कौन हैं सी. पी. राधाकृष्णन: एनडीए द्वारा भारत के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जे. पी. नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सर्वसम्मति से लिए गए इस फैसले के तहत राधाकृष्णन 20 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान और मतगणना 9 सितंबर को होगी, जबकि नामांकन की आखिरी तारीख 21 अगस्त और उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि 25 अगस्त तय की गई है।

यह चुनाव मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण हो रहा है, जिन्होंने 21 जुलाई की रात पद से त्यागपत्र दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक शेष था।

 

आइए जानते है, कौन हैं सी पी राधाकृष्णन?

चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन (जन्म: 4 मई 1957) एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता हैं, जिन्हें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने भारत के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया है। वह 2024 से महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं। भारतीय जनता पार्टी से लंबे समय तक जुड़े रहे राधाकृष्णन को संगठनात्मक अनुभव और राजनीतिक परिपक्वता के लिए जाना जाता है।

 

राधाकृष्णन भाजपा से दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। वह तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और हाल तक पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। उन्हें पार्टी आलाकमान ने केरल भाजपा प्रभारी भी नियुक्त किया था। इसके अलावा, वह 2016 से 2019 तक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम मंत्रालय (एमएसएमई) के अधीन आने वाले अखिल भारतीय कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे।


राजनीतिक करियर की शुरुआत और सफलता

राधाकृष्णन ने अपने राजनीतिक जीवन की बड़ी सफलता 1998 और 1999 के आम चुनावों में दर्ज की, जब कोयंबटूर बम धमाकों के बाद उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। 1998 में उन्होंने 1.5 लाख से अधिक और 1999 में 55 हजार से अधिक मतों के अंतर से विजय प्राप्त की। 2004 के आम चुनावों से पहले वे राज्य में गठबंधन बनाने की प्रक्रिया में सक्रिय रहे और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के एनडीए से अलग होने के बाद, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के साथ संबंध मजबूत करने में भूमिका निभाई।

 

संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व: 2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में शामिल हुए और ताइवान गए पहले संसदीय दल के सदस्य भी रहे।

 

संघर्ष और संगठन से गहरा जुड़ाव: 2012 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यकर्ता पर हमले के खिलाफ मेट्टुपालयम में गिरफ्तारी दी, जिससे उनके संगठन के प्रति समर्पण का संदेश गया। 16 साल की उम्र से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ से जुड़े रहे हैं और लगातार 48 वर्षों से सक्रिय राजनीति और संगठन में योगदान देते आ रहे हैं।

 

चुनावी चुनौतियां और तमिलनाडु की राजनीति: 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्हें भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया, जहां डीएमके और एआईएडीएमके के गठबंधन के बिना भी उन्होंने 3.89 लाख से अधिक वोट हासिल कर दूसरा स्थान पाया। यह तमिलनाडु में किसी भाजपा उम्मीदवार का सबसे बड़ा प्रदर्शन था, जहां वे सबसे कम अंतर से चुनाव हारे। 2019 के चुनावों में उन्हें एक बार फिर कोयंबटूर से उम्मीदवार बनाया गया।

 

राज्यपाल के रूप में भूमिका: 18 फरवरी 2023 को राधाकृष्णन को झारखंड का 10वां राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इसके बाद 2024 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया, जहां वे वर्तमान में जिम्मेदारी निभा रहे हैं। अब एनडीए ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर नई राजनीतिक जिम्मेदारी सौंप दी है।

 

क्यों सी. पी. राधाकृष्णन की उम्मीदवारी एनडीए के लिए खास है?

भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए सी. पी. राधाकृष्णन की उम्मीदवारी राजनीतिक और रणनीतिक रूप से अहम मानी जा रही है। यह निर्णय उनकी लंबी राजनीतिक यात्रा, संगठनात्मक नेतृत्व और प्रशासनिक अनुभव की स्वीकृति है। तमिलनाडु की राजनीति में जमीनी पकड़ और दो बार सांसद रहने का अनुभव उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पहचान देता है। वहीं, झारखंड और महाराष्ट्र के राज्यपाल तथा एक केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल के रूप में उनकी प्रशासनिक दक्षता ने उन्हें और प्रासंगिक बनाया है। उनकी उम्मीदवारी एनडीए के लिए संतुलित और सशक्त राजनीतिक संदेश मानी जा रही है।

भारत के उपराष्ट्रपति के बारे में:

भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, जो राष्ट्रपति के बाद सर्वोच्च गरिमा रखता है। संविधान ने उपराष्ट्रपति के कार्यालय को इस तरह परिभाषित किया है कि इसमें विधायी और कार्यपालिका की जिम्मेदारियों का संयोजन हो, ताकि संसदीय व्यवस्था और शासन सुचारू रूप से चल सके।

 

उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित तथा मनोनीत सदस्यों द्वारा किया जाता है।

  • चुनाव प्रोपोर्शनल रिप्रजेंटेशन सिस्टम और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से होता है।
  • मतदान गुप्त मतदान (Secret Ballot) से कराया जाता है।
  • चुनाव से जुड़े किसी भी विवाद पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट का होता है।

 

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में अंतर

  • राष्ट्रपति चुनाव: निर्वाचित सांसदों और राज्यों की विधानसभाओं के विधायक वोट डालते हैं। मनोनीत सांसद इसमें भाग नहीं ले सकते।
  • उपराष्ट्रपति चुनाव: केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं और इसमें राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं।

 

उपराष्ट्रपति के अधिकार और कार्य

  • उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति (Ex-officio Chairman) होते हैं, और इस रूप में उनके अधिकार लोकसभा के स्पीकर के समान होते हैं।
  • राष्ट्रपति के इस्तीफे, निधन, महाभियोग या अन्य कारणों से पद रिक्त होने पर, उपराष्ट्रपति कार्यकारी राष्ट्रपति की भूमिका निभाते हैं।
  • वे अधिकतम 6 महीने तक कार्यकारी राष्ट्रपति बने रह सकते हैं, जिसके भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव होना आवश्यक है।
  • इस अवधि में राज्यसभा की अध्यक्षता उपराष्ट्रपति नहीं करते, बल्कि यह जिम्मेदारी राज्यसभा के उपसभापति निभाते हैं।

 

कार्यकाल और पद से हटाने की प्रक्रिया

  • कार्यकाल: उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे तब तक पद पर बने रहते हैं जब तक उत्तराधिकारी पदभार ग्रहण नहीं कर लेता। वे पुनः चुने जाने के पात्र भी होते हैं।
  • त्यागपत्र: उपराष्ट्रपति अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंपकर पद छोड़ सकते हैं।
  • हटाने की प्रक्रिया:
    • अनुच्छेद 67(ख) के तहत, उपराष्ट्रपति को राज्यसभा में प्रभावी बहुमत (सभी वर्तमान सदस्यों का बहुमत) से पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है।
    • इस प्रस्ताव को लोकसभा में साधारण बहुमत से मंजूरी देना आवश्यक है।
    • प्रस्ताव लाने से कम से कम 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है।

 

निष्कर्ष:

सी. पी. राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति उम्मीदवारी भाजपा की दक्षिण भारत में मजबूती की रणनीति है। उनके अनुभव और तमिल विरासत से पार्टी को फायदा होगा। विपक्ष से मुकाबला होगा, लेकिन एनडीए के मजबूत आंकड़ों के कारण उनकी जीत लगभग तय है।

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