कनाडा सरकार ने लॉरेंस बिश्नोई और उनके गिरोह को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। मर्डर और उगाही जैसे गंभीर अपराधों के आरोपों के बाद यह कदम कनाडा के कानून प्रवर्तन एजेंसियों और राजनीतिक दबाव के चलते उठाया गया है। इस मामले में अब लॉरेंस की वकील रजनी खत्री ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।

लॉरेंस के वकील ने क्या कहा?
लॉरेंस के वकील रजनी खत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकारी मीडिया से ही मिली है। उन्हें नहीं पता कि यह फैसला किन परिस्थितियों में लिया गया। उन्होंने कहा कि कनाडा सरकार का यह रवैया थोड़ा दोहरा है, क्योंकि जिन लोगों को मारने के लिए लॉरेंस को आतंकवादी घोषित किया गया, वे खुद भी आतंकवादी थे और भारत में वांटेड थे।
आतंकी संगठन घोषित करने के पीछे का कारण:
कनाडा सरकार ने सोमवार को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गैंग को हत्या, गोलीबारी, आगजनी और जबरन वसूली, धमकी के जरिए आतंक फैलाने में उसकी संलिप्तता और सिख समुदायों को निशाना बनाना जैसे कारणों का हवाला देते हुए आंतकवादी संगठन घोषित किया है।
आतंकवादी संगठन घोषित होने के क्या है मायने?
आतंकवादी सूची में नाम आने का मतलब है कि उस समूह की कोई भी संपत्ति, वाहन या धन कनाडा में फ्रीज या जब्त किया जा सकता है। क्योकि कनाडा के लोक सुरक्षा मंत्रालय ने बताया कि हिंसा और आतंक फैलाने वाले अपराधों के लिए कनाडा में कोई जगह नहीं है। खासकर जब अपराध किसी विशेष समुदाय को डराने या धमकाने के लिए किए जाएँ। इसलिए लोक सुरक्षा मंत्री गैरी आनंदसांगरी ने बिश्नोई गिरोह को कनाडा के क्रिमिनल कोड के तहत आतंकवादी संगठन घोषित किया।
आतंकवादी सूची में शामिल होने से गिरोह पर कितना असर?
आतंकवादी सूची में शामिल होने से बिश्नोई गैंग पर असर तो पड़ेगा, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह पूरी तरह रोक नहीं पाएगा। द कैनेडियन प्रेस के मुताबिक, सेंटर फॉर इंटरनेशनल गवर्नेंस इनोवेशन के वरिष्ठ फेलो वेस्ली वार्क ने कहा कि आतंकवादी सूची में नाम होने के बावजूद इस गिरोह की गतिविधियों को पूरी तरह नियंत्रित करना मुश्किल होगा। इसका मुख्य कारण यह है कि कनाडा में आपराधिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की क्षमता सीमित है।
कनाडाई राजनेताओं ने की थी प्रतिबंध की मांग:
कनाडा में कई राजनेताओं ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। 17 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के प्रधानमंत्री डेविड एबी ने कहा कि आतंकवादी घोषित करने से पुलिस को जांच और रोकथाम के लिए जरूरी उपकरण मिलते हैं। जुलाई में, अल्बर्टा के प्रधानमंत्री डैनियल स्मिथ ने भी गैंग पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी।
कनाडा में RCMP करती है जाँच:
कनाडा में रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) आतंकवाद से जुड़े अपराधों को रोकने, उनका पता लगाने और जांच करने की जिम्मेदार है, साथ ही वे व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रताओं का सम्मान भी करते हैं। आतंकवादी सूची में शामिल करना एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो RCMP को जांच में मदद करता है और कनाडा में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने की उनकी क्षमता को मजबूत करता है।
कनाडा ने पहले ही दे दिए थे संकेत:
कनाडा के मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली सरकार ने तब कहा था कि वह अपने राजनेताओं की मांग पर गंभीरता से विचार कर रही है। अपराध निरोधक राज्य सचिव रूबी सहोता ने कहा कि जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है और अगर कोई समूह आतंकवादी मानदंडों पर खरा उतरता है, तो उसे तुरंत सूचीबद्ध कर दिया जाएगा।
कनाडाई NSA की हुई थी अजीत डोभाल से मुलाकात:
नथाली ड्रोइन ने 18 सितंबर को डोभाल से मुलाकात की और विदेश मंत्रालय के अनुसार, उन्होंने आतंकवाद से मुकाबला, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध और खुफिया जानकारी साझा करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने और मौजूदा तंत्र को और बेहतर बनाने पर भी सहमति जताई। ओटावा में पत्रकारों से बात करते हुए ड्रोइन ने कहा कि इस कदम से दोनों देशों की सड़कों पर सुरक्षा बेहतर होगी।
जेल में होने के बावजूद कैसे चलता है गैंग?
दिलचस्प बात यह है कि लॉरेंस बिश्नोई साल 2014 से जेल में बंद है, लेकिन इसके बावजूद उसकी गैंग के अपराध होते रहे हैं। माना जाता है कि वह जेल से ही अपने सहयोगियों के जरिए गैंग को संचालित करता है। उसके सबसे करीबी सहयोगी गोल्डी बराड़ माना जाता हैं और खबरों के मुताबिक गोल्डी कनाडा में रहता है।
भारत की मांग क्या है?
भारत की मांग है कि कनाडा बिश्नोई गैंग के विदेशी वित्त और हथियार संबंधी कनेक्शन की खुफिया जानकारी साझा करे, न कि सिर्फ दिखावटी प्रतिबंध लगाए।
साथ ही भारत ने कनाडा को सबूत दिए हैं कि वहां की जमीन का इस्तेमाल आतंक फंडिंग, प्रचार और खास लोगों की हत्याओं के लिए किया जा रहा है, खासकर SFJ के खालिस्तान रिफरेंडम इवेंट्स के जरिए।
क्या कहता है कनाडा का कानून?
कनाडाई आपराधिक संहिता के अनुसार, आतंकवादी समूहों से जुड़े कई अपराध कानून के तहत दंडनीय हैं। उदाहरण के तौर पर, किसी आतंकवादी समूह की संपत्ति या उसके नियंत्रण वाली चीज़ों (धन सहित) का लेन-देन करना, या उन्हें वित्तीय सेवाएं—जैसे बैंकिंग या अन्य धन सेवा—प्रदान करना, जिनसे समूह को लाभ हो या जिसका इस्तेमाल किया जा सके, पर प्रतिबंध है। इसका मतलब यह है कि कानून समूह के वित्तीय और संपत्ति संबंधी नेटवर्क को रोकने के लिए कड़ा प्रावधान करता है।
लॉरेंस बिश्नोई का जीवन परिचय:
लॉरेंस बिश्नोई को एक गैंगस्टर रूप में जाना जाता हैं, जो “बिश्नोई गिरोह” के मुख्य के रूप में जाना जाता हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उनका गिरोह कथित तौर पर दुनिया भर में 700 से अधिक शूटरों से जुड़ा हुआ है। लॉरेंस 2014 से जेल में हैं और उन पर जबरन वसूली, हत्या और अन्य आपराधिक गतिविधियों के कई आरोप हैं, हालांकि उसने सभी आरोपों से इनकार किया है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
लॉरेंस बिश्नोई का जन्म (12 फरवरी 1993) पंजाब के फाज़िल्का जिले के दुतारावाली गाँव में हुआ था। उनके पिता पहले हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल थे, लेकिन बाद में खेती-बाड़ी करने लगे। लॉरेंस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब के अबोहर में पूरी की और 2010 में चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया। पंजाब विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए उनकी गोल्डी बराड़ से गहरी दोस्ती हुई, जो बाद में कुख्यात गैंगस्टर बन गया। लॉरेंस ने बाद में पंजाब विश्वविद्यालय से LLB की पढ़ाई पूरी की।
आपराधिक जीवन की शुरुआत:
उनका आपराधिक जीवन 2010-2012 के बीच चंडीगढ़ में शुरू हुआ, जहां उन पर हत्या के प्रयास, हमले, डकैती और अतिक्रमण के कई मामले दर्ज हुए। इनमें से कुछ मामलों में उन्हें बरी किया गया है, जबकि कुछ मामले अभी भी लंबित हैं।
निष्कर्ष:
कनाडा सरकार ने लॉरेंस गैंग को आतंकवादी संगठन घोषित किया है, जो कानून के तहत कार्रवाई का रास्ता खोलता है। हालांकि, गिरोह की गतिविधियों को पूरी तरह रोक पाना अभी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि कनाडा में आपराधिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की क्षमता सीमित है।