केंद्र सरकार ने मंगलवार 18 नवम्बर 2025 को निजी टीवी चैनलों को सख्त एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि दिल्ली ब्लास्ट केस से जुड़े ऐसे किसी भी कंटेंट का प्रसारण न किया जाए, जो संवेदनशील, भड़काऊ या हिंसा को प्रोत्साहित करने वाला हो। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चेतावनी दी कि कुछ चैनलों ने ब्लास्ट मामले के आरोपियों को ऐसे तरीके से दिखाया, जिससे हिंसा को सही ठहराने का संदेश जा सकता है।
मंत्रालय ने कहा कि कई चैनलों ने ऐसे वीडियो या विवरण प्रसारित किए, जिन्हें विस्फोटक बनाने के तरीकों के रूप में देखा जा सकता है। यह न केवल हिंसा भड़का सकता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को भी खतरे में डाल सकता है। मंत्रालय ने ब्रॉडकास्टर्स को याद दिलाया कि उन्हें केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1995 के तहत प्रोग्राम और एडवर्टाइजिंग कोड का पालन करना अनिवार्य है। विशेष रूप से नियम 6(1)(d), 6(1)(e) और 6(1)(h) के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई का संकेत दिया गया है।
दिल्ली ब्लास्ट केस: 15 लोगों की मौत, 20 से ज्यादा घायल
10 नवंबर की शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक कार में हुए ब्लास्ट से 15 लोगों की मौत और 20 से अधिक लोग घायल हुए थे। हमले के पीछे जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के रहने वाले आतंकी डॉ. उमर नबी का नाम सामने आया। बाद में उसका हमला से पहले बनाया गया वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें वह इस हमले को “मार्टरडम ऑपरेशन” बताता दिख रहा है।
ड्रोन और रॉकेट से बड़े हमले की भी थी प्लानिंग
17 नवंबर को NIA ने खुलासा किया कि यह मॉड्यूल हमास की तरह ड्रोन और रॉकेट से बड़े पैमाने पर हमला करने की योजना बना रहा था। दानिश नाम के आरोपी की गिरफ्तारी के बाद यह जानकारी सामने आई कि उसे छोटे ड्रोन हथियारों को मॉडिफाई करने और तकनीकी सपोर्ट देने का अनुभव था। एजेंसी के मुताबिक, आतंकियों की योजना भीड़भाड़ वाले स्थानों पर ड्रोन से बम गिराकर अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाने की थी।
जांच जारी, अब तक 8 गिरफ्तार
NIA इस मॉड्यूल के बाकी सदस्यों और तकनीकी सपोर्ट नेटवर्क की पहचान में जुटी है। अब तक कुल 8 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें 6 डॉक्टर शामिल हैं।
केंद्र की एडवाइजरी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मीडिया कवरेज आतंकियों के नैरेटिव को बढ़ावा न दे और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी किसी भी संवेदनशील जानकारी को गलत तरीके से प्रसारित न किया जाए।
