केंद्र सरकार ने लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गैर-लाभकारी संस्था का FCRA पंजीकरण रद्द कर दिया है। सरकार का आरोप है कि वांगचुक का NGO विदेशी फंडिंग से जुड़े कानून का बार-बार उल्लंघन करता रहा है। यह कदम वांगचुक के नेतृत्व में लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन के ठीक 24 घंटे बाद उठाया गया। NGO का नाम स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) है, साथ ही हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) को भी दोषी पाया गया है। जिसकी जाँच CBI के द्वारा किया जा रहा है।

वांगचुक के NGO का लाइसेंस क्यों रद्द हुआ?
- कई बार जरूरी जानकारी समय पर रिपोर्ट नहीं की गई।
- प्राप्त फंड के इस्तेमाल और घोषित उद्देश्यों में असंगति पाई गई।
- सरकार का कहना है कि विदेशी दान के उपयोग में पारदर्शिता नहीं थी।
इसके परिणामस्वरूप गृह मंत्रालय ने FCRA लाइसेंस का नवीनीकरण रद्द कर दिया। इसका मतलब यह है कि अब ये संगठन सीधे विदेशी दान नहीं ले सकते और केवल घरेलू फंड, डोनेशन या CSR से ही अपने काम चला सकते हैं।
बिना FCRA पंजीकरण के मिला 1.5 करोड़ का विदेशी फण्ड:
सोनम वांगचुक की संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) को बिना FCRA पंजीकरण के 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मदद मिली थी। इसके अलावा, कथित तौर पर 6.5 करोड़ रुपये उनकी निजी कंपनी शेश्योन इनोवेशन में ट्रांसफर कर दिए गए। वांगचुक ने 2021-24 के दौरान अपने निजी खाते से 2.3 करोड़ रुपये विदेश भेजे और 2018-2024 के बीच विभिन्न खातों में 1.68 करोड़ रुपये की विदेशी राशि प्राप्त की, फिलहाल CBI इस मामले में जाँच कर रही है।
वांगचुक और उनकी संस्थाओं के अघोषित खाते:
- वांगचुक के निजी खाते: कुल 9 खाते, जिनमें से 8 अघोषित हैं।
- HIAL: कुल 7 खाते, जिनमें से 4 अघोषित हैं।
- SECMOL: कुल 9 खाते, जिनमें से 6 अघोषित हैं।
- शेषयोन इनोवेशन: कुल 3 खाते, जिनमें से 2 अघोषित हैं।
इस प्रकार सोनम वांगचुक और उनकी संस्थाओं के कुल 28 बैंक खाते हैं, जिनमें से 20 अघोषित और 8 घोषित खाते हैं।
20 अगस्त को मिला था कारण बताओ नोटिस:
SECMOL के खिलाफ कार्रवाई 20 अगस्त को शुरू हुई, जब उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसमें बताया गया कि वांगचुक ने 2021-22 में SECMOL के FCRA खाते में 3.5 लाख रुपये जमा किए थे। SECMOL ने स्पष्ट किया कि इसमें से 3.35 लाख रुपये 2015 में एक पुरानी बस बेचने से आए थे, लेकिन गृह मंत्रालय ने कहा कि FCRA रिटर्न में इसे विदेशी दान के रूप में दिखाया गया था।
सरकार ने माना FCRA नियमों का उलंघन:
एक और मामले में, 2020-21 में तीन व्यक्तियों ने गलती से SECMOL के FCRA खाते में कुल ₹54,600 जमा कर दिए (हर एक ने ₹18,200)। 2021-22 में, SECMOL को स्वीडिश संगठन फ्रैम्टिसजॉर्डन से ₹4.93 लाख मिले, जो “युवा प्रवासन, खाद्य सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता” पर काम के लिए थे। सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय संप्रभुता से जुड़े अध्ययन के लिए विदेशी धन लेना FCRA नियमों का उल्लंघन है। उसी वर्ष, SECMOL ने कोविड-19 के कारण भेजे गए ₹19,600 वापस कर दिए, लेकिन मंत्रालय ने कहा कि कानून ऐसे रिफंड की अनुमति नहीं देता। इसलिए सरकार ने इसे FCRA नियमों का उल्लंघन माना।
मंत्रालय ने पाया खराब वित्तीय रिकॉर्ड:
2020-21 के वार्षिक रिटर्न में SECMOL ने ₹79,200 विदेशी दान की रसीद दर्ज की, लेकिन यह राशि बैंक खाते में जमा नहीं की गई। संगठन ने बताया कि यह पैसा सीधे कर्मचारियों के वेतन, वजीफे और भोजन व्यय के लिए इस्तेमाल किया गया। मंत्रालय ने कहा कि यह खराब वित्तीय रिकॉर्डिंग है और इसे FCRA का उल्लंघन माना गया।
FCRA क्या है?
- भारत में NGO विदेशी फंड लेने के लिए सीधे धन प्राप्त नहीं कर सकते, इसके लिए FCRA कानून बनाया गया।
- FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) पहली बार 1976 में लागू हुआ और 2010 में संशोधित किया गया।
- कोई भी NGO अगर विदेशी फंड लेना चाहता है, तो उसे सरकार से FCRA पंजीकरण कराना जरूरी है।
रद्द हुआ लाइसेंस वापस कैसे मिलेगा?
- सबसे पहले उन कारणों पर स्पष्ट स्पष्टीकरण देना जिनकी वजह से लाइसेंस रद्द हुआ।
- गृह मंत्रालय को पुनर्विचार के लिए आवेदन करना।
- अगर फंडिंग के उपयोग में कोई आपराधिक मामला नहीं है, तो सुधारात्मक कदम उठाकर दोबारा पंजीकरण संभव है।
- आवश्यकता पड़ने पर संगठन कोर्ट की शरण भी ले सकता है।
- पारदर्शी अकाउंटिंग और नियमित रिपोर्टिंग अपनाकर संगठन अपनी विश्वसनीयता फिर से बना सकता है।
लाइसेंस रद्द होने पर सोनम वांगचुक ने क्या कहा?
- राजनीतिक टारगेटिंग: वांगचुक का कहना है कि लद्दाख में चुनाव आने वाले हैं और उनके विरोधी उन्हें इसलिए निशाना बना रहे हैं क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से बड़ी आवाज उठाई। डेढ़ महीने पहले उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ देशद्रोह का एक FIR दर्ज है और इसके बाद CBI जांच शुरू हुई।
- FCRA न लेने का कारण: वांगचुक ने कहा कि उनके पास FCRA पंजीकरण नहीं है, क्योंकि उनका उद्देश्य विदेशों से फंड लेना कभी नहीं था। जो पैसा उन्हें मिला, वह उनके शैक्षिक और पर्यावरणीय प्रोजेक्ट्स के लिए था—जैसे कि संयुक्त राष्ट्र की टीम द्वारा पैसिव सोलर हीटेड बिल्डिंग के लिए अफगानिस्तान भेजी गई फीस और उनके आर्टिफिशियल ग्लेशियर प्रोजेक्ट्स के लिए स्विट्जरलैंड और इटली से मिले फंड।
- हिंसा और आरोप: वांगचुक ने कहा कि हाल की हिंसा के बाद पूरा दोष उन पर मढ़ दिया गया। इसके अलावा, उन्हें आयकर नोटिस भी मिले हैं, जबकि लद्दाख क्षेत्र में टैक्स माफ है। वांगचुक का कहना है कि वह अपने दायित्व के तहत टैक्स देते हैं, लेकिन उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है।
SECMOL और HIAL के बारे में:
स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख(SECMOL) की स्थापना 1988 में सोनम वांगचुक ने की थी. यह संगठन लद्दाख में शिक्षा सुधार, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक गतिविधियों के क्षेत्र में काम करता रहा है. सरकार के इस कदम के बाद लद्दाख में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है.
HIAL लगभग 2017-18 में आकार लेता है, जिसके पीछे विचार था लद्दाख और हिमालयी क्षेत्र के लिए ऐसे समाधान खोजना जो पर्यावरण-संवेदनशील हों. इसका स्पष्ट उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी और शिक्षा सुधार जैसे मुद्दों का स्थानीय अनुभवों के आधार पर हल निकालना तय किया गया था.
हाल के वर्षों में देश में कई लाइसेंस रद्द किए गए:
हाल के वर्षों में कई NGO के FCRA लाइसेंस रद्द किए गए हैं। यह केवल सोनम वांगचुक का मामला नहीं है; छोटे संगठनों से लेकर बड़े नामी संस्थानों तक शामिल रहे हैं। सरकार का कहना है कि विदेशी फंडिंग का दुरुपयोग राष्ट्रीय हित के खिलाफ हो सकता है। वहीं, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नियम इतने कड़े हैं कि इससे काम कर रहे संगठनों का काम प्रभावित होता है।
विदेशी चंदा लेने के नियम क्या हैं?
- NGO को FCRA के तहत पंजीकृत होना जरूरी है
- केवल अप्रूव्ड बैंक खाते में ही विदेशी चंदा आ सकता है
- फंड का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए होगा, जिसके लिए रजिस्टर्ड है
- सरकार को नियमित रूप से खर्च और आय की रिपोर्ट देनी होती है
- फंड का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों या लाभ कमाने में नहीं होगा
लद्दाख में क्या हुआ था?
सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी। इसी बीच 24 सितंबर, 2025 को लद्दाख में 1989 के बाद सबसे गंभीर हिंसा हुई। युवाओं ने भाजपा मुख्यालय और हिल काउंसिल पर हमला किया और कई वाहनों में आग लगा दी। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इस झड़प में चार प्रदर्शनकारी मारे गए और 30 पुलिसकर्मी सहित 80 से अधिक लोग घायल हुए।
गृह मंत्रालय ने क्या आरोप लगाया?
गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के जरिए भीड़ को उकसाया. हिंसक घटनाओं के बीच उन्होंने अपना उपवास तोड़ा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यापक प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गांव चले गए.
निष्कर्ष:
सोनम वांगचुक के एनजीओ का FCRA रजिस्ट्रेशन रद्द होना विदेशी फंडिंग नियमों के पालन की आवश्यकता को दिखाता है। CBI मामले की जांच कर रही है, और यह पारदर्शिता व नियमों का महत्व रेखांकित करता है।