का डिफ़ॉल्ट जजमेंट न केवल कानूनी सख़्ती का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जवाबदेही और नियमों का पालन हर व्यवसाय के लिए अनिवार्य है।
